गोरखपुर वाले डॉ राधामोहनदास अग्रवाल ने आज राज्यसभा में वक्फ बिल पर जो बोला है उसे हर व्यक्ति एक बार सुने जरूर। फिर चाहे वह हिन्दू हो या मुसलमान।
लेकिन एक बात जो उन्होंने कही और जिसकी बहुत चर्चा हो रही है वह यह कि मैंने भी कुरान पढी है। इस्लाम को समझते हैं और कुरान में क्या लिखा है अगर यह बता देंगे तो मार हो जाएगी, मार।
उनके वक्तव्य में जो महत्वपूर्ण है वह यह कि वो एक गैर मुस्लिम होकर इस्लाम को समझते हैं। वो तो हिन्दू महासभा वाले रहे हैं लेकिन आज बहुत से सामान्य हिन्दू हैं जो इस्लाम को समझ रहे हैं। खासकर नयी पीढी वाले लोग इस्लाम को मुल्ला के कुतर्कों से नहीं बल्कि सीधे उसको स्रोत से समझ रहे हैं।
यही मैं भी कहता हूं। मुसलमान को समझने की कोशिश मत करो। इस्लाम को समझो। आज एक राधामोहन दिखाई दिया है कल हजार लाख राधामोहन दिखाई देंगे। कोई लड़ाई झगड़ा नहीं। सिर्फ इस्लाम को समझो। बस। उसके बाद खुद तय करना कि गैर मुस्लिम के रूप में क्या बोलना है और क्या करना है।
वक्फ बिल पर राज्यसभा में गरजे डॉ. राधामोहन अग्रवाल
आप चाहे जितना भी पीएम मोदी का विरोध कर लें, वह मजबूती के साथ एक काम करते रहेंगे। वह है गरीब, मुसलमान, दलित, पिछड़े, महिला और अनाथ बच्चों के विकास का काम। वह हमेशा उनके साथ खड़े रहने वाले हैं। उन्होंने किसी भी संपत्ति को वक्फ किए जाने पर भी बड़ी बात कही। मोहम्मद साहब ने कहा था कि आपके पास अपनी कोई संपत्ति हो तो दूसरों के भले के लिए दान करो।
पवित्र ग्रंथ कुरान में भी लिखा था यदि किसी व्यक्ति के पास अपनी संपत्ति है, वह संपत्ति का एक हिस्सा वह दान कर सकता है। उसके आय के साधन कैसे होंगे? लिख सकता है। आय से होने वाली आमदनी किस वर्ग के उपयोग में आएगी, उसके भी निर्देश दे सकता है। लेकिन, वक्फ बोर्ड क्या कर रहा है। किसी फिल्मी गुंडे की तरह जिस संपत्ति पर हाथ रख दी, वह संपत्ति वक्फ की हो गई। जैसे फिल्मों में गुंडे हुआ करते थे, जिस औरत पर हाथ रख दी, वह औरत उनकी हो गई। इसी प्रकार की तरह काम इन लोगों ने किया है।
जिस जमीन पर हाथ रखो, वह जमीन वक्फ की कैसे हो सकती है? इसके कागजात तो उन्हें दिखाने होंगे। किसने वक्फ की? कैसे वक्फ की? किस मकसद से वक्फ की? कहीं कोई जिक्र नहीं। उन्होंने कहा कि कुरान में या किसी हदीस में यह लिखा है कि अगर हमने कोई संपत्ति दान नहीं की तो कोई गड़बड़ होगी। मेरे मन में ऐसा सवाल आया। हमने जब यह सवाल किया तो असदुद्दीन ओवैसी ने मेरा नाम रख दिया मौलाना डॉक्टर राधा मोहन अग्रवाल। मैंने उनसे पूछा कि इस बात पर बहस तो बहुत होती है। कहीं कुछ लिखित नहीं है। मैंने उनसे कहा कि जब हजरत मोहम्मद साहब कहते हैं कि एक भी पैसा अगर किसी को दो तो उसको लिखो। कल तुम्हारे देने को कोई चुनौती न दे। एक भी पैसा दो तो लिखित दो।
वक्फ बोर्ड कहता है कि उसके पास सारी संपत्ति है जिसका कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं है। इसके बाद भी वक्फ है। मेरी एक भी सवाल का जवाब दिया गया। मैं उस कमेटी में था। उसकी बातों को बोलना नहीं चाहता, लेकिन इन्होंने कमिटी का उल्लेख कर दिया। इसलिए, मैंने एक्सपोज कर रहा हूं। मेरे एक भी प्रश्न का जवाब यह लोग नहीं दे पाए। खाली मुझे कहने लगे कि कुरान पढ़ते हैं। मौलाना हैं। अरे मैं कुरान पढ़ता हूं। तुम तो मुसलमान हो। बचपन से पढ़ते हो ना।
मैं तो पढ़ा हूं, बताओ कुरान में क्या लिखा है? मार हो जाएगी मार। यह हिंदुओं की भलमनसाहत है जो कुरान पढ़ के तुम्हें बताता नहीं है। दूसरी चीज, सरकार जब इनकी थी तो इन्होंने वक्फ को अभयदान दे दिया। नारा दिया गया, जो जमीन सरकारी है, वह जमीन हमारी है। सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करने का ऐतिहासिक कारनामा इन्होंने किया है। उत्तर प्रदेश में 74 फीसदी वक्फ संपत्तियां सरकारी जमीन पर कब्जा करके बनी है। तेलंगाना में 50 फीसदी संपत्तियां सरकारी जमीन पर कब्जा करके बनी है। कांग्रेस सरकार ने इन्हें पूरा अभयदान दिया था।