वैचारिक संघर्ष में कोई अकेला आखिर पड़ा क्यों

Motivational_Quotes.png.webp

इसमें वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव पर दूरदर्शन स्टूडियो में कांग्रेस के गुंडों द्वारा हुए हमले को भी शामिल कर लीजिए। कांग्रेस नेता उदित राज तो इसके गवाह हैं। ऑपइंडियाकी नुपूर शर्मा को बंगाल पुलिस द्वारा लगातार परेशान किया जाता रहा। गैर वामपंथी पत्रकार ना प्रताड़ना के इन मुद्दों पर कभी एक हो पाए और ना यह अपने देश में चर्चा औरविमर्श का विषय बन पाया। मानोंकहने की आजादी का अधिकारदेश में विचारधारा विशेष के लोगों के लिए ही सुरक्षित है…   

इन दिनों प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस के बड़े नेता पवन खेड़ा धमकाने की भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन यह बात किसी चैनल की पैनल चर्चा में नहीं सुनाई पड़ती। खेड़ा जांच अधिकारियों को धमका देते हैं किएक-एक की फाइल खुलवाएंगे, हद्द तो तब हो गई जब प्रेस कांफ्रेंस में वे मीडिया को धमका रहे थे कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो उनकी मर्जी की खबर जिन्होंने नहीं चलवाई, उन पत्रकारों को मीडिया संस्थान सेआजाद करा देंगे। पवन खेड़ा की धमकियों का असर कुछ मीडिया संस्थान और एंकरों पर दिखाई भी देने लगा है। यह तय है कि कांग्रेस सरकार में नहीं आ रही लेकिन उसने धमकी और आक्रामक भाषा का इस्तेमालकरके एक भय का माहौल तो बना दिया है।

कांग्रेस अपने इतिहास के सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है लेकिन वह अजीत अंजुम, आरफा खानम, राजदीप सरदेसाई, रवीश कुमार पांडेय, पुण्य प्रसून वाजपेयी, दीपक शर्मा, अभिसार शर्मा, साक्षी जोशी जैसेसमर्थकों के साथ मजबूती से खड़ी है। विश्लेषकों में आशुतोष गुप्ता, अभय दुबे, विनोद शर्मा, राहुल देव, प्रभु चावला, पंकज शर्मा जैसे विश्लेषक किसी हद्द तक जाकर यूं ही कांग्रेस को डिफेंड नहीं कर रहे हैं। कांग्रेसनेता और पूर्व पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत जो इन दिनों कांग्रेस पार्टी में हैं, वह कांग्रेस में शामिल होने से पहले किस तरह की पत्रकार थीं, इस पर किसी छात्र को अध्ययन करना चाहिए। सुप्रिया का परिवार पुराना कांग्रेसीहै। फिर उनकी कांग्रेसोन्मुख पकत्रारिता ‘चरण चुंबक’ सिर्फ इसलिए नहीं कही जाएगी क्योंकि परिवार पहले से ही पार्टी की चरणों में बिछा हुआ था? इसका जवाब क्या सुप्रिया देंगी? सवाल और भी हैं, जैसेराजदीप और तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य बनी सागरिका घोष की पत्रकारिता। प्रणॉय राय, बरखा दत्त और करण थापर की पत्रकारिता? क्या यही लोग थे भारत के प्रारंभिक गोदी मीडिया?

 वैसे सुप्रिया की तारीफ इस बात के लिए की जानी चाहिए कि उन्होंने अपने साथ कांग्रेस आईटी सेल में काम करने वाले युवाओं से दिल्ली पुलिस द्वारा की गई पूछताछ पर प्रेस कांफ्रेंस कर किया। आम तौर पर नएकार्यकर्ताओं की राजनीतिक पार्टियों में उपेक्षा ही होती है। इन्हीं बातों से कांग्रेस पोषित सोशल मीडिया को बल मिलता है। उनके यू ट्यूबर बड़े से बड़ा खतरा मोल लेते हैं क्योंकि उनका मुकदमा लड़ने के लिएकपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे काबिल वकील कांग्रेस ने अपने पास रखे हैं। दूसरी तरफ अजीत भारती हों, नुपूर जे शर्मा हों या फिर रचित कौशिक सभी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ती है।

