हेमंत सोरेन, जो झामुमो के अध्यक्ष और झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, ने हाल के विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की। उनकी अगुवाई में इंडिया गठबंधन ने 56 सीटों के साथ सत्ता बरकरार रखी। लेकिन उनकी गिरफ्तारी और जेल से वापसी के बाद भी भाजपा उन पर लगातार हमलावर रही है। भूमि घोटाले के आरोपों से घिरे हेमंत के खिलाफ भाजपा का रुख पहले कड़ा था, लेकिन हाल की मुलाकातें एक नया सियासी समीकरण बनाती दिख रही हैं। खासकर, भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी द्वारा दिल्ली में हेमंत से मुलाकात और शिबू सोरेन के स्वास्थ्य की जानकारी लेना इस दिशा में इशारा करता है। क्या यह शिष्टाचार है या सियासी रणनीति का हिस्सा?
झारखंड में “डबल इंजन” की चर्चा कोई नई नहीं है। भाजपा पहले भी सत्ताधारी झामुमो के साथ नजदीकियां दिखा चुकी है, खासकर राष्ट्रपति चुनाव के दौरान। लेकिन मौजूदा हालात में यह मुलाकातें एक नए गठजोड़ की संभावना को जन्म दे रही हैं। शिबू सोरेन के स्वास्थ्य को लेकर चिंता और उनकी विरासत को सम्मान देने की बात सियासी हलकों में नई गांठें खोल सकती है। अगर भाजपा और झामुमो में कोई समझौता होता है, तो यह झारखंड की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
हालांकि, यह भी सच है कि हेमंत की लोकप्रियता और आदिवासी मुद्दों पर उनकी मजबूत पकड़ भाजपा के लिए चुनौती है। ऐसे में, क्या यह मुलाकातें केवल मानवीय संवेदना का प्रदर्शन हैं, या सत्ता के नए समीकरण की शुरुआत? समय ही बताएगा कि यह “डबल इंजन” रांची की ओर बढ़ता है या पुरानी “ट्रेन” को डंप यार्ड में भेजने की तैयारी है।