अपने आधारभूत अधिकारों के लिए आवाज उठाना छात्रों का संवैधानिक अधिकार, तानाशाह हो चला जेएनयू प्रशासन : अभाविप जेएनयू

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में छात्रों के लिए एक आचार संहिता जारी की है, जिसमें कुछ तानाशाह और वामपंथियों को सहयोग करने वाले नियम भी शामिल हैं । इस संहिता के कई प्रावधानों ने छात्रों के मौलिक अधिकारों जैसे अपने अधिकारों की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन करने आदि पर प्रतिबन्ध एवं जुर्माना लगाया है। अभाविप इस आचार संहिता को छात्रों के मौलिक अधिकारों का हनन और अपनी संवैधानिक मांगों के लिए छात्रों की लोकतांत्रिक आवाज को दबाने का प्रयास मानती है। इस नियमावली में यह भी कहा गया है की देश विरोधी नारे लगाने पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा, जिसपर अभाविप का मानना है की क्या दस हजार रुपये देकर इतने गंभीर आपराधिक कृत्य को जेएनयू प्रशासन माफ़ कर देगा, क्या इस राशि का भुगतान कर देशविरोधियों को देश के विरुद्ध नारे लगाने की स्वतंत्रता दे देगा जेएनयू प्रशासन? इस प्रकार की नियमावली जेएनयू प्रशासन और वामपंथियों के बीच साठगांठ का भी खुला संकेत देती है।

अभाविप का स्पष्ट मत है की है की छात्रों की संवैधानिक मांगों के साथ अपनी आवाज उठाना और प्रदर्शन करना छात्रों का मौलिक अधिकार है, इस प्रकार तानाशाही पूर्ण नियमावली लाने से उन्हें अपने अधिकारों के विषय में पक्ष रखने का उचित माध्यम नहीं मिलेगा। साथ ही अभाविप का मानना है की देश विरोधी नारे लगाने जैसे अत्यंत ही गंभीर अपराध की बहुत सामान्य बना देने का प्रयास जेएनयू प्रशासन द्वारा इस नियमावली के माध्यम से किया गया है जो जेएनयू प्रशासन वामपंथ के सांठ गांठ की भी दर्शाता है।

अभाविप जेएनयू के अध्यक्ष उमेश चन्द्र अजमीर का कहना है कि यह आचार संहिता छात्रों के हित में नहीं है। यह छात्रों के सकारात्मक और संवैधानिक अधिकारों एवं मांगों के लिए संगठित होने और अपनी आवाज उठाने से रोकता है जो की पूर्णतया असंवैधानिक है। साथ ही देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों पर गंभीर दंड नियमावली बनाने की आवश्यकता है जब की प्रशाशन ने इस देश की सुरक्षा से जुड़े अपराध को धन उगाही का साधन बना लिया है और इससे सामान्य अपराधों की श्रेणी में डाल है। अभाविप प्रशासन से आचार संहिता को वापस लेने की मांग करता है जो लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान नहीं करती और छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय उसका हनन करती है।

वहीं इकाई मंत्री विकास पटेल का कहना है, “यह संहिता स्पष्ट रुप से यह दर्शाता है कि कैसे जेएनयू प्रशासन देशद्रोही नारा लगाने वाले छात्राें का समर्थन कर रही है। जहां पर देशद्रोही नारे लगाने पर छात्रों को यूनिवर्सिटी से बाहर कर देना चाहिए, एवं उनपर न्यायिक जांच करवानी चाहिए, वहीँ पर यह तानाशाह जेएनयू प्रशासन उनसे देशद्रोही नारे लगाने का शुल्क वसूल कर उन्हें माफ़ कर दे रही है और ऐसे अपराध दोबारा कर पाने की छूट दे रही है। अभाविप यह मांग करता है कि इस नियमावली को वापस लेते हुए सुधार करने चाहिए तथा देश विरोधी नारे लगाने वाले छात्रों पर कठोर दंडात्मक प्रक्रिया के साथ न्यायिक मुकदमा दर्ज करने आदि के नियम जारी करने चाहियें।”

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