बात यहां कांग्रेस पोषित यू ट्यूबर बनाम भाजपा आईटी सेल तक महदूद नहीं है। इस बात को समझना होगा कि 10 साल की सरकार के दौरान गोदी मीडिया टर्म चिपकाने वाले संगठित थे। जिन पर यह आरोपलगा, वे कभी संगठन की ताकत समझ ही नहीं पाए। उन्होंने चुप्पी ओढ़ ली। कभी पलट कर जवाब नहीं दिया। उनकी इसी चुप्पी को सहमति मान ली गई। एक दो बार जवाब आया भी तो इतनी आवाज उसकीदबी हुई थी कि किसी ने ठीक से सुनी तक नहीं।

जब चौदह पत्रकारों का बायकॉट हुआ, वे सभी पत्रकार अलग—थलग पड़ गए। उस समय भी उनके साथ खड़े होने की कोई कोशिश नहीं हुई, ना पत्रकार समाज की तरफ से और ना ही नागरिक समाज की तरफ से।

अजीत अंजुम को लेकर एक यू ट्यूबर ने यू ट्यूब पर अपनी बात कहते हुए, कुछ तथ्यात्मक गलती कर दी। रातों रात अजीत अंजुम के साथ, कितना बड़ा समूह आ गया। यह अजीत अंजुम या राजीव शुक्ला/ News 24 की नहीं, बल्कि कांग्रेस इको सिस्टम की ताकत थी।

वह हर बार गायब होता है, जब किसी अमन चोपड़ा पर एफआईआर हो जाए, कैपिटल टीवी के मनीष कुमार को जब गिरफ्तार करने की कोशिश हो, रचित कौशिक को पंजाब पुलिस जब पकड़ कर ले जाए, रोहितसरदाना की मृत्यु पर एशियन ह्यूमन राइट कमीशन का एजेंट, उनकी बिटिया पर अभद्र टिप्पणी कर दे और सोशल मीडिया पर कांग्रेस इको सिस्टम द्वारा जश्न मनाया जाए, सुधीर चौधरी जैसे सम्मानित पत्रकार कोकांग्रेस पोषित पत्रकार तिहाड़ी बोल दें, अर्णब गोस्वामी को उनके घर से किसी खतरनाक अपराधी की तरह घसीट कर ले जाया जाए, उन्हें गिरफ्तार करने के लिए एन्काउंटर स्पेशलिस्ट को घर भेजा जाए, इतना हीनहीं, रुबिका लियाकत के लिए भाषा की सारी मर्यादा लांघ ली जाए।

इसमें वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव पर दूरदर्शन स्टूडियो में कांग्रेस के गुंडों द्वारा हुए हमले को भी शामिल कर लीजिए। कांग्रेस नेता उदित राज तो इसके गवाह हैं। ऑपइंडिया की नुपूर शर्मा को बंगाल पुलिस द्वारालगातार परेशान किया जाता रहा। गैर वामपंथी पत्रकार ना प्रताड़ना के इन मुद्दों पर कभी एक हो पाए और ना यह अपने देश में चर्चा और विमर्श का विषय बन पाया। मानों ‘कहने की आजादी का अधिकार’ देश मेंविचारधारा विशेष के लोगों के लिए ही सुरक्षित है।

 दूसरी तरफ इस बात से भी इंकार कैसे कर सकते हैं कि इन सबके बीच सन्नाटा पीड़ित पक्ष के बीच होता है क्योंकि यहां एक दूसरे के साथ खड़े होने का साहस जुटाने को कोई तैयार नहीं है। वे अमीश देवगन हों, सुशांत सिन्हा हों या बृजेश सिंह। जिसे कांग्रेस पोषित पत्रकारों ने गोदी मीडिया नाम दिया है, वहां सभी अकेले हैं। वे संगठित हो नहीं पाए हैं। इनमे अधिक नाम उनके हैं, जो समाज से पूरी तरह कटे हुए हैं। सबसेलिब्रिटी हैं और सभी अलग-अलग खड़े हैं। उन मौकों पर भी साथ नहीं आते, जब इनके साथ वाले पर हमला होता है। कुछ तो यह मान कर चल रहे हैं कि ना जाने कब अपना स्टैंड बदलना पड़े। ऐसे में फालतू कास्यापा कौन पाले?

