वित्तीय वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट से मिल सकती हैं कई सौगातें

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वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रेल-सितम्बर 2024) में भारत की आर्थिक विकास दर कुछ कमजोर रही है। प्रथम तिमाही (अप्रेल-जून 2024) में तो सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर गिरकर 5.2 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई थी। इसी प्रकार द्वितीय तिमाही (जुलाई-सितम्बर 2024) में भी सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। इससे वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह वृद्धि दर घटकर 6.6 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत की रही थी। वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम छमाही में आर्थिक विकास दर के कम होने के कारणों में मुख्य रूप से देश में सम्पन्न हुए लोक सभा चुनाव है और आचार संहिता के लागू होने के चलते केंद्र सरकार के पूंजीगत खर्चों एवं अन्य खर्चों में भारी भरकम कमी दृष्टिगोचर हुई है। साथ ही, देश में मानसून की स्थिति भी ठीक नहीं रही है।

केंद्र सरकार ने हालांकि मुद्रा स्फीति पर अंकुश लगाने में सफलता तो अर्जित कर ली है परंतु उच्च स्तर पर बनी रही मुद्रा स्फीति के कारण कुल मिलाकर आम नागरिकों, विशेष रूप से मध्यमवर्गीय परिवारों, की खर्च करने की क्षमता पर विपरीत प्रभात जरूर पड़ा है और कुछ मध्यमवर्गीय परिवारों के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों की श्रेणी में जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है। किसी भी देश में मध्यमवर्गीय परिवारों की जितनी अधिक संख्या रहती है, उस देश की आर्थिक विकास दर ऊंचे स्तर पर बनी रहती है क्योंकि मध्यमवर्गीय परिवार ही विभिन्न प्रकार के उत्पादों (दोपहिया वाहन, चारपहिया वाहन, फ्रिज, एयर कंडीशनर जैसे उत्पादों एवं नए फ्लेट्स एवं भवनों आदि) को खरीदने पर अपनी आय के अधिकतम भाग का उपयोग करता है। इससे आर्थिक चक्र में तीव्रता आती है और इन उत्पादों की बाजार में मांग के बढ़ने के चलते इनके उत्पादन को विभिन्न कम्पनियों द्वारा बढ़ाया जाता है, इससे इन कम्पनियों की आय एवं लाभप्रदता में वृद्धि होती है एवं देश में रोजगार के नए अवसर निर्मित होते हैं।

भारत में पिछले कुछ समय से मध्यमवर्गीय परिवारों की व्यय करने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ा है अतः दिनांक 1 फरवरी 2025 को केंद्र सरकार की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन से अब यह अपेक्षा की जा रही है कि वे वित्तीय वर्ष 2025-26 के केंद्र सरकार के बजट में मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए विशेष रूप से आय कर में छूट की घोषणा करेंगी। देश के कई अर्थशास्त्रियों का तो यह भी कहना है कि न केवल आय कर में बल्कि कारपोरेट कर में भी कमी की घोषणा की जानी चाहिए। इनफोसिस के संस्थापक सदस्यों में शामिल श्री मोहनदास पई का तो कहना है कि 15 लाख से अधिक की आय पर लागू 30 प्रतिशत की आय कर की दर को अब 18 लाख से अधिक की आय पर लागू करना चाहिए। आय कर मुक्त आय की सीमा को वर्तमान में लागू 7.75 लाख रुपए की राशि से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर देना चाहिए। आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत किए जाने निवेश की सीमा को भी 1.50 लाख रुपए की राशि से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर देना चाहिए। मकान निर्माण हेतु लिए गए ऋण पर अदा किए जाने वाले ब्याज पर प्रदान की जाने वाली आयकर छूट की सीमा को 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया जाना चाहिए।

