डॉ राजीव मिश्रा
जिहादी मेयर इसलिए बन गया क्योंकि वह डेमोक्रेट कैंडिडेट था. अगर कोई मंगल ग्रह का नरभक्षी प्राणी डेमोक्रेटिक कैंडिडेट होता तो वही मेयर बन जाता. इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है. आश्चर्य करना है तो इसपर कीजिए कि वह जिहादी डेमोक्रेटिक पार्टी का मेयर कैंडिडेट कैसे बन गया?
लेकिन दुनिया को इसपर आश्चर्य होना कब का बंद हो चुका है. इसपर उतना ही आश्चर्य होता है जितना इस बात पर कि राहुल गाँधी अपनी सारी हरकतों के बाद भी विपक्ष का सर्वमान्य नेता कैसे है. डेमोक्रेट्स, यानि अमेरिकी वामपन्थ पूरी तरह से उस हर ताकत के साथ है जो अमेरिका को नष्ट करना चाहता है.
हमारे देश में यह भावना व्यापक है कि अमेरिका का नष्ट होना हमारे हित में है. इसे जरा सावधानी से देखने की जरूरत है. हर देश की तरह अमेरिका में भी राजनीति की विभिन्न धाराएँ हैं. वे धाराएँ अक्सर पार्टी लाइन को क्रॉस भी करती हैं. पर अपने फिलोसॉफिकल स्वरूप में वे दो स्पष्टतः विपरीत धाराएँ हैं. एक धारा है जो मुक्त व्यापार, उद्यम, प्रगति, नई खोज और स्वतंत्रता की धारा है जिसने अमेरिका को डेढ़ सदी की प्रगति, सम्पन्नता और सम्मान दिलाया है. और दूसरी धारा है नियंत्रण, शोषण और दासता की. जो पूरी दुनिया को अस्थिर और पराधीन रखना चाहती है. और अपने देश के निवासियों को भी पराश्रित और विभाजित रखना चाहती है.
अमेरिका का पराभव इस दूसरी शक्ति की जीत है. और इसी जीत को अमेरिका के ही नहीं, पूरी दुनिया के लिबरल सेलिब्रेट कर रहे हैं.
लेकिन न्यूयॉर्क सिटी, जो अमेरिकी कैपिटलज्म का, समृद्धि और स्वतंत्र विचार का गर्भस्थल रहा है वह कैसे आज वामपंथ की जकड़ में उलझा हुआ है? वहां क्या बदला है कि धरती के जिस छोटे से भूखंड पर मनुष्य ने एक सदी में कल्पना और स्वप्न को वास्तविकता में बदल दिया था वह शहर आज एक जिहादी को अपना मेयर चुन लेता है?
क्योंकि एक पीढ़ी पहले उसे समाजवाद की बीमारी लग गई है. उस शहर में जहाँ कोने कोने में समृद्धि और अवसर बिखरे पड़े हैं वहाँ आज एक सामान्य व्यक्ति अमेरिकी परम्परा के विपरीत समृद्धि से स्पर्धा के बजाय ईर्ष्या करना सीख गया है. वह अपने से सफल व्यक्ति की सफलता से सीखने के बदले उसे गिराने और नष्ट करने का सुख लेना चाहता है. इस ईर्ष्या ने उसका शत्रुबोध नष्ट कर दिया है. जिन लोगों ने न्यूयॉर्क को एक मायानगरी, विशाल अट्टालिकाओं का शहर, समृद्धि का प्रतीक बना दिया वह उनसे घृणा करता है और जिन लोगों ने सिर्फ दो दशक पहले उसके शहर को आग में झोंक दिया था और हजारों नागरिकों की हत्या कर दी थी उन्हें अपना नेता चुन लिया है. यह आत्मघाती मानसिकता शुद्ध रूप से समाजवाद की उपज है.



