महिला मतदाता निर्णायक भूमिका : मोदी और महिला सशक्तिकरण

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2024 लोकसभा चुनाव सिर पर है। इस बार भी चुनाव में महिला मतदाता निर्णायक भूमिका में रहेंगी। इसलिए भारतीय जनता पार्टी विकास के मुद्दे के साथ- साथ महिला सशक्तिकरण को लेकर चुनाव प्रचार कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण आशा है कि उसे महिलाओं का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा। इसके अनेक कारण हैं। वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दस वर्ष के शासन काल में महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। उन्होंने न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य किए, अपितु उनके मान- सम्मान को भी विशेष महत्त्व दिया। वे दावे से कहते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा, सुविधा और सशक्तिकरण – ये मोदी की गारंटी है। उनका कहना है कि मोदी ने बहन- बेटियों को लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण की गारंटी दी थी। वह पूर्ण हो चुकी है। मोदी ने मुस्लिम बहनों को तीन तलाक की कुरीति से मुक्ति दिलाने की गारंटी भी दी थी। ये गारंटी भी मोदी ने पूर्ण की है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के महिला सशक्तिकरण के कार्यों में नारी शक्ति वंदन अधिनियम का नाम प्रमुख है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए सदैव से ही प्रतिबद्ध रही है। मोदी सरकार ने समय- समय पर दोहराया है कि उनकी सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। नारी शक्ति वंदन अधिनियम इसी प्रयास का ही परिणाम है। सितम्बर 2023 पारित यह विधेयक लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है। इसके पारित होने से महिलाओं की एक लम्बित मांग पूर्ण हुई है। इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने केवल टाल- मटोल का व्यवहार ही किया था। उन्होंने इस विधेयक को लेकर केवल महिलाओं के वोट हथियाने का ही प्रपंच रचा। उन्होंने इस संबंध में कभी गंभीरता से कार्य नहीं किया। किन्तु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस विधेयक के संबंध में पूर्ण निष्ठा एवं गंभीरता से कार्य किया तथा इसे पारित करवाया। इसी प्रकार बिना किसी भेदभाव के मुस्लिम महिलाओं के हित में भी निर्णय लेते हुए उन्हें तीन तलाक की कुरीति से मुक्ति दिलवाई। इस पर भी उन्हें निशाना बनाया गया, परन्तु उन्होंने किसी की नहीं सुनी और मुस्लिम बहनों के हित में निर्णय लिया। इन सब निर्णयों के कारण ही महिलाओं में मोदी सरकार विशेषकर श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति विश्वास बढ़ा है। इसीलिए उन्हें महिलाओं का भरपूर जनसमर्थन प्राप्त होता रहा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए नारी शक्ति को अधिक से अधिक अवसर देना अत्यंत आवश्यक है। भाजपा सरकार के प्रयास से आज देश के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं के लिए नए रास्ते बन रहे हैं। मोदी सरकार महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा एवं रोजगार आदि से संबंधित अनेक योजनाएं संचालित कर रही है। महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए युद्धस्तर पर शौचालयों का निर्माण करवाया जा रहा है। इससे एक ओर महिलाओं को मान मिल रहा है, दूसरी ओर उन्हें अपराधों से भी मुक्ति मिल रही है। महिलाएं शौच के लिए अंधेरे में ही निर्जन स्थानों पर जाती हैं। ऐसी परिस्थिति में वे अपराधी तत्वों का शिकार बन जाती हैं। इसके अतिरिक्त समय पर नित्य कर्म से न निपटने के कारण वे अनेक रोगों की भी चपेट में आ जाती हैं। किन्तु शौचालयों के निर्माण से उन्हें इस समस्या से छुटकारा मिल रहा है। आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार देश में विगत नौ वर्षों में 12 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं, जिससे देश को खुले में शौच के अभिशाप से मुक्ति मिली है।
वास्तव में मोदी सरकार महिलाओं के हित के अनेक कार्य कर रही है। वह उनकी प्रत्येक छोटी से छोटी बात का भी ध्यान रख रही है। महिलाओं का स्वप्न होता है कि उनका भी अपना निजी मकान हो। इस बात को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार निर्धन लोगों को पक्के आवास उपलब्ध करवा रही है। इनके पंजीकरण में महिलाओं का नाम सम्मिलित किया जा रहा है। इसके कारण अब महिलाएं भी अपने घर की स्वामिनी बन रही हैं। उनका स्वयं के घर का स्वप्न पूर्ण हो रहा है। इतना ही नहीं मोदी सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी तीव्र गति से कार्य कर रही है। महिलाओं को रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षित महिलाओं को स्वरोजगार अर्जित करने के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जा रहा है। इससे वे कुटीर उद्योग चालू कर रही हैं। जो महिलाएं सिलाई का कार्य जानती हैं तथा उनके पास सिलाई मशीन क्रय करने के लिए धन नहीं हैं उन्हें निशुल्क सिलाई मशीनें वितरित की जा रही हैं। ये महिलाएं अब घर पर ही सिलाई का कार्य करके धन अर्जित कर रही हैं। आत्मनिर्भरता के कारण उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है। अब वे अपनी इच्छा से अपना धन व्यय कर रही हैं। उनके जीवन यापन की शैली में परिवर्तन आया है। यह सब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की महिला हितैषी योजनाओं का ही परिणाम है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि भारत की नारी शक्ति, विकसित भारत की एक सशक्त स्तंभ है। भारत की नारी शक्ति की आर्थिक शक्ति बढ़े, इसके लिए बीते दस वर्षों में बीजेपी सरकार ने निरंतर कार्य किया है। जनधन योजना के अंतर्गत करोड़ों बहनों के बैंक खाते खोले हैं। इन दस वर्षों में देश में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की संख्या दस करोड़ को पार कर गई है। देश में दस वर्षों में बहनों के इन समूहों को स्वरोजगार के लिए आठ लाख करोड़ रुपए की सहायता बैंकों से दिलवाई गई है।

