शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वय के लिए शासन और समाज के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता – डॉ अतुल कोठारी

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जयपुर: राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा राजस्थान (जयपुर), शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास जयपुर प्रांत, और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के संयुक्त तत्वावधान में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन में शिक्षक एवं शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका” विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का भव्य शुभारंभ हुआ।

कार्यक्रम का उद्घाटन महामहिम राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागड़े के सान्निध्य में हुआ। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा, शिक्षा संस्कृति न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी, राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा, उच्च शिक्षा शासन सचिव डॉ. आरुषि मलिक, और आयुक्त कॉलेज शिक्षा विभाग डॉ. ओम प्रकाश बैरवा सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत मंत्रोच्चार के साथ मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण से की गई। अतिथियों का स्वागत पौधा, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर किया गया। आयोजन संयोजक श्री नितिन कुमार जैन ने मंच संचालन करते हुए कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। आयोजन संरक्षक डॉ. ओम प्रकाश बैरवा ने कार्यशाला का परिचय दिया।

अतिथियों का संबोधन
राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने इसे भारत केंद्रित शिक्षा नीति बताते हुए कहा कि यह स्वतंत्र भारत की अनूठी नीति है। उच्च शिक्षा शासन सचिव डॉ. आरुषि मलिक ने जयपुर को ज्ञान परंपरा का नालंदा बनाने का आह्वान किया।

डॉ. अतुल कोठारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए शासन और समाज के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि शिक्षा समाज को राष्ट्र और विश्व से जोड़ने का सेतु है।

महामहिम राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागड़े ने भारतीय ज्ञान आधारित मूल्यपरक शिक्षा की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने भास्कराचार्य, आर्यभट्ट, और लीलावती जैसे प्राचीन शिक्षाविदों को याद करते हुए जीवन व्यवहार की शिक्षा को अपनाने की बात कही। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 के संकल्प को साकार करने के लिए शिक्षकों और समाज से मिशन के रूप में कार्य करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के अंत में आयोजन सचिव प्रो. रश्मि जैन ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस कार्यशाला में राजस्थान के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, महाविद्यालयों के प्राचार्य, एनईपी नोडल अधिकारी और आचार्यगण उपस्थित रहे। यह कार्यशाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल सिद्ध होगी।

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