भारत की लचीली लोकतांत्रिक प्रणाली को और मजबूत बनाने की जरूरत

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15 सितंबर को लोकतंत्र का अंतर्राष्ट्रीय दिवस विशेष रूप से भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र में विशेष महत्व रखता है। इस वर्ष, 2500 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाने की कर्नाटक की पहल लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में नागरिक सहभागिता और एकता का एक शक्तिशाली प्रतीक है।

भारत का लोकतंत्र अपने लचीलेपन और गतिशीलता के लिए वैश्विक क्षेत्र में अलग पहचान रखता है। एक मजबूत लिखित संविधान और अपनी संस्थाओं – न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और एक स्वतंत्र प्रेस – के बीच शक्तियों के स्पष्ट पृथक्करण के साथ भारत लोकतांत्रिक शासन की संस्कृति को पोषित करने में कामयाब रहा है।

लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति देश की प्रतिबद्धता ने इसे चुनौतियों का सामना करने और एक लोकतांत्रिक कल्याणकारी राज्य के रूप में विकसित होने में भी सक्षम बनाया है।

भारत भर में नागरिकों को लोकतांत्रिक मूल्यों में शामिल करने, संवेदनशील बनाने और शिक्षित करने के लिए नियोजित कार्यक्रम लोकतंत्र की नींव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण हैं।

लोकतंत्र केवल वोट डालने के बारे में नहीं है; यह सक्रिय भागीदारी, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने और सरकार को जवाबदेह ठहराने के बारे में है।

समावेशिता और जागरूकता को बढ़ावा देकर, ये पहल नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से योगदान करने के लिए सशक्त बना सकती हैं।

जबकि भारत का लोकतंत्र वास्तव में मजबूत है, यह स्वीकार करना आवश्यक है कि यह खामियों और असफलताओं से रहित नहीं है। एक युवा गणराज्य के रूप में, भारत ने समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने, भ्रष्टाचार को दूर करने और एक सर्वव्यापी वीआईपी संस्कृति के साथ आय असमानताओं को दूर करने में चुनौतियों का सामना किया है। हालांकि, जो चीज भारत को अलग करती है, वह है पिछली गलतियों से सीखने और अधिक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में प्रयास करने की इसकी क्षमता।

तानाशाही, गैर लोकतांत्रिक सत्तावादी देशों के विपरीत, भारत का लोकतंत्र विविध आवाजों को सुनने और सम्मान देने के लिए एक मंच प्रदान करता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति का अधिकार भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार के अभिन्न अंग हैं। देश का जीवंत नागरिक समाज, स्वतंत्र मीडिया और सक्रिय नागरिक शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जैसा कि हम अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाते हैं, लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों को बनाए रखने के महत्व पर विचार करना अनिवार्य है। लोकतंत्र स्थिर नहीं होते; उन्हें मजबूत और लचीला बने रहने के लिए निरंतर पोषण, संवाद और भागीदारी की आवश्यकता होती है। एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत की यात्रा सामूहिक कार्रवाई की शक्ति और विविधता में एकता की भावना का प्रमाण है।

इस दिन, आइए हम लोकतंत्र की रक्षा करने, नागरिक जुड़ाव को बढ़ावा देने और अधिक न्यायसंगत और समावेशी समाज के निर्माण के लिए खुद को फिर से प्रतिबद्ध करें। एक संपन्न लोकतंत्र के रूप में भारत की यात्रा दुनिया भर के देशों के लिए एक प्रेरणा का काम करती है, जो हमें सभी के लिए बेहतर भविष्य को आकार देने में लोकतांत्रिक आदर्शों की स्थायी शक्ति की याद दिलाती है।

वर्ल्डस्किल्स 2024: जयंत चौधरी ने फ्रांस में भारतीय टीम के साथ मुलाकात कर उनका उत्साह बढ़ाया

