रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन दीपावली मनाने के लिए उत्साह

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पांच सौ वर्षों के सतत संघर्ष और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद विकृत व दूषित मनोवृत्ति की राजनीति के कारण सर्दी,गर्मी व बरसात में भी फटे टेंट में सब प्रकार के कष्ट झेलने वाले प्रभु श्रीरामलला अब अपने दिव्य एवं भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने जा रहे हैं । जैसे जैसे प्राण प्रतिष्ठा की तिथि 22 जनवरी 2024 निकट आ रही है भारत के पूर्वी से पश्चिमी और उत्तर से दक्षिणी छोर तक समस्त सनातनी रामभक्तों का उत्साह भी बढ़ता जा रहा है। सभी प्रभु श्रीरामलला के आगमन के आनन्दोत्सव में डूबना चाह रहे हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी विगत अयोध्या यात्रा में रामभक्तों के मन में भी धैर्य का भाव जगाना पड़ा । उन्होंने 30 दिसंबर को अयोध्या की भूमि से सम्पूर्ण भारत को संबोधित करते हुए कहा कि हम सभी ने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के मंदिर के लिए 500 वर्षों से भी अधिक समय से प्रतीक्षा की है और संघर्ष किया है और अब बस कुछ दिन ही और धैर्य रखना है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2024 को अपने अपने घरों में राम ज्योति जलाने व दीपावली मनाने का आहवान भी किया ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर किसी की प्राण प्रतिष्ठा में सम्मिलित होने की इच्छा है लेकिन ऐसा संभव नहीं है । उन्होंने देश के सभी रामभक्तों से प्रार्थना की कि वे 22 जनवरी को विधि विधान से कार्यक्रम संपन्न हो जाने के बाद 23 जनवरी के बाद अपनी सुविधानुसार अयोध्या आयें। इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भव्य रोड शो निकाला और अत्याधुनिक महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट और अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया, उत्सव के वातावरण में वंदे भारत व अमृत भारत ट्रेनों को हरी झण्डी दिखाकर अयोध्या के विकास पथ का भव्य श्रीगणेश किया।

2014 के पूर्व भारत की धर्मप्राण जनता ने सपने में भी नहीं सोचा था कि अयोध्या में इतना दिव्य एवं भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा या फिर कोई प्रधानमंत्री अयोध्या को विश्व की सर्वश्रेष्ठ नगरी बनाने का कार्य करेगा क्योंकि एक समय था जब देश का कोई भी नेता अयोध्या का नाम तक लेने से हिचकता था। अब समय बदल चुका है और अयोध्या, काशी और मथुरा सहित सनातन के सभी आस्था केन्द्रों का व्यापक दृष्टिकोण से विकास हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में महारानी अहिल्याबाई होल्कर व महाराज विक्रमादित्य की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रही है क्योंकि इन दोनों ही महान विभूतियों ने हिंदू मंदिरों का जीर्णेद्धार करवाया था और प्रधानमंत्री मोदी भी उन्हीं का कार्य आगे बढ़ा रहे हैं। लगभग दो हजार वर्ष पूर्व महाराज विक्रमादित्य ने रामनगरी को संवारा था उसके पश्चात् महारानी अहिल्याबाई होलकर ने और अब 1528 में बाबर के सेनापति के अयोध्या विध्वंस के बाद आधुनिक विक्रमादित्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने अपनी 30 दिसंबर की अयोध्या यात्रा में जनसभा को संबोधित करने से पूर्व 15 हजार 709 करोड़ रुपये की योजनाओें का लोकार्पण व शिलान्यास किया। जिसमें महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट व व अयोध्या धाम जंक्शन तो था ही, रामपथ-भक्तिपथ-धर्मपथ के लिए भी विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास भी था । जिसके अंतर्गत जौनपुर- अयोध्या- बाराबंकी रेलवे लाइन का दोहरीकरण, 200 किमी लम्बी रेल लाइन का विद्युतीकरण, महर्षि दशरथ मेडिकल कालेज, अयोध्या रेलवे स्टेशन का प्रथम फेज, एनएच 27 बाईपास से रामजन्मभूमि हाइवे ,74.25 किमी लम्बा बड़ी बुआ रेलवे ब्रिज शामिल है। इसके अतिरिक्त ग्रीन फील्ड टाउनशिप की विभिन्न योजनाओं सहित अन्य जिलों से सम्बंधित विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 वंदे भारत व दो अमृत भारत ट्रेनों के संचालन को हरी झंडी दिखाकर एक इतिहास ही रच दिया है।
प्रधानमंत्री ने जिस एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया है वह भी बाहर से मंदिर और अंदर से भव्यता का पर्याय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी अयोध्या यात्रा के माध्यम से धर्मपथ से होते हुए राजपथ को थाम लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चिरपरिचित अंदाज में सरकारी योजनाओ की एक लाभार्थी मीरा मांझी के घर पहुंच गये और उनके परिजनों का हालचाल पूछा साथ ही मीरा के हाथो बनाई चाय को पीकर सभी को अचंभित कर दिया। मीरा उज्जवला योजना की दस करोड़वीं लाभार्थी होने के साथ एक निषाद परिवार से हैं । यहाँ प्रधानमंत्री ने पीडीए की राजनीति करने का दावा करने वाले सभी राजनैतिक दलों को साफ संदेश दिया कि इस बार लोकसभा चुनावों में मंडल और कमंडल सभी हमारे साथ आने जा रहे हैं।प्रधानमंत्री अपने स्वभाव के अनुरूप बच्चों से भी मिले और उनका उत्साहवर्धन किया।

