‘थुलथुल’ नहीं रहे थानवी

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वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी का नाम भारतीय पत्रकारिता में एक जाना-पहचाना नाम है। उनकी लेखनी, बेबाक राय और विवादों से पुराना नाता रहा है। चाहे वह भाजपा नेता कल्याण सिंह के हाथों सम्मान लेने का मामला हो या फिर कांग्रेस सरकार के करीब रहकर राजस्थान में विश्वविद्यालय के उपकुलपति का पद हासिल करने का आरोप, थानवी हमेशा चर्चा में रहे। लेकिन इन दिनों वह एक अलग वजह से सुर्खियों में हैं। उनके विरोधी उन्हें व्यंग्य में “थुलथुल थानवी” कहकर पुकारते थे, मगर हाल ही में दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में उनकी बदली हुई छवि ने सबका ध्यान खींचा। न तो उनका पेट अब बाहर निकला दिखता है, न ही वे पहले की तरह 90 किलो के लगते हैं। यह बदलाव उनके खान-पान में सुधार का नतीजा है या कोई और राज? यह सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है।

थानवी की यह शारीरिक बदलाव की कहानी केवल उनकी सेहत तक सीमित नहीं है; यह उनके व्यक्तित्व और अनुशासन की भी कहानी बयां करती है। पत्रकारिता जैसे क्षेत्र में, जहां तनाव और अनियमित जीवनशैली आम है, इस तरह का परिवर्तन आसान नहीं। दिल्ली के पत्रकारिता जगत में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या थानवी ने अपनी दिनचर्या में कोई खास बदलाव किया? क्या यह योग, व्यायाम, या संतुलित आहार का कमाल है? कुछ लोग अनुमान लगा रहे हैं कि शायद उन्होंने किसी विशेषज्ञ की सलाह ली हो। लेकिन इस रहस्य का जवाब केवल उनके करीबी ही दे सकते हैं।

थानवी का यह परिवर्तन एक प्रेरणा भी है। पत्रकारिता में व्यस्तता और तनाव के बीच स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना आसान नहीं। फिर भी, उनकी यह उपलब्धि दिखाती है कि दृढ़ संकल्प और अनुशासन से कुछ भी संभव है। उनके विरोधी, जो उन्हें “थुलथुल” कहकर चिढ़ाते थे, अब शायद उनकी इस नई छवि से प्रभावित हों। यह बदलाव न केवल शारीरिक, बल्कि सामाजिक और पेशेवर स्तर पर भी उनकी छवि को नया आयाम दे सकता है।

अब सवाल यह है कि क्या थानवी इस बदलाव की कहानी को सार्वजनिक करेंगे? उनके प्रशंसक और सहकर्मी इस राज को जानने को उत्सुक हैं।

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