बिहार के राजनीतिक संदर्भ में केजरीवाल

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सोशल मीडिया की बदौलत सरकारें तथ्यों को छिपा नहीं सकतीं, चाहे मीडिया पर उनका कितना ही प्रभाव क्यों न हो! 90 के दशक में एक समय था जब बिहार के लोग मंथन कर रहे थे और अटकलें लगा रहे थे कि जंगलराज से कैसे छुटकारा पाया जाए। वैसे ही दिल्ली की जनता पिछले कुछ सालों से इस बात पर गहन बहस कर रही है कि केजरीवाल से कैसे छुटकारा पाया जाए। और अब यह बहस बिहार में फैल गई है कि बिहार एक और केजरीवाल बर्दाश्त नहीं कर सकता…

केजरीवाल मुफ़्त की चीज़ें देने और झूठे वादे करने में गुमनाम हैं।  हमारे वास्तविक जीवन की अधिकांश चीजें जो बहुत अच्छी लगती हैं वे भ्रामक हैं। दुर्भाग्य से लोगों की याददाश्त कमजोर होती है और वे बार-बार एक ही गलती करते हैं। लेकिन सोशल मीडिया की शक्ति और प्रभाव उनके बचाव में आया है और यह लगातार धारणा, कथा और विश्लेषण में अंतर्निहित तथ्यों का विस्तार कर रहा है। तथ्य निकालना लोगों पर निर्भर है।

कल संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा के हालिया चुनाव के एग्जिट पोल में यह रुझान साफ तौर पर सामने आया है कि केजरीवाल जल्द ही राजनीतिक कारोबार से बाहर हो जाएंगे। दिल्ली को खोना आम आदमी पार्टी के लिए राजनीतिक परिदृश्य खोना है। एक बार जब वे दिल्ली में सत्ता खो देते हैं, तो वे अन्य राज्यों की ओर नहीं देख सकते हैं, और वे अगले पांच वर्षों तक दिल्ली को हासिल करने के लिए संघर्ष करेंगे। बिहार के लिए यह दो मायनों में अच्छी खबर है। एक, बिहार में AAP के बहुत से युवा उम्मीदवार अपनी आकांक्षाओं को सुलझाएंगे और अपनी मानसिकता में सुधार लाएंगे। दूसरा, बिहार के लोग सावधानी से मतदान करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि वे केजरीवाल जैसी पार्टी और व्यक्ति को न चुनें।

दुर्भाग्य से, बिहार की जनता के सामने राज्य सरकार चुनने के लिए राजनीतिक दलों के विकल्प सीमित हैं और मौजूदा राजनीतिक दल अपनी सुविधा के अनुसार पाला बदलते रहते हैं। राजद जंगलराज का पर्याय है, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू पलटीमार राजनीति का पर्याय है और भाजपा बिना किसी प्रभावी नेता के गुल्लक की व्यवस्था में सवार है। प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली जनसुराज अपनी विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है और वह अन्य राजनीतिक स्टार्टअप के साथ पाई साझा नहीं करना चाहते हैं।

बहरहाल, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में केजरीवाल प्रभाव कम हो रहा है और उम्मीद है कि नए राजनीतिक स्टार्टअप बिहार के राजनीतिक संदर्भ में इस प्रभाव से सबक लेंगे। केजरीवाल प्रभाव को राजनीति के एकल व्यक्तिवादी दृष्टिकोण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसका सामना यह देश दशकों से कर रहा है। यह एक पुरानी कहावत है, “सत्ता भ्रष्ट करती है और पूर्ण शक्ति पूर्णतः भ्रष्ट करती है”।  अब समय आ गया है कि बिहार के लोग 8 फरवरी के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करें और बिहार में राज्य विधानसभा चुनाव 2025 के संदर्भ में अपने राजनीतिक ज्ञान पर विचार करें।

भोपाल लिटरेरी फेस्टिवल यानि सत्ता की भूतपूर्व अवैध सन्तानों का समागम

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एस. आर. वाघमारे

पिछले सात सालों से एक्स आईएएस अफसरों, उनके द्वारा पोषित समाज से कटे कथित वामी लिक्खाडो की एक संस्था सोसाइटी फॉर कल्चरल एंड एनवायरनमेंट, द्वारा भोपाल के भारत भवन में भोपाल लिटरेरी फेस्टिवल (BFL) का आयोजन किया जाता है। शुरुआती साल में इस सोसाइटी ने कुछ अच्छे कार्यक्रम किये किंतु शीघ्र ही अपनी ‘सत्ता मुगल’ वाली औकात पर आ गई। चूंकि इन्हें मालूम था कि ऐसे आयोजनों के लिये पैसा कहाँ से इकठ्ठा किया जाता है इसलिये धनवर्षा में कोई कमी नहीं होती। इनके प्रायोजकों की सूची देखिए तो पता चल जायेगा कि लक्ष्मी कहाँ से आती है। अब इनके अटपटे विषय देखिये- वाइल्ड वीमेन ऑफ इण्डिया (राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सोनिया गांधी की टिप्पणी पुअर वीमेन की याद आती है), भीष्मपितामह ऑन बेड ऑफ़ एरोज़, द लूर ऑफ ओल्ड ट्यून्स, नेचर राइटिंग एंड इट्स केथार्टिक यानि हर विषय को इतना जटिल बनाओ कि यदि कोई सुनने वाला चला आये तो उससे हड़प्पा की उस लिपि में ‘बात’ करो जो आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है।

