पत्रकारों का एक प्रतिनिधि मंडल सूचना प्रसारण मंत्री से मिला

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दिल्ली : विपक्ष के नेता राहुल गांधी की अमरीका यात्रा के दौरान एक भारतीय पत्रकार के साथ मारपीट के मामले को लेकर आज दिल्ली में विभिन्न मीडिया संस्थानों के पत्रकारों ने प्रेस क्लब के सामने विरोध प्रदर्शन किया और इसके बाद पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा।दरअसल डेल्लास में भारतीय पत्रकार रोहित शर्मा के साथ राहुल गांधी की एडवांस टीम के सदस्यों ने मारपीट और बदसलूकी की। रोहित शर्मा ओवरसीज काँग्रेस के अध्यक्ष श्री सैम पित्रोदा का इंटरव्यू ले रहे थे और जब उन्होंने सैम पित्रोदा से बांग्लादेश के हिंदुओं पर सवाल पूछा तब उन पर हमला कर दिया गया।आज 18 सितम्बर को दिल्ली के पत्रकारों ने इसके विरोध में प्रेस क्लब के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पत्रकार पर हमले के विरोध में राहुल गांधी से माफी मांगने और रोहित शर्मा पर हमला करने वाले राहुल गांधी के सहयोगियों के खिलाफ कार्यवाई करने की मांग की। इस विरोध प्रदर्शन के बाद प्रदर्शनकारियों का एक प्रतिनिधि मण्डल केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपा। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए पत्रकारों के ज्ञापन को प्रेस काउंसिल में भेजने का आश्वासन दिया।

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श्री आश्विन वैष्णव, 18/09/2024

सूचना और प्रसारण मंत्री भारत सरकार

विषय : अमेरिका में काँग्रेस के नेता सैम पित्रोदा की मौजूदगी में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के सहयोगियों द्वारा पत्रकार पर हमला और उसके उत्पीड़न के संबंध में विरोध दर्ज कराने हेतु

हम सभी भारत के पत्रकार अमेरिका में श्री राहुल गांधी के सहयोगियों द्वारा एक भारतीय पत्रकार पर हमले और उनके उत्पीड़न की कड़ी निंदा करते हुए इस मामले में जल्द से जल्द कड़ी कार्यवाई की मांग करते हुए यह ज्ञापन आपको सौंप रहे हैं।
दरअसल काँग्रेस के नेता श्री राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर गए थे, अमेरिका में इंडिया टुडे ग्रुप के एक पत्रकार ने इस दौरे के संबंध में ओवरसीज काँग्रेस के अध्यक्ष श्री सैम पित्रोदा की सहमति से उनका एक इंटरव्यू किया। इस इंटरव्यू के अंत में इंडिया टुडे के पत्रकार रोहित शर्मा ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमले से जुड़ा एक सवाल पूछा। राहुल गांधी के सहयोगियों को पता नहीं यह सवाल पूछना क्यों आपत्तिजनक लगा, इतना आपत्तिजनक कि उन्होंने पत्रकार रोहित शर्मा पर हमला बोल दिया । पत्रकार से हाथापाई की गई, उन्हें धक्का दिया गया और उनका मोबाईल फोन छीन लिया गया । रोहित शर्मा ने बताया कि इसके बाद राहुल गांधी की एडवांस टीम ने विदेशी धरती पर उन्हें तीन घंटे तक बंधक बनाकर रखा और उनके मोबाइल फोन में रिकार्ड किया गया इंटरव्यू डिलीट कर दिया। राहुल गांधी के सहयोगियों द्वारा अमेरिका में भारतीय पत्रकार पर इस शर्मनाक हमले की हम सभी पत्रकार कड़ी निंदा करते हैं और हम चाहते हैं कि यदि काँग्रेस पार्टी स्वयं से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई नहीं करती और यदि राहुल गांधी इसके लिए माफी नहीं मांगते तो भारतीय एजेंसियाँ इस मामले में उचित कानूनी कार्यवाई करें ।

सादर
हम भारत के पत्रकार

सुप्रसिद्ध गौरक्षक और राम जन्मभूमि आँदोलन को जीवन समर्पित करने वाले आचार्य धर्मेंद्र का निधन

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राजनैतिक संघर्ष और स्वसत्ता स्थापित करना तो स्वतंत्रता संघर्ष होता ही है लेकिन इससे बड़ा संघर्ष समाज में स्वत्व और साँस्कृतिक गौरव की स्थापना करना है । इसी अभियान को अपना पूरा जीवन समर्पित किया था आचार्य धर्मेन्द्र ने । गौरक्षा आँदोलन में उन्होंने अनशन किया तो उनकी पत्नि भी जेल गईं थी ।

