मुकेश वशिष्ठ
आज प्रदेश के 10 जिलों यानि पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, सिरसा, फतेहाबाद व रेवाड़ी जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ 5387 गांव में 24 घंटे बिजली आपूर्ति होती है
आज मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में चल रही हरियाणा सरकार को सात साल पूरे हो रहे हैं। इन सात सालों में हरियाणा सरकार ने अनेक उपलब्धियां हासिल की, जिसकी चर्चा दूसरे प्रदेशों में हो रही है। सरकार ने खिलाडी, किसान, महिला, विद्याथी, कर्मचारी सहित हर वर्ग को अपनी योजनाओं से लांभावित किया है। जिससे आम आदमी के आत्मविश्वास को पंख लगे और उसने हिम्मत से आगे बढकर हरियाणा को नया परिचय दिया है। अगर हम हर पहलू पर गौर करें तो पाएंगे कि सात साल में हम आज काफी आगे निकल चुके हैं।
हर क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव आया है। क्षेत्रवाद, जातिवाद और पक्ष-विपक्ष की दलगत राजनीति हम काफी पीछे छोड़ चुके हैं।कोई गुजरे हुए कल को चाहे जिस रूप में देखे और बीते सात साल का लेखा-जोखा चाहे जैसे करें, वह यह अनदेखी नहीं कर सकता कि वर्तमान हरियाणा सरकार ने तमाम ऐसे उदाहरण उपलब्ध कराए हैं, जो दिखाते हैं कि ईमानदार व सामूहिक प्रयास से प्रदेश की तस्वीर बदली जा सकती है। पढ़े-लिखे युवाओं के हाथ में ग्राम पंचायतों की बागडोर आज किसी मिशाल से कम नहीं है। जिसके कारण पहली बार 1245 बेटियों को “छोटी सरकार” चलाने का मौका मिला।
प्रदेश की ईपीडीएस सिस्टम को आधार मानकर देश एक राष्ट्र-एक राशनकार्ड की नीति पर आगे बढ रहा है। प्रदेश की ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी का दूसरे प्रदेश अपना रहे है।बदलते हरियाणा की नई तस्वीर में हमें दिखाई देता है कि बीते सात साल में सरकार ने सरकारी नौकरियों को अपनी राजनीति की चौखट पर बांधने की बजाए मिशन मेरिट पर अपनाया। जिससे प्रदेश के युवाओं का विश्वास बहाल हुआ। इसलिए वह कहता है कि मनोहर राज में उसे भी पर्ची-खर्ची बिना सरकारी नौकरियां मिल सकती है। इसी बदलाव ने युवाओं की एक बड़ी फौज को राजनेताओं के पीछे-पीछे और उनकी रैलियों में जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाने की बजाए कोचिंग सेंटर में भेजा है। सात सालों में हुई 85 हजार से ज्यादा सरकारी भर्तियों से उम्मीद पक्की हुई कि अब पर्ची (सिफारिश) और खर्ची (रिश्वत) का खेल बंद हो गया है।
यकिनन सरकार ऐसी पारदर्शी व्यवस्था बनाने में सफल रही जहां क्षेत्रवाद, जातिवाद व वर्गवाद की कोई गुंजाइश नहीं है।बीते सात साल में प्रदेश के युवाओं का पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी जोश बढ़ा है। वर्तमान हरियाणा सरकार लगातार शहर से लेकर गांवों में खेलों के लिए विशेष सुविधाएं बढ़ा रही हैं। इसलिए सरकार ने खेल विभाग का बजट, जो वर्ष 2014-15 में 151.22 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 में 394.09 करोड़ रुपये कर दिया है। इसीतरह अर्जुन, द्रोणाचार्य तथा ध्यानचंद अवार्डी के मानदेय को 5000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये मासिक किया गया। उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित रोजगार सुनिश्चित करने के लिए नई खेल नीति के तहत 85खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियां दी गई। साथ ही अब खिलाड़ियों को क्लास वन से क्लास फोर तक के पदों की सीधी भर्ती में आरक्षण का प्रावधान किया है। बीते सात सालों में खिलाड़ियों को 386 करोड़ रुपये नकद ईनाम राशि दी गई।
