संस्कार भारती की मासिक गोष्ठी में श्री लोकेन्द्र त्रिवेदी का विशेष व्याख्यान

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नई दिल्ली : संस्कार भारती के केंद्रीय कार्यालय ‘कला संकुल’ में हर महीने आयोजित होने वाली मासिक गोष्ठी में इस बार सुप्रसिद्ध रंगकर्मी और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित श्री लोकेन्द्र त्रिवेदी ने “लोकनाट्यों में गुथी हमारी समृद्ध रंग-संगीत परंपरा एवं वर्तमान समय में इसका प्रयोग” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

गोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्वलन और संस्कार भारती के परिचयात्मक गीत से हुई। इसमें संस्कार भारती के वरिष्ठ पदाधिकारियों और शहर के जाने-माने कलाकारों ने भाग लिया।

श्री लोकेन्द्र त्रिवेदी ने अपने व्याख्यान में भारतीय लोकनाट्य परंपरा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि लोकनाट्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक और नैतिक जड़ों को सुदृढ़ करने का एक प्रभावी माध्यम है। उन्होंने नौटंकी, यक्षगान, भवाई, और तमाशा जैसे लोकनाट्यों के उदाहरण देते हुए इनके संगीत, संवाद और अभिनय शैली की विशिष्टताओं पर चर्चा की।

उन्होंने यह भी बताया कि आधुनिक समय में इन पारंपरिक विधाओं का उपयोग कैसे किया जा सकता है। श्री त्रिवेदी ने इस बात पर बल दिया कि तकनीकी युग में इन प्राचीन विधाओं को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए नई पीढ़ी को इनके महत्व से परिचित कराना आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होंने एक बड़े विषय पर भी सभी का ध्यान आकर्षित किया, जहां उन्होंने बताया कि सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में आरकाईव के तौर पर अभी भी लोकनाटयों का विशाल संग्रह आम जनता नहीं देख पाई है। उसे देखने की व्यवस्था हमारी समृद्ध विरासत को और धनी बना सकती है।

गोष्ठी के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें उपस्थित दर्शकों ने अपनी जिज्ञासाओं को व्यक्त किया और श्री त्रिवेदी ने उनकी शंकाओं का समाधान किया।

PM to launch UN International Year of Cooperatives 2025

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Posted by PIB Delhi : Prime Minister Shri Narendra Modi will inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 and launch the UN International Year of Cooperatives 2025 on 25th November at around 3 PM at Bharat Mandapam, New Delhi.

ICA Global Cooperative Conference and ICA General Assembly is being organised in India for the first time in the 130 year long history of International Cooperative Alliance (ICA), the premier body for the Global Cooperative movement. The Global Conference, hosted by Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited (IFFCO), in collaboration with ICA and Government of India, and Indian Cooperatives AMUL and KRIBHCO will be held from 25th to 30th November.

The theme of the conference, “Cooperatives Build Prosperity for All,” aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi” (Prosperity through Cooperation). The event will feature discussions, panel sessions, and workshops, addressing the challenges and opportunities faced by cooperatives worldwide in achieving the United Nations Sustainable Development Goals (SDGs), particularly in areas such as poverty alleviation, gender equality, and sustainable economic growth.

Prime Minister will launch the UN International Year of Cooperatives 2025, which will focus on the theme, “Cooperatives Build a Better World,” underscoring the transformative role cooperatives play in promoting social inclusion, economic empowerment, and sustainable development. The UN SDGs recognize cooperatives as crucial drivers of sustainable development, particularly in reducing inequality, promoting decent work, and alleviating poverty. The year 2025 will be a global initiative aimed at showcasing the power of cooperative enterprises in addressing the world’s most pressing challenges.

Prime Minister will also launch a commemorative postal stamp, symbolising India’s commitment to the cooperative movement. The stamp showcases a lotus, symbolising peace, strength, resilience, and growth, reflecting the cooperative values of sustainability and community development. The five petals of the lotus represent the five elements of nature (Panchatatva), highlighting cooperatives’ commitment to environmental, social, and economic sustainability. The design also incorporates sectors like agriculture, dairy, fisheries, consumer cooperatives, and housing, with a drone symbolising the role of modern technology in agriculture.

Hon’ble Prime Minister of Bhutan His Excellency Dasho Tshering Tobgay and Hon’ble Deputy Prime Minister of Fiji His Excellency Manoa Kamikamica and around 3,000 delegates from over 100 countries will also be present.

