गुरुवार को डिजिटल मीडिया पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की विदेशी फंडिंग के संबंध में गिरफ्तारी पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर तक रोक बढ़ा दी है। दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2020 में मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी।
दिल्ली पुलिस से पुरकायस्थ की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने पूछा कि जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उनके पक्ष में प्रथम दृष्टया निष्कर्ष निकाला है, तो उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत क्यों है?
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने पूछा कि प्रथम दृष्टया जब आरबीआई ने उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं दी उस मामले में आपको याची को हिरासत में पूछताछ की जरूरत क्यों है? वहीं वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश जांच अधिकारी ने कहा कि वह अभी भी अन्य लेनदेन का सत्यापन कर रहे हैं और जांच अभी चल रही है।
मालूम हो कि उच्च न्यायालय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किए जा रहे धनशोधन के मामले में दंडात्मक कार्रवाई से उन्हें पहले ही संरक्षण दे चुका है। उनकी गिरफ्तारी पर रोक कोर्ट ने दो सितंबर तक बढ़ा रखी है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दायर प्राथमिकी में आरोप है कि पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड ने कानून का उल्लंघन करते हुए वित्त वर्ष 2018-19 में वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग्स एलएलसी यूएसए से 9.59 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया।
वहीं कोर्ट में पुरकायस्थ की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पहले ही यह बता चुके हैं कि अमेरिका स्थित कंपनी से न्यूजक्लिक ने उस साल निधि प्राप्त की थी, जब एफडीआई पर कोई सीमा नहीं थी। सिब्बल ने तर्क दिया था कि वह लोकप्रिय पत्रकार हैं और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म चलाते हैं। डिजिटल मीडिया मंचों को विदेशों से पैसा लेने की अनुमति है, जिस पर सीमा मामल के अगले साल से प्रभावी हुई थी।’ साथ ही उन्होंने दलील दी थी कि पैसों के हेर-फेर का कोई सवाल नहीं उठता है क्योंकि इसका इस्तेमाल कर्मचारियों को वेतन देने में किया गया था और इस प्रक्रिया में कोई राजकोषीय घाटा नहीं हुआ था।