फरवरी 2025 माह में ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मोनेटरी पोलिसी की घोषणा भी होने जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक से अब यह अपेक्षा की जा रही है कि वे रेपो दर में कम से कम 25 अथवा 50 आधार बिंदुओं की कमी तो अवश्य करेंगे। क्योंकि, पिछले लगातार लगभग 24 माह तक रेपो दर में कोई भी परिवर्तन नहीं करने के चलते मध्यमवर्गीय परिवारों द्वारा मकान निर्माण एवं चार पहिया वाहन आदि खरीदने हेतु बैकों से लिए गए ऋण की किश्त की राशि का बोझ बहुत अधिक बढ़ गया है। बैकों से लिए गए इस प्रकार के ऋणों एवं माइक्रो फाइनैन्स की किश्तों की अदायगी में चूक की घटनाएं भी बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। अब मुद्रा स्फीति की दर खाद्य पदार्थों (फलों एवं सब्जियों आदि) के कुछ महंगे होने के चलते ही उच्च स्तर पर आ जाती है जबकि कोर मुद्रा स्फीति की दर तो अब नियंत्रण में आ चुकी है। खाद्य पदार्थों की मंहगाई को ब्याज दरों को उच्च स्तर पर बनाए रखकर कम नहीं किया जा सकता है। अतः भारतीय रिजर्व बैंक को अब इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में सम्पन्न हुए लोक सभा चुनाव के चलते देश में पूंजीगत खर्चों में कमी दिखाई दी है। इसीलिए अब लगातार यह मांग की जा रही है कि देश में वन नेशन वन इलेक्शन कानून को शीघ्र ही लागू किया जाना चाहिए क्योंकि बार बार देश में चुनाव होने से केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा आचार संहिता के लागू होने के चलते अपने बजटीय खर्चों को रोक दिया जाता है जिससे देश का आर्थिक विकास प्रभावित होता है। अतः वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लोक सभा में पेश किए जाने वाले बजट में पूंजीगत खर्चों को बढ़ाने पर गम्भीरता दिखाई जाएगी। हालांकि वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में 7.50 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किया गया था, वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में 10 लाख करोड़ रुपए एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में 11.11 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किया गया था। अब वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कम से कम 15 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किये जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इससे देश में धीमी पड़ रही आर्थिक गतिविधियों को तेज करने में सहायता मिलेगी और रोजगार के करोड़ों नए अवसर भी निर्मित होंगे, जिसकी वर्तमान समय में देश को अत्यधिक आवश्यकता भी है।

विभिन्न राज्यों द्वारा चलायी जा रही फ्रीबीज की योजनाओं पर भी अब अंकुश लगाए जाने के प्रयास किए जाने चाहिए। इन योजनाओं से देश के आर्थिक विकास को लाभ कम और नुक्सान अधिक होता है। केरल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं दिल्ली की स्थिति हम सबके सामने है। इस प्रकार की योजनाओं को चलाने के कारण इन राज्यों के बजटीय घाटे की स्थिति दयनीय स्थिति में पहुंच गई है। पंजाब तो किसी समय पर देश के सबसे सम्पन्न राज्यों में शामिल हुआ करता था परंतु आज पंजाब में बजटीय घाटा भयावह स्थिति में पहुंच गया है। जिससे ये राज्य आज पूंजीगत खर्चों पर अधिक राशि व्यय नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इन राज्यों की न तो आय बढ़ रही है और न ही बजटीय घाटे पर नियंत्रण स्थापित हो पा रहा है।

पिछले कुछ समय से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी कम हो रहा है। यह सितम्बर 2020 तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का 4.3 प्रतिशत था जो अब गिरकर सकल घरेलू उत्पाद का 0.8 प्रतिशत के स्तर तक नीचे आ गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इस विषय पर भी गम्भीरता से विचार किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2019 के बजट में कोरपोरेट कर की दरों में कमी की घोषणा की गई थी, जिसका बहुत अच्छा प्रभाव विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पर पड़ा था और सितम्बर 2020 में तो यह बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 4.3 प्रतिशत तक पहुंच गया था। अब एक बार पुनः इस बजट में कोरपोरेट कर में कमी करने पर भी विचार किया जा सकता है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर निर्मित करने वाले उद्योगों को भी कुछ राहत प्रदान की जा सकती है क्योंकि आज देश में रोजगार के करोड़ों नए अवसर निर्मित करने की महती आवश्यकता है। विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को विशेष सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। हां, साथ में तकनीकी आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा देना होगा क्योंकि वैश्विक स्तर पर भी हमारे उद्योगों को हमें प्रतिस्पर्धी बनाना है। ग्रामीण इलाकों में आज भी भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी निवास करती है अतः कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में कुटीर एवं लघु उद्योगों पर अधिक ध्यान इस बजट के माध्यम से दिया जाएगा, ताकि रोजगार के अवसर ग्रामीण इलाकों में ही निर्मित हों और नागरिकों के शहर की ओर हो रहे पलायन को रोका जा सके।