हिंदी विवेक प्रकाशित ‘मंदिर: राष्ट्र के ऊर्जा केंद्र’ ग्रंथ और विहिप के दिनदर्शिका का हुआ विमोचन

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मुकेश गुप्ता

मुंबई। हमारे मंदिर पहले की तरह समजाभिमुख बनकर शिक्षा, चिकित्सा, सेवा, आस्था, प्रेरणा, शक्ति, धर्म प्रचार और समाज प्रबोधन का केंद्र बने, यह आज की आवश्यकता है। यह वक्तव्य मिलिंद परांडे ने ‘मंदिर राष्ट्र के ऊर्जा केंद्र’ ग्रंथ के विमोचन कार्यक्रम के दौरान प्रमुख वक्ता के तौर पर दिया। उन्होंने आगे कहा कि यदि समाज बंट गया या सो गया तो मंदिर पुनः ध्वस्त हो जाएंगे, इसलिए हमें ऐसे सशक्त संगठित जागरूक समाज का निर्माण करना होगा कि भविष्य में भी कोई मंदिरों को तोड़ने का साहस न कर पाए। हिंदुत्व के जागरण और विमर्श के केंद्र में लाने में मंदिर खासकर रामजन्मभूमि आंदोलन की प्रमुख भूमिका रही है। मंदिर के विविध पहलुओं को मंदिर ग्रंथ में रेखांकित किया गया है। अतः निश्चित रूप से मंदिर ग्रंथ मार्गदर्शक सिद्ध होगा, ऐसा मझे पूर्ण विश्वास है। हिंदी विवेक के इस सराहनीय कार्य के लिए मैं उनका अभिनंदन करता हूं। आज देश का कोई भी चर्च या मस्जिद सरकारी नियंत्रण में नहीं है किंतु मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रखा गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी सरकार से कहा है कि मंदिरों को नियंत्रित कर उसकी व्यवस्था संभालना सरकार का काम नहीं है। बावजूद इसके मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रख कर मंदिरों की संपत्ति का सरकार दुरुपयोग कर रही है। इसलिए मंदिरों को मुक्त करना हमारा कर्तव्य है। मंदिर की अर्थव्यवस्था, व्यवस्थापन, कार्यप्रणाली, पारदर्शिता, समाज की सहभागिता और मंदिर के सम्बंध में हमारी दृष्टि कैसी होनी चाहिए, ऐसे विविध विषयों से इस ग्रंथ में अवगत कराया गया है।

मुंबई के दादर पूर्व स्थित स्वामी नारायण मंदिर के सभागृह में हिंदी विवेक पत्रिका द्वारा प्रकाशित ‘मंदिर: राष्ट्र के ऊर्जा केंद्र’ ग्रंथ का विमोचन समारोह हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। इसी के साथ विहिप के दिनदर्शिका का भी विमोचन किया गया। मंच पर विराजमान विहिप के केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे जी, मंदिर स्थापत्य व मूर्ति विशेषज्ञ डॉ. गो. ब. देगलूरकर, झा कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. के चेयरमैन व एमडी रामसुंदर झा एवं उनकी धर्म पत्नी मनोरमा झा, विहिप कोंकण प्रांत मंत्री मोहन सालेकर, हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष पद्मश्री रमेश पतंगे, हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर एवं हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक श्रीमती पल्लवी अनवेकर के करकमलों द्वारा ग्रंथ एवं दिनदर्शिका का विमोचन किया गया।
भारत माता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं कवि रजनीकांत द्वारा सुंदर कविता का प्रस्तुतिकरण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इसके बाद मंच पर उपस्थित सभी मान्यवरों का परिचय व स्वागत सम्मान किया गया।

