Empowering the Future: NTRI’s Workshop Equips Tribal Youth with Cutting-Edge Skills for a Brighter Tomorrow

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Nupur Tiwari

New Delhi, July 30, 2024 – The National Tribal Research Institute (NTRI), under the Ministry of Tribal Affairs, organised a workshop titled “Empowering Tribal Youth with New Age Skills” at National Tribal Research Institute , Indian Institute of Public Administration. The objective of the workshop was to equip tribal youths with the new age skills and knowledge which is necessary to succeed in today’s rapidly changing world.

The workshop covered a range of topics, including Learning New Age Skills, Initiatives of Government for Building Entrepreneurial Skills in Youth, Empowering Youth through Entrepreneurship and Vocational Training for a Sustainable Future, Experience Sharing by Tribal Youth Scholars and New Age Entrepreneurs. The sessions was led by experienced professionals and scholars from the Universities, government and non-government organisations, start-up incubators, industry, and successful tribal entrepreneurs.

This workshop is a valuable opportunity for tribal youth to gain the skills and knowledge they need to succeed in the 21st century.

In the inaugural session Chief Guest, Member, National Commission for Scheduled Tribes Shri Nirupam Chakama talked about New Age Skills for tribal youths. He emphasised that Tribal Youths are more capable to adopt new things and challenging environment. He also said that In 2014, the United Nations General Assembly declared the 15th July as World Youth Skills Day. And, stressed on the inclusion of new age skills including computer literacy, data science, artificial intelligence, AI learning and skill enhancement for the tribal youths.

He gave an example of a North East Region where more than 300 tribal youth are participating to enhance their skills, education, and getting training. Director General of Indian Institute of Public Administration Shri Surendar Nath Tripathi, Retd. IAS stressed on need of primary education in local dialects for the tribal and non tribal youths. Every act in life is skill which should be improved, for example communication is also a skill. In the same session Special Director, NTRI, Professor Nupur Tiwary mentioned that the United National General Assembly declared 15th of July as World Skills Day to commemorate the strategic significance of equipping the youth with valuable new age knowledge. She also quoted, Hon’ble Prime Minister Narendra Modi’s statement about skill development of new generation that is a national need and is the foundation of “Aatmanirbhar Bharat”. Further in the inaugural session Vice Chancellor of Kalinga Institute of Social Sciences (KISS) Prof. Deepak Kumar Behera in his special speech also emphasized on adding new age knowledge in tribal areas, especially, communication skills, mobile learning, community involvement, mentorship and vocational programs.

In the technical session of the workshop scholars from different field of study addressed and emphasised the new age skills.

(Special Director, NTRI)

सशक्त जनजातीय युवाओं का नया भारत

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नई दिल्ली, 30 जुलाई, 2024 – जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनटीआरआई) ने राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान में “नए युग के कौशल के साथ आदिवासी युवाओं को सशक्त बनाना” शीर्षक से एक कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य आदिवासी युवाओं को नए युग के कौशल और ज्ञान से लैस करना था, जो आज की तेजी से बदलती दुनिया में सफल होने के लिए आवश्यक है।

कार्यशाला में कई विषयों को शामिल किया गया, जिसमें नए युग के कौशल सीखना, युवाओं में उद्यमशीलता कौशल के निर्माण के लिए सरकार की पहल, एक सतत भविष्य के लिए उद्यमिता और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाना, आदिवासी युवा विद्वानों और नए युग के उद्यमियों द्वारा अनुभव साझा करना शामिल है। सत्रों का नेतृत्व विश्वविद्यालयों, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों, स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर, उद्योग और सफल आदिवासी उद्यमियों के अनुभवी पेशेवरों और विद्वानों ने किया। यह कार्यशाला आदिवासी युवाओं के लिए 21वीं सदी में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्राप्त करने का एक मूल्यवान अवसर है। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य श्री निरुपम चाकमा ने आदिवासी युवाओं के लिए नए युग के कौशल के बारे में बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासी युवा नई चीजों और चुनौतीपूर्ण वातावरण को अपनाने में अधिक सक्षम हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 2014 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस के रूप में घोषित किया था। और, आदिवासी युवाओं के लिए कंप्यूटर साक्षरता, डेटा विज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, एआई सीखने और कौशल संवर्धन सहित नए युग के कौशल को शामिल करने पर जोर दिया।