16 ITBP Officials Awarded Medals on 76th Republic Day, 2025

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New Delhi: A total of 16 ITBP officials have been announced to receive Medals on the occasion of the 76th Republic Day, 2025. Among them, 3 officials will be conferred with the President’s Medal for Distinguished Service, while 13 officials will be honored with the Medal for Meritorious Service.

(A) President’s Medal for Distinguished Service:

1. Sh. Clay Khongsai, IG
2. Sh. Sanjay Kumar Kothari, DIG (GD)
3. Sh. Sudesh Kumar Rana, Second-in-Command (GD)

(B) Medal for Meritorious Service:

1. Sh. Manu Maharaaj, DIG
2. Sh. Indu Bhushan Jha, DIG (GD)
3. Sh. Chandan Singh Bhandari, Commandant (GD)
4. Sh. Sanjay Kumar, Commandant (GD)
5. Sh. Shobhan Singh Rana, Commandant (GD)
6. Sh. Rambir Singh, Assistant Commandant (OL)
7. Sh. Balak Ram Dogra, Assistant Commandant (Staff Officer)
8. Sh. Gyanendra Kumar Bhardwaj, Inspector (CM)
9. Sh. Krishan Chand, Inspector (GD)
10. Sh. Satender Singh Rawat, Inspector (GD)
11. Sh. Gharu Ram, Assistant Sub-Inspector (GD)
12. Sh. Rakesh Negi, Assistant Sub-Inspector (GD)
13. Sh. Satish Kumar, Head Constable (GD)

The Director General, ITBP, and the entire force family extend their heartfelt congratulations to all the medalists.

76वें गणतंत्र दिवस, 2025 पर आईटीबीपी के 16 पदाधिकारियों को पदकों से अलंकृत किए जाने की घोषणा

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नई दिल्‍ली :- भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) के 16 पदाधिकारियों को 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर पदकों से विभूषित किए जाने की घोषणा की गई है। इनमें से 03 को विशिष्‍ट सेवा के लिए राष्‍ट्रपति पदक एवं 13 पदाधिकारियों को सराहनीय सेवा के लिए पदकों से अलंकृत किया गया है।
(क) विशिष्‍ट सेवा के लिए राष्‍ट्रपति पदक से विभूषित किए गए 03 पदाधिकारियों के नाम निम्‍नानुसार हैं :-
1. श्री क्‍ले खोंगसाई, महानिरीक्षक
2. श्री संजय कुमार कोठारी, उप महानिरीक्षक (जीडी)
3. श्री सुदेश कुमार राना, द्वितीय कमान (जीडी)
(ख) सराहनीय सेवा के लिए पदक से विभूषित किए गए 13 पदाधिकारियों के नाम निम्‍नानुसार हैं:-

1. श्री मनु महाराज, उप महानिरीक्षक
2. श्री इन्‍दु भूषण झा, उप महानिरीक्षक (जीडी)
3. श्री चन्‍दन सिंह भण्‍डारी, सेनानी (जीडी)
4. श्री संजय कुमार, सेनानी (जीडी)
5. श्री शोभन सिंह राणा, सेनानी (जीडी)
6. श्री रामबीर सिंह, सहायक सेनानी (राजभाषा)
7. श्री बालक राम डोगरा, सहायक सेनानी (स्‍टाफ ऑफिसर)
8. श्री ज्ञानेन्‍द्र कुमार भारद्वाज, निरीक्षक (सी०एम०)
9. श्री कृष्‍ण चन्‍द, निरीक्षक(जीडी)
10. श्री सतेन्‍द्र सिंह रावत, निरीक्षक(जीडी)
11. श्री घारू राम, सहायक उप निरीक्षक (जीडी)
12. श्री राकेश नेगी, सहायक उप निरीक्षक (जीडी)
13. श्री सतीश कुमार, हैड कॉस्‍टेबल(जीडी)

