आपको जब समझ में आये तब आये…

unnamed-7.jpg

कैलाश चंद्र / कृष्ण मुरारी तिवारी 

भारत में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट:- सांस्कृतिक अस्तित्व, राष्ट्रीय सुरक्षा और वैधानिक संतुलन के समक्ष खड़े गम्भीर संकट

भूमिका जनसंख्या वृद्धि किसी भी राष्ट्र के लिए विकास, श्रमशक्ति और बाजार का संकेत हो सकती है, किंतु जब यह वृद्धि धार्मिक, वैचारिक और रणनीतिक एजेंडे से प्रेरित हो, तो यह सांस्कृतिक विनाश और राष्ट्रीय अस्थिरता का कारण बन सकती है।

प्यू रिसर्च सेंटर की हालिया रिपोर्ट में चेताया गया है कि भारत आगामी 25 वर्षों में विश्व का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश बन सकता है। यह केवल जनसंख्या का तथ्य नहीं, बल्कि एक गहन सामाजिक-सांस्कृतिक और यह नीति अपावन सरकारों की, राष्ट्रीय सुरक्षा संकट का संकेतक है।

1. सांख्यिकीय संकेत:- बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या का वैश्विक और भारतीय परिदृश्य
• 2010–2020 में दुनिया में मुस्लिम जनसंख्या में सर्वाधिक वृद्धि (34.7 करोड़) हुई, जिसमें भारत अकेला 2.7 करोड़ मुस्लिम वृद्धि के साथ शीर्ष पर रहा।
• 2050 तक भारत में मुस्लिमों की संख्या 31 करोड़ हो सकती है, जो उस समय की कुल भारतीय जनसंख्या का लगभग 18.4% होगी।
• प्यू के अनुसार, मुस्लिमों की जनसंख्या वृद्धि दर 1.76% है, जो वैश्विक औसत 1.1% से कहीं अधिक है।

निहितार्थ:- भारत जैसे बहुलतावादी राष्ट्र में जब एक विचार आधारित धार्मिक समूह इतनी तेजी से जनसंख्या में वृद्धि करता है, तो वह केवल सांख्यिकीय नहीं रहता – वह सत्ता, संस्कृति और नीति को प्रभावित करने का साधन बन जाता है।

2. सांस्कृतिक दृष्टिकोण से संकट
(क) भारत की बहुलतावादी संस्कृति पर संकट
• भारत की सांस्कृतिक पहचान एक धर्म-निरपेक्ष बहुलवाद पर आधारित है। लेकिन जब एकरूप इस्लामी सोच जनसंख्या के माध्यम से वर्चस्व प्राप्त करने लगे, तो यह विविधता के लिए सीधा खतरा है।
• मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में गणेश विसर्जन, रामलीला, दुर्गा पूजा जैसे पर्वों पर प्रतिबंध की मांग और तनाव, सांस्कृतिक सहिष्णुता के खात्मे का संकेत है।
(ख) इस्लामी वर्चस्व की ऐतिहासिक प्रवृत्ति
• ऐतिहासिक रूप से जहाँ मुस्लिम जनसंख्या 30% से ऊपर हुई, वहाँ सांस्कृतिक और धार्मिक अल्पसंख्यकों का सफाया या पलायन हुआ – उदाहरण: कश्मीर, पाकिस्तान, बांग्लादेश।
• ग़ज़वा-ए-हिंद, उम्मा की श्रेष्ठता, दार-उल-इस्लाम जैसे विचार, धार्मिक बहुलतावाद के लिए आंतरिक ख़तरा हैं।

3. राजनीतिक असंतुलन और धर्माधारित वोटबैंक
• कई राज्यों में मुस्लिम जनसंख्या 25% से अधिक है: बंगाल, केरल, असम, बिहार, यूपी, जम्मू। यहाँ धर्माधारित राजनीति और वोटबैंक तुष्टिकरण ने नीति निर्माण को विकृत कर दिया है।
• CAA, NRC, समान नागरिक संहिता, लव जिहाद, मदरसा नियंत्रण जैसे मुद्दों पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति नीति और न्याय को बाधित कर रही है।

चेतावनी:- लोकतंत्र की बुनियाद “जनसंख्या” होती है। जब वोटबैंक विचारधारा आधारित हो और उसकी संख्या में विस्फोट हो, तो वह लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदल सकता है।

4. राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों में खतरे
(क) घुसपैठ और “डेमोग्राफिक वॉरफेयर”
• भारत में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों की घुसपैठ सुनियोजित “जनसांख्यिकीय युद्ध” का हिस्सा है।
• असम, बंगाल, जम्मू, राजस्थान, दिल्ली में हजारों फर्जी मतदाता, राशन कार्ड और आधार कार्ड घुसपैठियों के पास पाए गए हैं।
(ख) आंतरिक अलगाववाद की प्रवृत्ति
• मेवात, कैराना, मुरादाबाद, बरेली, बहराइच, रामपुर जैसे क्षेत्रों में हिंदुओं का पलायन हो रहा है।
• कश्मीर की तर्ज़ पर “Mini Kashmir” बनने की संभावनाएं बढ़ रही हैं।

5. वैधानिक और नीति निर्धारण में बाधाएँ
• संविधान की धारा 30, 25, 29 मुस्लिमों को विशेष संरक्षण देती हैं, परंतु बहुसंख्यकों को ऐसे विशेषाधिकार नहीं।
• वक्फ अधिनियम, अल्पसंख्यक आयोग, और अन्य योजनाओं ने समान नागरिकता के सिद्धांत को विकृत कर दिया है।

