आवासीय निर्माण के क्षेत्र में आगे बढ़ता भारत

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भारत में किसी परिवार के पास रहने के लिए यदि अपनी छत है तो इसे उस परिवार की समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। आर्थिक समृद्धि के शुरुआती दौर में केवल अपनी छत होने को ही उस परिवार विशेष के लिए आर्थिक सफलता का एक पैमाना माना जाता है। परंतु, धीरे धीरे वह परिवार आर्थिक तरक्की करते करते इस स्तर पर पहुंच जाता है कि उसे इस छोटे से मकान के स्थान पर सर्वसुविधा युक्त एक बड़े मकान की आवश्यकता महसूस होने लगती है। इस प्रकार का आर्थिक विकास किसी भी देश के लिए शुभ माना जा सकता है। हाल ही के समय में भारत में भी यह सब होता हुआ दिखाई दे रहा है। अभी हाल ही में दिल्ली के पास गुरुग्राम में एक सर्वसुविधा युक्त आवासीय प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी। इस आवासीय प्रोजेक्ट में 7,200 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले 1113 फलैट्स मात्र 3 दिन में ही बिक गए थे। यह भारत की आर्थिक सम्पन्नता को दर्शाता है। वैसे भी भारत में मकान खरीदने को एक ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देखा जाता है और इसे भावनात्मक अनुभव एवं वित्तीय सुरक्षा की गारंटी माना जाता है। इस दृष्टि से भारत में आवासीय निर्माण के लिए वर्ष 2023 एक अति सफल वर्ष साबित हुआ है और इसके आधार पर यह कहा जा रहा है कि वर्ष 2024 इससे भी अधिक बढ़िया वर्ष साबित होने जा रहा है।

विदेशी आक्रांताओं एवं अंग्रेजों द्वारा भारत को पिछले 1000 से अधिक वर्षों के दौरान लूटा खसोटा गया है। अब जाकर भारत का पुनर्निर्माण काल प्रारम्भ हुआ है। अभी तक भारतीय नागरिकों का लक्ष्य अपने सर पर छत होना अधिक महत्वपूर्ण कार्य था परंतु अब इसे सर्वसुविधा युक्त आवास के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। भारत को मिली राजनैतिक स्वतंत्रता के बाद के समय से विभिन्न सरकारों द्वारा देश में पब्लिक हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रारम्भ किए गए थे। इन प्रोजेक्ट के माध्यम से विभिन्न सरकारों द्वारा नागरिकों के लिए घर बनाकर उपलब्ध कराए जाते रहे हैं। साथ ही, बाद के खंडकाल में सरकारों द्वारा देश में भूमि सुधार कार्यक्रम भी लागू किए गए ताकि खाली पड़ी जमीन को शहरों में रिहायशी इलाकों के तौर पर विकसित किया जा सके। इन भूमि सुधार कार्यक्रमों को लागू करने के बाद निजी क्षेत्र में भी रिहायशी मकानों को बनाने की अनुमति प्रदान की गई। इसके बाद से तो देश में सर्व सुविधा युक्त आवासीय प्रोजेक्ट की जैसे बाढ़ ही आ गई। इन विभिन्न प्रोजेक्ट के अंतर्गत निर्मित होने वाले सर्व सुविधा युक्त मकान हाथो हाथ बिकने भी लगे। अब तो देश में बड़े बड़े रिहायशी मकान के प्रोजेक्ट, सूचना प्रौद्योगिकी पार्क, शॉपिंग माल्स आदि भारी मात्रा में विकसित किए जा रहे हैं। अब तो अति महंगे एवं बड़े आकार के फलैट्स भी भारत में आसानी से हाथों हाथ बिकने लगे हैं। वर्ष 2024 आते आते भारत का रियल एस्टेट बाजार अब पूरे विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ता बाजार बन गया है। आज भारत के समस्त बड़े महानगरों में एक बात सामान्य सी नजर आती है कि यहां बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। वर्ष 2023 में भारत का रियल एस्टेट बाजार लगभग 26,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर का था जो 2030 में बढ़कर एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाने वाला है और 2047 तक 5.8 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का।