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ल्योन: फ्रांस के ल्योन में आयोजित हो रहे वर्ल्डस्किल्स 2024 में भारतीय टीम का मनोबल उस समय बढ़ गया, जब श्री जयंत चौधरी, माननीय राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय उनसे मिलने पहुंचे। दो दिनों के इस दौरे में मंत्री जी के साथ श्री अतुल कुमार तिवारी, सचिव, एमएसडीई भी रहे, जिन्होंने 60 प्रतिभागियों से मुलाकात की। गौरतलब है कि ये प्रतिभागी रोबोटिक्स, वेब डेवलपमेन्ट, जॉइनरी, हॉस्पिटेलिटी, 3डी डिजिटल गेम आर्ट, एडिटिव मैनुफैक्चरिंग, ऑटोबॉडी रिपेयर, कैमिकल लैब टेक्नोलॉजी, क्लाउड कम्प्युटिंग, साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल कन्स्ट्रक्शन और क्यूलीनरी आर्ट्स सहित 52 प्रकार के कौशल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। मंत्री जी का दौरा विश्वस्तरीय कौशल के विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

श्री जयंत चौधरी, माननीय राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने 60 में से हरएक प्रतिभागी के साथ व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और उनका उत्साह बढ़ाया। उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्ज़रलैण्ड, चीन और कोरिया के प्रतियोगियों के साथ मुकाबला करते हुए भारतीय प्रतिभागियों का परफोर्मेन्स देखा और विश्वस्तरीय मंच पर उनके प्रभावशाली परफोर्मेन्स पर गर्व की अभिव्यक्ति की।

प्रतिभागियों के परफोर्मेन्स को देखते हुए श्री जयंत चौधरी, माननीय राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारतीय टीम के प्रतिभागियों के समर्पण और जुनून से मैं बेहद प्रभावित हुआ। उनसे मिलने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वे कड़ी मेहनत और उत्साह के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की कोशिश कर रहे हैं। एक देश के रूप में हमें अपनी युवा प्रतिभा पर गर्व है। मुझे विश्वास है कि अपने शानदार परफोर्मेन्स के साथ वे जीत हासिल करेंगे और इस प्रतिष्ठित मंच पर भारत का गौरव बढ़ाएंगे।’’

श्री जयंत चौधरी, माननीय राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने अन्य सदस्य देशों के मंत्रियों और प्रतिनिधियों के साथ बातचीत भी की। उन्होंने माननीय प्रोफेसर पॉल माविमा (एमपी) मिनिस्टर ऑफ स्किल्स ऑडिट एण्ड डेवलपमेन्ट, जिम्बाब्वे के साथ विशेष बैठक की। इस बैठक के दौरान कौशल विकास, व्यवसायिक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में आपसी सहयोग के संभावी क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किया गया। दोनों पक्ष इन साझेदारियों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिम्बाब्वे के प्रतिनिधिमंडल ने जल्द ही इन साझेदारियों को मूर्त रूप देने और सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं के विनिमय के लिए भारत दौरे की योजना बनाई है।

उन्होंने एएमबी (डेज़िग्नेट) प्रोफेसर पीटर नगुरे, युनेस्को के लिए केन्या के स्थायी प्रतिनिधि के साथ भी मुलाकात की। मुलाकात के दौरान कौशल विकास, शिक्षा एवं क्षमता निर्माण में आपसी सहयोग पर विचार-विमर्श किया गया। दोनों नेताओं ने युवाओं को भावी कौशल के साथ सशक्त बनाने के लिए जानकारी के आदान-प्रदान और साझेदारियों के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और केन्या के बीच आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर विश्वस्तरीय कौशल विकास को गति प्रदान की जा सकती है।

श्री जयंत चौधरी ने क्रिस हम्फरीस, प्रेज़ीडेन्ट एवं चेयर ऑफ द बोर्ड, वर्ल्डस्किल्स इंटरनेशनल और श्री फहार अली, सीईओ, वर्ल्डस्किल्स एशिया तथा श्री सैन-क्वेई लिन, बोर्ड सदस्य, स्ट्रैटेजिक डेवलपमेन्ट के साथ भी मुलाकात की। इस चर्चा के दौरान वर्ल्डस्किल्स में भारत की स्थिति को सशक्त बनाने और भावी प्रतियोगिताओं में देश के परफोर्मेन्स में सुधार लाने के लिए आपसी सहयोग पर विचार रखे गए। श्री जयंत ने वर्ल्डस्किल्स कॉन्फ्रैन्स के विशेष सत्रों में भी हिस्सा लिया, इस मंच पर विश्वस्तरीय लीडर्स ने कौशल एवं व्यवसायिक शिक्षा के भविष्य पर विचार-विमर्श किया।

