डॉक्टर हेडगेवार जी ने राष्ट्र के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया – दत्तात्रेय होसबाले

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि संघ की आधारशिला रखने वाले डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी एक समग्र राष्ट्रीय सोच वाले व्यक्ति थे। राष्ट्रभक्ति की भावना उनके अंदर जन्मजात थी। राष्ट्र के लिए उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। आज की पीढ़ी उनकी देशभक्ति और राष्ट्रीय विचारों से प्रेरणा लेती है। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी संघ संस्थापक प्रथम सरसंघचालक डॉक्टर हेडगेवार जी की जीवनी ‘Man of the Millennia: Dr Hedgewar’ के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के माननीय राज्यपाल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) एस अब्दुल नजीर मुख्य अतिथि थे। सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के मूल मराठी लेखक नाना पालकर थे जिसका अंग्रेजी में अनुवाद स्वर्गीय डॉक्टर अनिल नैने ने किया है।

सरकार्यवाह जी ने कहा कि डॉक्टर साहब ने जिस विचारधारा से संघ खड़ा किया आज दुनिया के अनेक संस्थान उसका अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संघ को समझने के लिए संघ को दूर से नहीं बल्कि नजदीक से देखिए, समझ में आए तो रहो वरना चले जाओ। संघ को समझने के लिए व्यक्ति को दिमाग के साथ दिल की भी जरूरत पड़ती है क्योंकि इसके कार्यकर्ता राष्ट्र सर्वोपरि की भावना के साथ कार्य करते हैं।

माननीय दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि यह पुस्तक डॉक्टर साहब के संपूर्ण जीवन और उनकी कार्यशैली को समझने के लिए बहुत मह्तवपूर्ण साबित होगी। उन्होंने कहा कि डॉक्टर साहब ने संघ में मैं नहीं हम की परंपरा का विकास किया और एक ऐसी टीम खड़ी की जिसकी पहली प्राथमिकता और कार्यशैली में समाज उत्थान, राष्ट्रीय स्वाभिमान और व्यक्ति निर्माण शामिल था। डॉक्टर साहब ने संघ की स्थापना के उपरांत कहा कि यदि मेरे अंदर कोई दोष दिखाई दे तो मेरे स्थान पर अन्य व्यक्ति का चुनाव आप कर सकते हैं। मैं उनके साथ भी इसी राष्ट्रीय भावना के साथ काम करूंगा। होसबाले जी ने कहा कि डॉक्टर हेडगेवार जी सयंमी, धैर्यवान, समर्पित, संवेदनशील और समाज के मनोविज्ञान को समझने वाले व्यक्तित्व के धनी थे।

मुख्य अतिथि आंध्र प्रदेश के राज्यपाल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) एस अब्दुल नजीर ने कहा कि डॉक्टर हेडगेवार जी ने जिस संगठन की नींव रखी थी आज सारी दुनिया उसके कामों से प्ररेणा ले रही है।

भूगोल बांटता है और संस्कृति जोड़ती है – डॉ सच्चिदानंद जोशी

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डॉ तोमियो मिजोकामी जी के स्वागत में प्रवासी भवन में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी सांस्कृतिक कला केन्द्र के सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि डॉ तोमियो मिजोकामी जी के व्यक्तित्व से यह उक्ति चरितार्थ होती है कि भूगोल बांटता है और संस्कृति जोड़ती है।