उन्होंने एक पूर्वोत्तर क्षेत्र का उदाहरण दिया जहां 300 से अधिक आदिवासी युवा अपने कौशल, शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ाने के लिए भाग ले रहे हैं। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक श्री सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी, सेवानिवृत्त आईएएस ने आदिवासी और गैर आदिवासी युवाओं के लिए स्थानीय बोलियों में प्राथमिक शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। इसी सत्र में एनटीआरआई की विशेष निदेशक प्रोफेसर नूपुर तिवारी ने बताया कि युवाओं को बहुमूल्य नए युग के ज्ञान से लैस करने के रणनीतिक महत्व को मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 जुलाई को विश्व कौशल दिवस के रूप में घोषित किया है।

उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कथन का भी हवाला दिया कि नई पीढ़ी का कौशल विकास एक राष्ट्रीय आवश्यकता है और यह “आत्मनिर्भर भारत” की नींव है। उद्घाटन सत्र में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) के कुलपति प्रो. दीपक कुमार बेहरा ने अपने विशेष भाषण में आदिवासी क्षेत्रों में नए युग के ज्ञान को जोड़ने, विशेष रूप से संचार कौशल, मोबाइल लर्निंग, सामुदायिक भागीदारी, मेंटरशिप और व्यावसायिक कार्यक्रमों पर जोर दिया। कार्यशाला के तकनीकी सत्र में अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों के विद्वानों ने संबोधित किया और नए युग के कौशल पर जोर दिया।

नाटक में नवाचार के प्रयोग पर विशेष बल देने की आवश्यकता: प्रोफेसर भरत गुप्त

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बृजेश भट्ट


‘भरतमुनि का नाट्य शास्त्र – परंपरा एवं प्रयोग’ विषय पर कला संकुल में विशेष संगोष्ठी का आयोजन। स्वतंत्रता के बाद सरकारों द्वारा नाटकों के सन्दर्भ में अनदेखी से इस्लामीकरण की पुनरावृति

नई दिल्ली 29 जुलाई 2024: सांस्कृतिक कला केंद्र के रूप में उभरते संस्कार भारती ‘कला संकुल’ में ‘भरतमुनि का नाट्य शास्त्र – परंपरा एवं प्रयोग’ विषय आयोजित संगोष्ठी में प्रसिद्ध शास्त्रीय कलाकार, रंगमंच सिद्धांतकार प्रोफेसर भरत गुप्त को सुनने के लिए कला और साहित्य जगत के महत्वपूर्ण लोग उपस्थित थे।

अपने सम्बोधन में प्रोफेसर भरत गुप्त ने प्राचीन भारतीय नाट्य शास्त्र के महत्वपूर्ण एवं गहन बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत के इस्लामीकरण के उपरान्त अंग्रेजों द्वारा यूरोपियन थिएटर के माध्यम से भारत में नाटक को पुनर्जीवित किया गया परन्तु भारत के इतिहासकारों ने नाटक के साथ न्याय नहीं किया, साथ ही आजादी से लेकर अब तक सरकारों ने इस विषय पर अनदेखी की है ।

प्रोफेसर गुप्त ने बीते सत्तर सालों से सरकारों द्वारा नाटकों की महत्ता को कमतर आंकने का आरोप लगाते हुए पूछा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश में अब तक नाट्यशास्त्र के प्रणेता भरत-मुनि के नाम पर एक भी थिएटर या स्मारक क्यों नहीं बन पाया? जबकि नाट्यविधा में भारत का नाट्य शास्त्र सम्पूर्ण विश्व की प्राचीनतम कलाओं में से एक है।

प्राचीन समय में नाटकों में भाषाई एकीकरण भारतीय परंपरा का उत्कृष्ठ उदाहरण रहा है परन्तु इसके सन्दर्भ में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर विद्वानों में विरोधाभास होने के कारण नाट्य शास्त्रों को अनुकूल सम्मान नहीं मिल पाया। यह पीड़ा प्रोफेसर गुप्त के वक्तब्य में बार बार व्यक्त हुई।