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इन सफल नीतियों का परिणाम है कि ओलंपिक और पैरालिंपिक खेलों में हरियाणा का डंका बजा। गर्व की बात है कि टोक्यो ओलंपिक-पैरालिंपिक में पदक जीतने वालों में पचास फीसदी खिलाड़ी हरियाणा से हैं। इन विजेता खिलाड़ियों को ईनाम राशि के साथ-साथ सरकारी नौकरी व किफायती दरों पर प्लाट दिए गए हैं। गर्व की बात है कि ‘खेलो इंडिया’ का आयोजन फरवरी 2022 में हरियाणा में होगा।किसान के खेत से लेकर मंडी में उसकी फसल का उचित मूल्य दिलाने जैसी कई बड़ी उपलब्धियां सरकार की झोली में हैं। किसानों की फसल खरीदने व उसके भुगतान करने में वर्तमान हरियाणा सरकार सबसे आगे है। प्रदेश सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 11 फसलों की खरीद करती है और उसका भुगतान 72 घंटों में किया जाता है। यदि किसी कारणवश भुगतान में देरी होती है तो किसानों को ब्याज के साथ उसका भुगतान करने की पहल सरकार ने की है।
केवल वर्ष 2020-21 में रबी व खरीफ की फसलों की खरीद पर 29 हजार करोड़ रूपये की राशि का भुगतान किसानों को किया गया है। देश में गन्ने लगातार सबसे ज्यादा भाव यानि 362 रुपये प्रति क्विंटल हरियाणा के किसानों को मिलता है। किसानों के हित को देखते हुए बाजरे को भांवातर भरपाई योजना में शामिल किया गया है। किसानों को 600 रुपये प्रति क्विंटल का लाभ सरकार दे रही है। 21 फसलों को सरकार ने भांवातर भरपाई योजना में शामिल किया है। सरकार की प्रतिबद्धता को यह भी प्रमाणित करता है कि प्रदेश का अधिकांश किसान फसल बीमा योजना में हिस्सा लेता है। फलस्वरूप रबी 2019-20 में 8 लाख 90 हजार 453 किसानों को 343.39 करोड़ रुपये क्लेम देय हुआ। इसीतरह खरीफ 2020 में 8.67 लाख किसानों को उनकी फसलों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए 958.25 करोड़ रुपये क्लेम देय हुआ। जबकि फसल बीमा से वंचित किसानों को 12 हजार रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जाना अपने आप में एक रिकार्ड है। आज प्रदेश में किसानों को सस्ती दरों पर बिजली आपूर्ति की जा रही है। वर्ष 2020-21 में बिजली सब्सिडी के लिए 6649.33 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। बाकायदा ‘सरचार्ज माफी योजना’ के तहत प्रदेश के 1,12,300 किसानों के बिजली बिलों की 23 करोड़ 93 लाख रुपये की जुर्माना राशि माफ की गई।प्रदेश के ‘हर खेत को पानी’ के सपने को साकार करने में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली सरकार निरंतर परिश्रम के साथ पूरा कर रही है। टेल तक पानी पहुचांना एक चुनौती थी, जिसे सरकार ने प्राथमिकता में लिया। नांगल चौधरी की टेल तक पानी लेकर जाकर और मसानी बांध में पानी डालकर सरकार ने अपनी इच्छा शक्ति को जताया। साहबी नदी में पानी डालकर खेतों को जीवनदान इसी सरकार ने दिया है। किसान के खेत को पानी उपलब्ध कराना, कम पानी की खेती सिखाना, पुराने संसाधनों का नवीनीकरण करना, पानी को टेल तक पहुंचाना जैसी चुनौतियों से मनोहर सरकार ने खूब पार पाया है। बेहतर जल प्रबंधन के माध्यम से सरकार ने उपलब्ध पानी का न्यायोचित बंटवारा भी किया और पानी के संकट को भी निपटाया।
बीते साल सात से मनोहर सरकार इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है। ‘मेरा फसल-मेरी विरासत’, माइक्रो इरिगेशन, भूमिगत माइनर से पानी की उपलब्धता, सोलर पंप व सब्सिडी से किसानों को पानी उपलब्ध कराना जैसी अनेक योजनाओं से आमजन को ज्यादा से ज्यादा पानी देने की कवायद शुरू हुई है। महिला सशक्तिकरण के नारे को सरकार ने बीते सात साल में न सिर्फ घरातल पर उतारा, बल्कि विभिन्न कानून बनाकर महिलाओं को सुरक्षा का आभास भी कराया। जहां पुलिस बल में बेटियों की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है। वहीं, प्रदेश में दुर्गा शक्ति अभियान चलाकर महिलाओं को सशक्त बनाया जा रहा है। अब तक प्रदेश में 33 महिला पुलिस स्टेशन स्थापित किए जा चुके है, जहां महिलाएं अपनी शिकायतें बेझिझक दर्ज करा सकती है। पीएनडी एक्ट में बदलाव किए बिना हरियाणा सरकार ने हजारों बेटियों को गर्भ में मरने से बचाया। फलस्वरूप तीन दशक बाद प्रदेश का लिंगानुपात 931 तक पहुंचा है। दुर्गा शक्ति अभियान की शुरूआत कर सरकार ने प्रदेश की।