इतना कुछ सिर्फ इसलिए लिख दिया है ताकि सनद रहे। यह किसी के पक्ष या किसी के विरोध में मोर्चा खोलने के भाव से नहीं लिखा गया है। इसलिए जिस भाव से लिखा है, अपेक्षा है कि आप सब उसीभाव से पढ़ें। लिखते लिखते कुछ शेष रह गया हो तो उसे जरूर जोड़िए। हमें लिख भेजिए: mediainvite2017@gmail.com

रामद्रोह व रामभक्ति की विचारधाराओं का संग्राम है यह लोकसभा चुनाव

1722678-befunky38.webp
तीसरे चरण का मतदान संपन्न होने के पूर्व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उनके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि पर निर्मित दिव्य नव्य रामलला मंदिर में पूजा अर्चना की। दोनों ने प्रभु श्रीराम को साष्टांग दंडवत करते हुए उनका आशीर्वाद लिया। जहाँ राष्ट्रपति महोदया ने अपनी अनुभूतियाँ सोशल मीडिया पर साझा कीं वही  प्रधानमंत्री रामलला के दर्शन के उपरांत जनता का आशीर्वाद  लेने के लिए रोड शो पर निकल पड़े। स्वाभाविक रूप से विगत दशक में राम मंदिर आन्दोलन के राजनैतिक खेवनहार रहे नरेंद्र मोदी का रोड शो देखने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। राम मंदिर पर उमड़ने वाला यह जन समुद्र  कांग्रेस, सपा, बसपा और इंडी गठबंधन में शामिल अन्य दलों को रास नहीं आता है, यही कारण है कि वे प्रभु श्रीराम व उनके भव्य मंदिर से लेकर सनातन तक पर लगातार हमले करते रहते हैं।
सनातन के प्रति कांग्रेस व इंडी गठबंधन के खतरनाक इरादों का खुलासा भी कांग्रेस के ही नेता व प्रवक्ता कर रहे हैं। पूर्व कांग्रेस नेता कल्कि पीठाधीश्वरर आचार्य प्रमेद कृष्णम ने कहा कि, “कांग्रेस कभी भगवान राम को मानने वाली नहीं हो सकती। उसने तो भगवान राम के अस्तित्व को ही नकार दिया था। श्रीराम मंदिर का फैसला आने के बाद एक गोपनीय बैठक में अमेरिका में रहने वाले अपने नजदीकी  से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि यदि उनकी सरकार आई तो वह सुपर पावर कमीशन बनाकर शाहबानो प्रकरण की तरह राम मंदिर का फैसला बदल देंगे। आचार्य प्रमोद का कहना है कि वह कांग्रेस में 32 साल रहे हैं,  भगवान श्रीराम को लेकर कांग्रेस में क्या चलता है़ वह जानते हैं। मंदिर का फैसला आने के बाद राहुल गाँधी ने  अपने नजदीकी लोगों की बैठक बुलाई थी इसमें राम मंदिर को लेकर अपनी योजना जाहिर की थी। आचार्य प्रमोद  लोकसभा चुनावों को साधारण चुनाव नहीं बताते अपितु वह इसे धर्मयुद्ध बता रहे हैं ।
कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुईं छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने भी अपने साक्षात्कार में बताया कि कांग्रेस में प्रभु श्रीराम व सनतान के प्रति कितनी नफरत भरी हुई है। राधिका खेड़ा का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर जाने और इंटरनेट मीडिया पर मंदिर के फोटो साझा करने के बाद से ही उन्हें कांग्रेस से सिर्फ नफरत मिली। उन्होंने बताया कि पार्टी ने उन्हें चुनाव की अवधि में मंदिर जाने से रोका था लेकिन वह खुद को रामलला के दर्शन करने से नहीं रोक पाईं।उनका कहना था कि, “मैने सुना था कि कांग्रेस राम विरोधी, सनातन विरोधी और हिन्दू विरोधी है पर कभी माना नहीं था किंतु जब मैं अपनी मां व परिवार के साथ रामलला के दर्शन  करने गई तब कांग्रेस की असलियत का पता चल गया।जब मैंने अपने घर पर राम ध्वजा लगाई तब से कांग्रेस ने मुझे तिरस्कृत करना प्रारम्भ कर दिया।