वर्ल्डस्किल्स प्रतियोगिता में भारतीय टीम का परफोर्मेन्स देखते हुए श्री अतुल कुमार तिवारी, सचिव, एमएसडीई ने कहा, ‘‘यह एक रोमांचक अनुभव है। हमारे भारतीय उम्मीदवारों से मिलना, उनकी उर्जा, जोश और दृढ़ इरादे का देखना सही मायनों में गर्व की अनुभूति देता है। चीन, जापान, फ्रांस, जर्मनी और स्विट्ज़रलैण्ड के प्रतिभागियों के साथ मुकाबला करते हुए वे नव भारत की भावना की अभिव्यक्ति कर रहे हैं। भारत को दुनिया की कौशल राजधानी बनाने के माननीय प्रधानमंत्री जी के दृष्टिकोण के अनुरूप ये युवा मजबूत इरादे के साथ इनोवेशन और प्रतिस्पर्धी भावना का प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका दृढ़ विश्वास और फोकस अपने आप में बेजोड़ है। मुझे विश्वास है कि वे विश्वस्तरीय मंच पर भारत को गौरवान्वित करेंगे।’’

प्रतियोगिता के दौरान भारत अपनी विविध प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहा है। पंजाब से आई जान्हवी ने ग्राफिक डिज़ाइन टेक्नोलॉजी के आधुनिक उपयोग का प्रदर्शन किया। इसी तरह तेलंगाना के अश्विथा पोलिस ने पैटीसरी एण्ड कन्फेक्शनरी में अपने उत्कृष्ट कौशल का प्रदर्शन किया। उड़ीसा से आई कामिनी कुमारी राम ने पुरूष प्रभुत्व वाले क्षेत्र वेल्डिंग में हाइड्रोस्टेटिक प्रेशर टेस्टिंग में अपनी महारत का प्रदर्शन कर सभी बाधाओं को पीछे छोड़ दिया। इसी तरह मिज़ोरम से एमिली वीएल थाकिमी ने फैशन टेक्नोलॉजी और मैक्सिमस लालरूतकिमा ने फ्लोरिस्टरी में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया।

पश्चिम बंगाल के तूफ़ान माल ने ज्वैलरी मेकिंग में अद्भुत कौशल का प्रदर्शन किया, इसी तरह तमिलनाडु के हरीहरन अरूमुगम ने स्पीड पेंटिंग में अपनी प्रतिभा को दर्शाया। मध्य प्रदेश के राहुल विश्वकर्मा ने आधुनिक कारपेंटरी तकनीकों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, उड़ीसा के सुभ्रजीत पटरा ने रेस्टोरेन्ट सर्विस में अपने कौशल को दर्शाया। तमिलनाडु से जयसूर्या कथिरवेल सिवकुमार ने कॉन्क्रीट पम्प हैण्डलिंग में अपने प्रभावी कौशल का प्रदर्शन किया। अनाघा केमेनघट ने डेटासेट से 3 डी बिल्डिंग मॉडल्स बनाकर डिजिटल कन्स्ट्रक्शन में अपना कौशल दर्शाया, दर्शन गौड़ा ने मैकट्रोनिक्स में अपने कौशल का प्रदर्शन किया।

वर्ल्डस्किल्स कॉन्फ्रैन्स में चर्चा का विषय था ‘मुविंग टीवीईटी टू द टॉप ऑफ ग्लोबल एजेंडा’ इस सम्मेलन के दौरान दुनिया भर से आए प्रवक्ताओं ने कई सत्रों में हिस्सा लिया और कौशल, लकनीकी व्यवसायिक प्रशिक्षण के भविष्य पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

राष्ट्र निर्माण में हिंदी की भूमिका

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भारत 1947 से पूर्व भी था और वर्तमान में भी है। अंतर केवल संप्रभुता का है एक राज्य के लिए चार चीजों का होना अनिवार्य है – भूखंड, उस पर निवास करने वाले जन(जनसंख्या) शासन अर्थात व्यवस्था स्थापित करने के लिए सरकार और संप्रभुता अर्थात स्वयं निर्णय लेने की स्वतंत्रता।

