परीक्षाओं में अंक हासिल करने की जानलेवा होड़ के बीच सरकारी स्कूल का समाधान को लेकर अनूठा पोस्टर

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जालोर के रेवत की राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल की अभिनव पहल बनी अभिभावकों और शिक्षा जगत में चर्चा का विषय

जालोर (राजस्थान) : ”हमारा यह नवाचार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में एक कदम है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बालकों के सर्वांगीण विकास को लक्ष्य माना है एवं 360 डिग्री मूल्यांकन की भी बात कही है। हमारे प्राचीन गुरुकुलों में छात्रों को सिर्फ पुस्तक नहीं पढ़ाई जाती थी बल्कि उसके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास किया जाता था। हर विद्यार्थी महत्वपूर्ण एवं प्रतिभावान हैं। उनकी प्रतिभाओं को महत्व देना एवं फलने फूलने का अवसर देना, समाज एवं शिक्षक दोनों की जिम्मेदारी है।”

ऐसा कहना है, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, रेवत, जालोर(राजस्थान) के शिक्षक संदीप जोशी का। प्रदेश में नामी-गिरामी शिक्षण संस्थानों के बीच जहां हर वर्ष नए शैक्षणिक सत्र में एडमिशन के लिए लुभाने के लिए उच्च प्राप्तांको वाली मार्कशीट को दर्शाते होर्डिंग – पोस्टर का वार दिखाई देता है, वहीं जालोर के एक सरकारी स्कूल ने बच्चों पर प्राप्तांको के मानसिक तनाव को कम करने वाली अभिनव पहल की है जो अभिभावकों और शिक्षा क्षेत्र में बहुत सराही जा रही है।

असल में प्रतिभाएं आमतौर पर सिर्फ प्राप्तांको (%) के आधार पर ही तय होती हैं लेकिन जालोर जिले के रेवत ग्राम स्थित इस विद्यालय में प्राप्तांको के अलावा विविध क्षेत्र की अपनी प्रतिभाओं का भी परिचय दिया है। नतीजे इस स्कूल के भी बहुत अच्छे हैं लेकिन साथ-साथ विद्यालय ने अपने प्रवेशोत्सव पोस्टर नृत्य प्रतिभाएं, खेल प्रतिभाएं, सुंदर लेखन प्रतिभाएं, चित्रकला प्रतिभाएं, गायन कला प्रतिभा, सिलाई कला प्रतिभा, काव्य प्रतिभा और क्राफ्ट प्रतिभा के अलावा सोशल मीडिया प्रतिभा तक का परिचय दिया है।

इस सरकारी विद्यालय ने श्रेष्ठ अंकों वाले विद्यार्थियों के साथ ही विभिन्न बहुआयामी प्रतिभाओं के होर्डिंग और पोस्टर लगाकर नई मार्केटिंग और ब्रांडिंग कर करने की पहल की है। जिसमें अंकों की मेरिट के साथ ही स्पोर्टस, डांस, सिंगिंग, पेंटिंग्स, बेस्ट राईटिंग, पॉइम्म, स्पीच आदि गतिविधियों को भी शामिल कर विविध टेलेंटेड प्रतिभाओं के होर्डिंग्स और पोस्टर लगवाकर सर्वांगीण विकास का मैसेज दिया है। होर्डिंग्स में बच्चों के फोटो पर लिखा है , एक नई शुरुआत है।

