हिंदी अखबार के ‘संपादक’ को कोर्ट ने सुनाई 6 महीने की सजा

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स्थानीय पत्रिका अखबार के तत्कालीन संपादक गिरिराज शर्मा और कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह को मानहानि के मामले में छत्तीसगढ़ की रायपुर कोर्ट ने छह-छह महीने की सजा सुनाई है। अखबार पर छत्तीसगढ़ के तत्कालीन नौकरशाह अमन सिंह के दुबई भागने और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने संबंधी खबर छापने का आरोप है। इस खबर में अमन सिंह पर पत्नी को अनुचित लाभ पहुंचाने और  पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदने जैसे कई अन्य आरोप लगाए गए थे। इस मामले में अमन सिंह ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था।

बताया जाता है कि जस्टिस विनय प्रधान की कोर्ट ने दोनों को 6-6 महीने की सजा के अलावा 10-10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। दरअसल, ये पूरा मामला 30 अक्टूबर 2013 का है। उस वक्त कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह की तरफ से मीडिया को इस बारे में खबर की गयी थी, जिस पर अखबार ने खबर छापी थी। अब इस फैसले के खिलाफ अपील के लिए दोनों को 15-15 दिन का वक्त दिया जायेगा, अगर इस दौरान ऊपरी अदालत में अपील करने पर इस फैसले पर रोक लगा दी जाती है, तो इनकी गिरफ्तारी नहीं होगी।

सुरक्षा बलों ने किया कवरेज के लिए गए पत्रकार को गिरफ्तार

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पाकिस्तान में एक पत्रकार को कवरेज के दौरान गिरफ्तार किया गया है। पश्तूनों और सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष को कवर करने के सिलसिले में गए निजी टीवी चैनल ‘खैबर न्यूज’ में संवाददाता के रूप में काम करने वाले गौहर वजीर को गिरफ्तार किया गया। उन पर पाकिस्तान के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय पश्तूनों के आंदोलन में शामिल होने का आरोप है। पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट  में हिस्सा लेने को आधार बनाकर की गई पत्रकार की गिरफ्तारी का विरोध भी शुरू हो गया है। न्यूयॉर्क स्थित पत्रकारों की कमिटी समेत कई संगठनों ने गौहर वजीर को रिहा करने की मांग की है।

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा घायल हो गए थे। स्थानीय पत्रकारों के अनुसार, पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट के आंदोलन के दौरान नेताओं को मंच तक पहुंचने से रोकने के लिए पाकिस्तानी सेना ने वहां बैरियर लगा दिए थे। जब प्रदर्शनकारियों ने इन बैरियर को तोड़ने का प्रयास किया तो सेना ने उन पर गोलीबारी कर दी थी।

इसके बाद सुरक्षा बलों ने कार्रवाई करते हुए गौहर वजीर को भी गिरफ्तार कर लिया था। अपनी गिरफ्तारी से कुछ समय पूर्व ही गौहर ने पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट के प्रमुख नेता मोहसिन डावर का इंटरव्यू लिया था, जिन्हें पिछले साल पाकिस्तान नेशनल असेंबली के लिए चुना गया था। वज़ीर और अन्य लोगों को मैंटेनेंस ऑफ़ पब्लिक आर्डर आर्डिनेंस के तहत गिरफ्तार किया गया है।

अख़बार के कर्मचारियों पर देवगौड़ा परिवार पर ख़बर हेतु मामला दर्ज

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कन्नड़ अखबार के संपादक और उसके संपादकीय विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद जद (एस) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के परिवार में सबकुछ ठीक नहीं होने के बारे में खबर प्रकाशित करने पर  मामला दर्ज कराया गया है।

जनता दल (सेक्यूलर) के प्रदेश सचिव एसपी प्रदीप कुमार द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक अखबार ‘विश्ववाणी’ ने शनिवार को एक ‘झूठी खबर’ प्रकाशित की जिससे ऐसे छवि बनी कि देवगौड़ा के पोतों के बीच में हंगामे और भ्रम की स्थिति है।

पुलिस ने सोमवार को कहा कि रविवार को संपादक विश्वेश्वर भट और संपादकीय कर्मचारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 406, 420 और 499 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

 एफआईआर के अनुसार, विश्ववाणी ने अपने 25 मई के संस्करण में एक अपमानजनक लेख प्रकाशित किया जिसकी हेडलाइन ‘टरमॉयल ऑफ द गौड़ा ग्रैंड किड्स’ थी। लेख में आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी ने नशे की हालत में कथित तौर पर अपने दादा (एचडी देवगौड़ा) को गाली दी थी और मांड्या में हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया था।  ऐसी किसी घटना के न होने के बावजूद अखबार ने निखिल कुमारस्वामी के राजनीतिक जीवन को खराब करने के उद्देश्य से मनमाने तरीके से इसे रिपोर्ट किया।

