मीडिया स्कैन डेस्क
”हमारे यहां एक बहुत बड़ा पाखंड होता है, दिखावा होता है कि जो दिवंगत हो जाए। जो इस दुनिया में ना रहे। जिसका देहांत हो जाए। उसको अचानक से महापुरुष बना दिया जाता है और जिस तरह की श्रद्धांजलियां दी जाती है, यह समझा जाता है कि दीस इज पोलिटिकली करेक्ट टु प्रेज अ पर्सन आफ्टर हिज गॉन।”
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिवंगत होने पर इन शब्दों में पूर्व पत्रकार विनोद दुआ ने अपनी श्रद्धांजली दी थी।
पूर्व पत्रकार विनोद दुआ का 67 साल की उम्र में निधन हो गया, कल लोधी श्मशान घाट में होगा अंतिम संस्कार। विनोद दुआ की बेटी मल्लिका दुआ ने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए ये जानकारी दी।
विनोद लंबे समय से मुख्यधारा की पत्रकारिता से बाहर थे। एनडीटीवी ने उन्हें देश भर में खाने—पीने के काम में लगाया हुआ था। बाद में जब वे प्रोपगेन्डा वेबसाइट वायर से जुड़े तो वहां पत्रकारिता नहीं मोनोलॉग ही उनकी पहचान बनी। 2014 के बाद विनोद अकेले नहीं थे, एक पूरी खेप थी ऐसे पूर्व पत्रकारों की जिन्होंने पत्रकारिता छोड़कर मोनालॉग को अपना जीवन यापन का माध्यम बना लिया। उनके एकालाप का जमीनी सच्चाई से कुछ लेना—देना नहीं होता था। इन दिनों एनडीटीवी का प्राइम टाइम भी उसी रास्ते पर है।
विनोद ने जो बातें ‘अटलजी’ के लिए कही थी, वह सारी बातें उनके दिवंगत होने के बाद एक बार फिर दुहराई जा रही थी। विनोद की आत्मा कराह रही होगी एनडीटीवी, न्यूज लॉन्ड्री, वायर जैसे संस्थान से जुड़े कर्मचारियों के संदेशों से। उन्हें महापुरुष साबित करने का वही सारा पाखंड और दिखावा सोशल मीडिया पर दुहराया जा रहा है। जिसके वे आजीवन विरोधी रहे। इस तरह की श्रद्धांजलियों से उनकी आत्मा को कष्ट ही पहुंच रहा होगा।
ऐसा नहीं है कि सभी सोशल मीडिया पर ‘पोलिटिकल करेक्ट’ ही दिखना चाह रहे हों। जैसे विनोद पोलिटिकल करेक्ट होने को गलत मानते थे, वैसे ही कुछ सोशल मीडिया संदेशों को ‘मीडिया स्कैन’ की टीम ने तलाशा।
यह सोशल मीडिया संदेश शायद विनोद दुआ के लिए सच्ची श्रद्धांजली हो। क्योंकि वे मरने के बाद किसी को लार्जर दैन लाइफ दिखाए जाने को पाखंड ही मानते थे।