ब्रज के पौराणिक तीर्थ स्थलों, वनों, कुंड, मंदिरों आदि के संरक्षण हेतु और ब्रज भूमि का मूल स्वरूप बचाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल आज शुरू हुई।
वृन्दावन के श्री रंगनाथ मंदिर में ब्रज वृन्दावन देवालय समिति की पहली औपचारिक बैठक में विकास के दिशा भटकाव पर चिंता व्यक्त करते हुए, पधारे विशिष्ट जनों ने सामूहिक प्रयासों और सतत जन जागरण द्वारा श्री कृष्ण की लीला भूमि को सही दिशा देने का संकल्प लिया।
इस बैठक में ब्रज की देवालय परम्परा, संस्कृति, पौराणिक, मूल स्वरुप, और पर्यावरण पर विचार-विमर्श किया गया।
संयुक्त सचिव जगन नाथ पोद्दार ने बताया कि समिति का उद्देश्य ब्रज की देवालय परम्परा और मूल स्वरूप के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करना है। इसके अलावा, समिति ब्रज के वन, यमुना, कुण्ड, ब्रज रज, प्राचीन देवालय, साहित्य, और गौ वंश संरक्षण के लिए भी कार्य करेगी।
ब्रज क्षेत्र में स्थित विभिन्न मंदिर और तीर्थ स्थल हिंदू धर्म के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
इन मंदिरों के अलावा, ब्रज क्षेत्र में कई प्राचीन कुण्ड और सरोवर भी हैं जिनको संरक्षण की दरकार है।
इन तीर्थ स्थलों के संरक्षण और संवर्धन से न केवल हिंदू धर्म की परम्पराओं का संरक्षण होगा, बल्कि पर्यावरण और संस्कृति का भी संरक्षण होगा।
समिति ने यमुना शुद्धिकरण, ब्रज संरक्षण हेतु कार्य योजना तैयार करना, और प्राचीन मंदिरों की सूची तैयार करना जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए। अगले छह महीने की कार्य सूची तैयार की गई।
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया, जिनमें हरिश्चन्द्र गोस्वामी, भरत गोस्वामी, शम्भू दयाल पंडा, बलराम कृष्ण गोस्वामी, भारत जोशी, और कृष्णन स्वामी शामिल थे। आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी जी ने अध्यक्षता की और जगन्नाथ पोद्दार ने संचालन किया।