वर्तमान में रियल एस्टेट बाजार भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत का योगदान करता है एवं इस क्षेत्र में 5 करोड़ नागरिकों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। रियल एस्टेट क्षेत्र के आगे बढ़ने से विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े अन्य कई उद्योगों को भी बढ़ावा मिलता है। जैसे सीमेंट उद्योग, स्टील उद्योग, ग्लास उद्योग, आदि। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2047 तक रियल एस्टेट बाजार का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 15 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।

भारत में वर्ष 2022 में 3.27 लाख करोड़ रुपए की कीमत के मकान बेचे गए थे एवं वर्ष 2023 में 4.5 लाख करोड़ रुपए की कीमत के मकान बेचे गए। इस प्रकार वर्ष 2023 में इस क्षेत्र में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की गई है। इस क्षेत्र में मांग बहुत अधिक तेज बनी हुई है। भारत में रिहायशी मकानों की दृष्टि से सबसे बड़े 7 बाजार हैं – मुंबई, दिल्ली एनसीआर, बंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, एवं पुणे। यह भारत के सबसे बड़े महानगर भी माने जाते हैं।

भारत में रिहायशी मकानों के बिक्री में इतनी अधिक वृद्धि दर इसलिए दर्ज हो रही है क्योंकि भारत में आर्थिक विकास ने तेज गति पकड़ ली है। गरीब वर्ग, मध्यम वर्ग बन रहा है तो मध्यम वर्ग अमीर वर्ग। इसलिए महंगे महंगे फलैट्स की मांग अधिक तेजी से बढ़ रही है। दूसरे, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी ब्याज दरों को पिछले लम्बे समय से स्थिर रखा हुआ है। साथ ही, भारत में मुद्रा स्फीति की दर भी अब घटने लगी है। भारत के मध्यम वर्ग की आय बढ़ी है और वे रियल एस्टेट में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। केंद्र सरकार भी नागरिकों को इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहन दे रही है। आय कर की दरें कम की गई हैं। नए मकान खरीदने वालों को केंद्र सरकार की ओर से सब्सिडी दी जा रही है। “स्कीम फोर अफोर्डबल हाउस” लागू की गई है। परंतु, भारत में केवल अफोर्डबल मकान ही नहीं खरीदे जा रहे हैं बल्कि अब नागरिक सर्वसुविधा युक्त महंगे मकानों में भी निवेश कर रहे हैं। किसी मकान की कीमत 1.5 करोड़ रुपए से अधिक होने पर उसे सर्वसुविधा युक्त मकान की श्रेणी में गिना जाता है एवं मुंबई में 2.5 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत वाले मकान को सर्व सुविधा युक्त श्रेणी के मकान में गिना जाता है। भारत में वर्ष 2023 में सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री 130 प्रतिशत बढ़ गई हैं। भारत में वर्ष 2022 में 3000 सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री हुई थी जबकि वर्ष 2023 में 6900 सर्वसुविधा युक्त मकानों की बिक्री हुई है।

जिन रिहायशी मकानों की कीमत 40 करोड़ रुपए से अधिक होती है उन्हें अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न रिहायशी मकान की श्रेणी में गिना जाता है। वर्ष 2023 में इन मकानों की बिक्री 200 प्रतिशत बढ़ गई है। देश के 7 महानगरों में लगभग 600 अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न मकान भारत में बिके हैं। यह दर्शाता है कि भारत में अति समृद्ध नागरिकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में करोड़पति (मिलिनायर) नागरिकों की जनसंख्या 69 प्रतिशत बढ़ गई है। अल्ट्रा हाई नेटवर्थ (3 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की आय) नागरिकों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार भारत में अगले तीन वर्षों में अल्ट्रा हाई नेटवर्थ नागरिकों की संख्या 19000 होने जा रही है। इस श्रेणी के नागरिक अल्ट्रा सर्वसुविधा सम्पन्न मकान चाह रहे हैं। इसी प्रकार कार्यालय के लिए स्थान, मॉल के लिए स्थान, ई-कामर्स कम्पनियों को अपना स्टॉक रखने के लिए बहुत बड़े आकर के गोडाउन की आवश्यकता भी भारत में अब लगातार बढ़ रही है। इस तरह के निर्माण में विदेशी निवेशक भी अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। वर्ष 2023 के प्रथम 6 माह में विदेशी निवेशकों ने 400 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निजी निवेश भारत में किया है। इसमें से आधा यानी 200 करोड़ अमेरिकी डॉलर रियल एस्टेट के क्षेत्र में किया गया है। विदेशी निवेशक अब चीन में अपना निवेश घटाते हुए भारत में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। भारत में विदेशी निवेशकों को तेजी से विकास करती अर्थव्यवस्था मिल रही है, युवाओं की अधिक संख्या के चलते मांग अधिक मिलती है एवं स्थिर केंद्र सरकार के चलते आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है।