परिणाम:- न्याय और समानता की भावना को जब राज्य नीति में धर्म के आधार पर विभाजित किया जाता है, तो राष्ट्रीय एकता का ताना-बाना कमजोर हो जाता है।

6. समाधान प्रस्ताव: संतुलन और समरसता की ओर
1. समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code)
• सभी नागरिकों के लिए विवाह, उत्तराधिकार, और संतान संबंधी नियम एक समान हों।
2. जनसंख्या नियंत्रण कानून
• दो संतान नीति को धर्म निरपेक्ष रूप से लागू किया जाए। नीति उल्लंघन पर राजकीय सुविधाएँ रोकी जाएं।
3. NRC और CAA को पूरे देश में लागू करना
• सभी नागरिकों की सत्यता और घुसपैठियों की पहचान आवश्यक है।
4. वक्फ बोर्ड और अल्पसंख्यक आयोग की पारदर्शिता और सीमा निर्धारण
• वक्फ की जमीनें सार्वजनिक संपत्ति घोषित हों और धार्मिक विशेषाधिकार की जगह सामाजिक दायित्व को बढ़ावा मिले।
5. सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राष्ट्रभावना पर बल
• शिक्षा, मीडिया, और समाज में भारतीयता आधारित दृष्टिकोण को पुनर्स्थापित करना आवश्यक है।

भारत एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन केवल सामाजिक चुनौती नहीं, बल्कि सांस्कृतिक अस्तित्व और राष्ट्रीय अखंडता का संकट बन गया है।

यदि नीति निर्धारकों, समाज शास्त्रियों और राष्ट्रप्रेमी नागरिकों ने समय रहते सचेत होकर ठोस कदम नहीं उठाए, तो भारत की “बहुलता में एकता” वाली संकल्पना इतिहास बन सकती है।

यह चेतावनी नहीं, एक ऐतिहासिक अवसर है। कोटि कोटि हिन्दु जन के ज्वार का– आत्मचिंतन का, नीति-परिवर्तन और राष्ट्रीय पुनर्जागरण का।

संदर्भ सूची (References):
• Pew Research Center. “The Future of World Religions: Population Growth Projections, 2010–2050.” April 2015. www.pewresearch.org
• Pew Research Center. “Religion and Public Life: Global Muslim Population Growth.” 2021.
• Census of India 2011. Office of the Registrar General & Census Commissioner, India. www.censusindia.gov.in
• Ministry of Home Affairs, Government of India. Report on Infiltration from Bangladesh. Lok Sabha/ Rajya Sabha Starred Questions (2015–2021).
• Prakash, Brahma Chellaney. “Demographic Imbalance and National Security.” Strategic Affairs Journal, 2019.
• Tufail Ahmad. “Jihadism in India and Demographic Threats.” Observer Research Foundation (ORF), 2018.
• Sardar Patel’s speech in Constituent Assembly Debates, Volume 7, 25th November 1948, related to Article 30.
• Arun Shourie. “The Only Fatherland: Communists, Quit India and the Soviet Union.” ASA Publications, 1991.
• Madhu Kishwar. “Uniform Civil Code Debate: A Gendered and Community Rights Perspective.” Manushi Journal, 2001.
• J. Sai Deepak. “India That Is Bharat: Coloniality, Civilisation, Constitution.” Bloomsbury India, 2021.

• Pew Research Center की रिपोर्ट के अनुसार, 2010–2020 में वैश्विक मुस्लिम आबादी में 34.7 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें भारत सबसे आगे रहा।
→ Ref. 1, 2
• भारत में मुस्लिम जनसंख्या 2020 में 20.4 करोड़ तक पहुँच गई जो 2010 में 17.7 करोड़ थी — 2.7 करोड़ की वृद्धि।
→ Ref. 2
• अनुमान है कि 2050 तक भारत में मुस्लिम आबादी 31 करोड़ हो जाएगी और वह विश्व का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा।
→ Ref. 1
• यूरोप में मुस्लिम जनसंख्या के बढ़ने से सांस्कृतिक टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसे कई रिपोर्टों में “replacement theory” कहा गया है।
→ Ref. 5, 6
• भारत में कैराना, मेवात, मालदा जैसे क्षेत्रों से हिंदुओं के “पलायन” की घटनाएँ मीडिया और NHRC की रिपोर्टों में दर्ज की गई हैं।
→ Ref. 4
• संविधान सभा में सरदार पटेल ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को अत्यधिक अधिकार देने पर चिंता व्यक्त की थी, विशेषकर Article 30 पर।
→ Ref. 7
• वक्फ अधिनियम 1995 और उससे जुड़ी संपत्तियाँ लगभग 5 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर फैली हैं, जिन पर कोई सार्वजनिक ऑडिट नहीं है।
→ Ref. 9
• लव जिहाद, लैंड जिहाद, मदरसा कट्टरता जैसे मुद्दों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा गया है — इसकी पुष्टि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की रिपोर्टों में भी होती है।
→ Ref. 5, 6
• समान नागरिक संहिता को लागू करने की मांग भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में दी गई है, लेकिन इसका विरोध मुख्यतः मुस्लिम लॉ बोर्ड और राजनीतिक दल करते आए हैं।
→ Ref. 8, 9
• हिंदू बहुल क्षेत्रों में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट के साथ स्थानीय राजनैतिक नियंत्रण, भूमि

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top