15 फरवरी तक BARC इंडिया के पूर्व CEO पार्थो दासगुप्ता की जमानत अर्जी पर सुनवाई स्थगित

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टीआरपी से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनवाई 15 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।

मीडिया सुत्र के अनुसार, दासगुप्ता के  अधिवक्ता शार्दुल सिंह का कहना था कि यह याचिका स्वास्थ्य कारणों के आधार पर दाखिल की गई थी, न कि मेरिट के आधार पर। स्पेशल लोक अभियोजक शिशिर हिरे ने जस्टिस पीडी नाइक को बताया कि दासगुप्ता की ओर से दो फरवरी को याचिका वापस लेने की सूचना देने के बावजूद यह लंबित थी।

दासगुप्ता की याचिका पर सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार हुई थी और उनके वकीलों ने संशोधन के लिए आवेदन दायर करने के लिए दो सप्ताह के स्थगन की मांग की थी। अदालत ने बताया कि दासगुप्ता के वकील द्वारा टेलीफोनिक अनुरोध किए जाने के बाद मामले को सूचीबद्ध किया गया था।

राजदीप सरदेसाई समेत छह पत्रकारों को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत

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छह वरिष्ठ पत्रकारों और कांग्रेस नेता शशि थरूर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इन सबकी गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने जिन लोगों को राहत दी है, उनमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर, ‘इंडिया टुडे’ समूह के सलाहकार संपादक राजदीप सरदेसाई, ‘नेशनल हेराल्ड’ की वरिष्ठ संपादकीय सलाहकार मृणाल पाण्डेय, उर्दू अखबार ‘कौमी आवाज’ के मुख्य संपादक जफर आगा, ‘कारवां’ पत्रिका के मुख्य संपादक-प्रकाशक परेशनाथ, एडिटर विनोद के जोस और इसके कार्यकारी संपादक अनंतनाथ शामिल हैं। इसके अलावा इन सभी पर यूपी समेत अन्य दूसरे राज्यों में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर और पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने पिछले हफ्ते 26 जनवरी पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत के बारे में कथित तौर पर असत्यापित खबर शेयर करने के आरोप में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। पत्रकार मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ और अनंत नाथ ने भी इन एफआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे की अगुआई वाली बेंच में जस्टिस ए. एस. बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमणियन भी थे। इन्होंने शशि थरूर और छह पत्रकारों की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। उनकी पैरवी मशहूर वकील कपिल सिब्बल ने की। दूसरी ओर, सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली पुलिस का पक्ष रखा।

30 जनवरी को थरूर, राजदीप, ‘कारवां’ पत्रिका और अन्य के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया था। इससे पहले थरूर और छह पत्रकारों पर नोएडा पुलिस ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा को लेकर और अन्य आरोपों के साथ राजद्रोह का मामला दर्ज किया था। मध्य प्रदेश पुलिस ने भी दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा पर भ्रामक ट्वीट करने के आरोप में थरूर और छह पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

जानें, कितने टीवी चैनल्स को मिली MIB की मंजूरी

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पिछले पांच वर्षों के दौरान सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा 205 टीवी चैनल्स के लाइसेंस कैंसल किए गए हैं। इसके साथ ही मंत्रालय की ओर से जनवरी 2021 तक कुल 909 सैटेलाइट टीवी चैनल्स को देश में परिचालन की अनुमति दी गई है।

लोक सभा में सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बारे में कहा, ’31 जनवरी 2021 तक देश में स्वीकृत चैनल्स की संख्या 909 है। एक जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2021 तक यानी पिछले पांच वर्षों में विभिन्न कारणों से 205 टीवी चैनल्स के लाइसेंस कैंसल किए गए हैं। इनमें कुछ लोगों द्वारा लाइसेंस सरेंडर किए गए हैं, कुछ चैनल्स ने वार्षिक फीस जमा नहीं की है, वहीं कुछ ने संचालन बंद कर दिए है, जैसे कारण शामिल हैं।’

जावड़ेकर ने इसके साथ ही यह भी कहा, ‘इस तरह की अनुमति देने से पहले आवेदक कंपनी और उसके निदेशकों के संबंध में गृह मंत्रालय (MHA) से सुरक्षा मंजूरी ली जाती है।  वहीं, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में कोई भी बदलाव करने से पहले कंपनी को सूचना-प्रसारण मंत्रालय से मंजूरी लेनी होती है।’