श्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में कहा था कि आज देश में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें देश की नारी- शक्ति पीछे रह गई हो। एक और क्षेत्र, जहां महिलाओं ने अपनी नेतृत्व क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया है, वह है- प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और स्वच्छता। केमिकल से हमारी धरती माँ को जो कष्ट हो रहा है, जो पीड़ा हो रही है, जो दर्द हो रहा है – हमारी धरती माँ को बचाने में देश की मातृशक्ति बड़ी भूमिका निभा रही है। देश के कोने- कोने में महिलाएं अब प्राकृतिक खेती को विस्तार दे रही हैं। आज अगर देश में ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत इतना काम हो रहा है तो इसके पीछे पानी समितियों की बहुत बड़ी भूमिका है। इस पानी समिति का नेतृत्व महिलाओं के ही पास है। इसके अलावा भी बहनें-बेटियां, जल संरक्षण के लिए चौतरफा प्रयास कर रही हैं।

मोदी सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा, सुविधा एवं सशक्तिकरण के लिए किए गये कार्यों की सफलता ही है कि आज महिलाएं आत्मविश्वास के साथ निर्भीक होकर घर से बाहर जाकर कार्य कर रही हैं। कहा जाता है कि महिला मतदाता साइलेंट वोटर होती हैं। महिला मतदाता जिस दल को अपना समर्थन देती हैं, उसे ही बहुमत प्राप्त होता है तथा सरकार उसी दल की बनती है। विशेष बात है कि भारतीय जनता पार्टी एवं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध विरोधियों द्वारा दुष्प्रचार करने के पश्चात भी मुस्लिम महिलाएं इन्हें अपना भरपूर समर्थन दे रही हैं। इस बार यह देखना अत्यंत रोचक होगा कि महिलाएं उन्हें कितना समर्थन देती हैं।

उनका कहना है कि उन्हें उन निर्णयों पर गर्व है जिन्होंने महिला सशक्तिकरण को और मजबूत किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि उनका तृतीय कार्यकाल भी विकास एवं महिला सशक्तिकरण को समर्पित रहेगा।

(लेखक – लखनऊ विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर है)

कोलकाता नाइटराइडर्स ने आईपीएल का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर बनाया

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विशाखापट्टनम। 17वें सीजन में कल बुधवार को कोलकाता नाइटराइडर्स ने दूसरा सबसे बड़ा स्कोर 272 रन बनाया, जिसके जबाब में दिल्ली की टीम 166 रन ही बना सकी। इस तरह कोलकाता ने विशाखापट्टनम में IPL के 16वें मुकाबले में दिल्ली कैपिटल्स को 106 रन से हराकर लगातार तीसरे मैच में भी जीत हासिल की।

गौरतलब हो कि यह मौजूदा सीजन में रनों के लिहाज से किसी भी टीम की सबसे बड़ी जीत है। कोलकाता की टीम ने आईपीएल में पहली बार अपने शुरुआती तीन मैचों में जीत हासिल की है।

विशाखापट्टनम में बुधवार को खेले गए मुकाबले में कोलकाता ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में 7 विकेट पर 272 रन बनाए। जवाबी पारी में दिल्ली कैपिटल्स की टीम 17.2 ओवर में 166 रन पर ऑलआउट हो गई। सुनील नरेन प्लेयर ऑफ द मैच रहे। उन्होंने 39 बॉल पर शानदार 85 रन की पारी खेली।