यह एक कटु सत्य है कि 2014 और फिर 2017 से पूर्व वर्तमान अयोध्या की कल्पना किसी ने भी नहीं की थी। हवाई अड्डा, इतना बड़ा और सुविधा संपन्न रेलवे स्टेशन, रामपथ-धर्मपथ-भक्तिपथ जैसे मार्ग कल्पनामात्र ही थे। सूर्यस्तंभ की तो किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। अब प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ये सभी कल्पनाएँ साकार हो रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि आगामी दस वर्षों में अकेले अयोध्या में ही 80 हजार करोड़ से अधिक विकास कार्य संपन्न कराये जायेंगे।अयोध्या विश्व की सबसे विशाल सांस्कृतिक राजधानी बनने की ओर अग्रसर हो रही है। चार ऐतिहासिक प्रवेशद्वारों के संरक्षण एवं सुंदरीकरण योजना के मूर्तरूप लेने के बाद अयोध्या और भी अधिक शोभायमान हो जाएगी। सरयू नदी पर राम की पैड़ी से राजघाट तक राजघाट से भगवान श्रीराम के मंदिर तक श्रद्धालु भ्रमण पथ का सुदृढ़ीकरण एवं जीर्णोद्धार पूर्ण होने के बाद अयोध्या में श्रद्धालुओं की राह और भी अधिक सुगम होगी अतः इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि 22 जनवरी 2024 के बाद आने वाला समय अयोध्या का है, सनातन संस्कृति के उत्थान का है।

आज संपूर्ण विश्व के रामभक्त अयोध्या आकर प्रभु श्रीराम के दर्शन करने के लिए आतुर हो रहे हैं। सभी रामभक्त कम से कम एक बार वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेनों में बैठकर प्रभु श्रीराम के दर्शन करने के लिए आना चाह रहे हैं। महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट को देखने के लिए निकटवर्ती गोंडा, सुलतानपुर व अंबेडकरनगर लोग केवल एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन देखने के लिए भारी संख्या में अयोध्या पहुँच रहे हैं ओर सेल्फी का आनंद उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आगामी दिनों में एयरपोर्ट में अभी 10 लाख यात्री प्रतिवर्ष आयेंगे लेकिन जब यह पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा तो यहां पर प्रतिवर्ष 60 लाख यात्री आयेंगे वहीं अयोध्या धाम का स्टेशन सपूंर्ण हो जाने के बाद प्रतिदिन 60 हजार यात्री आयेंगे। अब अयोध्या वैश्विक जगत में आध्यात्मिक नक्षत्र के रूप में उभरने जा रही है। यही कारण है कि आज सम्पूर्ण विश्व में जहां जहां सनातन हिंदू संस्कृति का परिपालन करने वाला एक भी रामभक्त उपस्थित है वह 22 जनवरी के शुभ मुहूर्त की उसी प्रकार से प्रतीक्षा कर रहे हैं जैसे कि प्रभु श्रीराम के भाई भरत ने श्री राम के वनवास से लौटने के लिए करी थी।अक्षत कलश यात्रा के प्रारम्भ होने के साथ ही अब उत्साह लगातार बढ़ता जा रहा है। चाय -पान की नुक्कड़ की दुकानों तक में 22 जनवरी की तैयारियों पर चर्चा हो रही है।

