वेद प्रकाश
भारतीय परंपरा के आलोक में 2016 में भोपाल से प्रारंभ हुए ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ विचारकों एवं कर्मशीलों का राष्ट्रीय विमर्शलोक मंथन का चौथा आयोजन 21 से 24 नवंबर तक शिल्पग्राम, हाईटेक सिटी, भाग्यनगर ( हैदराबाद ) में आयोजित है। प्रज्ञा प्रवाह द्वारा प्रारंभ किए गए इस पहल का उद्देश्य अकादमिक विश्लेषण से आगे बढ़कर एक नई शुरूआत करने की जरूरत थी। इसलिए लोकमंथन सिर्फ चिंतकों-विचारकों – कलाकारों ही नहीं बल्कि कर्मशीलों की उपस्थिति से और भी समृद्ध होता जा रहा है।
2018 में “भारतबोध-जन, गण, मन” थीम पर रांची और 2022 में “लोक परंपरा” पर गुवाहाटी के बाद हो रहे इस द्विवार्षिक महोत्सव की थीम इस बार रखी गई है – “लोक व्यवहार, लोक विचार और लोक व्यवस्था”।
कोई भी राष्ट्र उसकी जनता, जन संस्कारों और जनांकांक्षाओं से बनता है। अत: समय-समय पर जन संस्कारों और आकांक्षाओं का विमर्श और विश्लेषण राष्ट्रीय जीवन को जीवंत बनाये रखने के लिये आवश्यक होता है। इस संदर्भ में संघ के वैचारिक समूह द्वारा आयोजित यह लोकमंथन एक महत्वपूर्ण और प्रभावी पहल है।
आजाद भारत आज भी भारतीयता के सच्चे स्वरुप की खोज कर रहा है। यह आयोजन, हमारे इतिहासबोध को पुनर्जीवित करने में और भारत बोध को हमारी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में देखने का एक अभिनंदनीय प्रयास है।
चूंकि राष्ट्र की अभिव्यक्ति देश की लोक परंपरा और संस्कृति में निहित होती है। इसलिए ऐसे वृहद सांस्कृतिक / वैचारिक कुंभ में 12 देशों के 100वक्ता के साथ 350 सांस्कृतिक प्रस्तुतियों द्वारा 1500 से अधिकबुद्धिजीवी, लेखक, फिल्मकार व कलाकारों के सहभाग से यह बेहद रोमांचकारी होने जा रहा है।