अद्भुत विचारक और ओजस्वी वक्ता संत आचार्य धर्मेन्द्र अपने यशस्वी पिता संत रामचंद्र वीर की इकलौती संतान थे । उनका जन्म 9 जनवरी 1942 को उस समय हुआ जब उनके पिता जेल में थे । वे आठ वर्ष की आयु से पिता के साथ रहते और प्रवचन सुनते । उनकी स्मरण शक्ति अद्भुत थी । यह स्वतंत्रता के बाद विभाजन से उत्पन्न विभीषिका का समय था । उत्तर मध्य और पश्चिम भारत में हुये रक्तपात और शरणार्थियों के दर्द की कल्पना तक नहीं की जा सकती। सभी संत और सामाजिक व्यक्ति पीड़ितों की सेवा सुश्रुषा में लगे थे । पिता रामचंद्र वीर भी इसी में व्यस्त थे । बालवय धर्मेन्द्र भी उनके साथ जो समाज सेवा में लगे तो पूरा जीवन समर्पित हो गया । पिता के साथ सेवा कार्य तो करते ही साथ साथ संस्कृत की शिक्षा भी होती रहती । किशोर वय में उनके मन में यह बात आ गई कि समाज और देश के सामने इस संकट का मुख्य कारण संस्कृति से विखराव और असंगठन है । उन्होंने तेरह वर्ष की आयु में एक समाचारपत्र निकाल जिसका नाम हनुमान जी के नाम पर “वज्रांग” रखा । इस समाचार पत्र में तीन प्रकार की सामग्री होती । एक भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता और वैज्ञानिकता । दूसरा संगठन का महत्व और तीसरा परंपराओं का महत्व और उनकी रक्षा के लिये जाग्रत रहना । अपने इस अभियान के अंतर्गत देश भर की यात्रा की और लोगों को गौरक्षा एवं गौपालन के लिये प्रेरित किया । अपने देश व्यापी अभियान के साथ वेद वेदान्त और उपनिषद का अध्ययन भी नारंतर रहा । समय के साथ विवाह हुआ और पत्नि प्रतिभा भी सनातन संस्कृति की विद्वान थीं। अपने अभियान के अंतर्गत ही विश्व हिंदु परिषद के संपर्क में आये । 1966 के गौरक्षा आँदोलन में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही । उन्होंने गौरक्षा आँदोलन में 52 दिनों का अनशन किया था । वे गिरफ्तार हुये और जेल भेजे गये । इस आँदोलन में उनकी पत्नि प्रतिभा देवी भी गिरफ्तार हुईं और तीन दिन जेल में रहे ।

आगे चलकर वे राजस्थान में जयपुर के समीप विराटनगर स्थित श्री पंचखंड पीठाधीश्वर बने । उन्होंने बालवय में इसी आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण की थी और साधु संतों के सानिध्य में साधना सीखी थी । इस आश्रम का प्रमुख बनने के बाद उनके संपर्क में सभी राजनैतिक दलों के नेताओं से बने । जिनमें काँग्रेस के भी थे । पर गौरक्षा आँदोलन के बाद उनका संपर्क विश्व हिन्दु परिषद से गहरा हुआ और स्थाईरूप से विश्व हिन्दु परिषद के हो गये । वे बहुभाषा के ज्ञानी थे । अद्वितीय स्मरण शक्ति और अद्भुत वक्ता थे अपनी प्रतिभा के चलते ही विश्व हिन्दु परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उनका संपर्क गहरा हो गया । इसका एक कारण यह भी था कि विश्व हिन्दु परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गौरक्षा का न केवल खुलकर समर्थन किया था अपितु उनके असंख्य कार्यकर्ता संतों के साथ आँदोलन में सहभागी बने थे । विश्व हिन्दु परिषद ने उनकी प्रतिभा और क्षमता के अनुरूप दायित्व सौंपे। वे विश्व हिन्दु परिषद के केन्द्रीय मंडल के प्रमुख सदस्य बने । इसके चलते पहले भारतीय जनसंघ और फिर भारतीय जनता पार्टी में ऐसा कोई नेता नहीं जिनसे उनका व्यक्तिगत परिचय न हो ।

विश्व हिन्दु परिषद द्वारा निकाली गई गंगाजलि यात्रा और फिर अयोध्या में रामजन्म भूमि मुक्ति आन्दोलन में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही । उन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दु, हिंदी, हिंदुत्व और हिंदुस्तान के गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए समर्पित कर दिया था । बातों को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत करना उनके स्वभाव में न था । वे दो टूक बात करते थे और तर्क के साथ । कई बार उनके वक्तव्यों से असहमति के बाद भी विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता उनका सम्मान ही करते थे । वे जो काम हाथ में लेते उसे प्राण पण से पूरा करते थे । श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति मानों उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था । वे इस आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा थे और प्रमुख नेतृत्व कर्ताओं में से एक थे । राम मंदिर मुद्दे पर उन्होंने देशव्यापी यात्रा की, कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया और मीडिया से खुलकर बात की । 1992 में जब विवादास्पद ढांचा ढहा तब जिन्हे भी आरोपी बनाया गया था । जब ढांचा विध्वंस का फैसला सुनाया जाना था तब इन्होने कहा था- “सच से डरना क्या, जो फैसला होगा हमें स्वीकार होगा, हमारा जन्म तो रामकाज के लिये ही हुआ है” । ढांचा विध्वंस मामले में श्री कल्याण सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को भी इनके साथ आरोपी बनाया गया था ।