महानिदेशक, भारत तिब्‍बत सीमा पुलिस और समस्‍त बल परिवार ने सभी पदक प्राप्‍तकर्ताओं को शुभकामनाएं दी हैं।

नवाचार प्रयोग भविष्य की संभावनाएं

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समीर कौशिक

तकनीकी शिक्षा द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान का उद्देश्य देश को आर्थिक एवं तकनिकी रूप से आत्मनिर्भर बनाना है, जिसमें तकनीकी शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। तकनीकी शिक्षा के माध्यम से नवाचार, कौशल विकास और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सुधार होते हैं, जो न केवल रोजगार के अवसर पैदा करते हैं, अपितु देश की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाते हैं । इसके माध्यम से लोग अपनी खुद की तकनीकी क्षमताओं का निर्माण करते हैं और अपने रोजगार के लिए आत्मनिर्भर बनते हैं। भारत में तकनीकी शिक्षा के कार्य और प्रयोग भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से, नई राष्ट्रिय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन तकनीकी शिक्षा के माध्यम से महत्वपूर्ण है। यह नीति स्वदेशी विकास, मूलभूत एवं स्थानीय कौशल कार्यों की पुनर्जिविका के रूप में और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था और समाज को सशक्त बनाया जा सके ।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में तकनीकी शिक्षा के स्थान को नई शिक्षा नीति में तकनीकी शिक्षा को नए दृष्टिकोण से देखा गया है। इसमें मुख्य रूप से जिन बिंदुओं पर जोर दिया गया है उसमे मुख्यत: आधारभूत तकनीकी शिक्षा के विषय में बच्चों को प्रारंभिक स्तर पर तकनीकी शिक्षा देने की बात की गई है। यह “स्किल डेवलपमेंट” को बढ़ावा देगा।इंटरडिसिप्लिनरी अप्रोच के ममाधयम से विज्ञान, गणित, इंजीनियरिंग और कला के क्षेत्रों को एकीकृत करने का प्रयास किया गया है, ताकि छात्र अपने क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी दक्षता प्राप्त कर सकें। नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र के विस्तार हेतु तकनीकी शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार को प्राथमिकता दी गई है। यह उद्योगों और अनुसंधान संस्थानों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देगा। ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से तकनीकी शिक्षा को सुलभ बनाना। यह विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों के लिए सहायक है तकनीकी शिक्षा के क्रियान्वयन हेतु संस्थान और नवाचार प्रयोग के प्रयोग विभिन्न संस्थान इस नीति को लागू करने के लिए कर रहे हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं आईआईटी IITs और एनआईटी NITs: इन संस्थानों में अनुसंधान, नवाचार, और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। छात्रों को प्रैक्टिकल ज्ञान और उद्योग के वास्तविक मुद्दों पर काम करने का अवसर मिल रहा है।