विद्यालय के प्राचार्य छगनपुरी गोस्वामी ने बताया कि व्याख्याता संदीप जोशी ने साथी शिक्षकों के साथ मिलकर रेवत स्कूल में यह नई पहल की है। शिक्षक जोशी के मुताबिक कोचिंग एवं ट्यूशन के दबाव, अंको की जानलेवा प्रतिस्पर्धा, सफलता का प्रेशर और असफलता का डर आदि से बच्चे और अभिभावक भारी तनाव में जी रहे हैं। इस माहौल के परिणाम अत्यंत भयावह एवं चिंतनीय बाल आत्महत्याओं के रूप में हमारे सामने आने लगे है। अंको का दबाव विद्यार्थियों ही नही अभिभावकों और शिक्षण संस्थान पर भी होता है और वहीँ प्रेशर बच्चों पर भी आता है। संदीप जोशी के अनुसार इस सब वातावरण से मुक्ति का एक बड़ा मार्ग है बालकों की पढ़ाई के साथ ही अन्य विविध प्रतिभाओं को भी स्वीकारना, समान महत्व देना और उन्हें उभारना। परीक्षा में बहुत अच्छे अंक प्राप्त करना एक सफलता है, और सभी की यह इच्छा भी रहती है। इसके साथ ही प्रतिभाओं के अन्य भी बहुत सारे क्षेत्र हैं। परीक्षा में अंक प्राप्त करने की होड़ के समानांतर एक लाइन बहुआयामी प्रतिभाओं की भी खड़ी करनी होगी। ज्यादा अच्छा है कि यह दूसरी लाइन और भी बड़ी हो।

समस्या से समाधान की ओर :-रेवत के सरकारी स्कूल ने इस दिशा में एक कदम बढ़ाया है। समस्या से समाधान की ओर। इस बार प्रवेश उत्सव के दौरान 12वीं बोर्ड कक्षा में सर्वोच्च 95.20% अंक प्राप्त करने वाली विद्यार्थी के साथ-साथ विद्यालय की अन्य विभिन्न प्रकार की प्रतिभाओं के भी चित्र होर्डिंग्स, पोस्टर इत्यादि पर लगाए है। जिनमे खेल प्रतिभा, पेंटिंग प्रतिभा,नृत्य प्रतिभा, सुंदर हैंडराइटिंग वाले विद्यार्थी, अच्छा क्राफ्ट करने वाले विद्यार्थी, गायन प्रतिभा, सुंदर कविता पाठ करने वाले विद्यार्थी के भी नाम और फोटो प्रकाशित किए हैं।
देश विदेश के शिक्षाविदों ने सराहना की। विद्यालय की इस पहल की अभिभावकों और शिक्षकों द्वारा सराहना हुई ही, साथ ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविदों ने भी इस पहल को अत्यंत महत्वपूर्ण एवं अनुकरणीय बताया है।

एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक प्रो श्रीधर श्रीवास्तव ने विद्यालय को शुभकामनाएं देते हुए लिखा कि यह बहुत सुंदर विचार है। हर तरह की प्रतिभाओं को स्थान एवं सम्मान मिलना चाहिए। यह NEP 2020 के प्रथम सिद्धांत का परिपालन है। विद्यालय को बधाई।

अमरीका में कार्यरत भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ तेज पारीक ने विद्यालय के इस नवाचार की प्रशंसा करते हुए लिखा कि अमेरिका के विद्यालयों में लगभग यही व्यवस्था है। यहाँ विद्यार्थियों की सर्वांगीण प्रतिभाओं का आकलन कर उन्हें समान रूप से प्रोत्साहित किया जाता है ना की विभेदित। अंतर सिर्फ़ इतना है कि यहाँ के समाज में आगे चलकर इन बहुमुखी प्रतिभाओं के सदुपयोग की व्यवस्था भी है। वर्तमान भारतीय समाज में इस और अधिक काम किये जाने की प्रचुर सम्भावनाएँ हैं। आपका ये भागीरथी प्रयास इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो और यह शैक्षणिक नीति का अभिन्न हिस्सा बने यही शुभकामना है।

इसी प्रकार एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर जे एस राजपूत, विख्यात प्रबंध गुरु एन रघुरामन, देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार से जुड़े गुजरात निवासी एवं वर्तमान में अमेरिका निवासी शिक्षाविद चेलाराम जोशी सहित अनेक शिक्षाविदों, प्रशासनिक अधिकारियों ने इस पहल की सराहना की है।

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