कल्पेश पटेल
भारत अपने पड़ोसी देशों में अपने हित क्यों नहीं साधता जब रूस अमेरिका दूर के देशों के राजनीतिक घटनाक्रम में अपने हित के लिए दखल देते है तो भारत को अपने सीमा वर्ती देशों में अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए , प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दखल देकर , खासकर तब जब चीन भारत के सभी सीमा वर्ती देशों में अपने हित साध रहा , हम बंगलादेश को स्वतंत्र करवाकर भी उसे अपने साथ नही रख पाए , लंका में अपने तमिलो के खिलाफ सेना भेजकर भी चीन को हावी होने से नही रोक पाये , पाकिस्तान में आजतक एक भी अपना शोहदा नही खोज पाये , नेपाल में माओवाद को नही रोक पाए और छोटे से देश मालदीव तक को हड़का नही पाए , अफगानिस्तान को तो क्या साध पाएंगे हम ऐसे में ?
बर्मा म्यांमार से आते विद्रोही कूकी पर भी उसे कड़ाई नही कर पाए , फिर भी 2014 के बाद थोड़ी स्थिति सुधरी है पर भारत को पड़ोसी देशों की राजनीति में अपने मोहरे बनाने होंगे और उन्हें हर संभव सहायता देनी चाहिए ,वहा की मिडिया , उद्योगपति ,सेना , राजनीतिक दल और विमर्श लेखक समूह को भी साधना होगा , बंगलादेश में जब अस्थिरता चल रही थी तो अपने हित के हिसाब से अग्रिम कदम उठाने थे ,भारत को जिम्मेदारी आगे बढ़ कर ये लेनी होगी क्योंकि ये मजबूरी है क्योंकि पड़ोसी देशों की अस्थिरता हमे भी प्रभावित करती है , अच्छे रिश्तेदार और अच्छे मित्र के साथ अच्छे पड़ोसी ही हमारा भाग्य और नियति है और इसके हिसाब से कर्म करना होगा !