इन कार्यक्रमों में दर्शक आते हैं श्रोता नहीं। ऊपर से इसे सोसाइटी ने नॉलेज कुम्भ का नाम दे दिया और पाप छिपाने एक प्रबुद्ध मंत्री और एक साहित्यकार को भी आमंत्रित कर लिया। कई सत्र तो ऐसे थे कि मंच पर पाँच वक्ता थे और श्रोताओं में चार। वे पाँच भी एक- दूसरे की पीठ खुजाते रहे।भीड़ जैसा कुछ दिखाने स्थानीय नामी एलीट संस्थाओं के छात्रों को भाड़े पर(?) लाया गया था जिनके लिये साहित्य काला अक्षर भैंस बराबर था।

ऐसा कार्यक्रम जो स्थानीय जन को न जोड़ सके, स्थानीय भाषा में न हो सके, स्थानीय भावनाओं को अभिव्यक्त न कर सके वह चूँ- चूँ का मुरब्बा हो सकता है साहित्य नहीं। सोसाइटी अपने इस उद्देश्य में पूरी सफलता प्राप्त कर गई है। आयोजकों को कच्चे धागे से हाँथ बांधकर भोपाल के बड़े तालाब की परिक्रमा कर प्रायश्चित करना चाहिये कि लाखों रुपया और समय ऐसे कार्यक्रम पर बरबाद कर दिये जिसे कोई कभी याद भी नहीं करना चाहेगा।

भूख के अहसास को शेरो सुख़न तक ले चलो
या अदब को मुफलिसों की अंजुमन तक ले चलो

जो ग़ज़ल माशूक के जलवों से वाक़िफ हो गई
उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो

मुझको सब्रो ज़ब्त की तालीम देना बाद में
पहले अपनी रहबरी को आचरण तक ले चलो

ख़ुद को ज़ख़्मी कर रहे हैं गैर के धोखे में लोग
इस शहर को रोशनी के बाँकपन तक ले चलो।

(यदि फेस्टिवल से जुड़ा कोई पक्ष सहमति या असहमति का आपका है तो आप अपने विचार mediainvite2017@gmail.com पर लिख कर भेज दीजिए)

धन धान्य किसान: 2014 के बाद के बजटों ने बोए समृद्ध कृषि भविष्य के बीज अब अंकुरित होने लगे हैं

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दिल्ली। भारतीय कृषि क्षेत्र, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ और करोड़ों लोगों की आजीविका का आधार है, अब एक नए युग में प्रवेश करने के लिए बेचैन है। केंद्रीय बजट 2025-26 में कृषि को लेकर कई परिवर्तनकारी पहलों की घोषणा की गई है, जो न केवल किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है, बल्कि कृषि क्षेत्र को आधुनिक, टिकाऊ और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का लक्ष्य लिए है।
कुल बजट का 22% हिस्सा कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए आवंटित किया गया है, जो सरकार की इस क्षेत्र के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एक दशक से लगातार हो रहे सुधार और प्रयोग अब कृषि क्षेत्र को एक पॉजिटिव दिशा और गति दे रहे हैं। ऑर्गेनिक फॉर्मिंग, खासतौर पर दक्षिण भारत में, लाभ कमाऊ साबित हो रही है। हॉर्टिकल्चर और फ्लोरीकल्चर के साथ दुग्ध उत्पादन ने किसानों को सशक्त किया है, जो साफ दिख रहा है।

17 मिलियन किसानों के लिए नई उम्मीद
इस बजट की सबसे चर्चित पहल ‘पीएम धन धान्य कृषि योजना’ है, जो 100 जिलों के 17 मिलियन किसानों को लाभान्वित करेगी। यह योजना कृषि उत्पादकता बढ़ाने, किसानों को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने और उनकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसके तहत किसानों को शिक्षा और कौशल विकास के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे, ताकि वे आधुनिक कृषि प्रथाओं को अपना सकें।

प्रोफेसर पारस नाथ चौधरी, एक प्रमुख कृषि विशेषज्ञ, कहते हैं, “इस योजना का सीधा लाभ किसानों तक पहुंचना एक बड़ा कदम है। यह न केवल उत्पादकता बढ़ाएगा, बल्कि कृषि क्षेत्र को अधिक लचीला और समृद्ध बनाएगा। सरकार की योजना निरंतर मूल्यांकन और सुदृढ़ीकरण पर आधारित है, जो इसे और प्रभावी बनाएगी।”

बजट में कृषि के आधुनिकीकरण के लिए अत्याधुनिक तकनीक और बेहतर सिंचाई सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है। 1.7 करोड़ किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने की योजना है, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसके अलावा, ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का उपयोग करके कृषि प्रक्रियाओं को और अधिक कुशल बनाने की योजना है।

