पॉलिटिकल GPS हैं छगन भुजबल ! छगन भुजबल से मैं कई बार मिला हूँ

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-डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

छगन भुजबल : जहां धंधा, वहां बंदा

छगन भुजबल बहुत ज़ोरदार शख्स हैं ।

छगन भुजबल की महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में वापसी, फिर मंत्री बने। अजित पवार बेचारे हुए साबित।

एनसीपी, अजित पवार गुट, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ( एनसीपी अजित पवार गुट ) ने 20 मई 2025 को महाराष्ट्र के महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। यह शपथ समारोह मुंबई के राजभवन में हुआ, जहां राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने उन्हें शपथ दिलाई।

छगन भुजबल, महाराष्ट्र के विवादास्पद राजनीतिक करियर के कारण अक्सर चर्चा में रहते हैं।

पार्टी बदलने का हुनर :

लोग कहते हैं कि छगन भुजबल ने इतनी बार पार्टियां बदली हैं कि अब तो वो खुद ही एक “पॉलिटिकल GPS” बन गए हैं—हमेशा नई दिशा ढूंढ लेते हैं!

सब्जी से सियासत :

भुजबल जी पहले सब्जी बेचते थे, अब सियासत बेचते हैं। बस फर्क इतना है कि अब दाम करोड़ों में लगते हैं, टमाटर के किलो में नहीं! बेशक, वे बहुत प्रतिभाशाली हैं – संघर्ष के बावजूद उन्होंने इंजीनिरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया।

मंत्री पद का जादू :

भुजबल जी जब मंत्रिमंडल में नहीं होते, तो सियासी हलचल ऐसी होती है जैसे कोई बॉलीवुड फिल्म का क्लाइमेक्स चल रहा हो—ड्रामा, सस्पेंस, और अंत में ट्विस्ट!

नाराजगी का रिकॉर्ड :

कहते हैं, भुजबल जी की नाराजगी का रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज होने वाला है—हर कैबिनेट विस्तार में एक नया अध्याय जुड़ता है!

भुजबल की वापसी एनसीपी नेता धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद हुई, जिन्होंने मार्च 2025 में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। मुंडे का इस्तीफा उनके करीबी वाल्मीक कराड की बीड सरपंच हत्या मामले में गिरफ्तारी के बाद आया था।

छगन भुजबल पर कई बार भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं।

महाराष्ट्र सदन घोटाला (2016) :

भुजबल पर आरोप था कि 2004-2014 के दौरान, जब वे कांग्रेस-एनसीपी सरकार में लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री थे, उन्होंने 100 करोड़ रुपये के ठेके गलत तरीके से दिए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में भुजबल, उनके बेटे पंकज भुजबल, और भतीजे समीर भुजबल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। 2016 में ईडी ने छगन भुजबल और समीर को गिरफ्तार किया, और वे आर्थर रोड जेल में रहे।बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 में छगन भुजबल को स्वास्थ्य और उम्र के आधार पर जमानत दे दी।

2021 में कोर्ट ने उन्हें इस मामले में क्लीन चिट दे दी, और ईडी ने 2023 में भुजबल और समीर के खिलाफ याचिकाएं वापस ले लीं।

खारघर जमीन मामला (2015) :

भुजबल के बेटे पंकज और भतीजे समीर की कंपनी, देविशा कंसट्रक्शंस, पर आरोप था कि 2010 में हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए जमीन लेने के बाद, ऐडवांस राशि लेने के बावजूद काम शुरू नहीं किया गया।

ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत 160 करोड़ रुपये कीमत का प्लॉट सीज किया। बीजेपी सांसद किरीट सोमैया ने इस मामले में भुजबल के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।

भुजबल ने दावा किया कि वे कंपनी के मालिक नहीं थे और जांच में सहयोग करने की बात कही।

मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट (MET) और नासिक जमीन मामला :

विधानमंडल की लोकलेखा समिति (PAC) की रिपोर्ट के अनुसार, भुजबल की संस्था MET को नासिक में जमीन दी गई, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ।

नासिक जिला सहकारी बैंक ने भुजबल की फर्म को 11 करोड़ रुपये का लोन दिया था, जो चुकाया नहीं गया।

बेनामी संपत्ति मामला (2017) :

आयकर विभाग ने भुजबल, पंकज, और समीर की 300 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की, जिसमें नासिक की गिर्णा शुगर मिल्स, मुंबई में सॉलिटेयर बिल्डिंग, और बांद्रा में हबीब मेनोर और फातिमा मेनोर शामिल थे।

मई 2025 में, भुजबल के निजी सहायक से एक व्यक्ति ने आयकर अधिकारी बनकर 1 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी, जिके बाद में गिरफ्तार किया गया। ये हैसियत है उनके पीए की!

भुजबल को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में शामिल करने पर विपक्ष ने सवाल उठाए। कुछ में दावा किया गया कि भुजबल पर लगे आरोपों के बावजूद, बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद उनकी फाइलें ‘गायब’ हो गईं या केस कमजोर हो गए।

भुजबल को 2021 में कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है, और ईडी ने उनकी याचिकाएं वापस ले ली हैं। -प्र.हि.

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