‘बीटिंग द रिट्रीट’ सेरेमनी आज

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के रायसीना हिल्स पर स्थित ऐतिहासिक विजय चौक पर आज शाम ‘बीटिंग द रिट्रीट’ के साथ 75 वें गणतंत्र दिवस समारोह का औपचारिक समापन होगा। जी हां, ‘बीटिंग द रिट्रीट’ भारत के गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का सूचक है। यह समारोह हर वर्ष विजय चौक पर आयोजित होता है। इस कार्यक्रम में थल सेना, वायु सेना और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुनों के साथ मार्च करते हैं। यह सेना की बैरक वापसी का भी प्रतीक है। गणतंत्र दिवस के पश्चात हर वर्ष 29 जनवरी को बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार, ‘बीटिंग रिट्रीट’ समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड के ‘शंखनाद’ धुन के साथ होगी। इसके बाद पाइप्स और ड्रम बैंड के माध्यम से ‘वीर भारत’, ‘संगम दूर’, ‘देशों का सरताज भारत’, ‘भगीरथी’ और ‘अर्जुन’ जैसी मनमोहक धुनें पेश की जाएंगी। सीएपीएफ बैंड ‘भारत के जवान’ और ‘विजय भारत’ का संगीत बजाएंगे। इस दौरान भारतीय वायुसेना के बैंड ‘टाइगर हिल’, ‘रेजॉइस इन रायसीना’ और ‘स्वदेशी’ धुनों की प्रस्तुति देंगे। इसके बाद दर्शक भारतीय नौसेना बैंड को ‘आईएनएस विक्रांत’, ‘मिशन चंद्रयान’, ‘जय भारती’ और ‘हम तैयार हैं’ सहित कई अन्य धुनें बजाते हुए देख कर आनंदित होंगे। इस क्रम में भारतीय सेना का बैंड आएगा, जो ‘फौलाद का जिगर’, ‘अग्निवीर’, ‘करगिल 1999’ और ‘ताकत वतन’ समेत अन्य संगीतमय प्रस्तुति देगा।

‘बीटिंग रिट्रीट’ की शुरुआत 1950 के दशक प्रारंभ में हुई थी। तब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी रूप से तैयार कर प्रस्तुत किया था। यह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है। जब सैनिक लड़ाई बंद कर अपने हथियार बंद कर रख देते थे और युद्ध के मैदान से हटते ही रिट्रीट की ध्वनि के साथ सूर्यास्त के समय अपने शिविरों में लौट आते थे। कॉलर्स और स्टैंडर्ड्स खोल दिए जाते हैं और झंडे उतार दिए जाते हैं। यह समारोह पुरानी स्मृतियों की याद दिलाता है।

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