कवरेज के दौरान फोटो जर्नलिस्ट की चली गई जान

आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिले में करंट लगने से फोटो जर्नलिस्ट की मौत का मामला सामने आया है। बताया जाता है कि अनंत पद्मनाभम उर्फ आनंद नामक फोटो जर्नलिस्ट चित्तूर में चल रहे गंगम्मा जात्रा उत्सव में कवरेज के लिए गए थे। तभी अचानक वे करंट की चपेट में आ गए। झुलसी हालत में अनंत पद्मनाभम को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

सूचना मिलते ही जिले के वरिष्ठ अधिकारी अस्पताल पहुंचे और घटना की जानकारी ली। अनंत पद्मनाभम की मौत पर आंध्र प्रदेश फोटो जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने शोक जताते हुए उनके परिजनों के साथ हमेशा खड़े रहने का आश्वासन दिया है।

सावधान हो जाएं वॉट्सऐप यूजर्स

आज कल सोशल मीडिया के इस दौर में इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही सुरक्षा के लिहाज से भी इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप संवेदनशील हो गया है। फेक न्यूज की बढ़ती घटनाओं को लेकर पिछले दिनों सोशल मीडिया खासकर वॉट्सऐप पर काफी कदम उठाए गए थे। इसमें फॉरवर्ड मैसेज डिस्प्ले होने के साथ ही एक बार में भेजने वाले मैसेज की अधिकतम संख्या पांच कर दी गई थी।

वॉट्सऐप को लेकर अब नया खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, सोशल मीडिया नेटवर्क फेसबुक ने स्वीकार किया है कि उसके इस ऐप में सुरक्षा खामी के कारण लोगों के मोबाइल में एक जासूसी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइली कंपनी द्वारा विकसित इस सॉफ्टवेयर को वॉट्सऐप कॉल के द्वारा फोन में इंस्टॉल किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक यूजर द्वारा कॉल का जवाब न देने पर भी यह सॉफ्टवेयर उनके फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है। कनाडा के शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस सॉफ्टवेयर से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं को निशाना बनाया गया है।

 कितने लोगों को इस तरह के साइबर हमले का शिकार बनाया गया है, अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि इस साइबर हमले के निशाने पर चुनिंदा लोग हैं। फिलहाल, रविवार तक फेसबुक के इंजीनियर इस सुरक्षा चूक को सही करने में जुटे थे। फेसबुक ने यूजर्स से नए वर्जन को अपडेट करने के लिए कहा है। बताया जाता है कि फेसबुक को अपडेट करने के साथ ही डाउनलोड फोल्डर में किसी संदिग्ध फाइल (जिसे आपने डाउनलोड न किया हो) के मिलने पर उसे डिलीट कर इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। इसके अलावा संभव होने पर यूजर्स अपना फोन रीसेट भी कर सकते हैं।

थमने का नाम नहीं ले रही हैं पत्रकारों पर हमले की घटनाएं

पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर तमाम आवाजें उठाने के बावजूद पत्रकारों पर हमले की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ओडिशा के बालासोर में बदमाशों ने एक पत्रकार को मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया।

हमले में घायल पत्रकार की पहचान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत प्रफुल्ल कुमार माझी के रूप में हुई है। प्रफुल्ल पर शनिवार की रात हमला उस समय हुआ, जब वे अपना काम खत्म करने के बाद घर लौट रहे थे। हमले में प्रफुल्ल को गंभीर चोट आईं। स्थानीय लोग पहले प्रफुल्ल को बरहामपुर अस्पताल लेकर गई, जहां से हालत गंभीर देखते हुए उन्हें नीलगिरी क्षेत्र में स्थित अस्पताल में भेज दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रफुल्ल जिस चैनल में काम करते हैं, उस चैनल ने क्षेत्र में लकड़ी की तस्करी को लेकर एक रिपोर्ट टेलिकास्ट की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर वन विभाग की टीम ने लकड़ी कारोबारियों के यहां छापा मारकर भारी मात्रा में अवैध रूप से जमा की गई लकड़ी जब्त की थी। बताया जाता है कि प्रफुल्ल पर यह हमला इस रिपोर्ट के टेलिकास्ट होने की वजह से ही हुआ है।

पत्रकार पर हुए इस हमले की चारों तरफ निंदा हो रही है। स्थानीय लोगों ने इस मामले में लिप्त हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि राज्य में प्रेस की आजादी पर आए दिन इस तरह के हमले हो रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भी क्षेत्र में पत्रकारों पर हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

फेक न्यूज के खिलाफ मिला ‘हथियार’

आज फेक न्यूज के खतरे से सिर्फ भारत ही नहीं, अन्य देश भी जूझ रहे हैं। फेक न्यूज से निपटने के लिए तमाम कवायद करने के बावजूद यह समस्या काबू में नहीं आ रही है।

 फेक न्यूज के खिलाफ लड़ाई में सिंगापुर ने एक बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, सिंगापुर ने बुधवार को फेक न्यूज विरोधी कानून पास किया है। इस कानून के तरह फेक न्यूज के खिलाफ लड़ाई में वहां की सरकार के पास काफी अधिकार होंगे। इस कानून के तहत वहां की सरकार फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसी सोशल मीडिया साइट्स को अपने प्लेटफॉर्म्स से फेक कंटेंट को ब्लॉक करने अथवा उसे हटाने का आदेश दे सकती है।

इस कानून के अनुसार, फेक न्यूज फैलाने के मामले में दोषी पाए जाने पर दस साल की कैद अथवा 3.77 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंगापुर की विपक्षी वर्कर्स पार्टी के सांसद डेनियल गोह ने फेसबुक पर एक पोस्ट में बताया कि बुधवार को पारित इस बिल के पक्ष में 72 और विरोध में नौ वोट पड़े। हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को डर है कि कथित फेक न्यूज के नाम पर इस कानून का दुरुपयोंग किया जा सकता है।

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