कोलकाता ने दिल्ली के खिलाफ खेले गए मैच में IPL इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर बनाया। पिछले हफ्ते सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) ने मुंबई इंडियंस (MI) के खिलाफ IPL के इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर 20 ओवर में तीन विकेट खोकर 277 रन बनाए थे।
दिल्ली के खिलाफ 272 रन बनाने के साथ कोलकाता की टीम ने इस लीग में अपना सबसे बड़ा स्कोर बनाया। इससे पहले कोलकाता ने 2018 के सीजन में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ इंदौर में 245/6 रन का स्कोर बनाया था।

धार की भोजशाला में ASI का सर्वे 13वें दिन भी जारी

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भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग का सर्वे बुधवार को 13वें दिन भी जारी है। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की 25 सदस्यीय सर्वे टीम ने सुबह करीब आठ बजे मजदूरों के साथ भोजशाला परिसर में प्रवेश किया और वैज्ञानिक पद्धति से सर्वे का काम शुरू किया। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रही। सुरक्षा व्यवस्था के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं।

आज के सर्वे में विशेष रूप से भीतर खुदाई का कार्य शुरू हो सकता है। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से इसको लेकर कोई भी खुलासा नहीं किया जा रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि इस पूरे मामले को गोपनीय रखकर अदालत को ही रिपोर्ट प्रस्तुत करना है। सर्वे टीम सुबह 8 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक सर्वे कार्य करेगी। फिलहाल, सर्वे का काम जारी है और इस काम में आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद , एएसआई ने 22 मार्च को भोजशाला परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण शुरू किया। हिंदुओं के लिए भोजशाला परिसर देवी वाग्देवी को समर्पित एक मंदिर है, जबकि मुसलमानों के लिए, यह कमल मौला मस्जिद का स्थान है। 2003 में एक व्यवस्था के अनुसार, हिंदू मंगलवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक परिसर में पूजा करते हैं जबकि मुस्लिम शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक नमाज अदा करते हैं।

4 अप्रैल 1946 :क्राँतिकारी लेखक सागरमल गोपा का बलिदान

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रमेश शर्मा

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास बलिदानों से भरा है । क्राँतिकारी लेखक सागरमल गोपा को जेल में इसलिये जलाकर मार डाला गया था कि उन्होंने अपने ओजस्वी साहित्य से जन जागरण अभियान चलाया था ।

सागरमल गोपा मूलतः राजस्थान की जैसलमेर रियासत के थे । उनका जन्म तीन नवम्बर 1900 को जैसलमेर में हुआ था । उनकी आरंभिक शिक्षा जैसलमेर में हुई । उन्होंने संस्कृत और हिन्दी के साथ अंग्रेजी की शिक्षा भी ली । वे बहुत कुशाग्र बुद्धि थे । स्मरण शक्ति भी असामान्य थी ।

उनके पूर्वज रियासत के राजगुरु रहे हैं। पिता अखैराज गोपा भी रियासत के दरबारी थे । उन दिनों जैसलमेर में महरावल जवाहर सिंह का शासन था । पर जवाहर सिंह नाम के महरावल थे रियासत का शासन वहाँ तैनात अंग्रेज पॉलिटिकल एजेंट के इशारे पर चलता था । अंग्रेजों का प्रमुख काम जनता का शोषण करके अधिक से अधिक राजस्व बसूली था । इस वसूली के लिये रियासत के सिपाही पूरी रियासत में भीषण अत्याचार कर रहे थे ।

