वनवासियों को ईसाई व मुसलमान बनाने का प्रयत्न हुआ लेकिन उन्होंने धर्म नहीं छोड़ा

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महाकुम्भनगर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबाले और अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्रीमान सुरेश सोनी जी ने सोमवार को पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद माननीय सरकार्यवाह जी ने सफाई कर्मचारियायें को भेंट दी। साथ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक श्रीमान अनिल जी और काशी प्रान्त के प्रान्त प्रचारक श्रीमान रमेश जी भी उपस्थित रहे।

**भारतीय संस्कृति विश्व की पोषक व तारक**

महाकुम्भ मेला क्षेत्र के सेक्टर 17 में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की पोषक व तारक है। हिन्दू संस्कृति की रक्षा व भारत की एकता व एकात्मता के लिए काम करें। शिक्षा, सेवा, संस्कार व धर्म जागरण के द्वारा अपने समाज की एकता को अपने समाज की अस्मिता को बनाए रखने का प्रयत्न करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वनवासियों को ईसाई व मुसलमान बनाने का प्रयत्न हुआ। उन्होंने हमारे देवी देवताओं, पूजा पद्धति को बदल दिया। वनवासियों का कोई धर्म नहीं है यह प्रचारित किया गया। इन सारे विषयों को पाठ्य पुस्तकों में विश्वविद्यालयों में पढ़ाया पीएचडी करके इसको स्थापित करने का प्रयत्न किया गया। भोले भाले वनवासियों के हाथों में नक्सलियों ने बंदूक थमाया। समस्या का समाधान उनका उद्देश्य नहीं था। प्रेम से रहो हिंसा दो इस नफरत से काम नहीं चलेगा।

सरकार्यवाह ने कहा कि वनवासियों ने अपने पूजा पाठ, मंत्र पारायण से, रीति रिवाज से, तीज त्यौहार से,पर्वों के आचरण से, पर्वों के अनेक संस्कारों से उसको जतन से बनाकर बचाकर रखे हैं। गुरूओं के मार्गदर्शन व संतों की साधना इस धर्म श्रद्धा को आध्यात्मिक चेतना को मूल संस्कार पद्धति को मजबूत रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई हैं।

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि धर्मान्तरण एक प्रमुख चुनौती है। इसे रोकने के लिए हमें आगे आना होगा। अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए एक प्रतिबद्धता चाहिए। आधुनिक काल में विकास के नाम पर इन चीजों पर भी आघात हो रहे हैं। इसलिए वनवासियो के बीच शिक्षा संस्कार देने का बड़ा प्रयत्न होना चाहिए। वनवासियों में नृत्य संगीत की अद्भुत परंपरा है। वनवासी क्षेत्र के साहित्य की रक्षा होनी चाहिए। बनवासी युवाओं को जल जंगल जमीन की पवित्रता और संस्कृति व परम्परा के बारे में बताना होगा।

सरकार्यवाह ने कहा कि वनवासी क्षेत्रों में संतों ने जो प्रयत्न अभी तक किया है। वह अदभुत है। इसलिए तो जनजाति बची है। वहां राम का नाम लेने वाले हैं। वहां धर्म की बात बोलने वाले अभी भी बचे है।। जनजाति संस्कृति के जीवन में आचरण करने के लिए लाखों कुटुम्ब आज भी बचे हैं। वनवासी कल्याण आश्रम,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद इस क्षेत्र में कार्य कर रहा है।
हम सब एक होकर एकता के साथ काम करेंगे तो हिंदू शक्ति कम नहीं है हमको मिलकर प्रयत्न करना होगा। अलग-अलग हम बंट जाते हैं तो हमारी शक्ति क्षीण हो जाती है। विदेशी आतताइयों से अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए वनवासियों ने संघर्ष किया है।

वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि अनुसूचित जनजाति समाज पहले प्रताड़ित किया जाता था। वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा सुधार हुआ है आगे भी समाज और आश्रम के लोगों को वनवासी समाज की चिंता करना पड़ेगा। अनुसूचित जनजातियों को गले लगाना पड़ेगा। संगठन के द्वारा मंचों पर दिखावा नहीं करते हुए सम्मान देना पड़ेगा। हिंदू समाज को संगठित करने के लिए प्रत्येक हिन्दू को मान सम्मान देना होगा।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी संतों का स्वागत व सम्मान किया गया।

प्रमुख रूप से वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अतुल जोग,वनवासी कल्याण आश्रम के उपाध्यक्ष एसके नागो, सह संगठन मंत्री भगवान सहाय, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख महेश काले,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक अनिल,प्रान्त प्रचारक रमेश, वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख मनीराम पाल,संत शिरोमणि दिगंबर महाराज, उमाकांत महाराज, विपुल भाई पटेल, अनंत दोहरी आलेख पंथ, बलराम दास प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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