कांग्रेस के नेतृत्व में बने इंडी गठबंधन में शामिल सभी दल राम विरोधी़, सनातन विरोधी  हैं यह प्रतिदिन साबित हो रहा है और इसी कारण बार- बार कहा जा रहा है कि रामभक्त सनातन समाज उठो- जागो और मतदान केंद्र तक पहुंचकर अपने मतों का सही प्रयोग करके ऐसी ताकतों को ध्वस्त कर दो, जो हिंदू सनातन समाज की परम्पराओं  को नष्ट करने की ताक में बैठे हैं। अभी विगत वर्ष विधानसभा चुनावों  के पहले द्रमुक नेता सनातन के उन्मूलन की बात कर रहे थे। बिहार में चारा चोर लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव का कहना है कि जब देश का प्रधानमंत्री हिंदू़ राष्ट्रपति हिंदू, सभी मुख्यमंत्री, राज्यपाल व सेना के तीनों प्रमुख हिंदू तो फिर सनातन को कैसा खतरा। यह वही तेजस्वी है जिनके पिता लालू यादव ने रामरथ यात्रा को रुकवाने के लिए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
आज राम मंदिर भी बनकर खड़ा हो गया है और आडवाणी जी को भारत रत्न का सम्मान भी मिल चुका है। ये वही कांग्रेस है जिसके तत्कालीन राष्ट्रपति दिवंगत शंकर दयाल शर्मा ने 6 दिसंबर 1992 की शाम को राष्ट्रपति भवन में आंसू बहाये थे और उन्हीं आसुओं की धार में सनातन समाज से बदला लेने के लिए अपनी तथाकथित संवैधानिक तानाशाही  का अभूतपूर्व परिचय देते हुए उत्तर प्रदेश की कल्याण सिंह सरकार सहित चार प्रान्तों की भाजपा सरकारों  को को भंग कर दिया था । आज की कांग्रेस की नजर में उस समय संविधान सुरक्षित हो गया था। यह वही कांग्रेस है जो समय समय पर देश के सर्वोच्च न्यायालय में प्रभु श्री राम को काल्पनिक बता चुकी है।
तीसरे चरण के मतदान के मध्य ही उत्तर प्रदेश में समाजवादी नेता रामगोपाल यादव ने बयान दे दिया कि अयोध्या का राम मंदिर तो बेकार है, मंदिर ऐसे बनाए जाते हैं क्या? मंदिर ऐसे नहीं बनते है। दक्षिण से उत्तर तक देख लीजिए नक्शा ठीक से नहीं बना है । समाजवादी पार्टी तो सदा से ही राम मंदिर विरोधी रही है । रामभक्त कारसेवकों का नरसंहार कराने के निकृष्टतम पाप से लेकर उसके बाद जितने  भी ऐतिहासिक अवसर आए हर  बार  समाजवादी नेताओं ने राम मंदिर के खिलाफ नफरत भरी आग उगली है। भूमि पूजन से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक हर समय सपा़, बसपा व कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता अपने बयानो से हिंदू सनातन समाज व प्रभु राम का अपमान ही करते रहे हैं।
रामगोपाल यादव के बयान से राम मंदिर को लेकर राजनीति एक बार फिर गर्म हो गयी है और भारतीय जनता पार्टी व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे तत्वों पर करारा प्रहार  किया है। भाजपा का कहना है कि  समाजवादी काल में कब्रिस्तान बनवाना अच्छा था वो उत्तर प्रदेश जो मुख्तार अंसारी, अबू सलेम, अतीक अहमद और छोटा शकील के लिए जाना जाता था वह उनके लिए अच्छा था।  एक समय था जब फिल्में बनती थी यूपी में जिला गाजियाबाद, लखनऊ सेंट्रल, मिर्जापुर अर्थात पूरी अपराध केंद्रित तब ये सब अच्छा था। यहां पर भी ध्यान देने योग्य है कि एक समय था जब अवध की पहचान केवल और नवाबों की संस्कृति तक ही सीमित हो गयी थी। एक समय वह भी था जब गंगा- जमुनी तहजीब के नाम पर अवध का भव्य सनातन इतिहास और  हमारी संस्कृति को दबाया जा रहा था, कुचला जारहा था। समाजवाद व कांग्रेस की नजर में वह समय अच्छा था, जब गंगा-जमुनी तहजीब के नाम पर लव जिहाद और धर्मांतरण का गजब का खेल चरम सीमा पर चल रहा था।वही समाजवादी पार्टी राम मंदिर को बेकार का कह रही है जिसके स्वर्गीय नेता मुलायम सिंह यादव ने रामभक्तों का संहार किया था।