दिनांक 27 फरवरी , 2024 को अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद और वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा प्रवासी भवन , दीनदयाल उपाध्याय मार्ग में डॉ तोमियो मिजोकामी के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया । संदर्भ था डॉ वेदप्रकाश सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ‘ डॉ तोमियो मिजोकामाी – व्यक्तित्व और कृतित्व ‘ । कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गाँधी कला केन्द्र के निदेशक डॉ सच्चिदानंद जोशी ने की । कार्यक्रम में वरिष्ठ विद्वान डॉ अशोक चक्रधर, डॉ रविंद्र कुमार, अनिल जोशी, नारायण कुमार, डॉ हरजेन्द्र चौधरी , पुस्तक के लेखक डॉ वेद प्रकाश सिंंह , सुश्री जया वर्मा , डॉ सुरेश ऋतुपर्ण ने भी अपने विचार व्य्क्त किए । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कथाकार – कवियत्री अलका सिन्हा ने किया । कार्यक्रम का संयोजन वैश्विक हिंदी परिवार दिल्ली के संयोजक श्री विनयशील चतुर्वेदी द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए डॉ मिजोकामी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण संस्मरण साझा किए । उन्होंने विशेष रूप से प्रसिद्द गायिका शुभा मुद्गल और जाापनी विद्यार्थियों से देश – विदेश में हिंंदी नाटक करवाने संबंधी अपने संस्मरण साझा किए । उनके संस्मरण रोचक , दिलचस्प और प्रेरक थे। पुस्तक के लेखक डॉ वेद प्रकाश सिंह ने पुस्तक के निर्माण की प्रक्रिया की जानकारी दी और उसमें भारतीय कोंसलावास से मिले सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ सच्दिानंद जोशी ने डॉ मिजोकामी को भारत और जापान के बीच सेतु बताया । डॉ अशोक चक्रधर ने हिंदी के अंतरराष्ट्रीय विकास में उनके महत्व को रेखांकित किया । दिल्ली विश्वविद्यालय के पंजाबी विभाग के डॉ रविन्द्र ने उनकाी बहुभाषिकता और विभिन्न विधाओं पर अधिकार के संबंध में विशेष रूप से बताया । लेखक अनिल जोशी ने कहा कि वे इस समय हिदी के अंतरराष्ट्रीय शिखर व्यक्तित्व हैं। वे भाषा के प्रति प्रतिबद्ध ही नहीं है, वे भाषा को जीते हैं , इसलिए उनकी भाषा और जीवन में अंतर नहीं। वरिष्ठ लेखक डॉ हरजेन्द्र चौधरी ने इस अवसर पर उनके द्वारा लिखी कहानियों का विशेष उल्लेख किया। नारायण कुमार जी ने बताया कि डॉ तोमियो मिजोकामी जी की पुस्तक की भूमिका तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने की । सुश्री जया वर्मा ने डॉ मिजोकामी जी के वैश्विक योगदान की प्रशंसा की । कथाकार अलका सिन्हा ने उनकी मासूमियत का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें भारत की भाषा और परिधान बचपन से ही पसंद था। वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी उन्हें सम्मानित कर एक महत्वपूर्ण कार्य किया है। बरूण कुमार जी ने भारत और जापान के बीच के पारस्परिक संबंधों को सुदृढ़ करने में उनके योगदान की सराहना की । डॉ सुरेश ऋतुपर्ण ने इस अवसर पर जापान के अपने संस्मरण साझा किए।

कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय में जापानी भाषा की प्रमुख सुश्री उनीता सच्चिदानंद, जवाहर लाल विश्वविद्यालय में जापानी भाषा की सुश्री तनुश्री , गगनांचल के संपादक श्री रविशंकर , दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ शैलजा , डॉ दीपमाला, डॉ राजेश गौतम , डॉ राजकुमार , डॉ विवेक शर्मा , डॉ गुरप्रीत , शैलेन्द्र , व विभिन्न कालेजों के शोध विद्यार्थियों ने भाग ल

1 मार्च 1924 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी गोपीनाथ साहा का बलिदान

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क्रूर और दुष्ट अंग्रेज अधिकारी चार्ल्स ट्रेगार्ट को मौत के घाट उतारने का प्रयास

–रमेश शर्मा

पराधीनता के दिनों में कुछ अंग्रेज अधिकारी ऐसे थे जो अपने क्रूरतम मानसिकता के चलते भारतीय स्वाधीनता सेनानियों से अमानवीयता की सीमा भी पार जाते थे । बंगाल में पदस्थ ऐसा ही अधिकारी चार्ल्स ट्रेगार्ट था । जिसे मौत के घाट उतारने का निर्णय सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी गोपीनाथ साहा ने लिया । समय पर हमला बोला वह बच गया लेकिन एक अन्य नागरिक मारा गया जिस आरोप में साहा को फाँसी दी गई ।

