बसंत में खिलेगा विकास का कमल – मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा

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दिल्ली/जयपुर। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि दिल्ली देश का दिल है, लेकिन विकास के मामले में यहां के हालात दिए तले अंधेरा जैसे हो रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने अपने 10 साल के कुशासन में भारी भ्रष्टाचार कर दिल्ली की जनता को ठगने और लूटने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अब दिल्ली की जनता उनके बहकावे में नहीं आएगी और इस बसंत में दिल्‍ली में विकास का कमल खिलायेगी।

श्री शर्मा शनिवार ने इस दौरान रिठाला विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी श्री कुलवंत राणा तथा मोतीनगर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी श्री हरीश खुराना के समर्थन में आयोजित विभिन्न जनसभाओं को संबोधित किया। उन्होंने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए।

*ईमानदारी का दिखावा करने वाले भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे*


मुख्यमंत्री ने रिठाला विधानसभा क्षेत्र में आयोजित जनसभा में कहा कि ईमानदारी का दिखावा करने वाले आम आदमी पार्टी के लोग सत्ता में आते ही भ्रष्टाचार में आकंठ डूब गए। उन्होंने 28 हजार करोड़ रुपए का जल बोर्ड में घोटाला, 5 हजार 400 करोड़ रुपए का राशन घोटाला, 4 हजार 500 करोड़ रुपए का डीटीसी बस घोटाला, 1 हजार 300 करोड़ रुपए का क्लासरूम घोटाला, 500 करोड़ रुपए का बसों के पैनिक बटन का घोटाला कर दिल्ली की जनता की खून-पसीने की कमाई को लूटा। पैरों में चप्पल पहनने तथा मारूति में चलकर सादगी का ढोंग करने वाले केजरीवाल ने 52 करोड़ रुपए से अपने लिए शीशमहल बनाया।

श्री शर्मा ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में वर्ष 2014 के बाद गरीब कल्याण, देश के विकास, आतंकवाद-नक्सलवाद के खात्मे और दुनिया में भारत के बढ़ते गौरव के रूप में हमने देश में आया परिवर्तन देखा है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्‍व में देश और उनके मार्गदर्शन में भाजपा शासित प्रदेशों में तेज गति से विकास हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों- राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में भाजपा की डबल इंजन की सरकारें समर्पित भाव से जनहित के कार्य कर रही है। राजस्थान में हमारी सरकार बने हुए एक वर्ष से कुछ ही अधिक समय हुआ है, मगर हमारे संकल्प पत्र के 50 से 55 फीसदी तक वादे पूरे हो चुके हैं।

मोती नगर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित दो अलग-अलग जनसभाओं में श्री शर्मा ने कहा कि देश और दुनिया में रह रहे हमारे मारवाड़ी भाई-बहनों ने अपनी मेहनत, लगन और समर्पण से राजस्थान का नाम रोशन किया है। ये जहां भी जाते हैं अपनी मृदु वाणी और व्यवहार से एक विशेष पहचान बनाते हैं और वहां की सामाजिक आर्थिक संस्कृति में घुल-मिल जाते हैं। श्री शर्मा ने कहा कि हमारे मारवाड़ी भाई-बहनों में राष्ट्रवाद की भावना कूट-कूट कर भरी होती है। अब दिल्‍ली का मारवाड़ी समाज राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी का साथ देकर यहां से भ्रष्‍ट और झूठी आपदा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए हमारे साथ आ खड़ा हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल में केजरीवाल एंड पार्टी ने दिल्‍लीवासियों से केवल थोथे और झूठे वादे किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 70 साल तक केवल घोषणाएं ही की और धरातल पर काम नहीं किया, मगर इस मामले में अरविंद केजरीवाल कांग्रेस से भी ज्यादा झूठे निकले। बड़े आत्मविश्वास के साथ झूठ बोलते हुए उन्हें झिझक महसूस नहीं होती।