बजट में छह साल के ‘दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन’ की घोषणा की गई है। यह मिशन घरेलू दलहन उत्पादन को बढ़ावा देगा, आयात पर निर्भरता को कम करेगा और कीमतों को स्थिर रखेगा। इससे न केवल उपभोक्ताओं को लाभ होगा, बल्कि दाल उत्पादक किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

फलों और सब्जियों में कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक नया व्यापक कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस पहल के तहत आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का विस्तार करने और परिवहन सुविधाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया जाएगा। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी ताज़ा और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद सुलभ होंगे।

छोटे और सीमांत किसानों के लिए ऋण तक पहुंच एक बड़ी चुनौती रही है। इस समस्या को दूर करने के लिए ‘ग्रामीण क्रेडिट स्कोर’ ढांचा शुरू किया गया है। यह ढांचा स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और ग्रामीण उद्यमियों को किफायती ऋण सुविधा प्रदान करेगा, जिससे वे अपने खेतों और व्यवसायों में निवेश कर सकेंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए ‘अभिनव ग्रामीण समृद्धि और लचीलापन कार्यक्रम’ शुरू किया गया है। इसके तहत कौशल विकास, प्रौद्योगिकी अपनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह कार्यक्रम गैर-कृषि रोजगार के अवसर पैदा करेगा, जो कृषि आय के लिए एक महत्वपूर्ण पूरक साबित होगा।

बजट में पीएम-किसान, पीएम फसल बीमा योजना और अन्य मौजूदा योजनाओं को और मजबूत करने का भी प्रावधान है। इन योजनाओं ने पहले से ही कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और नई पहल इन्हें और प्रभावी बनाएगी।

कृषि विशेषज्ञ सच्चेंद्र कुमार सिंह कहते हैं, “उपज के अंतर को पाटने पर ध्यान केंद्रित करने से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में समानता भी सुनिश्चित होगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए यह बजट एक मील का पत्थर साबित होगा।”

रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक टी.एन. सुब्रमनियन का कहना है, “प्रौद्योगिकी, वित्त और नीति सुधारों को एकीकृत करके, यह बजट भारतीय कृषि को वैश्विक स्तर पर एक शक्तिशाली क्षेत्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।”

2025-26 का बजट भारतीय कृषि के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। नवाचार, लचीलापन और समावेशी विकास पर आधारित यह बजट किसानों को सशक्त बनाने, उत्पादकता बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक स्पष्ट रोडमैप प्रदान करता है। यह न केवल किसानों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए समृद्धि का संकेत है।

लगातार हार की चिंता में भाषा का संयम भी खो चुके हैं भूपेश बघेल : शिवरतन शर्मा

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रायपुर: प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अशालीन बयानबाजी पर कड़ा एतराज जताया है। श्री शर्मा ने कहा कि लगातार हार और नगरीय निकाय चुनाव में भी पराजय की आशंका से कांग्रेस नेता भूपेश बघेल का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। श्री शर्मा ने कहा कि भाजपा के प्रदेश प्रभारी श्री नितिन नबीन के बारे में व्यक्त बघेल के विचार कतई स्वीकार नहीं किए जा सकते। राजनीतिक विमर्श में ऐसी भाषा की कोई जगह नहीं होना चाहिए।

उपाध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि भाजपा के प्रदेश प्रभारी श्री नबीन का पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता से संपर्क है। प्रदेश के हर कोने तक पहुंच कर उन्होंने संगठन को मज़बूत किया और कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि भूपेशजी लगातार हो रहे पराजय को पचा नहीं पा रहे हैं, इसलिए ऊल-जुलूल बयानबाजी कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री को उनके किए की सजा जनता ने दी है। उन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए और बजाय बौखलाहट में आपा खोने के, अपनी भूलों को स्वीकार करते हुए सुधार करना चाहिये।

श्री शर्मा ने कहा कि श्री बघेल न केवल जनता में अलोकप्रिय और अप्रासंगिक हो गये हैं बल्कि अब कांग्रेस के भीतर भी उन्हें कोई सहन करने के लिए तैयार नहीं है। हाल ही में नेता प्रतिपक्ष महंत ने उनके नेतृत्व को खुली चुनौती दी है। अब अपनी राजनीतिक जमीन बुरी तरह खो चुके बघेल को अब राजनीति छोड़ देनी चाहिये।

उपाध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि अपार बहुमत से सत्ता में आने के बावजूद अपनी करनी, अपने भ्रष्टाचार, वादाखिलाफ़ी और अक्षमता के कारण पूर्व मुख्यमंत्री ने जनता का विश्वास खो दिया, उनकी बेजा बयानबाजी ने भी कांग्रेस की लुटिया डुबो दी। ऐसे बयानों से कांग्रेस का रहा-सहा आधार भी समाप्त हो जायेगा। श्री शर्मा ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता अपने प्रभारी के बारे में अनर्गल और बेजा बयानबाज़ी सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कांग्रेस में नेताओं से यह उम्मीद की है कि वे सभी पूर्व मुख्यमंत्री को समझाइश देंगे।

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