हिंदी विवेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमोल पेडणेकर ने अपनी प्रस्तावना में हिंदी विवेक पत्रिका के १५ वर्षों की उल्लेखनीय सफल यात्रा पर संक्षेप में प्रकाश डाला और विशेष तौर पर इस बात पर जोर दिया कि हमने मंदिरों के महत्व को भुला दिया इसलिए हमें गुलाम होना पड़ा। मंदिर राष्ट्र व समाज जागरण के प्रमुख केंद्र रहे है इसलिए हमारी मंदिर की परंपरा को शुरू करने से ही भारत विश्वगुरु की भूमिका में आएगा। लोकरंजन के साथ लोकमंगल करने के उद्देश्य से हिंदी विवेक पत्रिका द्वारा ‘मंदिर: राष्ट्र के ऊर्जा केंद्र’ ग्रंथ को प्रकाशित किया गया है। इस ग्रंथ को सफल बनाने में हमारे समाज के गणमान्य जनों का अपेक्षित सहयोग मिला है, जिसके लिए हम सदैव उनके आभारी रहेंगे। मंदिर ग्रंथ का विमोचन कार्यक्रम देश के चार स्थानों पर करने की हमने योजना बनाई है। पहला कार्यक्रम आज हो रहा है। दूसरा कार्यक्रम 29 नवम्बर को मध्य प्रदेश के इंदौर में मा. भैया जी जोशी की उपस्थिति में होने जा रहा है। तीसरा कार्यक्रम मुम्बई के प्रसिद्ध संस्था भागवत परिवार द्वारा मुम्बई में ही किया जाएगा और चौथा कार्यक्रम दक्षिण भारत में होगा। इसके साथ ही परिसंवाद के कार्यक्रम भी होंगे जिसमें मंदिर के विविध विषयों पर चर्चा की जाएगी।

इसके बाद हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष पद्मश्री रमेश पतंगे ने अपने भाषण में कहा कि जब समाज खड़ा हो गया तो राम मंदिर बन गया। इसलिए समाज का खड़ा होना आवश्यक है। मंदिर और देवता का सामर्थ्य क्या होता है इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने दो कहानियां सुनाकर श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। हिन्दू समाज के भेदभाव और कमियों को दूर करना होगा तभी समाज संगठित एवं शक्तिशाली स्वरूप में खड़ा होगा। उन्होंने आगे कहा कि सरदार पटेल को ऐसा क्यों लगा कि सोमनाथ का मंदिर खड़ा होना चाहिए? के.एन. मुंशी और राजेंद्र प्रसाद को क्यों लगा कि मंदिर खड़ा होना चाहिए? वो तो विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता नहीं थे। तब तो विहिप का जन्म भी नहीं हुआ था परंतु वो इस बात को जानते थे कि भारत स्वतंत्र हो रहा है और स्वतंत्रता का प्रतीक क्या है तो वह हमारा मंदिर है। यदि मंदिर खड़ा होता है और भारत स्वतंत्र होता है तो दुनिया में एक सकारात्मक संदेश जाएगा।
मंदिर स्थापत्य व मूर्ति विशेषज्ञ डॉ. गो. ब. देगलूरकर जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मंदिर के स्थापत्य कला के शिल्पकारों को हमने भुला दिया। जिन्होंने भव्य दिव्य मंदिर बनाए। मंदिर एक सामाजिक संस्था है जिसमें समाज के सभी वर्गों की सहभागिता होती है। मंदिर में जाने के पूर्व उसकी परिक्रमा करनी चाहिए। मंदिर की बाहरी दीवार पर अंकित सुरा सुंदरी आपसे कुछ कहती है, उसे समझना चाहिए। मनुष्य का शरीर और मंदिर का स्वरूप एक जैसा होता है।

इस दौरान झा कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. के चेयरमैन व एमडी तथा डायरेक्टर रामसुंदर झा एवं उनकी धर्मपत्नी मनोरमा झा, गोवर्धन इको विलेज के निदेशक गौरंगदास प्रभुजी, महालक्ष्मी मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन वी. एन. गुपचुप, टेम्पल कनेक्ट के संस्थापक गिरीष वासुदेव कुलकर्णी एवं हिंदी विवेक के प्रतिनिधि दत्तात्रेय ताम्हणकर एवं महेश जुन्नरकर को मंच पर उपस्थित मान्यवरों के हाथों पुरस्कार, पुस्तक, शोल व श्रीफल देकर विशेष तौर पर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विवेक की कार्यकारी सम्पादक श्रीमती पल्लवी अनवेकर ने किया और सभी का आभार माना। अंत में श्रीमती मानसी राजे द्वारा पसायदान के उपरांत कार्यक्रम का समापन किया गया।

भारत के डेयरी उद्योग का आधुनिकीकरण गौ पालकों को सशक्त करेगा

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मथुरा। कभी भारत में दूध की नदियां बहती थीं। ब्रज भूमि कृष्ण कन्हैया की माखन, दही, छाछ की लीलाओं से गुंजित था।
दूध आज फिर चर्चा में है, नकली दूध से देवी देवताओं का अभिषेक हो रहा है, दूध की परिक्रमा लग रही है। रासायनिक जहरों से नकली मिलावटी, पनीर, खोया, मिठाई बना कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है।

