विश्वास का सेतु, उत्तर प्रदेश पुलिस की सामाजिक पहल

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पुलिस समाज की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने की रीढ़ है, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में पुलिस और जनता के बीच अक्सर अविश्वास की खाई देखने को मिलती है। इस अविश्वास को कम करने और विश्वास का सेतु स्थापित करने के लिए पुलिस विभिन्न सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेती है, जैसे कि ‘पुलिस मित्र’ जैसे कार्यक्रम। हाल ही में, एक महिला पुलिसकर्मी द्वारा कांवरियों की सेवा करने की घटना इसका एक उज्ज्वल उदाहरण है। इस तरह की गतिविधियां न केवल पुलिस की मानवीय छवि को उजागर करती हैं, बल्कि समाज में पुलिस के प्रति विश्वास को भी मजबूत करती हैं। इसकी आलोचना अनुचित है, क्योंकि ऐसी पहल समाज और पुलिस के बीच की दूरी को कम करती हैं, जिससे पुलिस का कार्य भी सुगम होता है। वर्तमान समय में, जब अविश्वास की खाई गहरी होती जा रही है, ऐसी गतिविधियों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।

पुलिस की सामाजिक गतिविधियों के उदाहरण

पुलिस मित्र जैसे कार्यक्रमों के तहत पुलिस विभिन्न सामुदायिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेती है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्कूलों में “स्कूल संपर्क अभियान” चलाया, जिसमें पुलिसकर्मी बच्चों को यातायात नियमों, साइबर सुरक्षा, और नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करते हैं। इसके अलावा, पुलिस द्वारा आयोजित “महिला सुरक्षा जागरूकता अभियान” में महिलाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण और कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जाती है। धार्मिक आयोजनों में भी पुलिस सक्रिय भूमिका निभाती है। कांवर यात्रा के दौरान पुलिसकर्मी न केवल सुरक्षा व्यवस्था संभालते हैं, बल्कि कई बार कांवरियों को पानी, भोजन, या चिकित्सा सहायता प्रदान करते हैं, जैसा कि महिला पुलिसकर्मी के उदाहरण में देखा गया। इसके अतिरिक्त, पुलिस द्वारा रक्तदान शिविर, वृक्षारोपण अभियान, और स्वच्छता जागरूकता जैसे सामाजिक कार्य भी आयोजित किए जाते हैं। हाल ही में, पुलिस ने कोविड-19 महामारी के दौरान जरूरतमंदों को भोजन और दवाइयां वितरित कीं, जिसने समाज में उनकी छवि को और सुदृढ़ किया।

विश्वास का महत्व और कार्य की सुगमता

जब समाज पुलिस पर विश्वास करता है, तो यह पुलिस के कार्य को कई मायनों में आसान बनाता है। उदाहरण के लिए, अपराध की सूचना देने में लोग तत्परता दिखाते हैं, गवाह सामने आते हैं, और सामुदायिक सहयोग से अपराध की रोकथाम में मदद मिलती है। कांवर यात्रा जैसे आयोजनों में, जब पुलिस श्रद्धालुओं की सेवा करती है, तो यह न केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान दर्शाता है, बल्कि श्रद्धालुओं के बीच सुरक्षा और सहयोग की भावना को बढ़ाता है। इससे भीड़ प्रबंधन और कानून व्यवस्था बनाए रखना आसान हो जाता है।

आलोचना का खंडन

ऐसी गतिविधियों की आलोचना करने वाले अक्सर यह तर्क देते हैं कि पुलिस का कार्य केवल कानून लागू करना है, न कि सामाजिक सेवा। यह दृष्टिकोण संकीर्ण है, क्योंकि पुलिस केवल दंड देने वाली संस्था नहीं, बल्कि समाज का अभिन्न अंग है। कांवरियों की सेवा जैसी गतिविधियां सामाजिक एकता को बढ़ावा देती हैं और पुलिस को जनता के करीब लाती हैं। यह विशेष रूप से उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में महत्वपूर्ण है, जहां सामाजिक और धार्मिक विविधता के बीच पुलिस को सभी वर्गों का विश्वास जीतना होता है। एक महिला पुलिसकर्मी द्वारा कांवरियों की सेवा न केवल लैंगिक समानता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि पुलिस समाज के हर वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकती है।

वर्तमान आवश्यकता

आज के समय में, जब सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से पुलिस के खिलाफ नकारात्मक प्रचार तेजी से फैलता है, ऐसी सकारात्मक पहलें पुलिस की छवि को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अविश्वास की खाई को पाटने के लिए पुलिस को लगातार ऐसी गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। यह न केवल समाज में पुलिस के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, बल्कि दीर्घकाल में कानून व्यवस्था को और सुदृढ़ करता है। इसलिए, कांवरियों की सेवा जैसे कार्यों की आलोचना न केवल अनुचित है, बल्कि यह समाज और पुलिस के बीच बढ़ते विश्वास को कमजोर करने का प्रयास भी है। ऐसी पहलें समाज में सामंजस्य और सहयोग की भावना को मजबूत करती हैं, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

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आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु एक पत्रकार, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आम आदमी के सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों तथा भारत के दूरदराज में बसे नागरिकों की समस्याओं पर अंशु ने लम्बे समय तक लेखन व पत्रकारिता की है। अंशु मीडिया स्कैन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और दस वर्षों से मानवीय विकास से जुड़े विषयों की पत्रिका सोपान स्टेप से जुड़े हुए हैं

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