वहीं अखबार ने ‘निखिल कुमार्स नाइट टाइम रेज’ की सब-हेडलाइन से सूत्रों के आधार पर एक अन्य लेख में लिखा था कि 23 मई की रात चुनाव परिणामों के बाद मैसूर के रेडिसन ब्लू होटल में निखिल अपना गुस्सा निकाल रहे थे।

 ‘एंगर अगेंस्ट देवगौड़ा’ कैप्शन से लिखे गए एक अन्य हिस्से में लेख में कहा गया कि निखिल कुमारस्वामी अपने दादा पर भी चीख पड़े थे। खबर में आरोप लगाया था कि निखिल ने अपने दादा पर इस बात के लिए गुस्सा जाहिर किया कि उन्होंने मांड्या में उन्हें समर्थन देने के लिए कांग्रेस नेताओं को समझाने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया, जैसे कि उन्होंने दूसरे पोते प्रजवल रेवन्ना के लिए किया था। रेवन्ना गौड़ा खानदान के गढ़ हसन से लड़े थे जिसे गौड़ा ने छोड़ा था और उन्होंने वहां से जीत हासिल की।

ज्ञात हो कि निखिल भारतीय जनता पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुमालता अंबरीश से एक लाख से ज्यादा मतों से हार गए थे।

25 मई को खबर प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा था कि यह खबर झूठी और दुर्भावनापूर्ण है। निखिल की इस चरित्र हत्या के कारण एक पिता के रूप में मुझे पीड़ा हुई है और इससे संपादक को अवगत कराया गया है। मीडिया से मेरा अनुरोध है कि इस तरह की झूठी खबरों से लोगों की भावनाओं के साथ खेलने से बचना चाहिए।

कन्नड़ अखबार के संपादक विश्वेश्वर भट ने प्राथमिकी पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि खबर सूत्रों पर आधारित थी और अगर किसी को कोई आपत्ति है तो वे स्पष्टीकरण जारी कर सकते थे, जैसा कि अखबार पूर्व में भी जरूरत पड़ने पर तत्परता पूर्वक करता रहा है। उन्होंने कहा, ‘मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि हम किस जगह रह रहे हैं। मैं 19 सालों से संपादक हूं और ऐसी घटना कभी नहीं हुई।’ भट ने कहा, ‘बहुत अधिक तो मानहानि का मामला दायर किया जा सकता था लेकिन प्राथमिकी दर्ज कराना एक नई परिपाटी शुरू करने जैसा है। मैं निश्चित रूप से अदालत में इसे चुनौती दूंगा।

विदेशी मीडिया में मोदी की जीत की कवरेज

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नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक जीत की गूंज विदेश में भी सुनाई दी। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के भविष्य से जुड़ी पल-पल को ख़बरों को विदेशी मीडिया ने कवर किया। हालांकि, मोदी की वापसी को लेकर सभी का अलग नजरिया है। कोई इसे हिंदूवादी चश्मे से देख रहा है तो किसी के लिए यह राष्ट्रवाद की जीत है।

वॉशिंगटन पोस्ट ने ‘राष्ट्रवाद की अपील के साथ भारत के मोदी ने जीता चुनाव’ शीर्षक तले लिखा है, ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी ने दुनिया के सबसे बड़े चुनाव में भारी जीत हासिल की। मतदाताओं ने मोदी की शक्तिशाली और गर्वान्वित हिंदू की छवि पर मुहर लगा दी। मोदी की जीत उस धार्मिक राष्ट्रवाद की जीत है जिसमें भारत को धर्मनिरपेक्षता की राह से अलग हिंदू राष्ट्र के तौर पर देखा जाता है। भले ही भारत में 80 प्रतिशत हिंदू हैं, लेकिन मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और अन्य धर्म भी वहां अल्पसंख्यकों के तौर पर मौजूद हैं।’

इस जीत को अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार ‘गार्डियन’ ने भी हिंदू राष्ट्रवाद से जोड़ा है। अख़बार लिखता है, ‘मोदी की असाधारण लोकप्रियता से भारतीय राजनीति अब हिंदू राष्ट्रवाद के एक नए युग में प्रवेश कर गई है। आर्थिक समस्याएं और बाकी मुद्दे किसी काम के नहीं रहे और हिंदू राष्ट्रवाद ने लोकप्रियता हासिल कर ली।’ इसके अलावा गार्डियन ने अपने संपादकीय लेख में कहा है कि भारत की आत्मा के लिए मोदी की जीत बुरी है। दुनिया को एक और लोकप्रिय राष्ट्रवादी नेता की जरूरत नहीं है, जो अल्पसंख्यकों को दूसरे दर्जे का नागरिक मानता हो।’

