सीयूईटी परीक्षा की केन्द्रीकृत प्रणाली पर हो पुनर्विचार – देवेंद्र सिंह

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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने परीक्षा प्रणाली में उठायी व्यापक सुधारों की माँग

सीयूईटी – यूजी परीक्षा की उत्तर कुंजियों में इस बार आई विसंगतियां अत्यंत गंभीर है जो प्रतियोगी परीक्षाओं के संरचनात्मक दोषों को रेखांकित करता है एवं इस पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने सदैव जोर देकर सुधारों की मांग की है एवं अपनी ओर से विकल्प प्रस्तावित किये हैं I यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रतियोगी परीक्षाओं के राष्ट्रीय संयोजक देवेन्द्र सिंह ने कही। उन्होंने कहा सर्वप्रथम यह विचार करना आवश्यक है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को छोड़कर देश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों को सीयूईटी – यूजी एवं पीजी परीक्षा में शामिल करने की आवश्यकता है या नहींI राज्यों की अपनी परिस्थितियाँ हैं, वहाँ के छात्रों की अलग अपेक्षाएं हैं एवं राज्य विश्वविध्यालय एवं निजी विश्विद्यालयों में पाठ्यक्रम,विभिन्न कोर्स की उपलब्धता, संसाधनों की उपलब्धता भी अलग अलग हैI देश की विविधता, विशाल जनसँख्या, अंतर विश्विद्यालय विभिन्नता आदि को दृष्टिगत करते हुए पूरे देश के विश्विद्यालय सिस्टम हेतु एक ही परीक्षा का विकल्प विवेकसम्मत नहीं होगाI

श्री देवेंद्र ने कहा जहाँ तक त्रुटिपूर्ण उत्तर कुंजियों का प्रश्न है इस पर परीक्षा लेने वाली संस्थाओं को गंभीर आत्ममंथन करना चाहिए कि क्यों वह संसाधनों के होते हुए 100-50 प्रश्नों के ठीक ठीक उत्तर नहीं दे पातीI यह भी सोचना चाहिए कि किस प्रकार विद्वान् एवं समर्पित प्राध्यापकों को प्रश्न निर्माण के कार्य में सम्मिलित किया जाए I

उन्होंने आगे बताया कि त्रुटिपूर्ण उत्तर कुंजियों की समस्या संघ लोक सेवा आयोग से लेकर राज्यों के स्टाफ सिलेक्शन कमीशन तक व्याप्त हैI अतः देशभर के विद्वान् प्राध्यापकों हेतु प्रश्नपत्र निर्माण एवं परीक्षा प्रक्रिया में ड्यूटी सेवा का अनिवार्य भाग बनाया जाये तथा प्रश्न पत्र निर्माण, प्रतियोगी परीक्षा की कॉपी की जांच, साक्षात्कार पैनल में भागीदारी को सेवा / ड्यूटी का अपरिहार्य अंग घोषित कर सेवा नियम में इसे समिलित किया जाना चाहिए I प्रश्न पत्र निर्माण की योग्यता कौन रखता है, कौन नहीं, इसके मानकों में भी अलग-अलग संस्थाओं में बहुत अंतर है। इस पर भी विचार कर परीक्षा प्रणाली के अनुरूप पुराने पड़ चुके मानकों का पुनर्निर्धारण होना चाहिए। योग्यता प्राप्त प्राध्यापकों, अन्य विशेषज्ञों, सेवानिवृत्त विद्वानों को भी वस्तुनिष्ठ प्रश्न बैंक के निर्माण में योगदान देने का समुचित अवसर दिया जाना चाहिएI

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने परीक्षा व्यवस्था, प्रश्न पत्रों के स्तर, परीक्षा आयोजन में रही कमियों, छात्रों की समस्याओं आदि के बारे में शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों से निरंतर फीडबैक की एक प्रणाली पर पुनर्विचार करने हेतु माँग उठायी है और साथ ही समग्र रूप से परीक्षा प्रणाली की समय-समय पर देश के विख्यात एवं उस व्यवस्था की गहरी समझ रखने वाले विद्वानों द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए ताकि ये प्रणालियाँ रातों रात हुए किसी क्रांतिकारी बदलाव की जगह स्वाभाविक रूप से विकसित होकर अनुकरणीय बन सकें ।

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