एमएस डेस्क
बीजापुर (बस्तर/ छत्तीसगढ़) का एक पत्रकार नक्सलियों का मुखबीर हुआ करता था। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और कुछ दिनों तक अपने पास रख कर यूं ही बिना कोई मुकदमा बनाए छोड़ दिया।
इस तरह से छोड़ दिए जाने की वजह से उस कथित मुखबीर पत्रकार ने नक्सलियों का विश्वास खो दिया। बात यहां खत्म नहीं होती। नक्सलियों ने बाहर आने पर उस पत्रकार की हत्या कर दी। उन्होंने बयान जारी किया और हत्या की जिम्मेवारी ली। उस पत्रकार को अपने बयान में पुलिस का मुखबीर बताया। इस हत्याकांड को नक्सलियों ने दिन दहाड़े बासगुडा के बीच बाजार में अंजाम दिया।
दिल्ली में इससे मिलती जुलती एक कहानी इन दिनों चल रही है। एक राजनीतिक दल के सभी बड़े नेता जेल के अंदर हैं। किसी को उम्मीद नहीं थी और अचानक कुछ दिनों पहले उन नेताओं में से एक नेता को जेल से बाहर भेज दिया गया। अब वह नेता अपनी वफादारी साबित करने की भरसक कोशिश कर रहा है लेकिन पार्टी के अंदर और बाहर सभी उसे संदेह की नजर से देख रहे हैं।