एमएस डेस्क
– भारत की कुल स्थापित क्षमता में कोयले/लिग्नाइट की हिस्सेदारी पहली बार 50 प्रतिशत के नीचे आई
– वित्त वर्ष 2023-24 में एमएनआरई का लगभग 95 प्रतिशत वार्षिक बिडिंग ट्रेजेक्टरी टारगेट पूरा हुआ
– लगातार दूसरे वर्ष गैर-पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र में 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की एफडीआई आई
नई दिल्ली, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में स्थापित लगभग 26 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता में अक्षय ऊर्जा (आरई) स्रोतों का योगदान 71 प्रतिशत रहा। यह जानकारी सीईईडब्ल्यू सेंटर फॉर एनर्जी फाइनेंस (सीईईडब्ल्यू-सीईएफ) की आज जारी हुई मार्केट हैंडबुक में दी गई है। अब देश की कुल स्थापित ऊर्जा क्षमता 442 गीगावॉट तक पहुंच गई है, जिसमें अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग 144 गीगावॉट (33 प्रतिशत) और हाइड्रो पॉवर की हिस्सेदारी लगभग 47 गीगावॉट (11 प्रतिशत) रही। इसके कारण वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की कुल स्थापित क्षमता में कोयला/लिग्नाइट की हिस्सेदारी पहली बार 50 प्रतिशत से नीचे आ गई।
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ मार्केट हैंडबुक के अनुसार, भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता में हुई वृद्धि में सोलर-ग्रिड-स्केल और रूफटॉप का हिस्सा लगातार सबसे ज्यादा रहा। इनसे वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 15 गीगावॉट क्षमता बढ़ी, जो कुल जोड़ी गई अक्षय ऊर्जा क्षमता का 81 प्रतिशत है। इसी समयावधि में पवन ऊर्जा क्षमता में वृद्धि लगभग दोगुनी होकर 3.3 गीगावॉट पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2022-23 में 2.3 गीगावॉट थी। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2016-17 के बाद पहली बार वित्त वर्ष 2023-24 में परमाणु क्षमता (1.4 गीगावॉट) में बढ़ोतरी हुई है।
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ मार्केट हैंडबुक में पाया गया है कि भारत के महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों के अनुरूप, वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 41 गीगावॉट नीलामी क्षमता के साथ अक्षय ऊर्जा नीलामी एक रिकॉर्ड पर पहुंच गई। इसके अलावा, इसी वित्तीय वर्ष में ऊर्जा भंडारण घटकों (energy storage components) की आठ नीलामियां पूरी हुईं, जो बिजली खरीद के नए प्रारूपों की दिशा में बदलाव का संकेत देती है।
गगन सिद्धू, डायरेक्टर, सीईईडब्ल्यू-सीईएफ, ने कहा, “सीईईडब्ल्यू-सीईएफ मार्केट हैंडबुक में पाया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के लक्षित 50 गीगावॉट वार्षिक बिडिंग ट्रेजेक्टरी टारगेट का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा पूरा हो गया था। वित्त वर्ष 2023-24 में 47.5 गीगावॉट की बोलियां जारी हुई, जो हालिया वर्षों में स्थापित वार्षिक आरई क्षमता से लगभग तीन गुना ज्यादा है। इसके अलावा, विशुद्ध अक्षय ऊर्जा की खरीद की जगह पर नए प्रारूपों की दिशा में झुकाव स्पष्ट है। नए प्रारूपों, जैसे विंड-सोलर हाइब्रिड, फर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी (एफडीआरई) और आरई-प्लस-स्टोरेज की नीलाम हुई क्षमता में हिस्सेदारी 37 प्रतिशत रही। हम यह हिस्सेदारी आगे और बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं, क्योंकि जारी हुई बोलियों में नए किस्म के प्रारूपों की हिस्सेदारी 57 प्रतिशत थी। बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) टैरिफ में आई तेज गिरावट इस बारे में एक अच्छा संकेत देती है। वित्त वर्ष 2023-24 में बीईएसएस टैरिफ में लगभग 59 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो प्रति दिन 2 घंटे स्टोरेज देता है (अगस्त 2022 की तुलना में)। अक्षय ऊर्जा के मामले में अब भारत की प्रमुख चुनौती वित्तपोषण का आकार है। विशेष रूप से, कैसे जारी हुई 47.5 गीगावॉट की बोलियों के वित्तपोषण के लिए इसे तीन गुना तक बढ़ाया जा सकता है? इस आकार का वित्त पोषण पाने के लिए कॉरपोरेट ग्रीन बांड को जारी करने के लिए घरेलू बांड बाजार को खोलना एक प्रभावी कदम हो सकता है।”
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भी पीक पॉवर डिमांड (जिसे पूरा किया गया) में बढ़ोतरी जारी रही और यह 240 गीगावॉट की नई ऊंचाई पर पहुंच गई। ऐसा तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और अगस्त 2023 से अक्टूबर 2023 के उम्मीद से कम बारिश का होना, नवंबर 2023 में सामान्य से अधिक तापमान और उत्तर भारत में सर्दियों के महीनों में भीषण ठंड वाले दिन जैसे कारकों से हुआ था। बिजली की मांग के मामले में, वित्त वर्ष 2023-24 में वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में लगभग 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
रिद्धि मुखर्जी, रिसर्च एनालिस्ट, सीईईडब्ल्यू-सीईएफ, ने कहा, “भारत में बिजली की लगातार बढ़तीजरूरत को पूरा करने के लिए, बिजली मंत्रालय ने इलेक्ट्रिसिटी (लेट पेमेंट सरचार्ज एंड रिलेटेड मैटर्स) रूल्स-2022 में बदलाव किया था, जो बिना मांग वाली अतिरिक्त बिजली (un-requisitioned surplus power) की पॉवर एक्सचेंज में बिक्री को अनिवार्य बनाता है। इस कदम से आपूर्ति पक्ष के स्तर पर अधिक तरलता (liquidity) मिलने और पॉवर एक्सचेंजों में बिजली की ज्यादा प्रतिस्पर्धी दरें मिलने की उम्मीद है। अक्षय ऊर्जा के बारे में बात करें तो वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान यूटिलिटी-स्केल अक्षय ऊर्जा से आगे बढ़ने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए गए। उदाहरण के तौर पर, आवासीय क्षेत्र में रूपटॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिए पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना को शुरू किया गया,जो लगभग 30 गीगावॉट अतिरिक्त क्षमता जोड़ सकती है।”
सीईईडब्ल्यू-सीईएफ मार्केट हैंडबुक के अनुसार, हरित वित्तपोषण (green financing) के क्षेत्र में, गैर-पारंपरिक ऊर्जा के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लगातार दूसरे वर्ष 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा रहा। साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी 20,000 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2022-23 में 16,000 करोड़ रुपये की तुलना में) के सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड्स की नीलामी पूरी की, जिन्हें उपयुक्त ग्रीन प्रोजेक्ट्स के वित्तपोषण/पुनर्वित्तपोषण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।