गिरीश पंकज
रायपुर में प्रदीप उपाध्याय नामक राजस्व विभाग के इक्यावन वर्षीय कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली. उसने आत्महत्या के पहले जो पत्र लिखा, उसमें तीन अधिकारियों का नाम लेकर कहा है कि ये लोग मुझे निरंतर परेशान करते रहे हैं और ‘ब्राह्मण को यहाँ से भगाओ’ कहा करते हैं. कर्मचारी ने उच्च अधिकारियों से तीनों तिकड़ी के खिलाफ शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई न हुई तो अंततः दुखी होकर उसने आत्महत्या कर ली. मुझे क्या हर किसी को पता है कि हमारा सिस्टम इतना बेशर्म और पापी हो चुका है कि जिन-जिन लोगों के नाम सुसाइड नोट में लिखे गए हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. कायदे से तो जिनके नाम सुसाइड नोट में लिखे हैं, उन पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज होना चाहिए. उन्हें निलंबित करना चाहिए.
गिरफ्तार करके जेल भेजा जाना चाहिए. अगर ऐसा कुछ हो सका तो यह अपने आप में चमत्कार होगा. इस घटना से आहत होकर पीयूष कांत नामक युवक ने आमरण अनशन की घोषणा कर दी. यह भावुकता में उठाया गया कदम है. उसे ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि कोई परिणाम नहीं निकलेगा. आत्महत्या करने वाले प्रदीप उपाध्याय सज्जन व्यक्ति थे. उनकी सिधाई का सबसे बड़ा सबूत यही है कि मरने से पहले वह यह भरोसा कर गए कि उनकी आत्महत्या के जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई करेगी और उनकी संपत्ति की जांच भी की करेगी.