इस वातावरण से किशोर वय सागरमल को प्रभावित किया । समय के साथ युवा हुये । जब वे केवल अठारह वर्ष के थे तब 1918 में उन्होंने जैसलमेर में एक सभा की जिसमें अंग्रेजीराज की तो आलोचना की ही । इसके साथ इस अत्याचार में सहभागी होने केलिये महरावल की भी आलोचना की और इन अत्याचारों केलिये राजा को ही दोषी माना । इसके साथ अपने मित्रों से मिलकर एक पुस्तकालय की स्थापना की जिसमें कुछ राष्ट्रवादी साहित्य और समाचारपत्र मंगाना आरंभ किये जिससे जन जागरण पैदा हो । इसके साथ जैसलमेर रायासत में वसूली के लिये हो रहे अत्याचारों पर एक पुस्तिका “जैसलमेर का गुण्डाराज” भी तैयार की और इसे वितरित करना आरंभ किया । इससे अंग्रेज पॉलिटिकल एजेंट और राजा दोनों कुपित हुये । महरावल ने गिरफ्तारी के आदेश दिया । युवा सागरमल बंदी बना लिये गये । पिता ने राजा से रिहाई की विनती की । राजा सहमत तो हुये पर जैसलमेर से निष्कासन की शर्त पर । पिता ने सहमति दे दी । पिता ने सागरमलजी को रिहा होते ही परिवार सहित नागपुर भेज दिया । यह 1920 का वर्ष था । सागरमल नागपुर आ गये पर यहाँ भी शांत न बैठे । 1921 में असहयोग आँदोलन आरंभ हुआ तो सहभागी हुये और गिरफ्तार कर लिये गये । उन्हे छै माह की सजा हुई । रिहा होकर पुनः जन जाग्रति और लेखन में ही जुट गये । उन्होने दिल्ली से प्रकाशित “विजय” एवं वर्धा से प्रकाशित “राजस्थान केसरी” में जैसलमेर सहित देशभर में राजनीतिक एवं सामाजिक सुधारों पर लेख लिखे ।

सागरमल गोपाजी ने रघुनाथसिंह मेहता के साथ मिलकर जैसलमेर में माहेश्वरी नवयुवक मंडल की स्थापना की । रघुनाथ सिंह जैसलमेर में ही रहते थे जबकि सागरमल जी नागपुर में रहकर ही इस संस्था से जुड़े थे । यह संस्था गुप्त रूप से राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचारार्थ राष्ट्रीय साहित्य वितरण एवं राष्ट्रीय भावना जागृत करने का कार्य कर रही थी ।

महारावल ने इस संस्था पर प्रतिबंध लगाकर पुस्तकालय जब्त कर लिया और रघुनाथसिंह मेहता को गिरफ्तार कर लिया गया ।

सागरमल गोपा ने नागपुर में रहकर ही जैसलमेर प्रजामंडल की स्थापना की संस्था प्रजामंडल काँग्रेस की ही ईकाई थी जो उन क्षेत्रों में सक्रिय थी जहाँ अंग्रेजों का सीधा शासन नहीं था । रियासती राज था पर अंग्रेजों द्वारा नियंत्रित। जैसलमेर प्रजा मंडल ने नागरिक अधिकारों और सम्मान जनक जीवन के अधिकार के लिये अनेक अभियान चलाये । और राजनीतिक सुधारों की भी मांग की ।

1938 में जैसलमेर से उनके पिता के निधन का समाचार आया । वे जैसलमेर पहुँचे। पिता के अंतिम संस्कार कर वहीं रहने लगे । और स्वतंत्रता आँदोलन के लिये जन जागरण का अभियान आरंभ किया । 25 मई 1941 में बंदी बना लिये गये । उनपर निष्कासन आदेश का उल्लंघन करने और राजद्रोह का आरोप लगा । छो वर्ष की सजा दी गई। सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जयनारायण व्यास जी ने इनकी रिहाई के लिये काँग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू जी से भी संपर्क किया । पर सफलता नहीं मिली । जेल में सागरमल जी के दो ही कार्य थे एक लेखन कार्य और दूसरा जेल अधिकारियों के अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाना । इससे उनपर जेल अधिकारियों की भृकुटी सदैव तनी रहती। जेल के भीतर उनपर अमानुषिक अत्याचार हुये । 4 अप्रैल 1946 को थानेदार गुमान सिंह ने उन्हे बाँधकर घासलेट डाला और आग लगा दी । और सागरमल जी का बलिदान हुआ ।
भारत सरकार ने 1986 में उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया और एक नहर का नाम भी उनके नाम पर रखा गया ।

सागरमल जी का पूरा जीवन सामाजिक जागरण के लिये समर्पित रहा । लेखन कार्य से भी और सभा संगोष्ठियों के माध्यम से भी । उन्होंने भारत भर के समाचारपत्रों में जैसलमेर के हालात लिखे । उनकी तीन पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाया गया उनमें “जैसलमेर का गुंडाराज” दूसरी “रघुनाथ सिंह का मुकदमा” और तीसरी “आज़ादी के दीवाने” पहली पुस्तक में जैसलमेर के राज्य में सरकारी तंत्र के अत्याचारों का वर्णन था । दूसरी पुस्तक में न्याय व्यवस्था के प्रति सतर्क रहने और तीसरी पुस्तक में देश के स्वतंत्रता आँदोलन में सक्रिय रहने और बलिदान होने वालों का विवरण था । अंग्रेजीराज और रियासत दोनों ने उनकी रचनाओं पर प्रतिबंध लगाये जो आजादी के बाद ही हट सके ।

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