उदयपुर के महाराजकुमार साहिब डॉ. लक्ष्यराज सिंह जी मेवाड़ ने किया ‘भारतमाता’ कॉफ़ीटेबल बुक का विमोचन

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उदयपुर। ‘‘भारतमाता आदिशक्ति जगदम्बा का मूर्त्तिमान स्वरूप है। भारतमाता एक देवी के रूप में भारत का राष्ट्रीय व्यक्तित्व है। मेवाड़ राजवंश की कुलदेवी राजराजेश्वरी बाण माता जी को उसी रूप में कवर पेज पर स्थान दिया है। भारतमाता ही वह दिव्य प्रेरणा और शक्ति है जो अनन्त काल से हमारे देशवासियों को जाति, धर्म और प्रांत की सीमाओं से परे उठाकर एकजुटता के सूत्र में बाँधे रखा है तथा युगों-युगों तक बाँधे रखेगी। सम्पूर्ण मानवता को परमेश्वर के समीप ले जाने का सर्वोत्तम मार्ग भारतमाता की गहन भक्ति से प्राप्त हो सकता है।’’ ये बातें महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन के न्यासी तथा उदयपुर के महाराजकुमार डॉ. लक्ष्यराज सिंह जी मेवाड़ ने वरिष्ठ पत्रकार, इतिहासविद् और लेखक गुंजन अग्रवाल द्वारा सम्पादित ‘भारतमाता : चित्रकला, स्थापत्य एवं साहित्य में अभिव्यक्त भारतीय राष्ट्रवाद’ शीर्षक कॉफ़ीटेबल बुक के विमोचन के अवसर पर कहींl उन्होंने कहा कि मेवाड़ के शासक बाणमाताजी के अनन्य उपासक थे, उन्होंने शिल्पकला, वास्तुकला, संगीतकला, स्थापत्यादि भारतीय कला विद्याओं को फलने-फूलने के सम्पूर्ण सुअवसर प्रदान किये।

इस अवसर पर महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मयंक गुप्ता ने बताया कि गुंजन अग्रवाल द्वारा सम्पादित यह पुस्तक भारतमाता के प्रति श्रद्धा और इसके संरक्षण में अपना सर्वस्व न्यौछावर की भावना को बलवती करती है। यह पुस्तक नयी पीढ़ी को राष्ट्रवाद की भावना से लाभान्वित करेगी।

इस अवसर पर कॉफ़ीटेबल बुक के सम्पादक और लेखक गुंजन अग्रवाल ने कहा कि भारतमाता हमारे देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है जो सदियों से भारतीय चित्रकला, मूर्तिकला और साहित्य में अभिव्यक्त की जाती रही है।

उल्लेखनीय है कि तीन सौ छत्तीस पृष्ठों के इस बृहदाकार कॉफीटेबल बुक में सन् 1885 से 2020 ई. के मध्य अनेक ज्ञात-अज्ञात चित्रकारों द्वारा निर्मित भारतमाता के करीब ढाई सौ चित्रों, जिनमें पेण्टिंग्स, प्रिण्ट्स और पोस्टर्स शामिल हैं, संकलित किया गया है। इसी के साथ इस ग्रन्थ में भारतमाता विषयक प्राचीन निबन्धों, गीतों, कविताओं व उद्धरणों तथा देश के अनेक स्थानों पर विद्यमान भारतमाता-मन्दिरों के विषय में भी सचित्र और प्रामाणिक जानकारी दी गई है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक परम पूजनीय डॉ. मोहनराव भागवत ने इस कॉफ़ीटेबल बुक की प्रस्तावना लिखी है। ग्रंथ का प्रकाशन महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन के सहयोग से वैदिक पब्लिशर्स ने किया है।

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