दिल्ली में मनेगा पूज्य तनसिंह जन्म शताब्दी समारोह, देश भर से जुटेंगे राजपूत।

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श्री क्षत्रिय युवक संघ अपने संस्थापक पूज्य तनसिंह जी की 100वीं जयंती को भव्य रूप में 28 जनवरी 2024 को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में मनाने जा रहा है। यह देश की राजधानी में होने वाला राजपूतों का अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन होगा जिसमें देश भर से बड़ी संख्या में राजपूत अपने प्रेरणास्रोत पूज्य तनसिंह जी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने और सामाजिक एकता का संदेश देने के लिए जुटेंगे। श्री क्षत्रिय युवक संघ के संरक्षक माननीय भगवान सिंह जी रोलसाहबसर और संघप्रमुख श्री लक्ष्मण सिंह बैण्याकाबास के सान्निध्य में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में देश भर से राजपूत समाज के राजनेता, अधिकारी, उद्योगपति, धार्मिक और सामाजिक व्यक्तित्व और अनेकों प्रतिष्ठित व्यक्ति इस समारोह में शामिल होंगे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं की भी उपस्थित रहेगी। दिल्ली शहर और एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले राजपूतों के साथ ही हरियाणा और उत्तरप्रदेश के राजपूत भी प्रमुखता से कार्यक्रम में शामिल होगें। राजस्थान से भी कार्यक्रम में पहुंचने के लिए अनेक विशेष ट्रेन बुक की गई हैं। गुजरात और महाराष्ट्र से भी ट्रेन और बसों से बड़ी संख्या में राजपूत कार्यक्रम में शामिल होंगे। यही नहीं, दक्षिण भारत के कर्नाटक, तेलंगाना, आध्रप्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों से लोग इस समारोह का हिस्सा बनने के लिए आ रहे हैं। तनसिंह जी आधुनिक युग के अग्रणी क्षत्रिय विचारक है जिनके आदर्शों को अपनाकर आज अनेकों क्षत्रिय युवा समाज और राष्ट्र की सेवा में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

दो बार विधायक और दो बार सांसद रहे तनसिंह जी ने सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना राजपूत युवकों में क्षत्रियोचित संस्कारों के निर्माण के लिए 22 दिसंबर 1946 को की थी। श्री क्षत्रिय युवक संघ प्रतिवर्ष सैकड़ों शिविर आयोजित करता है जिनमें समाज की युवा पीढ़ी को गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा बताए गए क्षत्रिय के गुणों को जीवन में उतारने का अभ्यास कराया जाता है। बालकों और बालिकाओं के लिए अलग अलग लगने वाले ये शिविर चार, सात और ग्यारह दिनों के होते हैं और भीड़ भाड़ से दूर एकांत स्थानों में आयोजित होते हैं। दंपतियों के लिए अलग शिविर भी लगाए जाते हैं। देश-विदेश में हजारों जगहों पर संघ की दैनिक और साप्ताहिक शाखाएं भी लगाई जाती है जिनमें खेल, प्रार्थना, सहगीत, मंत्र जैसी गतिविधियों के माध्यम से संघ साधना का अभ्यास किया जाता है, साथ ही विभिन्न सामाजिक विषयों पर चर्चा और चिंतन किया जाता है। समाज की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए श्री क्षत्रिय युवक संघ के अनेक आनुषंगिक संगठन भी कार्यरत है जिनमें राजनीतिक जागृति के लिए श्री प्रताप फाउंडेशन, समाज के युवाओं के सकारात्मक मार्गदर्शन के लिए श्री क्षात्र पुरुषार्थ फाउंडेशन, महिला शिक्षा के लिए दुर्गा महिला विकास संस्थान, रक्तदान शिविर जैसे समाजोपयोगी कार्यों के लिए श्री प्रताप युवा शक्ति जैसे अनेकों प्रकल्प शामिल हैं।