श्री शर्मा ने कहा कि हम बाजार से मटकी खरीदकर लाते हैं तो उसे भी ठोक बजाकर परखते हैं। 5 साल के लिए सरकार चुनते समय भी हमें अपने विवेक के साथ सोच समझकर योग्य जनप्रतिनिधि का चुनाव करना चाहिए। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि 5 फरवरी को कमल के निशान पर बटन दबाकर दिल्ली को एक नया भविष्य दें।

मुख्यमंत्री ने इन जनसभाओं कहा कि रिठाला से भाजपा के सेवाभावी उम्‍मीदवार श्री कुलवंत राणा तथा मोती नगर से भाजपा प्रत्याशी हरीश खुराना को भारी बहुमत से विजयी बनाकर दिल्‍ली के सर्वांगीण विकास में अपनी भागीदारी निभाएं। इस दौरान भाजपा के स्थानीय पदाधिकारीगण तथा बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे।
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लघु उद्योगों के प्रति दिल्ली सरकार की उपेक्षा से दिल्ली के उद्यमियों में रोष

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दिल्ली के राजस्व और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले दिल्ली के सूक्ष्म और लघु उद्यमियों के प्रतिनिधियों ने आज अपने प्रति दिल्ली सरकार के उपेक्षापूर्ण और प्रताड़ित करने वाले व्यवहार के विरुद्ध रोष प्रकट करने के लिए दिल्ली के प्रैस क्लब में एक प्रैस कॉन्फ्रेंस की।

उपस्थित उद्योग प्रतिनिधि इस बात से बहुत आक्रोशित थे कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजनैतिक पार्टियों के चुनाव घोषणापत्रों में भी उद्यमियों के मुद्दों को स्थान नही दिया गया है।

दिल्ली में देश में *सबसे महंगी औद्योगिक बिजली* के लिए वर्तमान दिल्ली सरकार को दोषी ठहराते हुए उद्योग प्रतिनिधियों ने बताया कि दिल्ली में औद्योगिक बिजली के दाम पिछले 10 वर्षों में दोगुने हो गए हैं। बिजली की मूल दर पर मनमाने और अपारदर्शी ढंग से अन्य शुल्क लगाए गए हैं। यँहा तक कि सरकारी कर्मचारियों को पेंशन देने का बोझ भी बिजली के बिलों में शामिल किया गया है।
इसके कारण दिल्ली में औद्योगिक बिजली के बिलों में प्रति युनिट प्रभावी दर सभी पड़ौसी राज्यों की तुलना में दुगुनी हो गई है। इस कारण दिल्ली के छोटे उद्यमी व्यापारिक प्रतिस्पर्धा से बाहर होकर दिल्ली से पलायन कर रहे हैं या बन्द हो रहे हैं।

दिल्ली की वर्ष 2023-24 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार दिल्लीमें कुल 3.94 लाख पंजीकृत MSME है जिनमें 93% सूक्ष्म श्रेणी के है। 2011 -12 की तुलना में 2023 -24 में दिल्ली की GDP में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान 33% कम हो गया है।

*न्यूनतम 20 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देने और राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले उद्योग दिल्ली सरकार की प्राथमिकता में कहीं नही हैं। यह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि वर्ष 2023 -24 में दिल्ली सरकार ने इस क्षेत्र पर मात्र 110 करोड़ खर्च किये, जबकि दिल्ली की जेलों पर ही 129 करोड़ रुपये खर्च किये गए।*