आप नेता अरविंद केजरीवल जो अब शराब घोटाले में जेल में बंद हैं और रिहाई की भीख मांग रहे हैं उनकी पार्टी के नेता मनीष सिसौदिया व संजय सिंह ने रामभक्त चंपत राय जी पर फर्जी जमीन घोटाले का आरोप लगा दिया था। अक्षत वितरण कार्यक्रम पर तंज कसते हुए इन लोगो ने कहा था कि भाजपा युवाओं को रोजगार देने की बजाय घर -घर अक्षत बांट रही है।
वास्तविकता ये है कि अब उत्तर  प्रदेश में अयोध्या, मथुरा और काशी सहित सभी हिंदू तीर्थस्थलों में भक्तों की भारी भीड़ आ रही है, जिसके कारण निवेश बढ़ रहा है और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं किंतु वह सब कुछ समाजवादियों को बेकार लग रहा है।आज भाजपा सपा से पूछ रही है कि वैज्ञानिक ढंग से इतना शानदार और भव्य सूर्य तिलक हुआ, राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर ही एक लाख करोड़ से अधिक का व्यापार हो गया, अयोध्या में एयरपोर्ट बना, रेलवे स्टेशन भव्य बन गया, वहां पर मेडिकल कालेज भी विस्तृत हो रहा है तो क्या यह सब कुछ बेकार है?
आम जनमानस को अच्छी तरह से याद है कि रामपुर में का यह लोग किस प्रकार अपने चहेते आजम खां जन्म दिन मनाने जाते थे, विदेश से केक मंगाया जाता था और सैफई में कैसे वालीबुड नायिकाओं का नृत्य आयोजन किया जाता था। समाजवाद की नजर में वह सब कुछ समाजवाद था और अच्छा था।
एक समय था जब समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने रामकथा का प्रचार- प्रसार प्रारम्भ किया था और आज के फर्जी समाजवादी राम मंदिर व उसकी प्राण प्रतिष्ठा ही नहीं अपितु तुलसीदास रचित रामचरित मानस व वाल्मीकि कृत रामायण को भी अपमानित करते हैं । सपा के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य तो रामचरित मानस जैसे पवित्र गंथ के खिलाफ हल्ला ही बोल दिए और उसकी आड़ में बेतहाशा नफरत भरी बयानबाजी कर रहे थे।
सपा, बसपा कांग्रेस के नेताओं  के पास भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने के लिए समय नहीं है किंतु माफिया मुख्तार व अतीक के यहां जाकर फातिहा पढ़ने का समय जरूर मिल जाता है। कांग्रेस व इंडी गठबंधन के खतरनाक इरादों को ध्यान में रखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जनसभाओं में जनता से कह रहे हैं कि हम सदन में 400 सीट इसलिए चाह रहे हैं कि ताकि कांग्रेस कश्मीर में धारा 370 को फिर से न लागू करने और और सुपर कमीशन बना कर राम मंदिर का निर्णय बदलने का सपना न देख पाए ।
विपक्ष के सनातन और प्रभु राम के प्रति  नफरत से भरी राजनीति के कारण ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर,  हिंदू व सनातन धर्म को को लेकर आक्रामक होना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि कांग्रेस ने लगातार रामभक्तों व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का अपमान किया है। उसका ये आचरण दिखाता है कि वह वास्तव में सनातन राष्ट्र का अपमान करती रही है। यह समय रामभक्तों के लिए अत्यंत सावधानी का समय है और उन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचकर अपने  मत का सही प्रयोग अवश्य करना चाहिए ताकि राम मंदिर पर फिर साजिश का बाबरी ताला न लग सके।