22 दिसंबर 2021 को श्री क्षत्रिय युवक संघ के 75 वर्ष पूरे होने पर जयपुर के भवानी निकेतन में हीरक जयंती भी मनाई गई थी जिसमें लाखों की संख्या में राजपूत इकट्ठा हुए और इस कार्यक्रम की भव्यता और अनुशासन देश विदेश में चर्चा के विषय बने। उसी तर्ज पर दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित होने वाला पूज्य तनसिंह जन्म शताब्दी समारोह भी ऐतिहासिक आयोजन होगा।

पूज्य तनसिंह जी का संक्षिप्त परिचय :-

जन्म 25 जनवरी 1924

जैसलमेर जिले में आने वाले बेरसियाला गांव (तनसिंह जी का ननिहाल) में उनका जन्म ठाकुर बलवंत सिंह महेचा एवं मोतीकंवर जी सोढा की संतान के रूप में हुआ। रामदेरिया (बाड़मेर) उनका पैतृक गांव है।

अभावों से जूझते बीता बचपन

4 वर्ष के हुए, उससे पूर्व ही पिता का निधन। कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बीच माता मोती कंवर ने प्रारंभिक शिक्षा के लिए तणैराज (तनसिंह जी का बचपन का नाम) को बाड़मेर भेजा। यहां से छठी कक्षा तक पढ़ने के बाद 1938 में जोधपुर के चौपासनी विद्यालय में प्रवेश लिया। यहां मैट्रिक में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। तैराकी, दौड़ जैसे खेलों में भी अग्रणी रहे।

पिलानी और नागपुर से प्राप्त की उच्च शिक्षा

चौपासनी से मैट्रिक तक की पढ़ाई के बाद उन्होंने पिलानी के बिड़ला कॉलेज से स्नातक परीक्षा पास की। 1946 में नागपुर गए और वहां से वकालत (लॉ) की पढ़ाई पूरी की। वहीं रहते हुए अनेक अन्य संस्थाओं के संपर्क में आये।

मात्र 28 वर्ष की उम्र में बने विधायक

नागपुर से वापिस आने के बाद 1949 में तनसिंह जी बाड़मेर के प्रथम नगर पालिका अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 1952 के आम चुनावों में मात्र 28 वर्ष की आयु में राजस्थान के प्रथम विधानसभा में बाड़मेर से विधायक चुनकर आए। कुछ समय तक उस विधानसभा में वे नेता प्रतिपक्ष भी रहे। 1957 में पुनः विधायक चुने गए।

दो बार बने सांसद, ईमानदार और जिम्मेदार राजनेता के रूप में बनी पहचान 1962 में संसार के सबसे बड़े निर्वाचन क्षेत्र बाड़मेर-जैसलमेर से सांसद का चुनाव जीते। मात्र ₹9000

खर्च कर उन्होंने यह चुनाव जीता। 1967 का लोकसभा चुनाव लड़ा पर हार गए। 1977 के चुनावों में फिर खड़े हुए और दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुए। राजनीतिक क्षेत्र में सरल, ईमानदार, स्पष्ट पर मृदुभाषी और जिम्मेदार राजनेता के रूप में आज भी याद किए जाते हैं। सांसद और विधायक रहते और कोई व्यवसाय नहीं किया बल्कि सांसद या विधायक के रूप में मिलने वाले वेतन से ही जीवन निर्वाह किया। राजनीतिक विचारधारा पर राष्ट्रहित को हमेशा वरीयता दी। 1962 के भारत चीन युद्ध के समय विपक्षी सदस्य रहते हुए संसद में दिए ऐतिहासिक वक्तव्य में सरकार और प्रधानमंत्री के प्रति पूर्ण समर्थन और विश्वास जताया था।

व्यवसायी और कृषक के रूप में भी रहे सफल

1962 के चुनाव में हारने के पश्चात आजीविका का संकट खड़ा हुआ तब खेती प्रारंभ की। कृषि उपकरणों का व्यवसाय भी प्रारंभ किया जिसमें कुछ ही समय में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की और अपने साथ ही अनेक साथियों की आजीविका का भी प्रबंध किया।

