अमित श्रीवास्तव
विपक्ष में सभी पार्टियों को ज्ञात है कि राहुल गांधी का चेहरा हार की गारंटी है। अतः विपक्ष राहुल गांधी के साथ खड़ा न था और न होगा
हालिया आए चुनाव परिणाम भविष्य की राजनीति का सूचक है। इसे शब्द संरचना से नहीं आंकड़ों व तथ्यों के आधार पर समझने का प्रयास करते हैं।
हिमाचल जहाँ कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है वहां भाजपा ऒर कांग्रेस को मिले मतों का अंतर महज एक प्रतिशत से भी कम है। मात्र कुछ हजार का ही अंतर है। गुजरात में बंपर मत प्रतिशत के साथ भाजपा बड़ी पार्टी है। कॉंग्रेस और आपा के मत प्रतिशत के कुल योग से भी भाजपा की स्थिति बढ़िया है।
बिहार के कुढ़नी विधानसभा उप चुनाव में नीतीश -लालू के महागठबंधन को पटकनी देते हुए भाजपा अकेले जीत गई। महागठबंधन को ताकत माना जा रहा था किन्तु पहले लालू के घर गोपालगंज में और आज कुढ़नी की जीत बता रही है कि जनता की पहली पसंद है भाजपा।
उत्तर प्रदेश उप चुनाव में मुलायम सिंह की मृत्यु उपरांत सेंटीमेंट वोट के साथ मैनपुरी में सपा की जीत हुई जो मुलायम का गढ़ रहा है जैसे बरेली कांग्रेस का। किंतु सपा का दूसरे किले रामपुर में भाजपा की जीत बड़ी तस्वीर प्रस्तुत करती है। जैसे भाजपा कांग्रेस के अभेध किले अमेठी को जीत कर राहुल गांधी को केरल भागने पर मजबूर कर दी थी रामपुर की जीत के मायने उससे कम भी नहीं है।
दिल्ली में जहाँ भाजपा लगातार बढ़ती जा रही है वहीं आप के जीत के बाद भी 14% मत कम मिले हैं। 2015 विधानसभा चुनाव में जहाँ आम आदमी पार्टी दिल्ली में 54% वोट के साथ सत्ता में आई थी वहीं 2020 में आप को 52% वोट मिले थे जो इस नगर निगम चुनाव में घट कर 42% तक रह गई है वहीं भाजपा 2015 में मात्र 32% मत ही ले पाई थी जो इस नगर निगम चुनाव में 39% तक बढ़ गई है। आम आदमी पार्टी को जहां 12% की हानि हुई है जबकि भाजपा को 7% का फायदा हुआ है। ये आंकड़े बताने में सक्षम है कि भाजपा की ताकत बढ़ रही है वहीं केजरीवाल के प्रति लोगों का विश्वास कम हो रहा है।
भाजपा का बढ़ना और केजरीवाल का गिरना अनवरत जारी है। जो ये बताने में स्पष्ट है कि भाजपा ही जनता की पहली पसंद है। राहुल गांधी पंजाब नहीं गए थे कांग्रेस जीत गई। हिमाचल नहीं गए पार्टी जीत गई। लोग गांधी परिवार से कितने नाराज है और राहुल गांधी को अक्षम व राजनीति के लायक नहीं मानते फिर से साबित हो गया। उनकी चिरकालिक अनवरत विफलता का प्रमाण ये है कि भारत जोड़ों यात्रा की आधी अवधि बीत जाने के बाद भारत जोड़ो यात्रा की असफलता का प्रमाण मिल गया इस कारण ही कांग्रेस अब हाथ जोड़ो यात्रा करने जा रही है।
अब 2024 के लिए कांग्रेस की राह कितनी मुश्किल है इसे समझें। विपक्ष में सभी पार्टियों को ज्ञात है कि राहुल गांधी का चेहरा हार की गारंटी है। अतः विपक्ष राहुल गांधी के साथ खड़ा न था और न होगा।
और कॉंग्रेस में अघोषित राजतंत्र का असर है कि समर्थक और पार्टी नेहरू परिवार की दास थी, है और बनी रहेगी। राहुल गांधी बार बार फूंके हुए कारतूस साबित हो रहे हैं और कॉंग्रेस के दास राहुल गांधी को नेता बता उनका बोझ माथे पर लादे घूम रहे हैं।
वहीं इन चुनावों ने बता दिया कि मोदी को गाली देना जनता से दुश्मनी करना है। गुजरात में मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली कांग्रेस की सफाई ऒर मोदी को गाली देने वाले आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरा इशुदान और अध्यक्ष गोपाल इटालिया की बुरी तरह से हार का अर्थ है जनता का प्यार मोदी को मिलता था, मिलता है और आगे भी मिलता रहेगा।