बहरहाल, दुग्ध क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में चलाए गए ऑपरेशन फ्लड की बदौलत श्वेत क्रांति से भारत में दुग्ध उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है। आज पूरा भारत पीता है अमूल का दूध।

भारत की विशाल दुधारू मवेशी आबादी, जिसमें लगभग 300 मिलियन गाय और भैंस शामिल हैं, एक विरोधाभास भी प्रस्तुत करती है। एक ओर, देश का डेयरी उद्योग दुनिया में सबसे बड़ा है, जो सालाना 210 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक दूध का उत्पादन करता है। दूसरी ओर, इस उद्योग को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो इसकी स्थिरता और डेयरी किसानों की आजीविका को खतरे में डालती हैं।

दूध की कीमतों में उतार-चढ़ाव, उत्पादन लागत में वृद्धि और पौधों पर आधारित विकल्पों से प्रतिस्पर्धा जैसे आर्थिक दबावों ने डेयरी किसानों की लाभप्रदता पर भारी असर डाला है। मूल्य स्थिरीकरण कार्यक्रमों को लागू करना, उत्पाद पेशकशों में विविधता लाना और सहकारी विपणन रणनीतियों का समर्थन करना सौदेबाजी की शक्ति को मजबूत करने में मदद कर सकता है, एक डेयरी एक्सपर्ट कहते हैं।

हालांकि, डेयरी उद्योग के पर्यावरणीय प्रभाव को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जल उपयोग और भूमि क्षरण सभी महत्वपूर्ण चिंताएँ हैं। अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित करना, संधारणीय कृषि प्रथाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देना और कार्बन क्रेडिट और संधारणीय प्रमाणन के लिए पहलों का समर्थन करना इन मुद्दों को कम करने में मदद कर सकता है।

इसके अलावा, श्रम की कमी और पशु स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ डेयरी उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों को और बढ़ा देती हैं।

भारत में दूध उद्योग को उन्नत और आधुनिक बनाने के लिए, डेयरी मूल्य श्रृंखला के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। विशेषज्ञ दक्षता, स्वच्छता और दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्वचालित दूध देने की प्रणाली को लागू करने का सुझाव देते हैं। वे पशु स्वास्थ्य, पोषण और प्रजनन की निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करने की भी सलाह देते हैं।

भारत में मजबूत कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है। परिवहन और भंडारण के दौरान दूध की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सरकार को इसमें निवेश करना चाहिए। कई अध्ययन डेटा प्रबंधन, आपूर्ति श्रृंखला ट्रैकिंग और वित्तीय प्रबंधन के लिए डिजिटल टूल अपनाने की सलाह देते हैं।

पशुपालन में सुधार महत्वपूर्ण है। कृत्रिम गर्भाधान और भ्रूण स्थानांतरण जैसी वैज्ञानिक प्रजनन तकनीकों को बढ़ावा देने से पशुधन की आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। नुकसान को कम करने के लिए प्रभावी रोग नियंत्रण और टीकाकरण कार्यक्रमों की आवश्यकता है। दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए फ़ीड और चारे की गुणवत्ता और उपलब्धता में सुधार करना आवश्यक है।

किसानों का सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। आधुनिक कृषि पद्धतियों, पशुपालन और व्यवसाय प्रबंधन पर डेयरी किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है। डेयरी सहकारी समितियों को मजबूत करने से किसान सशक्त हो सकते हैं और सामूहिक सौदेबाजी को सुविधाजनक बना सकते हैं।

उन्नत तकनीक के साथ प्रसंस्करण संयंत्रों को उन्नत करके डेयरियों का आधुनिकीकरण उत्पाद की गुणवत्ता और दक्षता में सुधार कर सकता है। पनीर, दही और मक्खन जैसे मूल्यवर्धित डेयरी उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने से लाभप्रदता बढ़ सकती है। दूध और डेयरी उत्पादों की सुरक्षा और शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए अभिनव पैकेजिंग और कठोर गुणवत्ता नियंत्रण उपाय आवश्यक हैं। आईएसओ 22000 जैसे अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों का अनुपालन करने से बाजार तक पहुंच प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।

सहकारी विशेषज्ञ अजय दुबे कहते हैं, “नई तकनीक विकसित करने और डेयरी फार्मिंग प्रथाओं में सुधार करने के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश करें। डेयरी उद्योग को समर्थन देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क, बिजली आपूर्ति और पशु चिकित्सा सेवाओं जैसे बुनियादी ढांचे का विकास करें।”

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