आंदोलन और जेल यात्रा

1948 में गांधी जी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगे प्रतिबंध को अन्याय पूर्ण मानते हुए स्वप्रेरणा से उसके विरुद्ध सत्याग्रह में शामिल होकर 3 महीने तक जेल में रहे। जोधपुर में सैनिक स्कूल खोलने के नाम पर सरकार द्वारा चौपासनी स्कूल के अधिग्रहण का प्रयास किया गया तो साथियों के साथ उसके विरुद्ध हुए आंदोलन में शामिल हुए। अंतत सरकार को झुकना पड़ा और चौपासनी स्कूल मारवाड़ राजपूत सभा को सौंपी गई। 1955-56 में तत्कालीन संघप्रमुख श्रद्धेय आयुवान सिंह जी हुड़ील द्वारा चलाए गए भूस्वामी आंदोलन में अग्रणी भूमिका में रहे। आंदोलन के दौरान कई महीने जेल में भी रहे। आंदोलन इतना तीव्र एवं व्यापक था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को मध्यस्थता करनी पड़ी।

साहित्य में झलकता है गहरा और बहुआयामी व्यक्तित्व

उच्च कोटि के साहित्यकार। संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी और राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य विद्वान। अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें राजस्थान रा पिछोला, समाज चरित्र, बदलते दृश्य, होनहार के खेल, साधक की समस्याएं, शिक्षक की समस्याएं, जेल जीवन के संस्मरण, लापरवाह के संस्मरण, पंछी की राम कहानी, एक भिखारी की आत्मकथा, गीता और समाज सेवा, साधना पथ जैसी पुस्तकें शामिल है जो इतिहास, अध्यात्म, सामाजिक चिंतन जैसे अलग-अलग विषयों पर लिखी गई है। राजस्थानी और हिंदी में अनेकों प्रेरणादायी गीत लिखे जिनका संकलन ‘झनकार’ नाम की पुस्तक में किया गया है। तनसिंह जी अपनी विशिष्ट शैली में डायरी लिखा करते थे। उनकी लिखी डायरियों में से लगभग 500 अवतरणों को चयनित कर ‘डायरी’ शीर्षक से पुस्तक प्रकाशित की गई है। इसके अलावा उन्होंने अपने सहयोगियों को अनेक पत्र भी लिखे जिनकी उपलब्ध प्रतियों को पढ़ने पर उनकी साहित्यिक प्रतिभा और गहरे व्यक्तित्व की झलक मिलती है। ऐसे कुछ उपलब्ध पत्रों को ‘पत्र दर्पण’ पुस्तक में संकलित किया गया है।

कुशल संगठनकर्त्ता, युवावस्था में की श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना

मात्र 22 वर्ष की उम्र में समाज को एक सूत्र में बांधने और समाज में क्षत्रियत्व के संस्कारों का निर्माण करने के उद्देश्य से श्री क्षत्रिय युवक संघ नामक संस्था की स्थापना 22 दिसंबर 1946 को की। अपने त्याग और तपस्या से संगठन को इतना मजबूत बनाया कि 77 वर्ष बाद भी लगातार बढ़ते हुए समाज और राष्ट्र की सेवा में समर्पित स्वयंसेवकों को तैयार करने का कार्य कर रहा है। दायित्व बोध के शिक्षण के प्रणेता

पूज्य तनसिंह जी क्षत्रिय समाज में दायित्व बोध के शिक्षण के प्रणेता माने जाते हैं। उनका मानना था कि सनातन संस्कृति का आधार दायित्व बोध है। हर इकाई का अपने से बड़ी इकाई के प्रति अपने कर्तव्य का समुचित निर्वहन ही इस सृष्टि के सफल संचालन का आधार है, जब जब हमारा यह दायित्व बोध अधिकार प्राप्ति के लिए विस्मृत हुआ तब तब परिवार, समाज, राष्ट्र और सृष्टि में संघर्ष का सूत्रपात होता है जो अंततः महाभारत जैसे लोमहर्षक विनाश में परिणत होता है। इसलिए बालक को प्रारंभ से ही उसके दायित्व बोध जागृत करने वाला शिक्षण दिया जाना चाहिए। इस शिक्षण के लिए एक मनौवैज्ञानिक एवं व्यवहारिक प्रणाली की आवश्यकता है और इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए उन्होंने श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना की।
सामाजिक जीवन जीने वाले आध्यात्मिक संत

