पाकिस्तानी मीडिया संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के बाद ठगा रह गया है। चीन के पलटी मारने को लेकर उसकी हैरानी ज्यादा है। चीन ने चार बार मसूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किए जाने की प्रक्रिया में अड़ंगे लगाए। आखिरकार, उसे भारत और दुनिया के दबाव में झुकना पड़ा। अब पाक मीडिया अपनी सरकार से सवाल पूछ रहा है कि क्या मसूद मामले में उसने पाकिस्तान सरकार को भरोसे में लिया था या नहीं?
भारत की बड़ी जीत
पाकिस्तान के अखबार ‘द न्यूज’ में मोहम्मद सलेह जाफिर ने संपादकीय में लिखा, ‘‘यह भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है। इससे कूटनीतिक जानकार
हैरान हैं। पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री इमरान खान और
उनके खास मंत्री चीन दौरे पर थे। वहां उनकी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात
हुई थी। सवाल यह है कि क्या चीन ने तब पाकिस्तान को मसूद पर अपने बदले हुए रुख या
फैसले की जानकारी दी थी? क्या चीन ने पाकिस्तान को भरोसे में लिया था?’’
कश्मीर कनेक्शन
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने एक पाक अफसर के हवाले से लिखा, ‘‘भारत मसूद के
मामले को कश्मीर की आजादी के आंदोलन और कुछ सरकारी महकमों से जोड़ना चाहता था। वह ऐसा नहीं कर पाया और ये हमारी कूटनीतिक जीत है।’’
चीन ने पाकिस्तान को सराहा
‘पाकिस्तान टुडे’ ने अपने संपादकीय
में लिखा, ‘‘अजहर पर बैन के बाद भी चीन ने आतंकवाद के खिलाफ
पाकिस्तान के रुख को सराहा है। उसने ये भरोसा दिलाया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की मदद करता रहेगा। उसने माना
है कि हमने इस जंग में काफी कुर्बानियां दी हैं।’’