जावड़ेकर ने एक अन्य सवाल के जवाब में यह भी कहा कि एमआईबी ने टेलिविजन चैनल के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए मौजूदा नीति दिशानिर्देशों के तहत निजी सैटेलाइट टीवी चैनल्स के अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग के लिए 388 न्यूज और करेंट अफेयर्स चैनल्स को मंजूरी दी है।

मंत्रालय द्वारा एक जनवरी 2016 से 51 न्यूज और करेंट अफेयर्स टीवी चैनल्स को मंजूरी दी गई थी। इसके अलावा, मंत्रालय ने भारतीय संस्थाओं को भारत में 13 विदेशी समाचार और करेंट अफेयर्स चैनलों को डाउनलिंक करने की अनुमति दी है।

सूचना प्रसारण मंत्री ने लोकसभा में TV रेटिंग्स सिस्टम को लेकर दिया जवाब

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‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ इंडिया की कार्यप्रणाली मुंबई पुलिस द्वारा टीवी रेटिंग को लेकर किए गए खुलासे के बाद से जांच के घेरे में है। ऐसे में सूचना प्रसारण मंत्रालय तमाम कमियों को दूर करने के लिए टीवी रेटिंग्स की वर्तमान गाइडलाइंस का विश्लेषण कर रहा है।

सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा टीवी व्यूअरशिप/टीआरपी की समीक्षा के लिए चार सदस्यीय समिति भी गठित की गई थी, जिसने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है।

प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पती की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में आईआईटी कानपुर में गणित व सांख्यिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शलभ, सी-डॉट के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर राजकुमार उपाध्याय और ‘सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी’ के प्रोफेसर पुलक घोष को मेंबर्स के तौर पर शामिल किया गया था।

लोकसभा में केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बारे में कहा, ‘मौजूदा गाइडलाइंस में ऑडियंस के मापन, पैनल चयन, प्लेटफॉर्म की गोपनीयता, डाटा विश्लेषण, पारदर्शिता और शिकायत निवारण तंत्र आदि के लिए कार्यप्रणाली जैसे प्रावधान हैं, जो देश में एक मजबूत, पारदर्शी और जवाबदेह रेटिंग प्रणाली के लिए आवश्यक हैं।’

लोकसभा में इस पूरे मामले को लेकर पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी समेत कई सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में जावड़ेकर का कहना था, ‘कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान गाइडलाइंस का विश्लेषण/ मूल्यांकन किया जा रहा है, ताकि यदि कोई कमी हो तो सामने आ सके और उसे दूर किया जा सके।’ इसके साथ ही जावड़ेकर का यह भी कहना था कि अक्टूबर 2020 के बाद पब्लिश कुछ न्यूज रिपोर्ट्स में टेलिविजन रेटिंग पॉइंट्स को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ने यह कहते हुए जवाब दिया था कि पैनल की पवित्रता बनाए रखने के लिए अनुशासनात्मक परिषद की कार्रवाई के अलावा उसने नमूनों के साथ छेड़छाड़ में शामिल लोगों के खिलाफ सक्रिय रूप से कार्रवाई की है और कई राज्यों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार को वर्ष 2015 के बाद से टीआरपी में हेरफेर के बारे में कोई शिकायत मिली है और यदि हां, तो उस पर क्या कार्रवाई की गई है? जावड़ेकर ने जवाब दिया कि इस तरह की शिकायतों का कोई आंकड़ा तैयार नहीं किया गया है, हालांकि BARC से संबंधित शिकायतें आमतौर पर उचित कार्रवाई के लिए BARC को भेज दी जाती हैं।

जावड़ेकर के अनुसार, ‘पैनलों से छेड़छाड़ और हेरफेर को रोकने के उद्देश्य से एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही BARC द्वारा नियमित रूप से तमाम ऐसे कदम उठाए जाते हैं, जिससे सुनिश्चित हो सके कि व्यूअरशिप डाटा और इसकी रिपोर्टिंग यथासंभव सटीक और पारदर्शी हो।’

जावड़ेकर ने यह भी बताया कि हाल में हुए विवाद के मद्देनजर टीवी व्यूअरशिप/टीआरपी की समीक्षा के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पती की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसने तमाम सिफारिशों के साथ अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

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