सभी पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों को निभाते हुए भी आध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त किया और सामाजिक संत के रूप में ख्याति पाई। उनका मानना था कि व्यक्ति और परमेश्वर के बीच समाज महत्वपूर्ण इकाई है और यदि कोई व्यक्ति समाज को ईश्वर का अभिव्यक्त रूप मानकर पारंपरिक साधना के सभी यह नियमों का पालन करते हुए आराधना करता है तो वहीं पहुंचता है जहां पारंपरिक साधना में रत साधक पहुंचता है। इसके लिए उन्होंने ‘साधना पथ’ पुस्तक के माध्यम से अपने साथियों को भी समाज का काम करते हुए ईश्वर प्राप्ति का मार्ग बताया और उसे संपूर्ण योग मार्ग का नाम दिया। मात्र 55 वर्ष की आयु में जी गए युगपुरुष का जीवन

7 दिसंबर 1979 को मात्र 55 वर्ष की आयु में देहावसान । छोटे से जीवनकाल में सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन पर गहरी छाप छोड़ी और श्री क्षत्रिय युवक संघ के रूप में क्षत्रिय समाज की युवा पीढ़ी को धर्म, संस्कृति, राष्ट्र और मानवता के कल्याण में नियोजित करने का मार्ग बना गए। केवल क्षत्रिय समाज ही नहीं बल्कि भारतीय जीवनधारा में भी युगपुरुष के रूप में सम्मान से स्मरण किए जाते हैं। 28 जनवरी 2024 को उनकी सौंवी जयंती पर दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में देशभर से लोग पहुंचकर देंगे श्रद्धांजलि।

ममता बनर्जी ने कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन से आज इनकार किया

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बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए राज्य में आई. एन. डी. आई. ए. गठबंधन के संबंध में कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन से आज इनकार किया। उन्होंने पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले के गोदा मैदान में एक संवाददाता सम्‍मेलन में यह घोषणा की।

उन्‍होंने कहा कि राज्य में सीट बंटवारे के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ उनकी कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने शुरू से ही उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। ममता बैनर्जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर वह गठबंधन पर फैसला आम चुनाव के बाद करेंगी। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने राज्य में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के कार्यक्रम के बारे में उनकी पार्टी को सूचित नहीं किया।

उन्होंने गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस के करने को लेकर भी सवाल उठाए। गौरतलब है कि टीएमसी ने साफ किया था कि वह कांग्रेस को दो सीटें देगी क्योंकि कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 में से दो सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इसे लेकर तल्ख बयान दिया था।

अधीर ने कहा था कि दो सीट तो हमें तब भी जीते थे, अब भी जीत सकते हैं। हमें टीएमसी से कोई भीख नहीं चाहिए। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव को 28 विपक्षी पार्टियां इंडिया गठबंधन के बैनर तले एक मंच पर आई थीं।

भगवंत मान ने कहा आम आदमी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी

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बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने I.N.D.I.A गठबंधन को बड़ा झटका दिया है। भगवंत मान ने इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अकेले लड़ने का ऐलान किया है। भगवंत मान ने कहा कि वो पंजाब की 13 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे। वो किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। पंजाब में आप 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। हम समझौता नहीं करेंगे।

ममता बनर्जी का अपना फैसला है और हमारा अपना। भगवंत मान ने कहा कि हमने 40 उम्मीदवारों की लिस्ट बना ली है। इन्हीं 40 में से 13 उम्मीदवारों को शार्ट लिस्ट किया जाएगा। भगवंत ने वहीं पंजाब की 13 जीतने का दावा किया। भगवंत मान ने कहा कि इस बार पंजाब में 13-0 से जीतेगी।

कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पहले भी कई बार कह चुके हैं कि आम आदमी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में पंजाब की सभी 13 संसदीय सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने राज्य में किसी भी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से साफ इनकार किया था। तब भगवंत मान ने कहा था पंजाब में इतिहास रचा जाएगा, क्योंकि आप सभी 13 सीटें जीतेगी।

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