प्राण प्रतिष्ठा समारोह और दर्द से कराहते सेक्युलर विरोधी दल

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जैसे जैसे अयोध्या में दिव्य एवं भव्य राम मंदिर में प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकट आ रहा है वैसे वैसे जिन रामद्रोही व मुस्लिम तुष्टिकरण में लगे राजनैतिक दलों ने अपने वोटबैंक के लिए राम मंदिर को लटकाए रखा था उनका दर्द बढ़ता जा रहा है। उन्हें पता चल गया है कि एक बहुत बड़ी बाजी उनके हाथ से निकल चुकी है। यदि अब भी इन लोगो ने हिंदू विरोध व मंदिर विरोध के नाम पर विकृत बयानबाजी जारी रखी तो आगामी लोकसभा चुनावों  में ये किसी भी लायक नहीं रहने वाले हैं। श्री रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण पत्र भेजा जा रहा है किंतु ऐसा लग नहीं रहा कि विरोधी दलों  का कोई भी नेता इसमें सम्मिलित होगा।

जिस कांग्रेस पार्टी के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में 2019 में कहा था कि अभी इस मामले को न सुना जाये क्योंकि  अयोध्या विवाद का समाधान हो जाने और फैसला आ जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी को उसका राजनैतिक लाभ मिल जायेगा वही कांग्रेस एक बार फिर परेशान है। यह वाही कांग्रेस है जिसने श्री राम को काल्पनिक कहकर उनके अस्तित्व को नकारा था । यह वही कांग्रेस है जिसने 6 दिसंबर के बाद भाजपा की पूर्ण बहुमत की प्रांतीय सरकारों को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया था । यह वही कांग्रेस है जिसने प्रभु श्रीरामलला को 30 वर्षां के लंबे कालखंड तक हर प्रकार के मौसम में फटे टेंट में रहने को मजबूर कर दिया था। आज वही कांग्रेस परेशान हो रही है जिसने साघ्वी ऋतम्भरा और उमा भारती जैसी महिला संतों और राजमाता विजयाराजे सिंधिया जैसी वरिष्ठ महिला नेत्री पर भी अमानवीय अत्याचार करवाये। यह वही कांग्रेस है जिसने अयोध्या में कारसेवकों पर मुलायम सरकार द्वारा गोली चलाये जाने का खुलकर समर्थन किया था।यह वही कांग्रेस है जिसके प्रधानमंत्री स्वर्गीय पी वी नरसिंह राव ने बाबरी विध्वंस के बाद कहा था कि वह फिर से बारी मस्जिद का उसी प्रकार से निर्माण करवायेंगे। आज वही कांग्रेस एक बार फिर  मंदिर निर्माण से आहत हो रही है और अनाप- शनाप बयानबाजी करके अपनी जगहंसाई करवा रही है ।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहते हैं कि वह नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने निकले है जबकि वास्तविकता कुछ और है। वास्तविकता ये है कि कांग्रेस और उसके नेता राहुल गाँधी प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर बन रहे दिव्य –भव्य मंदिर से नफरत कर रहे हैं । ये  नफरत इतनी है  कि कर्नाटक में तीन दशक बाद राम मंदिर आंदोलन में गिरफ्तारी हुई है। यह मुस्लिम तुष्टिकरण का सबसे घिनौना उदाहरण है। कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने पुलिस विभाग को दिशा निर्देश दिये हैं कि रामजन्मभूमि आंदोलन में शामिल रहे लोगों के नाम इस मामले में जांच के दायरे में लाए जायें जिन्हें भाजपा के शासनकाल में  इस मामले में आरोप मुक्त कर दिया गया था। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का हिस्सा रहे कई भाजपा नेता अब बहुत बुजुर्ग हो चुके हैं । पुलिस ने एक विशेष जांच दल का गठन करके ऐसे मामलों में शामिल रहे 300 आरोपितों के नाम की सूची बनाई है। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कहा कि कांग्रेस 31 साल पुराने अयोध्या आंदोलन में शामिल रहे हिंदू कार्यकर्ताओं को धमका रही है। यही कांग्रेस का विकृत चरित्र है। कांग्रेस का मोहब्बत का बाजार बहुत बड़ा ढोंग है।

कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा को प्रधानमंत्री मोदी का मंदिर जाना परेशान करता है और उन्हें लगता है कि राम मंदिर अब कोई मुददा नहीं है ।कांग्रेस द्वारा  हिंदू समाज  व सनातन के अपमान की सूची प्रतिदिन लम्बी होती जा रही है। कांग्रेस पार्टी ने लगातार  अयोध्या आंदोलन के दौरान हिंदू समाज का उसी प्रकार अपमान किया था जैसे मुगल व अंग्रेज करते रहे थे । कांग्रेस नेताओं  भरत सिंह सोलंकी, बसंत साठे, मणिशंकर अय्यर, दिग्विजय सिंह, शशि थरूर, चिदंबरम सभी बड़े नेताओं ने सनातन के विरुद्ध बयानबाजी की है। कांग्रेसी लेखक कुलदीप नैयर व खुशवंत सिंह ने भी हिंदू विरोधी  लेख लिखे। कुछ लोग तो यहां तक कहते  थे कि पहले भगवान श्रीराम का जन्म प्रमाणपत्र दिखाओ, वहां पर शौचालय बनवा दो, अस्पताल और स्कूल बनवा दो आज ये सब लोग दर्द से कराह रहे हैं ।

कर्नाटक कांग्रेस  के एक नेता सुदर्शन ने भव्य राम मंदिर की तुलना पुलवामा से करी है। कांग्रेस नेता उदित राज  भी बहुत चिंतित हैं उन्हें लगता है कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो जाने के बाद भारत में मनुवाद की 500 वर्षों के बाद वापसी होने जा रही है, इससे बड़ा झूठ और क्या हो सकता है क्योंकि राम मंदिर आंदोलन से ही हिंदू समाज में सामाजिक समरसता का विचार प्रवाहित हो रहा है। मंदिर आंदोलन का नेतृत्व ओबीसी समाज ने ही किया है हमारे बहुत से संत दलित समाज से आते हैं।

कांग्रेस के नेतृत्व में बने इंडी गठबंधन के सभी नेताओं ने पहले भी हिंदू धर्म का जमकर मजाक उड़ाया व अपमान किया है और आज भी कर रहे हैं । इंडी गइबंधन की बैठक में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद नेता लालू यादव ने अयोध्या में दिव्य एवं भव्य राम मंदिर के उद्घाटन का मुददा उठाते हुए कहा था कि उसका राजनीतिकरण हो रहा है तो क्या जब  लालू यादव ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को बिहार में गिरफ्तार करवाकर उनकी रामरथ यात्रा को रुकवा दिया था तो वह राजनीति नहीं थी? आडवाणी जी की रथयात्रा रुकने के बाद देश के अनेक हिस्सों में दंगे भड़क उठे थे। आज उसी पार्टी के एक विधायक फतेह बहादुर ने एक आपत्तिजनक पोस्टर लगवाया जिसमें  लिखा है  कि मंदिर जाने का मतलब मानसिक गुलामी का मार्ग है और स्कूल जाने का मतलब जीवन में प्रकाश का मार्ग है। जब मंदिर की घंटी बजती है तो हमें संदेश देती है कि हम अंधविश्वास, पाखंड मूर्खता और अज्ञानता की ओर बढ़ रहे हैं। इस प्रकार राजद ने अपनी लाइन साफ कर दी है कि वह हमेशा हिंदू विरोधी रहेंगे और बिहार का खजाना खाली करते रहेंगे। बिहार राजद के नेता सदा ही मंदिर व हिंदू सनातन संस्कृति का अपमान करते रहते हैं।  इधर समाजवादी पार्टी के नेता भी इतने परेशान हो गये हैं कि हिंदू धर्म को धोखा बताने लगे हैं। समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने बयान दिया  कि वह प्राण प्रतिष्ठा समारोह वाले दिन बाबरी मस्जिद की वापसी के लिए घर में दुआ करेंगे। यह एक बहुत ही घृणित  सोच है क्योंकि अयोध्या समस्या का समाधान सुप्रीम कोर्ट से हुआ है और भव्य मंदिर के साथ ही मुस्लिम समाज को मस्जिद बनवाने के लिए भी जमीन दी गयी हे और उसका निर्माण भी प्रारम्भ होने जा रहा है। उधर हैदराबाद के ओवैसी साहब भी मुस्लिम युवाओं को भड़काने में जुट गये है कि अपनी मस्जिदें बचाओ कहीं तुम्हारी मस्जिदें छीन न ली जायें।