यह घटना 1924 की है । बंगाल ही नहीं देश के विभिन्न भागों में क्राँतिकारी चरम पर था । अंग्रेज सरकार ने क्राँतिकारी आँदोलन का पूरी तरह दमन करने की रणनीति अपनाई इसके लिये खुफिया तंत्र मजबूत किया तथा कुछ विश्वासघात तलाश किये । जिनके माध्यम से पकड़े गए क्राँतिकारियों के साथ क्रूरतम व्यवहार करके जानकारी प्राप्त करने का अभियान चलाया । इसी रणनीति के अंतर्गत चार्ल्स टेगार्ट को बंगाल खुफिया विभाग के प्रमूख के रूप में पदस्थापना हुई । इसने पकड़ धकड़ शुरु की । सूचना ही नहीं संदेह के आधार पर पकड़े गए लोगों के साथ भी अमानुषिक व्यवहार करके जानकारी उगलवाने का प्रयास करता । विशेषकर महिला क्राँतिकारियों के साथ तो ऐसा व्यवहार करता था जिसका वर्णन तक नहीं किया जा सकता । अततः क्राँतिकारियों की संस्था युगान्तर पार्टी ने इस अधिकारी को रास्ते से हटाने का निर्णय लिया और यह काम क्राँतिकारी गोपीनाथ साहा को सौंपा।

गोपीनाथ साहा का जन्म पश्चिम बंगाल में हुगली जिला अंतर्गत ग्राम सरामपुर में 16 दिसम्बर 1901 को हुआ था । पिता विजय कृष्ण साहा का परिवार क्षेत्र में प्रतिष्ठित था । घर में भारतीय संस्कार और स्वाभिमान संपन्न जीवन का वातावरण था । बालक गोपीनाथ को आधुनिक शिक्षा के लिये विद्यालय भेजा । पर किशोर व्यय से ही सामाजिक जागरण की गतिविधियों से जुड़ गये । परिवार से संबंधित थे । उनका झुकाव क्राँतिकारी आँदोलन के प्रति था । उनका संपर्क भी बढ़ा। तभी1921 में असहयोग आंदोलन आरंभ हुआ। युवा गोपीनाथ इससे जुड़ गए। लेकिन चौरी चौरा काँड के बाद गाँधी जी ने आँदोलन वापस ले लिया । इससे गोपीनाथ सहित युवाओं की पूरी टोली निराश हुई । और गोपीनाथ अपने पुराने मित्र देवेन डे, हरिनारायण और ज्योशि घोष के माध्यम से ‘युगान्तर दल’ में सक्रिय हो गए। उन्हीं दिनों कलकत्ता पुलिस की गुप्तचर शाखा प्रमुख के रूप में चार्ल्स टेगार्ट की पदस्थापना हुई । उसने क्रान्तिकारी आन्दोलन को सख्ती से दमन करने का अभियान चलाया और देशभक्तों पर बहुत ज़ुल्म ढाने लगा उसकी कार्यवाही पर न कोई अपील होती न कोई दलील । उसने संदेह के आधार पर भी अनेक लोगों को फाँसी पर चढ़ा दिया । इसके अतिरिक्त जिन लोगों का क्रान्तिकारियों से जुड़े होने का संदेह होता तो उनके परिवारों की महिलाओं के साथ भी नीचता की सीमा तक अमानुषिक व्यवहार करता था । तब ‘युगान्तर दल’ ने टेगार्ट का काम तमाम करने का निर्णय लिया और यह काम गोपीनाथ साहा को सौंपा।

