प्रियदर्शन शर्मा
एक दशक पहले पटना में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक सनसनीखेज छापेमारी की, जिसने सुर्खियां बटोरीं। यह छापा एक वरिष्ठ अधिकारी, जो अतिरिक्त आयुक्त (एडिशनल कमिश्नर) थे, के आवास पर मारा गया। छापे के दौरान सीबीआई को 32 लाख रुपये नकद मिले। जब अधिकारी से पूछताछ की गई, तो उन्होंने दावा किया कि यह राशि उनकी पत्नी की है। सीबीआई ने जांच का रुख पत्नी की ओर किया और उनसे पूछा कि यह पैसा कहां से आया। पत्नी ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि यह उनकी वैश्यावृत्ति (prostitution) से कमाई गई राशि है।
सीबीआई के अधिकारी यह सुनकर स्तब्ध रह गए। उन्होंने पत्नी से पूछा कि इस धंधे में इतनी बड़ी राशि कैसे संभव हुई और उनके क्लाइंट कौन-कौन हैं। पत्नी ने दावा किया कि उनके क्लाइंटों में कई बड़े और प्रभावशाली लोग शामिल हैं। अफवाहों ने जोर पकड़ा कि पत्नी ने सीबीआई के तत्कालीन निदेशक का नाम भी लिया। यह सुनकर जांच टीम के होश उड़ गए। वे समझ गए कि इस मामले की गहराई में जाना उनके लिए मुश्किल होगा। आखिरकार, सीबीआई की टीम बिना कोई मुकदमा दर्ज किए खाली हाथ लौट गई।
यह घटना कथित तौर पर सत्य है, जिसका जिक्र 2014 में आज तक चैनल के तत्कालीन क्राइम रिपोर्टर दीपक शर्मा ने किया था। उन्होंने इस कहानी को फेसबुक पर साझा किया, जो बाद में वायरल हो गई। हालांकि, तत्कालीन सीबीआई निदेशक का नाम इस मामले से जोड़ना उचित नहीं, क्योंकि उनका इससे कोई संबंध नहीं था।
इस कहानी का सार यह है कि भ्रष्टाचार और अनैतिकता का जाल कितना गहरा हो सकता है। बिहार में विधानसभा चुनावों के शोर के बीच यह कहानी एक चेतावनी है कि नेताओं और उनके समर्थकों की असलियत को परखना जरूरी है। अनैतिकता और भ्रष्टाचार से दूरी बनाए रखें, क्योंकि कुछ लोग सत्ता और पैसे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।