दिल्ली के औद्योगिक भूखण्डों को लीज होल्ड से *फ्रीहोल्ड* करने की माँग उद्यमी अनेक वर्षों से कर रहे है। इस हेतु 2005 में लाई गई पॉलिसी राज्य सरकारकी उदासीनता और DDA आदि अन्य केंद्रीय एजेंसियों से समन्वय के अभाव में अभी तक क्रियान्वित नही हो पाई है। अनेक उद्यमियों द्वारा इस हेतु पूरा भुगतान कर दिए जाने के बाद भी फ्रीहोल्ड के अधिकार देने की बजाय उनको अनावश्यक न्यायालयों में उलझा दिया गया है। एक मामले में तो दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उद्यमियों के पक्ष में दिए निर्णय के विरुद्ध DSIIDC सुप्रीम कोर्ट तक चली गई है। *रिलोकेशन स्कीम 1996* के 52000 से अधिक उद्यमियों को 2005 की फ्रीहोल्ड पॉलिसी में अभी तक सम्मिलित नही किया गया है।
उद्यमियों को अपनी भूमि का मालिकाना अधिकार ना मिलना दिल्ली के औद्योगिक विकास को रोक रहा है। यदि दिल्लीकी औद्योगिक सम्पत्तियां फ्री होल्ड हो जाये तो दिल्ली में अनेक प्रकार के नए उद्योग लगने की अपार संभावनाएं है।

*दिल्ली जल बोर्ड* दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में पर्याप्त पानी उपलब्ध नही करा पा रहा परन्तु पानी के कनेक्शन के नाम पर भारी भरकम राशि वसूल रहा है। दिल्ली का छोटा उद्यमी पानी की कमी से जूझ रहा है।
*उल्लेखनीय है कि उद्योगों को पानी की कमी से राहत देने के लिये भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय द्वारा MSME को 10000 लीटर भूजल दोहन की अनुमति दिल्ली सरकार ने अभी तक लागू नही की है।*

आज जब पिछले 10 वर्षों में देश की *ईज ऑफ डूइंग बिजनेस* रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, दिल्ली में ये रैंकिंग निरन्तर गिर रही है। आज उत्तरप्रदेश इस मामले में दिल्ली से कँही आगे है।
इसका कारण दिल्ली में अनेकों प्रकार के अनावश्यक लाइसेंस और अनुमतियां लेने की प्रकिया का पारदर्शी ना होना है। इसका एक उदाहरण नगर निगम का अनावश्यक फैक्ट्री लाइसेंस है जिसे समाप्त करने की सिफारिश 2016 में तत्कालीन तीनों नगर निगमों ने राज्य सरकार को भेज दी थी लेकिन राज्य सरकार आज तक इसे समाप्त करने की पहल नहीं कर सकी।

*औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर* का विकास दिल्ली सरकार की प्राथमिकता में ही नही है। उद्यमियों से लीज रेंट, प्रोपर्टी टैक्स और मेंटेनेन्स चार्ज के नाम पर अलग-अलग राशि वसूलने के बाद भी दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्र मूल भूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं, औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर मिलना तो दूर की बात है।
दिल्ली सरकार की उदासीनता को समझने के लिए *आनन्द पर्वत से टीकरी बॉर्डर* तक जाने वाली रोहतक रोड, जिसके दोनों ओर दिल्ली के दर्जनों औद्योगिक क्षेत्र स्तिथ है, की बदहाल स्थिति का एक उदाहरण ही पर्याप्त है। इस पर प्रायः ट्रैफिक जाम रहता है लेकिन राज्य सरकार स्तिथि को सुधारने के लिए कुछ नही कर रही है।

दिल्ली की सड़कों की खराब स्तिथि और अतिक्रमण के कारण बढ़ते प्रदूषण का दुष्परिणाम भी GRAP के रूप में दिल्ली के उद्यमियों को भुगतना पड़ता है। GRAP के समय औद्योगिक -व्यापारिक गतिविधियां ठप्प हो जाती हैं। निर्माण गतिविधियों पर रोक लगने से भी सभी उद्योग प्रभावित होते है।

*उद्योग प्रतिनिधियों ने एक स्वर में दिल्ली में ऐसी सरकार लाने का आह्वान किया, जो दिल्ली के उद्यमियों की समस्याओं को समझकर दिल्ली में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियां बनाकर उन्हें क्रियान्वित करे, बिजली के अतार्किक रूप से महंगे बिलों से राहत दिलाये और औद्योगिक क्षेत्रों सहित पूरी दिल्ली के आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ बनाकर बढ़ते प्रदूषण से दिल्ली को राहत दिलाये।