कुछ भारतीय अख़बारों की तरह ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने मोदी की जीत में ‘चौकीदार’ शब्द का उल्लेख किया है। अख़बार का शीर्षक है ‘भारत के चौकीदार नरेंद्र मोदी की चुनाव में ऐतिहासिक जीत।’ खबर में मोदी को सबसे ज्यादा ताकतवर लीडर बताने के साथ-साथ उन्हें कठघरे में भी खड़ा किया गया है। अख़बार ने लिखा है ‘मोदी ने खुद को भारत का चौकीदार कहा जबकि अल्पसंख्यकों ने उनकी सरकार में खुद को असुरक्षित महसूस किया। अरबपतियों को फायदा पहुंचाने के साथ-साथ उन्होंने अपने कमजोर पारिवारिक पृष्ठभूमि का बखान किया। इन सभी के बावजूद मोदी ने आधुनिक भारत के इतिहास में अब तक के सबसे मजबूत हिंदू राष्ट्रवाद के सहारे अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलाई।’

भारतीय चुनाव और भाजपा की जीत को ब्रिटिश मीडिया ने भी अच्छी तरह कवर किया। डेली मेल ने चुनाव परिणामों पर काफी विस्तृत खबर लगाई, जिसमें मोदी और अमित शाह सहित भाजपा समर्थकों के ख़ुशी मानते कई फोटो थे। अख़बार की हैडलाइन थी, ‘भारत के हिंदू राष्ट्रवादी पीएम ने अपनी पार्टी की प्रचंड जीत पर कहा देश एक बार फिर जीत गया।’ इस खबर में पाकिस्तानी पीएम इमरान खान की मोदी को दी गई शुभकामना का भी जिक्र है।

चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद समावेशी भारत का वादा किया। अब मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौतियां रोजगार, कृषि और बैकिंग क्षेत्र होंगे।’ अलजजीरा ने भी भारतीय चुनाव मोदी की जीत को जगह दी। वेबसाइट ने लिखा ‘हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी के गठबंधन ने भारत में जीत हासिल की। मोदी पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जो पांच वर्षों के कार्यकाल के बाद दोबारा सत्ता में लौटे हैं।’ जबकि, गल्फ न्यूज ने हैडलाइन के साथ काफी अच्छा प्रयोग किया। ‘TSUNAMO 2.0 SWEEPS INDIA’ शीर्षक के तहत लिखा गया है कि दशकों बाद भाजपा की अभूतपूर्व जीत। साल के शुरुआत में मोदी के सामने राफेल जैसे मुद्दे खड़े किये गए, लेकिन पुलवामा और भारत की बालाकोट में स्ट्राइक के बाद मोदी व अमित शाह ने भाजपा की कहानी नए सिरे से लिख दी।’

पाकिस्तान ने भी भारतीय चुनावों पर करीबी नज़र रखी और भाजपा की जीत को वहां की मीडिया ने प्रमुखता से स्थान दिया। ‘द डॉन’ ने अपने फ्रंट पेज पर तीन कॉलम के काफी लंबे बॉक्स में चुनाव परिणाम की खबर लगाई। सबसे ऊपर श्रीनगर में वोटों की गिनती का फोटो लगाने के बाद अख़बार ने अपने शीर्षक में लिखा ‘मोदी ने दूसरी बार बड़ी जीत हासिल की।’ खबर में ऊपर ही राहुल गांधी की हार और नीचे अलग से मोदी को लेकर इमरान खान की उम्मीद का जिक्र किया गया।

न्यूज वेबसाइट समा टीवी ने मोदी की जीत की खबर के साथ राहुल गांधी की हार पर ज्यादा फोकस किया। वेबसाइट ने लिखा कि हिंदू राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के आम चुनाव में जीत हासिल की और गांधी की सत्ता में वापसी की उम्मीद को चकनाचूर कर दिया। इसी तरह ‘जियो टीवी’ की तरफ से मोदी की जीत पर दो आर्टिकल प्रकाशित किए गए। पहले में मोदी की जीत से अधिक राहुल गांधी की हार पर बात हुई और दूसरे में पीएम मोदी की जीत से ज्यादा इमरान खान को धन्यवाद देने की बात कही गई।

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