नई दिल्ली: संसद की लोक लेखा समिति (PAC) ने आधार के संचालन की समीक्षा की मांग की है, जिसमें बायोमेट्रिक सत्यापन की उच्च असफलता दर को प्रमुख मुद्दा बताया गया है। कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि यह समस्या सामाजिक कल्याण योजनाओं से पात्र लाभार्थियों को गलत तरीके से वंचित कर रही है।
समिति ने बताया कि आधार से जुड़ी अधिकांश सरकारी योजनाएं, जैसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, बायोमेट्रिक सत्यापन पर निर्भर हैं। लेकिन बायोमेट्रिक डेटा का यूआईडीएआई रिकॉर्ड से मिलान न होने के कारण कई लोग भोजन राशन और रोजगार जैसे लाभों से वंचित हो रहे हैं। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में एक गंभीर समस्या बन गई है।
इसके अलावा, समिति ने आधार डेटा लीक की खबरों पर भी चिंता जताई। बीजेपी सदस्यों ने अवैध व्यक्तियों, विशेष रूप से घुसपैठियों, द्वारा आधार प्राप्त करने और मतदाता पहचान पत्र व कल्याणकारी लाभों तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की। समिति ने यूआईडीएआई को डेटाबेस की वैज्ञानिक ऑडिट करने और नामांकन प्रक्रिया को सरल बनाने का निर्देश दिया।
यूआईडीएआई के आंकड़ों के अनुसार, जून 2025 तक 142.39 करोड़ आधार नंबर सक्रिय हैं, जो भारत की अनुमानित जनसंख्या से अधिक है। समिति ने मृत व्यक्तियों के आधार कार्ड को निष्क्रिय करने में देरी पर भी सवाल उठाए और यूआईडीएआई को इस दिशा में सक्रिय कदम उठाने को कहा।
यूआईडीएआई ने दावा किया कि उसने 1.2 करोड़ मृत व्यक्तियों के आधार निष्क्रिय किए हैं, लेकिन समिति ने इसे अपर्याप्त बताया। समिति ने आधार डेटा की सुरक्षा और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।