महाकुंभ से उठी गूंज – भारत को भारत कहें इंडिया नहीं

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हजारों वर्षों से हमारे देश का नाम ‘भारत’ है। वेदों, पुराणों, रामायण और महाभारत सहित सभी प्राचीन ग्रंथों में हमारे देश का नाम ‘भारत’ वर्णित है। भारत शब्द से गौरव और गरिमा की अनुभूति होती है। लेकिन संविधान निर्माण के समय अनेक सदस्यों के विरोध के बावजूद संविधान में भारत नाम से पहले ‘इंडिया’ नाम जोड़ दिया गया। इंडिया नाम भारत में अंग्रेजों के साथ आया और उनके द्वारा ही प्रचलित किया गया। यह हमारी औपनिवेशिक दासता का प्रतीक है। इंडिया शब्द से भारतवासियों के लिए इंडियन शब्द बना, शब्दकोश में ‘इण्डिया’ शब्द का कोई वास्तविक अर्थ प्राप्त नहीं होता है और जो अर्थ मिलता है, वह अपमानजनक ही है।

उन्होंने आगे कहा कि भारत में भारतीयता को पुन:स्थापित करने के उद्देश्य से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने ज्ञान महाकुंभ के अन्तर्गत एक राष्ट्र, एक नाम : भारत विषय पर 1 फरवरी, 2025 को एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। भारत सरकार के सभी कार्यों में देश का नाम इंडिया नहीं भारत ही प्रयोग किया जाये, इस हेतु राष्ट्रपति जी को पत्र एवं इस मुहिम के लिए वृहद स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा। यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ अतुल कोठारी ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही।

डॉ कोठारी ने कहा कि वैश्विक तापमान में प्रतिकूल वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के असंतुलन जैसी पर्यावरण संबंधी समस्याएं मानवता के समक्ष गंभीर चुनौती प्रस्तुत कर रही हैं। औद्योगीकरण, शहरीकरण और उपभोक्तावाद ने वनों की कटाई, कार्बन उत्सर्जन और भूमि, जल व वायु प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इसके दुष्प्रभाव हमारे गांवों, कस्बों और शहरों में भी स्पष्ट दिखाई देते हैं। यह विकट स्थिति मुख्यतः प्रकृति के प्रति हमारे लालचपूर्ण दृष्टिकोण के कारण उत्पन्न हुई है। समकालीन वैश्विक पर्यावरणीय, परिस्थितिकीय तथा जलवायु संबंधित समस्याओं का समाधान भारतीय संस्कृति, विचार, व्यवहार व जीवन शैली में है। भारत का “हरित” पर्यावरण दृष्टिकोण पंचमहाभूतों की शाश्वतता, सम्यकता तथा परस्पर संतुलनता को स्थापित करता है। ज्ञान महाकुंभ श्रृंखला के तहत, 5-6 फरवरी, 2025 को हरित महाकुंभ समावेशी संवाद भारतीय पर्यावरण दृष्टिकोण को अधिक पुष्टता प्रदान करने तथा पर्यावरण संवर्द्धन, संरक्षण की मूल परंपराओं, जीवन शैली को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सोपान है। इस हरित महाकुंभ का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव करेंगे तथा समापन डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे जी करेंगे। यह आयोजन सम्पूर्ण विश्व की पारिस्थितिकी, जलवायु तथा जैव विविधता को समृद्ध बनाने के हमारे नागरिक व संस्थागत कर्तव्यों को भी एक प्रेरणादायी दिशा व संबल प्रदान करेगा।