राज्य की एक निश्चित सीमाएं होती हैं। शासन करने के लिए एक तंत्र होता है नियम- कानून होते हैं। राष्ट्र सीमाओं के बंधन से भी आगे होता है। 1947 से पहले भी भारत राष्ट्र था,भारत का राजनीतिक विभाजन हुआ ।राष्ट्र एक सांस्कृतिक, भावनात्मक इकाई है , राज्य एक राजनीतिक इकाई है। एक राज्य में अनेक राष्ट्रीयताओं के नागरिक रह सकते हैं परंतु यह आवश्यक नहीं की उनकी उस राज्य में श्रद्धा, विश्वास हो।

राष्ट्र की पहचान उसकी भाषा, भूषा(वेश), संस्कृति से होती है। अंग्रेजी पराधीनता से मुक्ति दिलाने में ये तीनों हथियार बने। हिंदी ने अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभाई परंतु अंग्रेजियत से आज भी संघर्ष जारी है।
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। हिंदी तुलनात्मक रुप से सरल एवं सहज है। व्याकरण की दृष्टि से भी हिंदी अत्यंत समृद्ध है। हिंदी जीवन मूल्यों, संस्कारों एवं संस्कृतियों की वाहक है। दुनिया के 100 से अधिक देशों में हिंदी का प्रयोग होता है। हिंदी विश्व की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है।

स्मरण रहे भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग आम जन उत्साहपूर्वक सहजता से करता है। इस कसौटी पर हिंदी खरी उतरती है। हिंदी मौलिक चिंतन का सृजन करती है। भारत को एक राष्ट्र के रूप में संगठित करने में हिंदी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। भारतीय रेलवे, अखिल भारतीय सेवाएं, डाक व्यवस्था, भारतीय सेनाएं, फिल्म जगत, मीडिया आदि हिंदी के प्रयोग तथा प्रचार प्रसार में महत्ती भूमिका निभा रहे हैं।

हिंदी की प्रकृति राष्ट्र की एकता की परिचायक है। भारत के विभिन्न प्रांतो में रहने वाले विभिन्न भाषा-भाषी सप्रयास हिंदी बोलने का प्रयत्न करते हैं। राजनीतिक, व्यवसायिक एवं आध्यात्मिक सफलता के लिए हिंदी का ज्ञान नितांत आवश्यक है। बहु राष्ट्रीय कंपनियाँ भी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को हिंदी भाषा का प्रशिक्षण देती हैं।

स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था, “हिंदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।” 1828 में ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने कहा था, “समग्र देश की एकता के लिए हिंदी पढ़ना, लिखना सीखना अनिवार्य होना चाहिए।” 1875 में केशव चंद्र सेन ने भारतीय एकता के लिए एक भाषा के रूप में हिंदी के व्यवहार पर जोर दिया था। भारतीय लोक जीवन की एकात्मता तथा उदात्तता हिंदी से ही संभव है। आइए हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रयोग, प्रचार- प्रसार के लिए कटिबद्ध हों। अपने दैनिक व्यवहार में अधिकाधिक हिंदी का प्रयोग करें। पत्राचार, हस्ताक्षर, नाम पट्टिका, संदेश, लेखन, बातचीत आदि में हिंदी के प्रयोग को प्राथमिकता दें।

Chief Minister Vishnudev Sai Implements PM Modi’s Vision: Medical Education in Hindi Begins on Hindi Day

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Hindi Language MBBS Courses to Start at Government Medical Colleges

Raipur, September 14, 2024 – On Hindi Day, Chief Minister Vishnudev Sai announced a landmark initiative, implementing Prime Minister Narendra Modi’s vision by introducing medical education in Hindi at government medical colleges across the state. During a press conference at his residence office, with Health Minister Shyam Bihari Jaiswal present, the Chief Minister confirmed that starting from the academic session 2024-25, MBBS courses will be available in Hindi. Necessary textbooks in Hindi will be provided to students as per the directives given to the Health Department.

Chief Minister Sai highlighted that the true significance of Hindi Day is in advancing and promoting Hindi in all spheres of governance, administration, and education. He noted that this initiative, inspired by Prime Minister Modi’s announcement in February 2022 during a rally in Unnao, Uttar Pradesh, is now being realized in Chhattisgarh.

With ten government medical colleges in the state, this move is expected to greatly benefit students from rural backgrounds who are primarily from Hindi-medium schools and face difficulties with English. Providing education in their native language will enhance their understanding and strengthen their foundation as future medical professionals. Chief Minister Sai affirmed his commitment to implementing this policy at every level in Chhattisgarh.

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