एक प्राचीन भारत और दूसरा अर्बन की दो धाराओं में भारत में नाटक बंट गया है। इन दो धाराओं के बीच बंटे नाटकों को एक करने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रोफेसर गुप्त ने नाटकों में भाषायी एकीकरण के महत्ता को अपने वक्तव्य में रेखांकित किया।

इस गोष्ठी में नाट्य कला विद्यार्थी, प्रोफेसर, नाटककार, रंगकर्मियों के प्रश्नो के साथ प्रश्नोत्तर के लिए भी पर्याप्त समय रखा गया था। प्रोफेसर गुप्त ने सभी सवालों को ध्यानपूर्वक सुना और विस्तार से एक एक प्रश्न का उत्तर दिया।

उल्लेखनीय है सांस्कृतिक कला केंद्र के रूप में स्थापित हो रहे संस्कार भारती ‘कला संकुल’ में प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को होने वाली संगीत, नृत्य, लोक नृत्य, साहित्य, चित्रकला विषयो पर आधारित ‘मासिक संगोष्ठियों की चर्चा अब राजधानी में बौद्धीक वर्ग के बीच होने लगी है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में कला दृष्टि की व्यापकता, कला विषय पर विमर्श, उनकी चुनौतियों के आंकलन एवं भारतीय कला दृष्टि के संयोजन जैसे कला जगत के विभिन्न घटकों को ध्यान में रखते हुए संस्कार भारती पिछले कई वर्षो से दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित कला संकुल में ‘मासिक संगोष्ठियों’ का आयोजन कर रहा है।

विगत संगोष्ठियों में प्रसिद्ध नृत्यकार चित्रकार पद्मश्री राम सुतार, पद्मश्री रंजना गौहर, संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित भरतनाट्यम नृत्यांगना रमा रमा वैद्यनाथन, बाँसुरी वादक पंडित चेतन जोशी, जय प्रभा मेनन, श्री अभय सुपोरी, श्रीमती मीनू ठाकुर, प्रो.चंदन चौबे सहित अनेक मूर्धन्य कलाकार, विद्वानों ने उपस्थिति दर्ज कराई है।

(लेखक संस्कार भारती के मीडिया संपर्क प्रमुख है)

अग्निवीरों को विभिन्न सुरक्षा सेवाओं में आरक्षण, बंद नहीं होगी -अग्निपथ योजना

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अग्निपथ योजना पर विपक्ष फैला रहा अफवाह और रच रहा षड्यंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय के 25 वर्ष पूर्ण करने के अवसर पर द्रास क्षेत्र का दौरा किया। इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने स्पष्ट संकेत दिया कि अग्निपथ योजना फिलहाल बंद नहीं होने जा रही है। इसी के साथ इस अवसर पर भाजपा शासित राज्यों ने अग्निवीरों को आरक्षरण की घोषणा करके विपक्ष के विरोध की धार को कुंद करने का प्रयास किया। लोकसभा चुनावों में अग्निपथ योजना को विपक्ष ने एक बड़ा मुद्दा बनाया था, भारतीय जनता पार्टी के 240 सीटों पर सिमट जाने पर अब विपक्ष अग्निपथ योजना पर अपने को सही सिद्ध मान रहा है और उसके नेता यत्र तत्र इंडी सरकार आने पर इस योजना को समाप्त करने की घोषणा कर रहे हैं । यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर अग्निपथ योजना की प्रमुखता से चर्चा की ।

अग्निपथ योजना का विरोध राजग गठबंधन में शामिल जनता दल (यूनाइटेड) ने भी किया है और इसमें संशोधन करने की मांग कर रखी है। स्मरणीय है कि इस योजना की घोषणा के बाद बिहार में ही सबसे अधिक उपद्रव हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के सभी आरोपों व उनके द्वारा फैलाए गए झूठे नैरेटिव को खारिज करते हुए कहा कि अग्निपथ का उद्देश्य सेनाओं को युद्ध के लिए तैयार रखना है। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के उन दावों को भी खंडन किया कि पेंशन के पैसे बचाने के लिए अग्निपथ योजना प्रारम्भ की गई है। प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद भी विरोधी दल सत्य को अंगीकार करने को तैयार नहीं है। समाजवादी पार्टी के नये नवेले अति उत्साही सांसद अवधेश प्रसाद व अन्य दलों के नेताओ ने कहा कि जब इंडी गठबंधन की सरकार बनेगी तब अग्निपथ योजना को 24 घंटे में बंद कर दिया जायेगा।