ज्ञान महाकुंभ के विषय में जानकारी देते हुए डॉ कोठारी ने कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा विगत 10 जनवरी से 10 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में पवित्र महाकुंभ के समय ‘ज्ञान महाकुंभ’ का आयोजन किया जा रहा है। इस महाकुंभ में उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि राज्यों के शिक्षा मंत्री, 100 से अधिक कुलपति व निदेशक, 4000 से अधिक छात्र एवं सैकड़ों आचार्य, प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षा जगत की नियामक संस्थाओं के प्रतिनिधि आदि भारतीयता के आलोक में देश की शिक्षा व्यवस्था पर चिंतन-मंथन कर भारतीय ज्ञान परम्परा के आधार पर भारतीय शिक्षा व्यवस्था का पुनर्स्थापना का संकल्प करेंगे एवं पूरे देश में इसे साकार करने का प्रयत्न करेंगे। इस आयोजन के मुख्य संरक्षक उत्तर प्रदेश माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं अन्य संरक्षक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं। यह आयोजन राजस्थान के विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के एमडी व सीईओ आशीष चौहान, एआइसीटीई के अध्यक्ष प्रो टी.जी. सीताराम, महर्षि अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, अमेरिका के अध्यक्ष डॉ टोनी नाडर, यूजीसी के उपाध्यक्ष प्रो दीपक श्रीवास्तव की विशेष उपस्थिति व मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा। न्यास की अध्यक्ष डॉ पंकज मित्तल, संजय स्वामी, एमएनआईटी प्रयागराज के निदेशक प्रो रमा शंकर वर्मा, आईआईआईटी प्रयागराज के निदेशक डॉ मुकुल सुतावने, डॉ पूर्णेंदु मिश्र इस ज्ञान महाकुंभ की आयोजन समिति के सदस्य हैं।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा योजनाबद्ध तरीके से अपने कार्यकलापों, विभिन्न विषयों में न्यास द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों का प्रदर्शन किया जा रहा है। शिक्षा से आत्मनिर्भरता, महिला कार्य, शैक्षणिक नवाचार, भारतीय भाषाओं के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग जैसे-अनेक विषयों पर देश के अग्रणी शैक्षिक संस्थान प्रदर्शनी तथा प्रस्तुतीकरण के माध्यम से इन विषयों को देशभर से पधारे शिक्षाविदों से समक्ष रखेंगे।

ज्ञान महाकुंभ के समन्वयक संजय स्वामी ने कहा कि इस अवसर पर भारतीय शिक्षा की राष्ट्रीय संकल्पना को दृष्टिगत रखते हुए अखिल भारतीय सम्मेलन में विशिष्ट त्रि-दिवसीय आयोजन 7-9 फ़रवरी में किया जाएगा। इसमें 7 फ़रवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह – सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी द्वारा उ‌द्घाटन किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि 7 फ़रवरी के दूसरे सत्र में शिक्षा के क्षेत्र में शासन प्रशासन की भूमिका पर भी चर्चा होनी है। 8 फ़रवरी को शिक्षा क्षेत्र में कार्य कर रहे संत महात्मा, उद्योगपति एवं निजी संस्थानों का समागम रहेगा। साथ ही शिक्षा क्षेत्र में महिलाओं, युवाओं, शिक्षाविद आचार्यों के योगदान पर वृहद् चर्चा की जाएगी। ज्ञान महाकुंभ के तीसरे दिवस 9 फ़रवरी को भारतीय ज्ञान परम्परा, आत्मनिर्भर भारत, भारतीय भाषाएँ को समेकित करते हुए गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। समापन समरोह को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले तथा बिहार के मा. राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान का सानिध्य प्राप्त होगा।

महाकुंभ की दुखद घटना पर विकृत राजनीति

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लखनऊ: प्रयागराज में 144 वर्षों के पश्चात होने वाला महाकुंभ अपने आयोजन के आरंभ के साथ ही सनातन विराधी शक्तियों के निशाने पर है, चाहे वह महाकुंभ में गैर हिंदुओं को दुकानें आवंटित करने का प्रकरण रहा हो या फिर व्यवस्थाओं को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव की बयानबाजी। कुम्भ को लेकर अखिलेश यादव के नेतृत्व में हो रही बयानबाजी के पीछे का प्रमुख कारण सपा नेता का यह डर था कि कुम्भ का सफल आयोजन मुख्यमंत्री के पक्ष में एक लहर उत्पन्न कर देगा और 2027 की उनकी उम्मीदों पर पानी फिर जायेगा।

