1. खुफिया मिशन के आरोपों पर:
– रिपोर्ट में कथित तौर पर खुफिया जानकारी जुटाने के मिशन का उल्लेख है, जिसे वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने मंजूरी दी है।
– रिपोर्ट कहती है कि कनाडा के पास इन दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
– अगर कनाडा के पास इतने ठोस सबूत हैं, तो क्या इसे अंतरराष्ट्रीय निकायों, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र या इंटरपोल के साथ साझा नहीं किया जाना चाहिए?
– अगर सबूत इतने ठोस हैं, तो क्या पारदर्शिता से कनाडा के दावे और मजबूत नहीं होंगे?
– क्या सबूत का खुलासा न करना इस बात का संकेत है कि यह जांच के बाद टिक नहीं पाएगा?
2. *अमित शाह की भूमिका पर:*
– रिपोर्ट में सीधे तौर पर भारत के गृह मंत्री अमित शाह को इन गोपनीय गतिविधियों में शामिल बताया गया है।
– क्या यह विश्वसनीय है कि अमित शाह जैसे उच्च पदस्थ नेता सीधे खुफिया मिशनों का संचालन करेंगे?
– खुफिया एजेंसियो के कामकाज का थोडा भी जानकार ये बता सकता है कि आमतौर पर खुफिया एजेंसियां एसे काम नही करती है। एजेंसी स्वायत्त रूप से काम करती हैं, और ऑपरेशन के बाद मुकर जाती है। क्या यह धारणा वास्तविकता से परे और अतिरंजित नहीं है कि कोई *गृह मंत्री हर गुप्त मिशन की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेगा और खुद सबूत छोडेगा?*
– क्या यह दावा खुफिया अभियानों की कार्यप्रणाली की सही समझ का अभाव नहीं दर्शाता?
– अगर कनाडाई खुफिया एजेंसी (CSIS) को किसी खतरनाक तत्व को खत्म करना हो, तो क्या वहां के गृह मंत्री सीधे निर्देश देंगे?
– क्या यह तर्कसंगत नहीं है कि इस तरह के दावे सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए किए गए हों?
3. *विश्नोई गैंग से जुड़े आरोपों पर:*
– रिपोर्ट भारत पर आरोप लगाती है कि उसने विश्नोई गैंग नेटवर्क का इस्तेमाल हत्या करवाने के लिए किया।
– क्या कोई ठोस सबूत है जो विश्नोई गैंग को भारतीय सरकार से जोड़ता है?
– विश्नोई भारत में जेल में है, अगर वो यहां बैठ कर कनाडा में किसी को मरवा सकता है, तो उसने वो निर्देश फोन पर या किसी इलैक्ट्रानिक माध्यम से ही दिया होगा, क्या वो सबूत जुटाये गये है., या फिर बस यूंही
– कनाडा ने इस लिंक का पता कैसे लगाया, और इसे अन्य स्रोतों ने क्यों सत्यापित नहीं किया?
4. *राजनीतिक संदर्भ पर:*
– रिपोर्ट तब आई है जब कनाडा और भारत के बीच खालिस्तान मुद्दे पर तनाव बढ़ा हुआ है।
– क्या यह रिपोर्ट कनाडा के भीतर की घरेलू राजनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई है, खासकर वहां की सिख आबादी को ध्यान में रखते हुए? हाल ही में जगमीत सिंह ने ट्रूडो का साथ छोड दिया है. *जगमीत के पास 24 सासंद *है, यदि ये साथ गया तो ट्रूडो की सत्ता चली जायेगी.
– दिलचस्प ये है कि भारतीय जांच समिति इसी मामले मे वाशिंगटन का दौरा कनाडा की कार्रवाई के एक दिन बाद था। तो क्या यह कार्यवाही अमेरिकी इशारे पर की गयी है?
– क्या यह पूरी कहानी राजनीतिक लाभ के लिए गढ़ी गई है, न कि तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता का उदाहरण है?