
क्या बिहार इस तबाही से बचने के लिए तैयार है

समोसा बाहर से आया। यह तर्क था। सुधांशु मित्तल ने कहा कि समोसे को हमने समोसा नाम के साथ स्वीकार किया ना, उसे राम मिठाई नाम तो नहीं दे दिया।
संदीप कहते हैं कि आप बिस्मिल्लाह खान को क्यों सुनते है और आपने मिशनरी स्कूल से पढ़ाई क्यों की?
संदीप की बुद्धी में इतनी सी बात क्यों नहीं आ रही कि यही बात तो कही जा रही है कि जिसे तुम हिन्दू मुस्लिम बनाने की कोशिश कर रहे हो, उसमें हिन्दू मुस्लिम जैसा कुछ है नहीं।
बिस्मिल्लाह खान यदि घरों में बिस्मिल्लाह खान बनकर जाएंगे तो देशभर में उनके हुनर का स्वागत होगा। वे अपनी मृत्यु के अठारह साल बाद भी शादियों में सुने जाएंगे। कोई पूछेगा कि यह शहनाई किसकी है तो किसी को बताने में शर्म नहीं होगी कि यह बिस्मिल्लाह खान की शहनाई है।
चर्च के स्कूल चर्च के नाम से चल रहे हैं। उन्होंने पढ़ाई के मामले में सबका का दिल जीत लिया। सरकारी स्कूलों की पढ़ाई कांग्रेस राज में दिन प्रतिदिन खराब होती गई और अच्छी पढ़ाई का पर्यायवाची मिशनरी स्कूल बन गया। बड़ी संख्या में मिशनरी स्कूल का नाम देखकर लोगों ने वहां अपने बच्चों का दाखिला कराया। बात नाम से अधिक विश्वास अर्जित करने की है।
आज भी भजन गायन के लिए मोहम्मद सलीम को लोग बुलाते हैं। उसकी आवाज अच्छी है। उसने अपना नाम सुमित या अमित नहीं रखा फिर भी उसकी भजन मंडली लोकप्रिय है।
इसलिए नाम सार्वजनिक करने के पीछे का उद्देश्य समझ नहीं आता हो तो किसी दूसरे विषय पर कांग्रेस का प्रचार करें। बीजेपी के लिए नफरत बोएं। बीजेपी नेता को यह कर उन्होंने खुश करने की कोशिश की कि आपके यहां जैसा नाश्ता मिलता है, दिल्ली में कहीं और नहीं मिलता। लेकिन उसके बावजूद सवाल जवाब में वे अपने हिन्दू मुस्लिम के एजेन्डे से एक इंच भी दाएं बाएं नहीं हुए। चौधरी को जिस मामले में हिन्दू मुस्लिम कतई नहीं है, उस मामले में हिन्दू मुस्लिम नहीं करना चाहिए।
वे बीजेपी और आरएसएस के विरोध के लिए कुछ ठोस एजेन्डा लेकर आएं। एबीपी न्यूज पर हर शाम वे एक्सपोज ही होते हैं। पहले दिवि के प्राध्यापक संगीत रागी ने उन्हें आईना दिखाया फिर बीजेपी प्रवक्ता रमण मलिक ने। लेकिन संदीप पंचों की राय मानकर हर बार, उनकी सूई वहीं अटकी होती है जहां उन्हें बीजेपी और आरएसएस का विरोधर करने का अवसर मिले।
इंडि-गठबंधन की गोद में बैठकर जब तरक्की ठीक ठाक मिल जाए फिर आदमी पत्रकारिता क्यों करे? गोद में ही ना बैठे!
यमुना बेसिन की छोटी नदियों द्वारा पोषित आगरा की विकसित और विस्तृत नहर प्रणाली, जिले में नदी नेटवर्क को पुनर्जीवित करने और बहाल करने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
आगरा, जो कभी एक संपन्न नदी गंतव्य था, यमुना नदी के किनारे अंतर्देशीय व्यापार और सार्वजनिक परिवहन का समृद्ध इतिहास समेटे हुए है। हालाँकि, शहर के जलमार्गों को वर्षों से उपेक्षा, प्रदूषण और अतिक्रमण का सामना करना पड़ा है। यमुना और उसकी छह सहायक नदियों की सफाई, नहर प्रणाली को पुनर्जीवित करने और पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करके आगरा के विरासत मूल्य को पुनः प्राप्त करने का समय आ गया है।
यमुना नदी, जो कभी आगरा की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा थी, अब प्रदूषण, सीवेज और औद्योगिक कचरे से जूझ रही है। फतेहपुर सीकरी नहर, आगरा शाखा (रजवाहा), टर्मिनल शाखा और सिकंदरा शाखा सहित शहर की सिंचाई नहरें निष्क्रिय पड़ी हैं और जीर्णोद्धार की प्रतीक्षा कर रही हैं। सर्किट हाउस के तालाबों को पानी देने वाली और ताजमहल परिसर में हरियाली को सींचने वाली छोटी-छोटी नलियाँ अब खत्म हो चुकी हैं, उन पर पूरी तरह से अतिक्रमण हो चुका है। भगवान टॉकीज चौराहे से जज कंपाउंड के रास्ते पालीवाल पार्क तक पानी लाने वाली नहर प्रणाली गायब हो चुकी है। दो बड़े नाले, मंटोला नाला और भैरों नाला, कभी छोटी नदियां होती थीं। इनका इस्तेमाल दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में माल ढोने के लिए किया जाता था।
नहर प्रणाली को पुनर्जीवित करने से आगरा का परिदृश्य बदल सकता है, नौवहन पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और पारिस्थितिकी संतुलन बहाल हो सकता है। कल्पना कीजिए कि यमुना के किनारे नाव की सवारी, ताजमहल और एत्माउद्दौला जैसी विरासत स्थलों की खोज। इससे न केवल शहर का आकर्षण बढ़ेगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
लाभ पर्यटन से परे हैं: बेहतर जल स्तर, नहरों के पुनरुद्धार से भूजल रिचार्ज होगा, जिससे निवासियों के लिए बेहतर जल आपूर्ति सुनिश्चित होगी। बहाल किए गए जलमार्ग जलीय जीवन को आकर्षित करेंगे, पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करेंगे। यमुना और उसकी सहायक नदियों की सफाई से स्वास्थ्य जोखिम कम होंगे और स्वच्छ वातावरण बनेगा।
हालांकि, चुनौतियों का समाधान भी करना होगा। नहर की ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया गया है, जिसे खाली कराने के लिए प्रशासनिक हस्तक्षेप की ज़रूरत है।
इन बाधाओं को दूर करने के लिए, सहयोगात्मक प्रयासों की ज़रूरत है। राज्य सरकार को स्थानीय अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों और सामुदायिक समूहों को पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन पहल और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के लिए शामिल करना चाहिए।
आगरा की खोई जल विरासत जिसमें हजारों तालाब भी शामिल हैं, को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए। यमुना और उसकी सहायक नदियों को बहाल करके, हम इतिहास को संरक्षित कर सकते हैं, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा दे सकते हैं, पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ा सकते हैं और पर्यटन को बढ़ावा दे सकते हैं।