पौष पूर्णिमा के साथ 13 जनवरी को पूर्ण भव्यता के साथ आरम्भ हुआ कुम्भ प्रतिदिन श्रद्धालुओं की दिन दूनी रात चौगुनी उमड़ती भीड़ और व्यस्थाओं के प्रति उसके संतोष से सभी के आकर्षण का केंद्र बन गया। हर व्यक्ति कुम्भ की बढ़ चला। हर ओर सनातन के साथ साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनके सक्षम प्रशासन की चर्चा होने लगी। इसके साथ साथ सनातन विरोधियों तथा मोदी योगी के राजनैतिक विरोधियों की ईर्ष्या भी परवान चढ़ने लगी। विरोधी महाकुंभ और उसकी व्यवस्थाओं को बदनाम करने के लिए प्रतिदिन कोई न कोई अफवाह फैलाकर महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं में उत्साह की कमी करने का प्रयास करने लगे।

सपा मुखिया ने महाकुंभ की छवि खराब करने को अपना राजनैतिक लक्ष्य बना लिया है। पार्टी ने महाकुंभ में हिंदू समाज को चिढ़ाने के लिए रामभक्तों का नरसंहार करने वाले उनके पिता मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लगवाई और अपने चाचा के अस्थि विसर्जन के समय उनके गंगा स्नान को कुम्भ से जोड़कर प्रसारित किया। हिंदू समाज का दबाव बढ़ने पर अखिलेश यादव गणतंत्र दिवस के दिन महाकुंभ मेले में स्नान करने के लिए पहुंच गये थे और अपने पिता को महान संत कह डाला । सपा मुखिया अखिलेश यादव उस समय महाकुंभ पहुंचे जब मौनी अमावस्या पर स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा था। स्पष्ट है कि सपा मुखिया अखिलेष यादव अपनी विकृत राजनीति का संदेश देने ही प्रयागराज गये थे।

श्रद्धालुओं के भारी दबाव के कारण संगम तट पर दुखद भगदड़ की स्थिति बनी और 30 श्रद्धालु मौन हो गये। प्रशासन की सतर्कता से स्थिति शीघ्र ही नियंत्रण में आ गई अन्यथा यह त्रासदी और भयावह हो सकती थी। अधिकारियों ने जिस प्रकार से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर घायलों को तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाईं तथा संगम घाट पर स्नान अआरम्भ कराया वह अत्यंत प्रशंसनीय है। व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने के साथ ही घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग भी बना दिया गया है क्योंकि घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के बयान किसी षड्यंत्र का संकेत दे रहे हैं।

इस दुर्घटना के बाद न तो सनातनी श्रद्धालुओं की निष्ठा पर कोई असर पड़ा और न ही योगी जी की कर्तव्यनिष्ठा पर उनके विश्वास को ठेस पहुंची किन्तु सपा मुखिया अखिलेश यादव और अन्य विरोधियों को राजनैतिक रोटियां सेंकने का अवसर अवश्य मिल गया । बिल्ली के भाग्य से छींका टूट ही गया । विपक्षी इस दुर्घटना में अपनी राजनीति का आसान रास्ता खोज रहे हैं। इन्हें अपना इतिहास याद करना चाहिए।