गोपीनाथ साहा ने ट्रेगार्ट की गतिविधियों का अध्ययन किया और 12 जनवरी 1924 को चौरंगी रोड पर टेगार्ट को निशाना बनाने की योजना बनाई । वे इस मार्ग पर घात लगाकर बैठै और एक अंग्रेज को ट्रेगार्ट समझकर फायर किया । दुर्योग से ट्रेगार्ट ने एन बक्त पर अपना कार्यक्रम बदल लिया था और ट्रेगार्ट के स्थान पर उसका सहयोगी अर्नेस्ट डे आया । क्राँतिकारी गोपीनाथ ने उसे ट्रेगार्ट समझकर फायर कर दिया । अर्नेस्टम मारा गया । गोपीनाथ साहा ने भागने का प्रयत्न किया लेकिन पुलिस ने पीछा पकड़ लिया । उन पर मुक़द्दमा चला । 21 जनवरी 1924 को कोर्ट में पेश हुये उन्होंने बड़ी बहादुरी से अपना कृत्य स्वीकार किया और हिम्मत के साथ दो टूक शब्दों इस बात पर अफसोस जताया कि उनके हाथ से ट्रेगार्ट बच गया । लेकिन यह भी कहा कि मुझे विश्वास है कि कोई न कोई क्रान्तिकारी मेरी इच्छा अवश्य पूरी करेगा। अदालत ने उनके इस बयान पर 16 फरवरी को उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई। सजा सुनकर वे वे खिलखिलाकर हँसे और बोले मैं फाँसी की सज़ा का स्वागत करता हूँ। मेरी इच्छा है कि मेरे रक्त की प्रत्येक बूंद भारत के प्रत्येक घर में आज़ादी के बीज बोए। एक दिन आएगा जब ब्रिटिश हुक़ूमत को अपने अत्याचारी रवैये का फल भुगतना ही पड़ेगा। और 1 मार्च 1924 को उन्हें फाँसी पर लटका दिया गया। तब उनकी आयु केवल 23 वर्ष की थी ।

स्वतंत्रता के क्राँतिकारी संघर्ष में अपना बलिदान देने के एक दिन पूर्व उन्होंने अपनी माँ को एक पत्र लिखा; तुम मेरी माँ हो यही तुम्हारी शान है। काश! भगवान हर व्यक्ति को ऐसी माँ दे जो ऐसे साहसी सपूत को जन्म दे। गोपीनाथ साहा ने जितने साहस और संकल्प से अपना बलिदान दिया इतिहास में उनका उल्लेख उतना ही कम है ।
शत शत नमन् ऐसे वीर क्राँतिकारी को

आज की चुप्पी, कल की बर्बादी

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गौतम कुमार सिंह

२०२० उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे 23 फरवरी 2020 की रात से शुरू होकर, उत्तर पूर्व दिल्ली के जाफराबाद इलाके में रक्तपात, संपत्ति विनाश, दंगों और हिंसक घटनाओं की एक श्रृंखला थीं। इसमें 53 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोग घायल हुए है।दिल्ली दंगे के दौरान गोकुलपुरी थाना क्षेत्र में मेन ब्रजपुरी रोड चमन पार्क स्थित मिठाई के गोदाम में युवक दिलबर नेगी की आग लगाकर की गई हत्या के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने 11 लोगों को आरोप मुक्त कर दिया है. इन लोगों के खिलाफ आगे मुकदमा चलाने लायक समुचित साक्ष्य नहीं मिले. केवल एक आरोपी शाहनवाज उर्फ शानू के खिलाफ हत्या, आगजनी समेत कई आरोप तय किए गए हैं. देश की राजधानी दिल्ली के दामन पर कई बार दंगों के दाग लग चुके हैं. पिछले 10 सालों में इस पर नजर डालें तो 100 से अधिक ऐसे मामले सामने आए, जिसमें सांप्रदायिक दंगे भी शामिल हैं.

1984 के सिख दंगों के बाद दिल्ली में सबसे बड़ा सांप्रादायिक दंगा 2020 में हुआ था. 84 के सिख दंगों में 3 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी. वहीं 2020 में कुल 53 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें एक पुलिस कॉस्टेबल भी शामिल था.

दरअसल, दिलबर उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल के रोखड़ा गांव का रहने वाला था. वह घटना से 6 महीने पहले यहां आया था, जिस वक्त उसकी हत्या की गई, वह खाना खा रहा था. 11 आरोपियों को बरी करते समय कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान पर गौर किया और पाया कि उनमें से सभी 22 साल के दिलबर नेगी की हत्या की घटना से सीधे तौर पर संबंधित नहीं थे.

कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग समय के दंगों के वीडियो में कई आरोपियों की पहचान की गई थी, लेकिन इन 2 चश्मदीदों में से किसी ने भी वीडियो के आधार पर उनकी पहचान नहीं की. जिससे यह कहा जा सके कि ये आरोपी गोदाम में आग लगने से ठीक पहले गोदाम में एंट्री करते वक्त शानू के साथ थे. इसलिए शानू उर्फ शाहनवाज को छोड़कर अन्य आरोपी इस मामले में आरोपमुक्त किए जाने के हकदार हैं.

दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में नौ लोगों को दोषी ठहराया है। अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्ति एक अनियंत्रित भीड़ का हिस्सा थे। इस भीड़ का उद्देश्य हिंदू समुदाय के लोगों की संपत्तियों को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाना था। यह मामला दंगों के दौरान गोकुलपुरी इलाके में दंगे, आगजनी और तोड़फोड़ से संबंधित है। मामले में फैसला सुनाते हुए, अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोपी व्यक्ति एक अनियंत्रित भीड़ का हिस्सा बन गए थे, जो सांप्रदायिक भावनाओं से प्रेरित थी।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019, 11 दिसंबर 2019 को संसद ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पारित कर दिया। राज्यसभा ने इसे 11 दिसंबर 2019 को पारित किया (पीआईबी लिंक) तथा लोकसभा ने 9 दिसंबर 2019 को विधेयक पारित किया।

नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करने के लिए यह नागरिकता संशोधन विधेयक पहले 2016 में भी लोकसभा में पेश किया गया था। तब इस विधेयक को एक संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट बाद में 7 जनवरी, 2019 को प्रस्तुत की गई थी। 8 जनवरी, 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा द्वारा पारित किया गया लेकिन 16वीं लोकसभा के विघटन के कारण वह विधेयक स्वतः समाप्त हो गया। इस विधेयक को 9 दिसंबर 2019 को 17वीं लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा फिर से पेश किया गया। भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक अधिनियम बन गया।

इस अधिनियम में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। इस विधेयक का उद्देश्य किसी की नागरिकता छीनना नहीं बल्कि देना है।

राष्ट्रव्यापी विरोध इस विधेयक को लेकर अफवाहें उड़ाई गईं कि सीएए के बाद मुस्लिम अपनी नागरिकता खो देंगे। कई लोगों ने यह अफवाह भी फैलाई कि सीएए लागू होने के बाद मुसलमानों को डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा। विधेयक पारित होते ही देश में सीएए विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गया। पूरे देश से कई विरोध प्रदर्शनों की खबरें आईं लेकिन दिल्ली विरोध का प्रमुख केंद्र बन गया।

न्यायालय की टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी मोहम्मद इब्राहिम की जमानत अर्जी खारिज करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि 2020 के दंगे पूर्व नियोजित थे।

पैरा 41- “फरवरी 2020 में देश की राष्ट्रीय राजधानी को हिला देने वाले दंगे स्पष्ट रूप से तात्कालिक नहीं थे, और वीडियो फुटेज में मौजूद प्रदर्शनकारियों का आचरण अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड पर रखा गया है वह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यह सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर में लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने का एक सोचा-समझा प्रयास था। सीसीटीवी कैमरों को व्यवस्थित रूप से डिसकनेक्ट करना और नष्ट करना भी शहर में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की पूर्व नियोजित साजिश की पुष्टि करता है। यह इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि असंख्य दंगाई पुलिस अधिकारियों की संख्या से कहीं अधिक संख्या में मौजूद लोगों पर बेरहमी से लाठी, डंडा, बल्ला आदि लेकर टूट पड़े।”

पैरा 42- “… इस न्यायालय ने पहले लोकतांत्रिक राजनीति में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्व पर राय दी है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दुरुपयोग इस तरह से नहीं किया जा सकता है जो सभ्य समाज को अस्थिर करने का प्रयास करके उसके मूल ढांचे को खतरे में डालता है और अन्य व्यक्तियों को चोट पहुंचाते हैं.

