यूपी लव जिहाद या धर्मांतरण पर अब उम्र कैद, नए कानून पर लगी विधानसभा की मुहर। लव जिहाद, एससी-एसटी के धर्म परिवर्तन के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाया है।
लव जिहाद में उम्र कैद
उत्तर प्रदेश में अब लव जिहाद के दोषियों को पहली बार उम्रकैद तक की सजा होगी। अवैध मतांतरण की गंभीर घटनाओं की रोकथाम के लिए सरकार ने कानून का दायरा और सजा की अवधि बढ़ाई है।
अब किसी महिला को अपने जाल में फंसाकर मतांतरण कराकर उत्पीड़न की घटना यानी ‘लव जिहाद’ के दोषियों को पहली बार उम्रकैद तक की सजा होगी।
नए कानून के अन्तर्गत अब यदि कोई व्यक्ति मतांतरण कराने की नीयत से किसी व्यक्ति को उसके जीवन या संपत्ति के लिए धमकाता है, हमला करता है, विवाह या विवाह करने का वादा करता है अथवा षड्यंत्र करता है, नाबालिग, महिला या किसी व्यक्ति की तस्करी करता है तो उसके अपराध को सबसे गंभीर श्रेणी में
रखा जाएगा।
उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक में धर्म परिवर्तन से जुड़े अपराधों में सजा की अवधि को बढ़ा दिया गया है। इसमें आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्राविधान किया गया है। साथ ही, विदेशों से धर्म परिवर्तन के लिए होने वाली फंडिंग पर अंकुश लगाने के लिए भी सख्त प्राविधान किए गये हैं।
धर्म परिवर्तन पर लगाम
संशोधन के जरिए राज्य सरकार ने वर्ष 2021 में लाए विधेयक को सजा और जुर्माने की दृष्टि से और मजबूत किया है। यदि किसी नाबालिक, दिव्यांग अथवा मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति, महिला, एससी-एसटी का धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा।
इसी तरह सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी आजीवन कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा होगी।
विदेशी अथवा गैरकानूनी संस्थाओं से फंडिंग हासिल करने पर 14 वर्ष तक की सजा और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा होगी। यदि कोई धर्म परिवर्तन कराने के आशय से किसी व्यक्ति के जीवन या संपत्ति को भय में डालता है, हमला अथवा बल प्रयोग करता है, शादी करने का वादा करता है, प्रलोभन देकर किसी नाबालिक, महिला या व्यक्ति की तस्करी करता है, तो उसके 20 वर्ष से कम सजा नहीं होगी।
इसे आजीवन कारावास तक (मृत्यु होने तक) बढ़ाया जा सकेगा। इसके अलावा पीड़ित के इलाज और पुनर्वास के लिए भी जुर्माना देना होगा।
अभी तक ऐसे मामलों में अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा और 50 हजार रुपये तक जुर्माना निर्धारित था। मतांतरण के लिए विदेशी फंडिंग में अब सात से 14 वर्ष तक की सजा तथा कम से कम 10 लाख रुपये तक जुर्माना होगा।
ऐसे मामले में आरोपित को कम से कम 20 वर्ष कारावास या आजीवन कारावास तक की सजा व जुर्माने से दंडित किया जाएगा। न्यायालय पीडि़त के इलाज के खर्च और पुनर्वास के लिए धनराशि जुर्माने के रूप में तय कर सकेगी। गंभीर अपराधों की भांति अब कोई भी व्यक्ति मतांतरण के मामले में भी एफआइआर दर्ज करा सकेगा। पहले मतांतरण से पीडि़त व्यक्ति, उसके स्वजन अथवा करीबी रिश्तेदार की ओर से ही एफआइआर दर्ज कराने की व्यवस्था की गई थी।