जेन-जी छात्र संघों में एबीवीपी का डंका

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आशुतोष सिंह

दिल्ली। हाल ही में देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में हुए छात्र संघ चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने अभूतपूर्व सफलता अर्जित की है। इस शुक्रवार को घोषित हुए दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनावों और शनिवार देर रात आए हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ परिणामों में विद्यार्थी परिषद ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर अपनी संगठनात्मक शक्ति को पुनः सिद्ध किया है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के चुनावों में अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के प्रत्याशी आर्यन मान ने 16,196 मतों के भारी अंतर से विजय प्राप्त की। यह विश्वविद्यालय के 50 वर्षों के अधिक लंबे छात्र संघ चुनावी इतिहास में दूसरा सबसे बड़ा जीत का अंतर है। सबसे बड़े मतांतर 19039 से जीत का रिकॉर्ड भी एबीवीपी के ही उम्मीदवार अक्षित दहिया के नाम दर्ज है। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष पद के अतिरिक्त परिषद ने सचिव और संयुक्त सचिव पदों पर भी उल्लेखनीय बढ़त हासिल करते हुए विजय का परचम लहराया।

वहीं, हैदराबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनावों में एबीवीपी ने क्लीन स्वीप करते हुए सभी प्रमुख पद जीत लिए। उल्लेखनीय तथ्य यह भी रहा कि राज्य में कांग्रेस की सत्ता होने के बावजूद उसके छात्र संगठन एनएसयूआई को नोटा से भी कम मत प्राप्त हुए, जो अन्य छात्र संगठनों की जमीनी वास्तविकता को सामने लाती है। वहीं विद्यार्थी परिषद ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव, सांस्कृतिक सचिव तथा खेल सचिव पर एकतरफा जीत दर्ज करके क्लीन स्वीप कर दिया। हैदराबाद विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय तथा गौहाटी विश्वविद्यालय, विद्यार्थी परिषद के लिए अपेक्षाकृत प्रतिकूल माने जाने वाले शैक्षणिक परिसर हैं, ऐसे में विद्यार्थी परिषद के इन परिसरों में जीत के बड़े मायने में है।

देश के सबसे बड़े छात्र संगठन के रूप में अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण कर चुकी एबीवीपी ने इस वर्ष लगातार अनेक विश्वविद्यालयों में विजय हासिल की है। हाल के ही महीनों में पंजाब विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय के अतिरिक्त पटना विश्वविद्यालय, उत्तराखंड के विश्वविद्यालयों, गौहाटी विश्वविद्यालय, असम विश्वविद्यालय तथा देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में विद्यार्थी परिषद ने जीत दर्ज कराई है।

यह क्रमिक सफलता केवल एक संयोग नहीं है, बल्कि एबीवीपी के अखिल भारतीय स्वरूप, छात्र हितों के मुद्दों पर सकारात्मक हस्तक्षेप और वैचारिक प्रतिबद्धता से प्रेरित कार्यकर्ताओं के सतत प्रयासों का परिणाम है। परिषद के कार्यकर्ताओं ने परिसर राजनीति को शिक्षा और विद्यार्थियों के वास्तविक मुद्दों के साथ जोड़ने का जो प्रयास किया है, उसकी परिणति हालिया चुनावों में अभूतपूर्व विजय के रूप में सामने आई है।

विद्यार्थी परिषद को देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के छात्रसंघ चुनावों में जनादेश को जेन-जी की राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक तथा रचनात्मक रूप के समर्थन के रूप में भी देखा जा रहा है। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जेन-जी के समक्ष संविधान बचाने का जुमला फेंका, इस जुमले में कुछ वैसे ही नकारात्मकता की बू आई, जो हाल में नेपाल और बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता व‌ हिंसा से संबंधित है। लेकिन देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में भारतीय विचारों से प्रेरित एबीवीपी की जीत ने ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ को संदेश दे दिया है कि जेन-जी नकारात्मकता, हिंसा तथा परिवारवाद से दूर है।

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष ने एबीवीपी की दिल्ली विश्वविद्यालय में जीत को सोशल मीडिया पर डूसू के जेन-जी की चुनाव में शानदार जीत बताया, वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विद्यार्थी परिषद की जीत को युवाओं की राष्ट्र प्रथम की विचारधारा में अटूट विश्वास के रूप में रेखांकित किया है। कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई हो या वाम दलों से संबंधित छात्र संगठन या फिर क्षेत्रीय छात्र दल, इन सभी की जातिवादी, परिवारवादी तथा अभारतीय दृष्टि को देश के विद्यार्थियों ने पूरी तरह से नकार दिया है।

कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई ने दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में वोट चोरी तथा ईवीएम में गड़बड़ी जैसे आधारहीन तथा खोखले जुमले गढ़ने की कोशिश की, लेकिन वे असफल रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ में डेढ़ लाख से अधिक युवा मतदाता भागीदारी करते हैं, ये विद्यार्थी देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं, इन युवाओं से देश की नब्ज टटोली जा सकती है।

छात्र संघ चुनाव युवा मानस का लिटमस टेस्ट भी कहे जा सकते हैं। विद्यार्थी परिषद के संदर्भ में यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बीते वर्षों में छात्र संगठन का सदस्यता आंकड़ा लगातार बढ़ते हुए पचास लाख पार कर चुका है तथा पूरी देश भर में विद्यार्थी परिषद की इकाइयां बड़ी संख्या में विस्तारित हुई हैं। वर्तमान में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का देश के सभी जिलों में काम है। जहां छात्र संघ चुनाव नहीं भी होते हैं, वहां पर विद्यार्थी परिषद ने शिक्षा तथा समाज के विभिन्न विषयों से युवाओं को जोड़कर यह संदेश दिया है कि विद्यार्थी परिषद केवल छात्र संघ चुनाव लड़ने तक सीमित नहीं है बल्कि वह राष्ट्र पुनर्निर्माण के सतत ध्येय से युवाओं को जोड़ने तथा एक अच्छे नागरिक के रूप में देश की युवा पीढ़ी को संस्कारित करने के लिए विभिन्न अभियानों को सफलतापूर्वक संचालित कर रही है।

विद्यार्थी परिषद की यात्रा 75 वर्षों से अधिक का सफर तय कर चुकी है, छात्र संघ चुनावों में विजय हो या नए विषयों से विद्यार्थी परिषद की सम्बद्धता व लीडरशिप , इसने यह बात सिद्ध कर दी है कि विद्यार्थी परिषद देश का सर्वाधिक परिपक्व के साथ अपडेटेड छात्र संगठन है, जो देश की समृद्ध विरासत तथा परंपरा से तो युवाओं को जोड़ने तथा संस्कारित करने के समूह के रूप में कार्य करने के साथ उन्हें आधुनिकता तथा सकारात्मकता की दिशा दे रही है।

( लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं, तथा विद्यार्थी परिषद के अखिल भारतीय मीडिया संयोजक रह चुके हैं।)

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