दिनांक 11.04.2022 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, कड़कड़डूमा अदालत ने अदालत के समक्ष एसपीपी द्वारा रखे गए प्रासंगिक सबूतों के आधार पर आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी। एसपीपी ने अदालत में कहा कि, संरक्षित गवाह बॉन्ड ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में अन्य बातों के अलावा कहा है कि उमर खालिद, शरजील, सैफुल इस्लाम और आसिफ तन्हा 13.12.2019 को जामिया विश्वविद्यालय परिसर में आए थे। उनकी मौजूदगी में उमर खालिद ने सभी प्रदर्शनकारियों के सामने कहा कि शरजील, सैफुल और आसिफ उनके भाई और उनकी टीम के सदस्य हैं। उमर खालिद ने कहा कि उन्होंने उन्हें चक्काजाम और धरने में अंतर समझाया है। उमर ने शरजील को शाहीन बाग में और आसिफ और सैफुल को जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 7 पर चक्काजाम करने के लिए कहा। उमर खालिद ने कहा कि सही समय पर वे दिल्ली के अन्य मुस्लिम इलाकों में भी चक्काजाम करेंगे। उमर ने आगे कहा कि सरकार एक हिंदू सरकार है और मुसलमानों के खिलाफ है और उन्हें सरकार को उखाड़ फेंकना होगा और सही समय पर ऐसा करेंगे। 16.12.2019 को, उमर खालिद (सैफुल और आसिफ के साथ) और नदीम खान AAJMI के कार्यालय में आए और उनकी उपस्थिति में, उमर ने सैफुल और आसिफ से कहा कि जामिया समन्वय समिति (JCC) की स्थापना की जाए। नदीम खान ने कहा कि जेसीसी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन और चक्काजाम का नेतृत्व करेगी। आसिफ और सैफुल उक्त सुझावों पर सहमत हुए और जेसीसी का गठन किया गया।

आरोपी शरजील के संदर्भ में एसपीपी ने यह भी उल्लेख किया कि, यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि सीएए/एनआरसी का विरोध पूरे भारत में हुआ था लेकिन इस पैमाने के दंगे केवल दिल्ली में हुए थे। शरजील इमाम 13.12.2019 के अपने भाषण में दिल्ली को भारत की राजधानी होने का जिक्र करता है और उदाहरण देता है कि अगर एक फ्लाईओवर भी गिर गया तो पूरी दुनिया को पता चल जाएगा। इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 24 फरवरी 2020 को दिल्ली का दौरा करना था। उसी दिन दंगे हो रहे थे जब संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति दिल्ली में थे और पूरी दुनिया की मीडिया इसे कवर करने के लिए वहां मौजूद थी। आरोप पत्र से यह महज़ संयोग प्रतीत नहीं होता। दरअसल, दंगे शुरू होने से पहले राष्ट्रपति के दौरे का जिक्र है। आरोपी उमर खालिद ने अपने अमरावती भाषण में विशेष रूप से 24 फरवरी 2020 को दिल्ली में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति की उक्त यात्रा का उल्लेख किया और इसे चारों ओर के मीडिया के साथ दुनिया को दिखाने की आवश्यकता बताई। विभिन्न गवाहों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति की यात्रा की घोषणा के बाद बढ़ी हुई गतिविधि का भी उल्लेख किया। शरजील इमाम 23.01.2020 के अपने गया भाषण में फिर से दिल्ली में राजमार्गों की रुकावट का जिक्र करते हुए कहता है कि वे सरकार को पंगु बना देंगे। पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए वह एक दिलचस्प संदर्भ देता हैं। उसका कहना है कि दिल्ली खास है क्योंकि यहां कुछ भी होगा तो पांच मिनट में अंतरराष्ट्रीय मीडिया पहुंच जाएगा, फायरिंग मीडिया में कवर हो जाएगी और इस तरह अगर सेना तैनात करनी पड़ी तो यह सरकार का अपमान होगा, मुसलमानों का नहीं। यह भी जोड़ना होगा कि जेसीसी, पिंजरा तोड़ और डीपीएसजी जैसे विभिन्न संगठन भी मूलतः दिल्ली के आयोजनों तक ही सीमित थे।