उधर प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य आने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी पुलिस और पीएसी में अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की इसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, असम और अरुणांचल प्रदेश आदि राज्यों ने भी अग्निवीरों के लिए पुलिस भर्ती में 10 प्रतिशत आरक्षण देकर युवाओं को बेहद आकर्षक उपहार दिया है और उनके मन से यह डर दूर करने का प्रयास किया है कि सेना में चार साल की सेवा के बाद उनका क्या होगा। विपक्षी दल यही डर दिखाकर भ्रम फैलाते रहे हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले ही केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल की भर्ती में पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। मंत्रालय ने बीएसएफ और सीआईएसएफ में भी अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने सहित ऊपरी आयु सीमा में पांच साल और अन्य बैचों के उम्मीदवारों के लिए तीन साल तक की छूट देने की महत्वपूर्ण घोषणा की है। अग्निपथ योजना में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं के लिए सरकार के पास अभी अन्य अवसर भी हैं जिनकी घोषणा समय आने पर की जाएगी।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 में भारतीय सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना लागू की थी जिसके अंतर्गत थल, जल और वायु सेना में 4 वर्ष के लिए युवाओं को भर्ती किया जाता है जिसमें छह महीने का प्रशिक्षण भी शामिल है। 4 वर्ष की सेवा के बाद अग्निवीरों की रेटिंग तैयार की जायेगी इसी रेटिंग लिस्ट को मानक मानकर 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थायी नियुक्ति दी जायेगी। इस योजना के अंतर्गत 17.5 से 21 वर्ष तक के युवक और युवतियां अपना आवेदन कर सकते हैं।अग्निपथ योजना में भर्ती होने के लिए कक्षा 10 व 12वीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य है।अग्निपथ योजना की अनेक विशेषताएं है। इस योजना में योग्यता व समानता के आधार पर ही भर्ती होगी। सेवा समाप्ति के बाद अग्निवीरों को उनके कौशल के अनुरूप स्किल प्रमाणपत्र दिया जायेगा जिसके आधार पर वह अपना व्यवसाय कर सकते हैं अथवा नौकरी करने जायेंगे तो उस कौशल के लिए प्रशिक्षित होंगे। सेवा के दौरान किसी प्रकार की अनहोनी होने की अवस्था में अग्निवीरों का बीमा भी किया जा रहा है।

विरोधी दल यह अफवाह भी फैला रहे हैं कि अग्निपथ योजना के अंतर्गत बलिदान होने वाले जवानों को पुरस्कृत नहीं किया जायेगा जबकि वास्तविकता यह है कि अग्निपथ योजना के अंतर्गत बलिदान होने वाले जवानों को भी पुरस्कार दिये जायेंगे। योजना के अंतर्गत अग्निवीरों का आरंभिक वेतन 30,000 रुपये प्रतिमाह है जो चौथे साल तक बढ़कर 40,000 तक हो जायेगा। सेवा समाप्ति के चार साल बाद सैनिकों को 10 से 12 लाख रुपये तक दिये जायेंगे जो पूरी तरह से टैक्स फ्री होंगे। विपक्ष यह आरोप भी लगा रहा है कि मात्र छह माह के प्रशिक्षण में ही अग्निवीर कैसे प्रशिक्षित हो सकेगा और देश की सीमाओं की सुरक्षा कर सकेगा, यह आरोप भी पूरी तरह से भ्रामक तथ्यों पर आधारित है।अग्निवीर भी अन्य सैनिकों की तरह ही प्रशिक्षित किया जायेगा ।

