संस्कृति के विकास में वनवासियों की भूमिका अहम :

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डॉ. सुधांशु त्रिवेदी

एकल श्रीहरि वनवासी फाउंडेशन आज वनवासियों के मन से तमाम भेदभावों को खत्म करने में सफल हुआ है। यही वजह है कि आज यहाँ शिक्षा व भारतीय संस्कृति समृद्ध हो रही है। संस्कृति के विकास में वनवासियों की बड़ी भूमिका रही है। हमारी संस्कृति और ग्रंथों में वन का बड़ा महत्व है। यही नहीं, भगवान राम ने भी वनवास काटा, पांच पांडवों और भगवान महावीर ने भी वनों का भ्रमण किया। सभी का दैवीय स्वरूप वनों से ही उभर कर समाज के सामने आया है। भारत शुरू से ही समृद्ध रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हम दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बने हैं और आगे तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। आज दुनिया हमें फिर से अग्रणी देश के रूप में देख रही है।

उक्त उद्गार राज्यसभा सांसद एवं भाजपा प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने भारत मंडपम में एकल श्रीहरि वनवासी फाउंडेशन के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि एकल अभियान समर्पण भाव से काम करते हुए गाँवों को जोड़ रहा है। विद्या के साथ यदि संस्कार दिए जाएं तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। एकल शिक्षा-संस्कार के माध्यम से यही प्रयास कर रहा है।

 

अपने उद्बोधन से पूर्व डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने एकल के दानदाताओं का सम्मान भी किया।

एकल श्रीहरि वनवासी फाउंडेशन के अध्यक्ष नंद किशोर अग्रवाल ने फाउंडेशन की जानकारी देते हुए कहा कि फाउंडेशन देश के दूर-दराज ग्राम के वनवासी बच्चों के बीच शिक्षा और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहा है। भारत के 6 लाख गाँवों में से एक लाख गाँवों में एकल विद्यालय चल रहे हैं, वहीं 70 हजार गाँवों में धर्म जागरण और संस्कार के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

नंद किशोर अग्रवाल ने कहा कि आज शहरों की हर सुविधा गाँवों से निकलती है। ऐसे में यदि गाँव के लोगों में शिक्षा और भारतीय संस्कृति को जगा दिया जाए तो विकास के रास्ते और भी सुगम हो जाएंगे।

मंच पर मुरारी लाल अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण गोयल, राजेश गोयल, माधवेंद्र सिंह, ललन कुमार शर्मा आदि एकल के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
वार्षिकोत्सव के द्वितीय सत्र में मुद्रा ग्रुप के पंडित हरिवंश द्वारा जननी नृत्य नाटिका का भव्य मंचन किया गया, जिसे उपस्थित जनसमूह के बहुत सराहा।

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