एसपीपी द्वारा रखे गए प्रासंगिक सबूतों के आधार दिनांक 24.03.2022 को दिए आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, कड़कड़डूमा अदालत ने आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी। एसपीपी ने कहा कि, आरोप पत्र के अनुसार, 08.12.2019 को जंगपुरा कार्यालय में एक बैठक हुई, जिसमें योगेंद्र यादव, उमर खालिद, शरजील सहित अन्य लोगों ने भाग लिया। उक्त बैठक की एक तस्वीर भी दायर की गई थी। गवाह ताहिरा दाउद ने उक्त बैठक और चक्काजाम में पूर्ण समर्थन को लेकर योगेन्द्र यादव व उमर खालिद के निर्देश की बात कही थी। परिणामस्वरूप उसी दिन एक व्हाट्सएप ग्रुप “कैब टीम” का गठन किया गया। इसके सदस्यों में शरजील इमाम, उमर खालिद, योगेन्द्र यादव, नदीम खान, खालिद सैफी शामिल थे।

24 और 25 फरवरी 2020 के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के दौरे पर थे। विश्व की सारी मीडिया का ध्यान दिल्ली पर था। ताहिर हुसैन, उमर खालिद, सरजील इमाम, खालिद सैफी और अन्य इस्लामिस्ट एवं शहरी नक्सलियों द्वारा एक साजिश रची गई थी। दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा कि ट्रंप के दौरे के दौरान भारत को बदनाम करने के लिए ताहिर हुसैन, उमर खालिद ने दंगों की साजिश रची थी। आरोपपत्र के मुताबिक उमर खालिद ने वैश्विक प्रचार के लिए डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान दिल्ली दंगों को भड़काने की साजिश रची थी।
आरोप पत्र में आरोप लगाया गया, “साजिशकर्ताओं ने जो साजिश रची थी उसका अंतिम उद्देश्य था षड्यंत्र, आंतक एवं सांप्रदायिक हिंसा के इस्तेमाल से एक वैध रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकना।” “अगर साजिशकर्ता पूरी तरह से सफल हो गए होते, तो सरकार की नींव हिल गई होती, जिससे भारतीय लोगों को अनिश्चितता, अव्यवस्था और अराजकता का सामना करना पड़ाता तथा नागरिकों का राज्य से यह विश्वास उठ जाता कि राज्य उनके जीवन और संपत्ति की रक्षा कर सकता है।”
दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट को बताया कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहा प्रदर्शन प्राकृतिक या स्वतंत्र आंदोलन नहीं था। पुलिस ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) शाहीन बाग और विभिन्न स्थानों के पीछे थे।
दिल्ली में हिंसा भड़काने में षड्यंत्र एवं व्यक्तियों की भूमिका निर्धारित करने के लिए मामले की पुलिस जांच में इस बात के पर्याप्त साक्ष्य सामने आए हैं जो बताते है कि भारत की राजधानी को दहलाने वाले दंगे पूर्व-नियोजित थे, बड़े पैमाने पर योजनाबद्ध थे और एक व्यापक साजिश का हिस्सा थे। आरोपपत्र में उल्लिखित एक आरोपी के फोन से प्राप्त व्हाट्सएप संदेश बिना किसी संदेह के दिल्ली में दंगे भड़काने की साजिश की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने में उनकी संलिप्तता को साबित करता है। “घर में गरम खौलता हुआ पानी और तेल का इंतजाम करें, तेजाब की बोतल घर में रखे, कार-बाइक से पेट्रोल निकालकर रखे, बॉलकनी और छत पर ईंट-पत्थर रखें, लोहे के दरवाजों में स्विच से करंट का इस्तेमाल करें” ये कुछ वे मेसेज हैं जो दिल्ली में हिंसा की तैयारी के तहत व्हाट्सएप ग्रुपों में प्रचारित किए गए।

ये कानून का लेखन थोड़ा मुश्किल है, लेकिन विवरण थोड़ा है। लेकिन दंगा पीड़ित और जो लोग जिनको इन सब बातों से और अनलोगो के आंख में आंसू, बेगुनाह लोग ।

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