इस तरह की बयानबाजी को देखकर तो यही लग रहा है  कि फिलहाल कोई बड़ा विपक्षी नेता प्राण -प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जायेगा। यह सभी विध्नसंतोषी नेता दर्द से कराह रहे हैं । इनके सानिध्य के कारण जो शिवसेना कभी हिंदुत्व का एक प्रबल स्वर हुआ करती थीं आज बेतुके बोल बोल रही है और कह रही है किलोकसभा चुनाव आने दीजिए भाजपा वाले प्रभु श्रीराम को अपना उममीदवार बना देंगे और प्रधानमंत्री कार्यालय भी अयोध्या से ही चलेगा।

कुल मिलाकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इंडी गठबंधन हिंदू विरोधी, रामद्रोही तथा  सनातन विरोधी है। आगामी लोकसभा चुनावों में इन लोगों को अपनी पराजय साफ नजर आ रही है और ये भी मान चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की ओर अग्रसर हैं।

राम राज्य : तुलसीदासजी राम राज्य का सार प्रस्तुत कर रहे हैं

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बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग ,
चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहि भय सोक न रोग!!

जब प्रत्येक व्यक्ति अपने वर्ण एवं आश्रम के धर्म के अनुसार जीवन व्यतीत करता है अथवा जब प्रत्येक व्यक्ति जीवन के विभिन्न चरणों के अनुसार अपने निहित कार्य उसी प्रकार करता है जैसा कि वेदों में परिभाषित है, जब कहीं भी किसी भी प्रकार का भय ना हो, दुख ना हो तथा रोग ना हो – वही राम राज्य है।

सबके सिया राम

अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला के विराजित होने की तैयारियां की जा रही हैं. राम मंदिर के इतिहास में बाबर से लेकर राम मंदिर तक लगभग 500 सालों का समय लगा. 9 नवंबर 2019 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज किया गया. जब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली.

भारतीय पौराणिक कथाओं में, रघुवंशियों को राजाओं के वंशज माना जाता है, जिनकी वंशावली सूर्य या सूर्य भगवान से मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि रघुवंशियों का वंश वृक्ष राजा मांधाता से शुरू हुआ था, जो पूरी पृथ्वी पर विजय प्राप्त करने के लिए जाने जाते थे, और आगे चलकर हरिश्चंद्र, सागर, भगीरथ, दिलीप, रघु, अज, दशरथ और राम (भगवान राम) तक पहुंचे।

भगवान राम का वंश वृक्ष ब्रह्मा से शुरू होता है जिन्होंने पीढ़ियों को आगे बढ़ाते हुए 10 प्रजापतियों (राजाओं) को बनाया। राम का जन्म दशरथ से हुआ जो वंशावली में 66वें स्थान पर थे। ऐसा माना जाता है कि उनके बाद उनके जुड़वां बेटे – लव और कुश आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, लव ने दक्षिण कोसल पर शासन किया था जबकि कुश ने अयोध्या सहित उत्तरी कोसल पर शासन किया था।

यहां राजस्थान और यूपी के सात लोग हैं जिन्होंने राम की वंशावली पर दावा किया है।

अयोध्या से सटे पूरा बाजार ब्लाॅक व आसपास के 105 गांव के *सूर्यवंशी क्षत्रिय परिवार 500 साल बाद फिर एक बार पगड़ी बांधेंगे और चमड़े के जूते पहनेंगे। कारण- राम मंदिर निर्माण का इनका संकल्प पूरा हुआ*। इन गांवों में घर-घर जाकर और सार्वजनिक सभाओं में क्षत्रियों को पगड़ियां बांटी जा रही हैं। सूर्यवंशी समाज के पूर्वजों ने मंदिर पर हमले के बाद इस बात की शपथ ली थी कि जब तक मंदिर फिर से नहीं बन जाता, वे सिर पर पगड़ी नही बांधेगें, छाते से सिर नहीं ढकेंगे और चमड़े के जूते नही पहनेंगे। सूर्यवंशी क्षत्रिय अयोध्या के अलावा पड़ोसी बस्ती जिले के 105 गांव में रहते हैं। ये सभी ठाकुर परिवार खुद को भगवान राम का वंशज मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर निर्माण के आदेश के बाद अयोध्या के इन गांवों में गजब का उत्साह है।