आचार्य धर्मेंद्र का पूरा जीवन भारत माँ की सेवा और हिंदुत्व भाव की जाग्रति में समर्पित रहा । वे अनेक आंदोलनों और सत्याग्रहों का हिस्सा रहे और जेल गए ।

उनके जीवन का उत्तरार्ध गहन शारीरिक अस्वस्थता में बीता वे कई दिनों तक जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती रहे । वे आंतों से संबंधित गंभीर बीमारी से पीड़ित थे । अंततः 19 सितम्बर 2022 को उन्होने संसार से विदा ली । उनका अंतिम संस्कार विराटनगर स्थित उनके मठ में ही किया गया । उनके निधन पर राजस्थान के सभी राजनैतिक दलों से जुड़े नेताओं और विशेष कर हिंदू संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने देश भर में शोक सभाएँ कीं । उनके निधन से राममंदिर आँदोलन जुड़े सभी कारसेवकों को गहरा शोक हुआ । वे अपने जीवन में वहाँ भव्य मंदिर देखना चाहते थे । उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई।

नक्सली बर्बरता से पीड़ित बस्तर के आदिवासियों का जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

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नक्सलियों द्वारा बस्तर के आदिवासियों के विरुद्ध की जा रही नृशंस और बर्बर हिंसा के खिलाफ वहां के पीड़ित आदिवासियों के एक समूह की ओर से अभी 11 बजे से एक प्रदर्शन जंतर-मंतर (नई दिल्ली) पर आयोजित है। इस प्रदर्शन में खामोश रही बस्तर (छत्तीसगढ़) की पीड़ा और वहां फैले कम्युनिस्ट आतंक पीड़ितों को स्वर देने की कोशिश होगी।

कभी भी बस्तर की आवाज दिल्ली के कानों को प्रभावित नहीं करती है। इस आयोजन में बस्तर के वैसे पीड़ित जन जिनकी आवाज कभी नहीं सुनी गयी, वे दिल्ली को अपनी आवाज सुनाने आ रहे हैं। साथ ही निर्दोष और भोले-भाले आदिवासियों की हत्या को महिमामंडित करने वाले, उनकी संस्कृति से खिलवाड़ करने वाले अर्बन नक्सलियों के कृत्यों का खुलासा करने की विनम्र कोशिश है।

आपसे आग्रह है कि पहली बार दिल्ली में हो रहे इस प्रदर्शन में अपनी सहभागिता देकर भारत के भीतर ही भारतीयता का संहार करने के विरुद्ध हो रही कोशिश में साथ आए।

Agra Students Unite for Water Conservation at Jal Panchayat

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A Pani Panchayat, organized by Civil Society of Agra and St. Xavier’s International School, brought together school children to discuss water conservation and management in the city.

Renowned water conservationist Rajendra Singh, also known as Jalpurush, praised the students’ efforts, saying their views would be conveyed to the government and public representatives.

The students emphasized the need to identify and revive Agra’s water sources, clean the Yamuna River, and implement effective water storage plans. They suggested redeveloping water structures, reviving old ponds, and implementing the Shastripuram reservoir scheme.

Participants criticized the Uttar Pradesh government’s groundwater exploitation policy, stating it has worsened the city’s water crisis.

The Panchayat resolved to make Agra water-rich by cleaning and preserving its water sources, and urged the government to address the issue of Rajasthan stopping UP’s share of water from the Utangan and Khari rivers.

Students from seven schools participated in the event, including Holy Public School, Delhi Public School International, and Bharatiya Vidya Mandir School.

The event highlighted the importance of community involvement in water conservation efforts. “We are proud to see our students taking initiative and showing concern for Agra’s water crisis,” said Father Raj Albert, Principal of St. Xavier’s International School.

Rajendra Singh emphasized the need for sustainable water management practices, citing successful examples from neighboring districts Bharatpur and Dholpur. “Agra can learn from these models and implement similar solutions to address its water woes,” he said.

The Panchayat’s resolutions and recommendations will be submitted to the Agra District Administration and the Uttar Pradesh government, with the hope of sparking meaningful change in the city’s water conservation efforts.

Organizers hailed the event as a success, noting that it marked a crucial step towards raising awareness and promoting community engagement on water conservation issues in Agra.

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