राम मन्दिर की जगह बाबरी बनाने जैसे कांग्रेसी दिवास्वप्न साकार नहीं होंने देंगे: डॉ सुरेंद्र जैन

b8514265-489e-4030-9d59-c95f8fccdc22.jpg
नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद ने आज कहा है कि राम मन्दिर की जगह बाबरी बनाने जैसे कांग्रेसी दिवास्वप्न साकार नहीं होंगे। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महा सचिव डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा है कि कांग्रेस के एक पुराने वरिष्ठ नेता ने यह खुलासा किया है कि राहुल गांधी सत्ता में आने के बाद राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाएंगे चाहे उसके लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को बदलने के लिए शाहबानो की तरह संविधान में संशोधन करना पड़े। उनका यह इरादा काफी चिंताजनक है। इसका अभी तक किसी ने खंडन नहीं किया है। इसका मतलब उन्होंने इस आरोप को स्वीकार कर लिया है।
डॉ जैन ने कहा कि इंडी गठबंधन का यह निर्णय विश्व के करोड़ों राम भक्तों के लिए एक बड़ी चुनौती है। राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनाने के इरादों का राम भक्त हमेशा की तरह मुंह तोड़ जवाब देंगे। इंडी गठबंधन का सनातन विरोधी व राम विरोधी चरित्र बार-बार सामने आता रहा है। इस अपवित्र गठबंधन के सदस्यों ने ही अयोध्या में कारसेवकों का नरसंहार किया था और गोधरा में 59 कारसेवकों को जिंदा जलाने वालों का साथ दिया था। कांग्रेस ने तो राम मंदिर के निर्णय को लटकाने व भटकाने के लिए वरिष्ठ वकीलों की एक फौज ही खड़ी कर दी थी। तब भी राम भक्तों के संकल्प के सामने इनमें से किसी के राम मंदिर विरोधी षड्यंत्र सफल नहीं हो सके और भव्य राम मंदिर का निर्माण हो गया तो इन्होंने यह नया प्रपंच रचा है।
उन्होंने कहा कि ये सत्ता में आने पर संविधान को बदल देना चाहते हैं और राम मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद बनना चाहते हैं। इन्होंने अपने इरादे मुस्लिम समाज को पहले ही बता दिए हैं। इसलिए ऐसे ओवैसी जैसे मुस्लिम नेता बार-बार बाबरी की बात करके मुस्लिम समाज को भड़काते हैं। इनके भड़काने पर ही कुछ लोग टाइम आने पर बाबरी बनाने की धमकी देते हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी  यही जहर भरे हुए नारे लगा रहे हैं। ऐसा लगता है वे भारत को 1946 की स्थिति में लाना चाहते हैं।
विहिप राम भक्तों का आह्वान करती है कि अपने मतदान के द्वारा इन राम विरोधी और राष्ट्र विरोधी षडयंत्रों को सफल करें। वे मतदान अवश्य करें। “शत प्रतिशत मतदान और राष्ट्र के हित में मतदान”, हमारा यही संकल्प इन राष्ट्र विरोधी तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने में सफल होगा।

नियुक्तियों पर शिक्षा मंत्री आतिशी का बयान शर्मनाक : प्रो ए के भागी

17_01_2024-atishi__1_23631538.webp.jpeg.webp

एमएस डेस्क

तथाकथित अवैध नियुक्ति के बहाने वेतन देरी से देने की गैरकानूनी कोशिश

डूटा अध्यक्ष ने कहा आंदोलन कर पुरजोर विरोध करेंगे

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ अध्यक्ष प्रो अजय कुमार भागी ने आप पार्टी सरकार की शिक्षा मंत्री आतिशी के उस बयान पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है जिसमें मंत्री ने दिल्ली सरकार के वित्त पोषित बारह कॉलेजों में एक बार फिर से विशेष ऑडिट कराने की बात करते हुए इन कॉलेजों में अवैध नियुक्ति की बात कही है। प्रो भागी ने बताया कि एक बार फिर दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित इन 12 कॉलेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति अवैध रूप से की गई है।

प्रो भागी के अनुसार अनुसार यह बयान ऐसे समय दिया गया है जब इस मामले में डूटा के प्रतिनिधि उपराज्यपाल से मिले और सारा विषय उनकी जानकारी में रखते हुए उनको ज्ञापन सौंपा था। उपराज्यपाल ने मामले का संज्ञान लेते हुए निर्देश जारी किए थे।उपराज्यपाल के निर्देश पर पर दिल्ली सरकार ने वित्त सचिव के अधीन एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की थी। समिति ने इन बारह कॉलेजों के प्राचार्यों से बातचीत की और पदों की स्वीकृति आदि के बारे में पूरी जानकारी मांगी ।

डूटा अध्यक्ष प्रो भागी ने बताया कि पांच साल पुराना यह मामला जल्द ही सुलझने वाला था। लेकिन शिक्षा मंत्री आतिशी शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन जारी करने के मूड में नहीं दिख रही हैं, इसलिए कर्मचारियों का उत्पीड़न पिछले पांच सालों की तरह जारी रहने वाला है। दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों को पिछले दो महीने से वेतन जारी नहीं किया गया है।

गौरतलब है कि दिल्ली विश्विद्यालय ने अवैध नियुक्ति और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को लेकर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था जिसमें युनिवर्सिटी के उच्च स्तरीय अधिकारी, कार्यकारी परिषद सदस्य सहित कई प्रिंसिपल शामिल थे।सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार समिति की रिपोर्ट जमा हो गई है और उसमें किसी तरह की अवैध नियुक्ती और वित्तीय अनियमितता की बात नहीं सामने आई है। ऐसे में शिक्षा मंत्री का बयान बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है ।

scroll to top