भारत माता के माथे की बिंदी है हिंदी – न्यायमूर्ति पंकज मित्तल

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भारतीय भाषा अभियान सर्वोच्च न्यायालय इकाई द्वारा 14 सितंबर 2024 से शुरू हुए हिंदी पखवाड़ा का समापन समारोह आज दिनाँक 26 सितंबर 2024 साँय 4 बजे से 6 बजे तक भगवान दास रोड स्थित वी० के० कृष्ण मेनन भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर “विधि, न्याय एवं भारतीय भाषाएं” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्तल शामिल हुए। सभा को माननीय न्यायमूर्ति पंकज मिथल के अतिरिक्त शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव एवं भारतीय भाषा अभियान के संरक्षक डॉ. अतुल कोठारी जी ने संबोधित किया। इस कार्यक्रम में भारतीय भाषा अभियान के राष्ट्रीय संयोजक श्री जोयदीप रॉय, राष्ट्रीय सह संयोजक श्री कामेश्वर नाथ मिश्र, सर्वोच्च न्यायालय में भारतीय भाषा अभियान के संरक्षक श्री धीरेंद्र परमार, दिल्ली प्रांत संयोजक श्री राघवेन्द्र शुक्ल, सहित भारतीय भाषा अभियान के कार्यकर्ताओं कई वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सैकड़ों अधिवक्तावो ने भाग लिया।

न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्तल ने भारतीय भाषा अभियान के ध्येय वाक्य मां, मातृभूमि एवं मातृभाषा से अपने संबोधन का आरंभ करते हुए ये कहा कि बच्चे के मुंह से पहला शब्द माँ, निकलता है और मां के समकक्ष होती है मातृभूमि एवं मातृभाषा। उन्होंने हिंदी भाषा को भारतवर्ष की आत्मा कहा। माननीय न्यायमूर्ति ने बताया कि पिछले कई वर्षों से वे हिंदी के अलावा कोई साहित्य नही पढ़ते। उन्होंने कि जब वो पहली बार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति बने तो उन्होंने हिंदी में शपथ लिया। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायमूर्ति बनने पर भी उन्होंने हिंदी में शपथ ली यद्यपि कि वहां हिंदी की व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने आगे बताया कि जम्मू कश्मीर में मुख्य न्यायमूर्ति के पद पर रहने के दौरान दस से बारह न्यायमूर्तियों को उन्होंने हिंदी में शपथ दिलवाई। हिंदी धर्म है, इसमें शर्म की कोई बात नहीं। अंग्रेजी को स्टेटस सिंबल समझने की भूल की जा रही है। हमें इस मानसिकता से निकालना होगा। कई उच्च न्यायालयों में हिंदी में निर्णय हो रहे हैं। शिक्षा में हिंदी एक अनिवार्य विषय होना चाहिए, अंग्रेजी को वैकल्पिक रखा जाये। हिंदी को दैनिक जीवन में उतारना होगा। आज हम दैनिक जीवन में भी हिंदी का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। हिंदी के क्लिष्ट भाषा की जगह सरल और सरस भाषा का प्रयोग किया जाए। आज से ही से प्रयोग शुरू करें।

हिंदी का प्रयोग विश्व में हो रहा है। रूस में हिंदी पर ढेर सारे शोध कार्य हो रहे हैं। मरिशाश गुयाना आदि देशों में कई प्रांतों की भाषा हिंदी हो गई है। माननीय न्यायमूर्ति ने “मैं हिंदी हूं” कविता के पाठ के साथ अपने कथन का समापन करते हुए ये कहा कि भारत माता के माथे की बिंदी है हिंदी।

श्री अतुल कोठारी जी ने सभा को संबोधित करते हुए जिला स्तर के न्यायालयों का कार्य प्रदेश की भाषा में किए जाने पर जोर दिया। साथ ही इस अभियान के आरंभिक दिनों को याद करते हुए आने वाले दिनों में अभियान के लिए मार्गदर्शन दिया।

श्री राघवेन्द्र शुक्ल ने भारतीय भाषा अभियान के इतिहास, इसकी आवश्यकता और अभियान के लक्ष्य के बारे मे सभा को बताया। श्री कृष्ण कुमार शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभा की समाप्ति हुई।

विदित हो कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्याय के अनेक आयामों में से एक “भारतीय भाषा अभियान” अपने ध्येय वाक्य “ *मां, मातृभूमि व मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं* ” और मूल लक्ष्य ” *जनता को न्याय जनता की भाषा में* ” के साथ भारतीय संविधान में संघ की भाषा संबंधित भाग 17 के अनुच्छेद 343, 348 तथा अन्य प्रावधानों के प्रयोग को सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध एवं प्रयासरत है।

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