थमने का नाम नहीं ले रही हैं पत्रकारों पर हमले की घटनाएं

पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर तमाम आवाजें उठाने के बावजूद पत्रकारों पर हमले की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ओडिशा के बालासोर में बदमाशों ने एक पत्रकार को मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया।

हमले में घायल पत्रकार की पहचान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत प्रफुल्ल कुमार माझी के रूप में हुई है। प्रफुल्ल पर शनिवार की रात हमला उस समय हुआ, जब वे अपना काम खत्म करने के बाद घर लौट रहे थे। हमले में प्रफुल्ल को गंभीर चोट आईं। स्थानीय लोग पहले प्रफुल्ल को बरहामपुर अस्पताल लेकर गई, जहां से हालत गंभीर देखते हुए उन्हें नीलगिरी क्षेत्र में स्थित अस्पताल में भेज दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रफुल्ल जिस चैनल में काम करते हैं, उस चैनल ने क्षेत्र में लकड़ी की तस्करी को लेकर एक रिपोर्ट टेलिकास्ट की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर वन विभाग की टीम ने लकड़ी कारोबारियों के यहां छापा मारकर भारी मात्रा में अवैध रूप से जमा की गई लकड़ी जब्त की थी। बताया जाता है कि प्रफुल्ल पर यह हमला इस रिपोर्ट के टेलिकास्ट होने की वजह से ही हुआ है।

पत्रकार पर हुए इस हमले की चारों तरफ निंदा हो रही है। स्थानीय लोगों ने इस मामले में लिप्त हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि राज्य में प्रेस की आजादी पर आए दिन इस तरह के हमले हो रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले भी क्षेत्र में पत्रकारों पर हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

फेक न्यूज के खिलाफ मिला ‘हथियार’

आज फेक न्यूज के खतरे से सिर्फ भारत ही नहीं, अन्य देश भी जूझ रहे हैं। फेक न्यूज से निपटने के लिए तमाम कवायद करने के बावजूद यह समस्या काबू में नहीं आ रही है।

 फेक न्यूज के खिलाफ लड़ाई में सिंगापुर ने एक बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, सिंगापुर ने बुधवार को फेक न्यूज विरोधी कानून पास किया है। इस कानून के तरह फेक न्यूज के खिलाफ लड़ाई में वहां की सरकार के पास काफी अधिकार होंगे। इस कानून के तहत वहां की सरकार फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसी सोशल मीडिया साइट्स को अपने प्लेटफॉर्म्स से फेक कंटेंट को ब्लॉक करने अथवा उसे हटाने का आदेश दे सकती है।

इस कानून के अनुसार, फेक न्यूज फैलाने के मामले में दोषी पाए जाने पर दस साल की कैद अथवा 3.77 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंगापुर की विपक्षी वर्कर्स पार्टी के सांसद डेनियल गोह ने फेसबुक पर एक पोस्ट में बताया कि बुधवार को पारित इस बिल के पक्ष में 72 और विरोध में नौ वोट पड़े। हालांकि, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को डर है कि कथित फेक न्यूज के नाम पर इस कानून का दुरुपयोंग किया जा सकता है।

न्यूज चैनल समेत मीडिया हाउस दोषी करार : 50 लाख चुकाने होंगे

अभिनेत्री और पूर्व लोकसभा सदस्य दिव्य स्पंदना उर्फ राम्या की छवि धूमिल करने के आरोप में बेंगलुरु की एक अदालत ने ‘एशियानेट न्यूज नेटवर्क’  और इसके सहायक चैनल ‘सुवर्णा न्यूज 24×7’  को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने मीडिया हाउस को क्षतिपूर्ति के रूप में 50 लाख रुपए का हर्जाना देने के आदेश दिए हैं। मीडिया हाउस को हर्जाने की रकम दो माह के भीतर राम्या को देनी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि आईपीएल फिक्सिंग मामले में बिना सबूतों के अभिनेत्री से जुड़ी कोई भी खबर प्रकाशित/प्रसारित नहीं की जाएगी।