आईआईटी दिल्ली और आईआईटी मद्रास जैसे संस्थानों में स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर चलाए जा रहे हैं। ये सेंटर छात्रों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों के सहयोग से नए विचारों को व्यावसायिक रूप में बदलने का कार्य करते हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में कौशल विकास पर जोर दे रहा है। इसके द्वारा स्थापित विभिन्न प्रशिक्षण केंद्र देशभर में स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चला रहे हैं, ताकि युवा रोजगार के लिए तैयार हो सकें।आधुनिक तकनीकी और डिजिटल प्रशिक्षण हेतु NSDC ने डिजिटल प्रशिक्षण के लिए Skill India Portal का निर्माण किया है। स्वदेशी डिजिटल प्लेटफॉर्म दीक्षा प्लेटफॉर्म यह एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जहां स्कूलों और कॉलेजों के लिए तकनीकी शिक्षा, संसाधन और पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए जाते हैं।स्वयं पोर्टल यह एक ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफ़ॉर्म है जो उच्च शिक्षा और तकनीकी विषयों में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराता है।टेक्नोलॉजी आधारित नवाचार (Innovation in Tech):कई संस्थान भविष्य की संभावनाएं के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML): जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग बढ़ रहा है, भारतीय शिक्षा प्रणाली में इन तकनीकों को शामिल किया जा रहा है। भविष्य में इससे उच्च तकनीकी शिक्षा को और भी सशक्त बनाया जाएगा।, डेटा साइंस, और रोबोटिक्स में नवाचार कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर और आईआईटी हैदराबाद जैसे संस्थान इन तकनीकों में शोध और विकास में अग्रणी हैं।डिजिटल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित शिक्षण सामग्री का उपयोग बढ़ाया गया है, जिससे छात्र उन्नत पद्धति से सीख सकें। संस्थान स्मार्ट लैब्स और टेक्निकल वर्कशॉप्स के माध्यम से छात्रों को नवीनतम तकनीकी यंत्रों से परिचित कराते हैं, जैसे 3D प्रिंटिंग, वर्चुअल रियलिटी (VR), और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)। राजीव गांधी राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान यह संस्थान नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तकनीकी अनुसंधान परियोजनाओं और सॉफ्टवेयर विकास कार्यक्रमों पर काम कर रहा है। इन संस्थानों और नवाचार प्रयोगों के माध्यम से भारत में तकनीकी शिक्षा को सशक्त किया जा रहा है, जिससे छात्रों को न केवल वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सफलता प्राप्त हो, बल्कि देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) इस योजना के तहत भारत में तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य युवाओं को नई तकनीकों से लैस करना है ताकि वे उद्योगों में बेहतर तरीके से काम कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NITs) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs): ये संस्थान देश में उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी शिक्षा प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इन संस्थानों से निकलने वाले छात्र न केवल वैश्विक स्तर पर काम करते हैं, बल्कि स्वदेशी तकनीकी विकास में भी योगदान करते हैं। भारत सरकार की ‘Startup India’ पहल के तहत तकनीकी शिक्षा से जुड़े स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके माध्यम से युवा उद्यमियों को नई-नई तकनीकी परियोजनाओं पर काम करने के लिए सहायता दी जाती है, जिससे आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।

मेक इन इंडिया और अटल इनोवेशन मिशन (AIM): ‘मेक इन इंडिया’ और ‘अटल इनोवेशन मिशन’ जैसी योजनाओं के तहत छात्रों और तकनीकी पेशेवरों को नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस पहल का उद्देश्य घरेलू उत्पादन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और स्मार्ट सिटी प्रौद्योगिकि स्मार्ट सिटी निर्माण और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय तकनीकी शिक्षा में वृद्धि होने की संभावना है, जिससे छात्रों को इन उन्नत क्षेत्रों में काम करने के लिए बेहतर अवसर मिलेंगे। सस्टेनेबल तकनीक के माध्यम से पर्यावरणीय चिंताओं को देखते हुए, सस्टेनेबल तकनीक और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भी तकनीकी शिक्षा को प्रमुख रूप से शामिल किया जाएगा। इससे न केवल आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा। भारतीय तकनीकी शिक्षा को उद्यमिता (एंटरप्रन्योरशिप ) के दृष्टिकोण से अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है, जिससे छात्र अपने व्यवसाय शुरू कर सकें और आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ा सकें। तकनीकी शिक्षा का सही उपयोग और सुधार आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत में कई शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास जैसे स्वयं सेवी संस्था एवं शिक्षण संस्थान और सरकारी योजनाएं इस दिशा में कार्य कर रही हैं। भविष्य में नई राष्ट्रीय निति २०२० के माधयम से तकनीकी शिक्षा में और भी सुधार होंगे, जिससे युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और देश के आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।

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