जब नेहरू ओैर सपा सरकार में मची थी भगदड़ – 1947 में अंग्रेजों के जाने के बाद भारत का प्रथम पूर्णकुंभ तत्कालीन इलाहाबाद में 1954 में लगा था। उस वर्ष मौनी अमावस्या 3 फरवरी को पड़ी थी। तब बारिश के कारण चारों ओर कीचड़ और फिसलन थी। सुबह लगभग आठ से नौ बजे के मध्य सूचना आई कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू स्नान करने के लिए आ रहे हैं, भीड़ उन्हें देखने के लिए टूट पड़ी और भगदड़ मच गई। जिसके कारण कम से कम 1000 लोग मारे गये और अनेकानेक घायल हुए तथा कई लापता हो गये। जो कांग्रेसी आज महकुंभ की दुर्घटना पर सोशल मीडिया में जहर उगल रहे हैं उन्हें अपने कर्म व इतिहास याद रखने चाहिए। जो कांगेस पार्टी आज योगी सरकार से इस्तीफा मांग रही है उस समय राज्य में उसी कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने बयान दिया था कि यहां पर कोई दुर्घटना घटी ही नहीं है । उस समय के एक खोजी पत्रकार एन एन मुखर्जी जो उस समय वहां पर उपस्थित थे उन्होंने कुंभ की कुछ तस्वीरें खींच ली थी जो छायाकृति नामक एक हिंदी पत्रिका में प्रकाशित हुयी थीं और सच सामने आया था। उस समय दबाव बढ़ने पर सरकार की ओर से शर्मनाक बयान दिया गया था कि वहां पर कुछ भिखारी ही मरे हैं । उस समय राजभवन में सरकारी पार्टियों का दौर चल रहा था, जिसकी तस्वीरें तत्कालीन समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी। उपन्यासकार समरेश बसु ने “अमृत कुंभ की खोज“ उपन्यास में नेहरु जी के कारन कुम्भ में हुयी इस दुर्घटना का हृदयविदारक विवरण लिखा था और यह अमृत बाजार पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। उस समय के नेहरू भक्तों का कहना था कि घटना के समय नेहरू जी वहां पर नहीं थे किंतु बाद में उन्होंने ही इस बात से संसद में पर्दा उठाया था कि वह दुर्घटना के समय वहां पर मौजूद थे और उनका यह बयान आज भी संसद के लाइब्रेरी कक्ष में मौजूद है।

इसके विपरीत आज प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में स्थिति पर तुरंत नियंत्रण किया गया है, स्वयं मुख्यमंत्री दिन रात वाररूम में स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।

वर्ष 2013 में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी और उस समय कुम्भ में मची भगदड़ में मृतकों को कफन तक नहीं नहीं उपलब्ध हो सका था। अखिलेश यादव ने कुंभ की जिम्मेदारी अपने मुस्लिम मंत्री आजम खां को दी थी । 10 फरवरी 2013, मौनी अमावस्या का दिन था लगभग लोग गंगा की पवित्र डुबकी लगाकर वापस जा रहे थे तभी शाम को प्रयागराज जंक्शन पर चीख पुकार मच उठी। रेल का प्लेटर्म बदलने की घोषणा हो जाने के कारण रेलवे पुल पर बहुत भीड़ हो गई थी और सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार भगदड़ से 36 लोगो की जानें चली गई। उस समय रेलवे कुंभ वार्ड में ताला लगा हुआ था और कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। रुई और पट्टी को छोड़कर कोई चिकित्सा व्यवस्था नहीं थी।

आज की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पीड़ित परिवारों को 25 -25 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है जबकि अखिलेश यादव ने तो मात्र एक लाख रुपये की ही सहायता राशि दी थी और पीड़ितों को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था तक नहीं की थी। योगी सरकार पर सवाल उठाने वालों को अपना इतिहास याद रखना चाहिए।

अभी तक महाकुंभ में हुए किसी भी हादसे की जांच, किसी भी सरकार ने नहीं करवायी है यह योगी सरकार ही है जो महाकुंभ हादसे की दो स्तरीय जांच करवाने जा रही है जिसके बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। यह बहुत ही गर्व की बात है कि महाकुंभ में दुखद दुर्घटना के बाद भी सनातन हिंदू समाज का उत्साह कम नहीं हुआ है अपितु वहां पर श्रद्धालुओं का सैलाब लगातर उमड़ रहा है और वे उसी भक्ति, श्रद्धा और आस्था से पवित्र दुबकी लगा रहे हैं ।

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