जब ‘सुवर्णा न्यूज’ ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग घोटाले को लेकर ‘Betting Raniyaru’  शीर्षक से प्रसारित एक खबर में कथित रूप से राम्या की संलिप्तता बताई थी उस समय 2013 में अभिनेत्री से नेता बनीं राम्या ने चैनल के खिलाफ यह मामला  दर्ज कराया था । इसके बाद इस कन्नड़ अभिनेत्री ने मामला दर्ज कराया था कि इस मामले से जुड़ीं विभिन्न न्यूज रिपोर्ट्स और शो में उनके फोटो व विडियो का इस्तेमाल किया गया था, जिससे यह लगने लगा कि वह स्पॉट फिक्सिंग मामले से जुड़ी हुई थीं, जबकि इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं था। राम्या ने इस मामले में क्षतिपूर्ति के रूप में 10 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग की थी।

गौरतलब है कि आईपीएल के सीजन एक से पांच तक राम्या आईपीएल की टीम ‘रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु’ की ब्रैंड एंबेसडर थीं। स्पॉट फिक्सिंग का मामला आईपीएल के छठे सीजन से जुड़ा हुआ था। राम्या के वकील का कोर्ट में कहना था अभिनेत्री उस दौरान कर्नाटक के विधानसभा चुनाव को लेकर चल रहे कैंपेन में व्यस्त थीं और आईपीएल के छठे सीजन में सक्रिय रूप से नहीं जुड़ी हुई थीं। वहीं, बचाव पक्ष का कहना था कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट्स में अभिनेत्री का सीधा हवाला नहीं दिया था। उन्होंने सिर्फ एक बुकी के हवाले से यह खबर दी थी, जिसने कहा था कि दो कन्नड़ अभिनेत्रियां इसमें शामिल थीं।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद बचाव पक्ष इस मामले में स्पॉट फिक्सिंग और आईपीएल के छठे सीजन में राम्या की संलिप्तता को उजागर करने में नाकामयाब रहा, इसके बाद आठवें अतिरिक्त शहरी सिविल एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश पाटिल नागलिंगे गौड़ा ने इस मामले में राम्या के पक्ष में फैसला सुनाया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले में ‘सुवर्णा 24×7’ के एडिटर-इन-चीफ अजीत का कहना है कि वे कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे।

‘पत्रकार’ की असलियत से पर्दा उठने पर पुलिस के भी उड़े होश

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के मोदीनगर में खुद को पत्रकार बताकर मोदी स्टील फैक्ट्री के जीएम को ब्लैकमेल कर एक करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने के मामले में नया खुलासा हुआ है। मामले की जांच में पता चला है कि रंगदारी मांगने का मुख्य आरोपी अनुज अग्रवाल नामक कथित पत्रकार हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ देहरादून के थानों में कई मामले दर्ज हैं। इनमें धोखाधड़ी, गुंडाएक्ट और गैंगस्टर के मामले भी शामिल हैं और वहां के पटेलनगर थाने की पुलिस ने उसे हिस्ट्रीशीटर घोषित किया हुआ है।

पुलिस सुत्रों के अनुसार अनुज अग्रवाल ने एक गिरोह बना रखा है, जिसका काम लोगों को ब्लैकमेल कर उनसे रंगदारी वसूलना है। मामले में पीड़ित ने कथित पत्रकार समेत सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। पुलिस की कई टीमें आरोपियों की तलाश में जुटी हैं। फिलहाल इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मोदी स्टील फैक्ट्री में जीएम और दिल्ली के द्वारका निवासी अंबेर जेटली को अनुज अग्रवाल द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था। यह ब्लैकमेलिंग 15 अप्रैल को फैक्ट्री से स्क्रैप निकालने के नाम पर एक विडियो बनाकर की जा रही थी। आरोपी उनसे एक करोड़ रुपए की रंगदारी मांगने के साथ ही परिवार सहित जान से मारने की धमकी भी दे रहे थे। इसके बाद अंबेर जेटली ने मुरादनगर थाने में अनुज अग्रवाल, अतुल नेहरा, विशाल, गिरिधर, निर्मला नेहरा, मानविंदर नेहरा, बिटटू गदाना और  एक अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

कुछ दिनों पूर्व ही देहरादून के श्रीमहंत इंद्रेश अस्पताल प्रबंध समिति के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी ने अनुज अग्रवाल और उसके साथियों के खिलाफ रंगदारी मांगने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रतूड़ी का कहना था कि अनुज अग्रवाल ने खुद को ‘तहलका चैनल’ का पत्रकार बताते हुए कुछ विडियो शूट कर रंगदारी मांगी थी, जिसके बाद उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज करा दिया।

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