बहन-बेटियों को पर्याप्त सुरक्षा देने की पहल की। साथ ही मासूम बच्चियों से बलात्कार करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा मिले। इसके लिए सरकार ने हरियाणा क्रिमिनल लाॅ बिल 2018 लाई, ताकि अपराधियों को जल्दी से जल्दी सजा मिल सकें। शिक्षा क्षेत्र में हुए व्यापक परिवर्तन भी मनोहर सरकार की बड़ी उपलब्धि है। पिछले सात साल में 67 नए सरकारी काॅलेज खोलकर हर युवा को उच्च शिक्षा की तहलीज तक सरकार ने पहुंचाया है। विशेषतौर पर बेटियों के लिए 30 महिला काॅलेज खोलना, सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है। पढ़ी-लिखी पंचायत का सपने को क्रियान्वित कर सरकार ने अपने दृढ़ संकल्प को दृशाया है। सरकार अब पंचायती राज में महिला व पिछड़े वर्ग को विशेष आरक्षण देने की पक्ष पर काम कर रही है। यह सुधार स्वच्छ, शिक्षित और सामाजिक दृष्टिकोण रखने वाले राजनैतिक नेतृत्व के एक नये युग का सूत्रपात है। जिसका व्यापक असर अब दिखाई देने लगा है।
हरियाणा सरकार की दूरगामी सोच के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने कानून की सराहना की और कहा कि दूसरे राज्य भी इसका अनुसरण करें। आज प्रदेश के गांव में अनपढ़ व्यक्ति पंचायत का संचालन नहीं करता। बल्कि बीए, बीएड, एमए पास नौजवान पंचायत की अगुवाई करता है। जिसके कारण विकास कार्यों ने तेजी पकड़ी है। पुरानी सरकारों में गरीबों के राशन वितरण में धांधलेबाजी अक्सर सुनाई देती है। इस कुव्यवस्था को बीते सालों में पूरी तरह बदल दिया गया है। सरकार ने ईपीडीएस सिस्टम को अपनाया और गरीब के अधिकार को सुनिश्चित किया। व्यवस्था परिवर्तन के साथ बीते सात साल में सरकार ने नई व्यवस्थाएं खड़ी की है। सीएम विंडो की स्थापना कर सरकार ने आम आदमी को सीएम ऑफिस पहुंचने का हक दिया। बिना किसी खर्चें के 8,27,018 लोगों की शिकायतों का समाधान हुआ। आम लोगों को सभी सरकारी योजनाओं को लाभ सुनिश्चित हो, इसके लिए प्रदेश में 18,552 अटल सेवा केंद्रों और अंत्योदय सरल केंद्रों के माध्यम से 41 विभागों की 550 सेवाओं और योजनाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराई जा रही है।हरियाणा कोयला और पानी जैसे संसाधनों से महरूम प्रदेश है। बावजूद इसके आज प्रदेश के 10 जिलों यानि पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, यमुनानगर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, सिरसा, फतेहाबाद व रेवाड़ी जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ 5387 गांव में 24 घंटे बिजली आपूर्ति होती है। इससे प्रदेश के 77 प्रतिशत गांव पूरी तरह जगमग हो गए हैं। बीते सात सालों में बिजली नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 6772 करोड़ रुपये खर्च किए गए। वर्ष 2021-22 के कार्यकाल में सरकार ने 10,253 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। आपातकाल पीडित, हिन्दी आंदोलकारियों और पत्रकारों को 10 हजार रुपए मासिक पेंशन व कैशलेस मेडिक्लेम सरकार की अद्वितीय सोच का नतीजा है। यकीनन बीते सात साल से आमजन के लिए सरकार के काम के कारण देश में हरियाणा की अलग पहचान बनी है। यही पहचान में बदलते हरियाणा की नई तस्वीर है।