अयोध्या के भारती कथा मंदिर की महंत ओमश्री भारती का कहना है, ‘सूर्यवंशियों ने सिर न ढंकने का जो संकल्प लिया था, उसका पालन करते हुए शादी में अलग तरीके से मौरी सिर पर रखते रहे हैं, जिसमें सिर खुला रहता है। पूर्वजों ने जब जूते और चप्पल न पहनने का संकल्प लिया था, तब चमड़े के बने होते थे। लिहाजा खड़ाऊ पहनने लगे। फिर बिना चमड़े वाले जूते-चप्पल आए तो उन्हें भी पहनने लगे, लेकिन चमड़े के जूते कभी नहीं पहने गए। सूर्यवंशी क्षत्रियों के परिवार कोर्ट के फैसले से खुश हैं और उन्हें भव्य मंदिर बनने का इंतजार है और ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि राम आपके चरित्र और जीवन के मार्ग को प्रशस्त करती है।

कवि जयराज ने लिखा था- *‘जन्मभूमि उद्धार होय ता दिन बड़ी भाग। छाता पग पनही नहीं और न बांधहिं पाग।’*

राम नाम लेने से आपके अंदर ऊर्जा का विस्तार होता है जो आपके हुनर और जीत का मार्ग प्रशस्त करती है।

रामायण को हिंदू धर्मका सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है। इसके सभी पात्रों का अलग महत्व है। प्रभु श्री राम को हम भगवान के रूप में पूजते हैं और माता सीता को भी उनके साथ हमेशा पूजा जाता है। माता सीता प्रभु श्री राम की अर्धांगिनी थीं और महाराज जनक की पुत्री थीं, उन्हें लक्ष्मी जी का अवतार भी माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि जब विष्णु जी के अवतार के रूप में भगवान श्री राम ने धरती पर अवतार लिया तब माता सीता ने लक्ष्मी के अवतार के रूप में जन्म लिया।

अयोध्या की बाबरी मस्जिद में नवंबर 1858 में घुसकर कुछ समय तक वहां पूजा-पाठ और हवन करने वाले *निहंग सिखों के वंशज अब राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर लंगर चलाएंगे*. निहंग सिखों की आठवीं पीढ़ी के बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि वह अयोध्या में लंगर लगाकर भगवान राम के प्रति अपने पूर्वजों की भक्ति को आगे बढ़ाएंगे. दस्तावेजों के मुताबिक नवंबर 1858 में निहंग बाबा फकीर सिंह खालसा के नेतृत्व में 25 निहंग सिख अयोध्या में बाबरी मस्जिद में घुस गए थे और उसमें हवन किया था.
*गागा भट्ट ब्राह्मण*, जिनके वंशज कराएंगे रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा बाबर के वंशज बोले, अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर।
*बाबर के वंशज बोले, अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर*.

22 जनवरी 2024 को मृगशीर्ष नक्षत्र में होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, 5 दिन पहले शुरू होंगे विधि विधान।

बिनु सत्संग विवेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई।
पारस परस कुघात सुहाई!!!

अर्थ : तुलसीदास जी कहते हैं सत्संग के बिना विवेक नहीं होता अर्थात अच्छा बुरा समझने की क्षमता विकसित नहीं होती है राम की कृपा अच्छी संगति की प्राप्ति नहीं होती है सत्संगति से ही हमें अच्छे ज्ञान की प्राप्ति होती है दुष्ट प्रकृति के लोग भी सत्संगति वैसे ही सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुंदर सोना बन जाता है।

( लेखक गौतम कुमार सिंह पेशे से अधिवक्ता हैं)

AIIMS में डायरेक्टर ऑफिस में लगी आग

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AIIMS में डायरेक्टर ऑफिस की दूसरे फ्लोर पर आग लगने की खबर सामने आई है। सूचना मिलने पर दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गई है। आग पर काबू पाने की कोशिश की जा रही।

दमकल विभाग के मुताबिक, उन्हें एम्स अस्पताल से आज सुबह तकरीबन 5:58 पर आग लगने की सूचना मिली थी। इसके बाद दमकल की 7 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया। ये आग एक ऑफिस में लगी थी। यह बताया गया कि आग डायरेक्टर बिल्डिंग के सेकंड फ्लोर में बने ऑफिस रिकॉर्ड, फर्नीचर और फ्रिज में लगी थी।

इस आग की घटना में किसी तरह की कोई कैजुअल्टी नहीं है। फिलहाल, आग पर काबू पा लिया गया है। बताया जा रहा है कि केवल कुछ सामान को नुकसान पहुंचा है।

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