पाकिस्तान के उस अनुरोध को भारत ने अस्वीकार कर दिया है, जिसमें यह मांग की गई थी कि भारत में रहने वाले पांच विदेशी पत्रकारों के एक समूह को वाघा के जरिए इस्लामाबाद की यात्रा करने की अनुमति दी जाए। दरअसल, भारतीय अधिकारियों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण सीमा से जाना लगभग बंद है। हालांकि भारत के इस कदम की पाकिस्तान ने आलोचना की।
अलग-अलग ट्वीट में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, सूचना मंत्री फवाद चौधरी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने आरोप लगाया कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र पत्रकारिता का ह्रास हो रहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत द्वारा पांच अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को पाकिस्तान की यात्रा करने की अनुमति से इनकार करना ‘एक तानाशाही शासन के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और स्वतंत्र पत्रकारिता के ह्रास का एक और घातक संकेत है।’
अपने ट्वीट में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि पत्रकारों को 5 अगस्त को पीओके विधानसभा के एक सत्र में शामिल होना था।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने कहा, ‘ये एक आशंकित सरकार के कदम हैं, जिसके पास छिपाने के लिए बहुत कुछ है और वह नहीं चाहती कि दुनिया कश्मीर की वास्तविकता को देखे।’
मालूम हो कि वाघा सीमा पारगमन पॉइंट को शुरू में पिछले साल मार्च में कुछ हफ्तों के लिए बंद किया गया था और बाद में इसे बढ़ा दिया गया था। फिलहाल अभी यह राजनयिकों और कुछ अन्य को छोड़कर सभी श्रेणियों के यात्रियों के लिए बंद है। वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच उड़ान सेवाएं भी महामारी के कारण स्थगित हैं।
मीडिया खबर अनुसार, इस तरह की भी जानकारी सामने आयी है कि पाकिस्तान ने पत्रकारों को अफगानिस्तान में समग्र स्थिति पर शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए ले जाने की योजना बनाई थी। तालिबान को कथित रूप से अपना समर्थन जारी रखने के लिए अफगानिस्तान सरकार द्वारा इस्लामाबाद की बढ़ती आलोचना के बीच पाकिस्तान अफगानिस्तान में अपनी भूमिका को लेकर अंतरराष्ट्रीय विमर्श को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।
घटनाक्रम से जुड़े लोगों में से एक ने कहा कि यह दौरा तीन से सात अगस्त के बीच तय किया गया था। अफगान पत्रकारों के एक समूह ने पिछले महीने पाकिस्तान का दौरा किया था और उन्होंने इस्लामाबाद में प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ बातचीत की थी।
वहीं अन्य रिपोर्ट्स की मानें तो, कश्मीर का विशेष दर्जा निरस्त किए जाने के पांच अगस्त को दो साल पूरे होने पर कश्मीर और पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई है। भारत ने 2019 में कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द कर दिया था।
भारत का कहना है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 से संबंधित मुद्दा पूरी तरह से देश का आंतरिक मामला है।
इस अवसर पर नवनिर्वाचित विधानसभा ने भी एक सत्र की योजना बनाई है और पत्रकारों को कार्यवाही का गवाह बनना था।