विपक्ष यह भी आरोप लगा रहा है कि सरकार ने यह योजना सेना के साथ बिना किसी विचार -विमर्ष के लागू कर दी है यह आरोप भी पूरी तरह से झूठ है। जब पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के समय कारगिल युद्ध हुआ तभी सेना की औसत आयु कम करने की आवश्यकता अनुभव की गई थी और सेना के कमांडरों की बैठक में इस योजना पर व्यापक विचार विमर्ष हुआ था । वर्तमान रक्षा मंत्री ने इस विषय पर विभिन्न हितधारकों के साथ हुई लम्बी और तथ्य परक बैठकों के विषय में सदन में विस्तृत जानकारी दी है।अग्निवीर जैसी योजनाएं इजराइयल सहित कई देशों में लागू हैं।

आज भारत के समस्त विरोधी दल अग्निपथ योजना का विरोध सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत ही कर रहे हैं। इस योजना का विरोध वो लोग कर रहे हैं जिन्होंने कभी सेना व सैनिकों का साथ नहीं दिया है। वो लोग अग्निपथ योजना का उपहास उड़ा रहे हैं जो सेना एयरस्ट्राइक का सबूत मांगते हैं। यह वही लोग हैं जिन्होंने पूर्व दिवंगत थलसेना प्रमुख विपिन चन्द्र रावत को गली का गुंडा कहा था।यह वही लोग हैं जिनके कारण सेना के जवानों के पास बुलेटप्रूफ जैकेट व जूते तक नहीं होते थे किंतु अब जब हमारी सेना हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो रही है तो इनके पेट में दर्द हो रहा है। वो लोग अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं जिनके हाथ बड़े- बड़े रक्षा घोटालों से सने हुए हैं। वो लोग अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं जिनको कारगिल विजय दिवस की उपलब्घि महत्वहीन लगती है। यह वही लोग हैं जिन्होंने 2004 से 2014 तक कारगिल विजय दिवस मनाया ही नहीं। वो लोग अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे हैं जिनके कार्यकाल में सीमा पर आतंकवाद का शिकार सैनिकों के क्षत विक्षत शवों पर कोई संवेदना तक व्यक्त नहीं की जाती थी। वास्तव में इन दलों को डर सता रहा है कि अगर यह योजना सफल हो गई तो बेरोजगारी का मुद्दा उनके हाथ से निकल जायेगा।अनुशासित युवा, सशक्त युवा और प्रशिक्षित युवा इन नेताओ के कहने से चक्का जाम करने नहीं आएगा।

अग्निपथ योजना भारत की सेना व भारत के युवा दोनों के लिए अतिमहत्वपूर्ण है। इससे एक ओर युवाओं के लिए नये अवसर खुल रहे हैं दूसरी ओर आतकंवाद के खतरनाक दौर में देश को अतिरिक्त सैनिक मिल रहे हैं। अग्निपथ योजना के विरुद्ध विपक्ष उसी प्रकार विरोध की मुहिम चला रहा है जिस प्रकार कोविड वैक्सीन के विरुद्ध चलाई थी। केंद्र व राज्य सरकारों ने अग्निवीरों को आरक्षण देकर एक बहुत बड़ा उपहार दिया है और यह भी बताने का प्रयास किया है कि वर्तमान सरकार अग्निवीरों के साथ खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी।

मात्र मोदी विरोध के लिए अग्निपथ योजना का विरोध करने वाले विपक्ष को ये नहीं भूलना चाहिए कि संतानी भारतीय भारत की धरती को अपनी माँ से भी उच्च स्थान देते हुए इसे भारत माँ कहते हैं और भारत की सेना का हिस्सा बनना केवल एक नौकरी मात्र नहीं अपितु देश व समाज की सेवा करने का सशक्त माध्यम माना जाता है। सेना से सेवानिवृत्त हो जाने के बाद भी सैनिकों में मन में देश सेवा करने के लिए अप्रतिम स्थान होता है। सच तो यह है कि अग्निवीर योजना जैसे- जैसे आगे बढ़ेगी, अग्निवीर सामर्थ्यवान होकर घर लौटेंगे वैसे वैसे विपक्ष के झूठ धराशायी होता जाएगा।

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